उम्मीदें नहीं टूटेगी..जीतेंगे कोरोना से
पड़ा भयावह रूप सहित वह पृथ्वी के हर कोने में
हिला दिया जग वह सूक्ष्म जीव
भीड़ सिमटी घरों के कोने में
आस हैं सबको जीने की
फतह पाकर चैन की घूंट पीने की
मानव वर्ग ही वह शख्सियत हैं
ऐसे जंग को जीतने की
भय सिमटा हुआ हैं मन में
काला अंधेरा नज़र में
अदृश्यतापूर्ण वह जीव वार कर रहा जीवन में
फिर भी..
उम्मीदें नहीं टूटेगी क्योंकि जीत मुकद्दर का हिस्सा हैं।
हर कदम पर जीतेंगे अदृश्य लड़ाई से
जिसका नाम कोरोना हैं।
मेरठ के दीवान इंजीनियरिंग कॉलेज की कंप्यूटर साइंस की छात्रा कल्याणी त्रिपाठी ने एक कविता प्रस्तुत की हैं, जिसका एक एक शब्द कोरोना के खिलाफ लड़ाई में उम्मीद जगाता हैं। प्रसन्नता की बात हैं कि समाज के हर तबके के साथ साथ छात्र छात्राएं भी कोरोना विरोधी मुहिम में योगदान दे रहे हैं। (सौजन्य- प्रोफेसर राजुल गर्ग, निदेशक)