Lakhimpur Kheri violence: हाई कोर्ट के फैसले को नामंजूर करार- मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा ‘मोनू’ ने किया सरेंडर
Lakhimpur Kheri violence मामले में आरोपी केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा ‘टेनी’ के बेटे आशीष मिश्रा ‘मोनू’ ने आज सर्वोच्च न्यायालय के आदेशानुसार सीजेएम कोर्ट में सरेंडर कर दिया है। आपको बता दें कि लखमीपुर खीरी हिंसा मामले में 4 किसानों को कार से रौंदकर मारने के मामले में सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट ने आशीष मिश्रा को जमानत दे दी थी
लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने बीते 18 अप्रैल को आशीष की जमानत रद्द करने को लेकर दायर याचिका की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आशीष मिश्र की जमानत रद्द कर दी थी तथा उन्हें समर्पण करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया था।
Lakhimpur Kheri violence और बवाल के चलते 4 किसानों सहित कुल 8 लोगों की मौत हो गई थी, जिसमें केंद्रीय गृह राज्य मंत्री के बेटे आशीष मिश्रा पर कथित तौर से किसानों पर गाड़ी चढ़ाने और उन्हें मारने का आरोप लगा था। मामले की कार्यवाही करते हुए आशीष मिश्रा को उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया था।
10 फरवरी को करीब 4 महीने जेल में गुजारने के बाद आशीष मिश्रा को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सबूतों के अभाव और अन्य पक्षों पर सुनवाई के बाद जमानत देते हुए रिहा कर दिया था। हालांकि, इसके विपरीत लखमीपुर खीरी हिंसा और हत्यकांड मामले में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जांच के लिए गठित एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट जमा की थी जिसमें सीधे तौर पर आशीष मिश्र पर आरोप साबित हुए थे।
सुप्रीम कोर्ट से जमानत आदेश रद्द होने के बाद प्रमुख आरोपी आशीष मिश्र मोनू को एक सप्ताह की मोहलत मिली थी, जो 25 अप्रैल सोमवार को समाप्त हो रही है. उधर, जमानत पर छूटे तिकुनिया हिंसा के मुख्य आरोपी आशीष की ओर से जिला कोर्ट में डिस्चार्ज ऐप्लीकेशन दी थी. इसमें कहा गया था कि मुकदमा चलने लायक कोई सबूत नहीं हैं.
वकील की दलील के बाद हाईकोर्ट ने जो फैसला सुनाया था वह यह था, ‘अभियोजन की दलीलें मान भी लें तो स्पष्ट है कि घटनास्थल पर हजारों प्रदर्शनकारी थे. ऐसे में संभव है कि ड्राइवर ने बचने के लिए गाड़ी भगाई और यह घटना हो गई. याची ने कहा था कि प्रदर्शनकारियों में कई लोग तलवारें व लाठियां लिए थे. बहस के दौरान कहा गया कि एसआईटी ऐसा कोई साक्ष्य नहीं पेश कर सकी जिससे साबित हो कि गाड़ी चढ़ाने के लिए उकसाया गया.
आशीष मिश्र को इलाहाबद हाई कोर्ट से मिली जमानत के फैसले को चुनौती देते हुए पीड़ित परिवार ने सर्वोच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की थी तथा इस याचिका के तहत आशीष मिश्रा को हाई कोर्ट से मिली जमानत को रद्द करने की मांग की गई थी, जिसके तहत बीते 18 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने अंतिम फैसला सुनाते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को नामंजूर करार देते हुए दोषी आशीष मिश्र की जमानत रद्द कर दी।
सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए आशीष को कोर्ट के समक्ष सरेंडर करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया था, जिसके तहत आज आशीष मिश्रा उर्फ मोनू ने ने रविवार को छुट्टी के दिन ही सीजेएम की कोर्ट में पहुंचकर सरेंडर कर दिया. सरेंडर करने के बाद लखीमपुर के सदर कोतवाल की गाड़ी में बैठा कर गुपचुप तरीके से आशीष मिश्रा को जेल लाया गया जहां पीछे के गेट से जेल में इंट्री हुई.

