जनमाष्टमी की धूम
देवकी और यशोदा हैं जिनकी मैया
बलराम के भाई और रूक्मिणी के हैं जो सैंया
बजाकर बंसी मोह लेते हैं मन, जो बंसी बजैया
कहलाते हैं माखन चोर,संग ग्वालों के जो चराते हैं गैया….
कोई और नहीं, हैं वो नटखट, सांवले सलोने कन्हैया
राधा और मीरा दोनों ही रखती हैं जिससे आस
संग गोपियों के जो रचाते हैं मधुबन में रास
करके दर्शन जिनके, बुझ जाती है आत्मा की प्यास….
भक्तों के दिल में रखते हैं जो जगह खास
कोई और नहीं, हैं वो माधव, सहस्त्राकाश
करके वध कंस का दिलाया उग्रसेन को खोया हुआ मान
बढ़ाकर चीर बचा ली थी जिन्होंने द्रौपदी की आन….
बन सारथी अर्जुन के और दोस्त सुदामा के, बढ़ा दी थी दोनों की शान
तोड़ा अभिमान इंद्र का,दिया था कुरुक्षेत्र में गीता का ज्ञान
कोई और नहीं, हैं वो गोपाल, सर्व शक्तिमान
जन्मदिन ही नहीं छठी भी जिनकी धूमधाम से जाती है मनायी….
जन्मदिवस पर कहीं मटकी फोड़ आयोजन, कहीं झांकियां जाती हैं सजायीं
कहीं भक्तों की टोली प्रभु को झुलाती, कहीं भजन कीर्तन करती देती है दिखाई
रात बारह बजे मंदिरों में बजते हैं जिसके लिए घंटे,घड़ियाल और शहनाई
कोई और नहीं, हैं वो वासुदेवनंदन जिनके जन्मदिन ने है धूम मचाई….
रचनाकार:
वन्दना भटनागर कवि और लेखिका हैं। मुज़फ्फरनगर, उत्तर प्रदेश की रहने वाली वन्दना की मौलिक रचनाएँ अत्यन्त सराही जा रही हैं।