बेहतरीन प्रशासन के लिए मुगल काल से लेकर अंग्रेजी साम्राज्य तक ने माना Baghpat के नवाब खानदान का लोहा
Baghpat का नवाब खानदान सदियों से ही हिन्दू-मुस्लिम एकता व आपसी भाईचारे का प्रबल समर्थक माना जाता है और क्षेत्र की अमन-शांति में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता आ रहा है। बागपत के नवाबों ने अपनी इंसानियत और दरियादिली से देशभर में अपनी एक अमिट पहचान बनाई है।
Baghpat का नवाब खानदान पिछले 200 वर्षाे से अधिक समय से बागपत के लोगों की सेवा करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहा है। बताया जाता है कि मुगल काल में बागपत के नवाबों के पूर्वज बहुत बड़े जमीदार हुआ करते थे, इनके पास अनेकों जागीरें व अपार धन-सम्पदा थी जो वर्तमान पाकिस्तान से लेकर बांग्लादेश तक में फैली हुई थी। इनके पास आलीशान मकान थे।
हर धर्म व वर्ग के लोगों में था इनका बहुत मान-सम्मान
Baghpat के नवाबों के पूर्वजों की योग्यता व शानदार व्यक्तित्व के कारण हर धर्म व वर्ग के लोगों में इनका बहुत मान-सम्मान था। इनके पूर्वज अपने धर्म का अनुसरण करने के साथ-साथ दूसरे धर्माे का समान आदर करते थे और इंसानियत को अपना प्रथम कर्त्तव्य मानते थे, जिस कारण इनकी ख्याति देशभर में फैली हुई थी।
Baghpat के नवाबों के पूर्वजों की गिनती उस समय के बड़े जमीदारों में हुआ करती थी। यह सभी शान-शौकत, मान-सम्मान, धन-सम्पदा इनके पूर्वजो ने बेहतरीन प्रशासन और जनहितैषी कार्यो के आधार पर अर्जित की। धीरे-धीरे अंग्रेजी साम्राज्य का विस्तार होने लगा और मुगल काल के जमीदार अंग्रेजी साम्राज्य के अधीन आ गये।
जनता के आग्रह करने पर बागपत निवास
इसी क्रम में लगभग 200 वर्ष पूर्व बागपत के नवाबों के पूर्वजों में से एक नवाब करम अली को अंग्रेजी सरकार ने रोहतक हरियाणा के कलानौर की जमीदारी के साथ-साथ वर्तमान गाजियाबाद, मेरठ, बागपत आदि क्षेत्र का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा। कार्य के सिलसिले में नवाब करम अली का बागपत आना-जाना शुरू हो गया और जनता के आग्रह करने पर उन्होंने बागपत को अपना निवास बना लिया। करम अली का परिवार बागपत के नवाब खानदान के रूप में प्रसिद्ध हुआ।
जवाहरलाल नेहरू से परिवार के दोस्ताना सम्बन्ध

जिस समय देश आजाद हुआ उस समय Baghpat के नवाब खानदान ने हिन्दुस्तान के लोगों पर विश्वास जताया, जन्म देने वाली इस धरती को अपनी कर्म भूमि बनाया। बागपत के नवाब खानदान का रूतबा बताने के लिए इतना काफी है कि आजाद भारत के पहले प्रधानमंत्री पंड़ित जवाहरलाल नेहरू से इनके परिवार के दोस्ताना सम्बन्ध थे और पाकिस्तान के दो टुकड़े करने वाली देश ही नही विश्व की सबसे ताकतवर भारतीय महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का बागपत के नवाबों की हवेली में आना-जाना था।
- इंसानियत और दरियादिली में बनायी बागपत के नवाबों ने अपनी अमिट पहचान
- बेहतरीन न्याय देने के साथ-साथ किया सभी धर्माे का पूरा मान-सम्मान
- देश के आजाद होने के बाद भी देश की राजनीति में निभायी अहम भूमिका
- देश के पहले प्रधानमंत्री पंड़ित जवाहरलाल नेहरू व उनके परिवार के बेहद करीबी माने जाते है बागपत के नवाब
अमन व शांति के लिए भारतीय किसानों के मसीहा के रूप में इतिहास रचने वाले देश के प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह, उनके पुत्र चौधरी अजित सिंह और बागपत के नवाब खानदान के लोगों ने जिस प्रकार बागपत में साम्प्रदायिक सौहार्द कायम किया और कभी भी जाति-धर्म के आधार पर झगड़ा नही होने दिया, वह देश ही नही सम्पूर्ण विश्व के लिए एक मिसाल है।
भले ही Baghpat के नवाब खानदान के लोग उत्तर प्रदेश सरकार में अनेकों बार विधायक और मंत्रीपद पर आसीन रहे हो लेकिन इन्होंने कभी भी पैसे और पद का अभिमान नही किया। नवाब शौकत हमीद और उनके बाद नवाब कोकब हमीद ने अपने नेक कार्यो, दरियादिली और इंसानियत से बागपत के नवाब खानदान को गौरवान्वित करने वाली एक अमिट पहचान दी।
वर्तमान में नवाब अहमद हमीद अपने पूर्वजों का अनुसरण करते हुए सकारात्मक सोच के साथ Baghpat की जनता के हितों के लिए निस्वार्थ भाव से सेवा कार्य कर रहे है। Baghpat के नवाबों की हवेली और नवाबों का कब्रिस्तान बागपत के प्रमुख दर्शनीय स्थलों में शुमार है और बागपत आने वाले पर्यटकों के लिए हमेशा से ही मुख्य आकर्षण का केन्द्र रहे है।