संपादकीय विशेष

मानव-वन्यजीव संघर्ष को आपदा घोषित करने व वृक्षारोपण में उ0प्र0 देश में अग्रणी

मुजफ्फरनगर| प्राकृतिक संसाधनों में वनों की अत्यन्त ही महत्वपूर्ण भूमिका पाई गई है। वन हमारे अतीत के गौरव, संस्कृति, सभ्यता व विकास के प्रतीक हैं। वनों से हमें एक ओर जहां इमारती लकड़ी, ईंधन, चारा, रबर, गोंद, लाख, औद्योगिक विकास के लिए कच्चा माल, जड़ी-बूटियां, फल-फूल व विविध प्रकार के रसायन प्राप्त होते हैं, वहीं दूसरी तरफ वनों से विदेशी मुद्रा अर्जन, रोजगार सृजन, जलवायु को समुचित बनाये रखने, भू-क्षरण व रेगिस्तान के फैलाव को नियंत्रित करने, प्राकृतिक सौन्दर्य को बढ़ाने, पर्यावरण की सुरक्षा, वर्षा लाने, वायु को शुद्ध करने सहित प्राणदायिनी वायु व जीवों की उत्पत्ति में महत्वपूर्ण योगदान प्रदान करते हैं।

उ0प्र0 सरकार ने वनों के क्षेत्र को बढ़ाने पारिस्थितिकीय संतुलन बनाये रखने, वन्य जीवों व मानव संघर्ष को आपदा घोषित करने जैसे कई फैसले लेते हुए सुरक्षा प्रदान किया है।प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आह्वान पर कोरोना वायरस के फैलाव के बावजूद प्रदेश के किसानों, आमजन के सहयोग से वन विभाग सहित 26 विभागों के अथक प्रयासों से मिशन वृक्षारोपण 2020 के अन्तर्गत प्रदेश में 05 जुलाई, 2020 को एक ही दिन में 25.87 करोड़ वृक्षों का रोपण कर ऐतिहासिक उपलब्धि अर्जित करते हुए विश्व कीर्तिमान स्थापित किया गया है।

 

इस विश्व कीर्तिमान को स्थापित करने के लिए मुख्यमंत्री  ने कुकरैल वन में वृक्षारोपण कर शुरूआत की, और पूरे प्रदेश में वृहद स्तर पर सोशल डिस्टेंसिंग व मास्क लगाकर विभागों और आमजन, किसानों विभिन्न संगठनों ने उल्लास और समर्पण भाव से भाग लेते हुए वृक्षारोपण किया है। प्रदेश सरकार का ध्येय है कि प्रदेश का वनाच्छादन बढ़ाया जाय। वनाच्छादन बढ़ाने के लिए यह जरूरी है कि प्रदेश में खाली पड़ी जमीनों, सड़कों, नहरों, नदियों के किनारे, बंजर व अन्य पथरीली जमीन जहां जो वृक्ष लग सकें, खेतों के मेड़ों, आदि में वृक्षारोपण किया जाय जिससे हर क्षेत्र में धरती की हरीतिमा दिखाई पड़े।

राष्ट्रीय वन नीति एवं राज्य वन नीति 2017 के अनुसार प्रदेश का एक तिहाई भू-भाग वनाच्छादित व वृक्षाच्छादित होना चाहिए। भारतीय वन सर्वेक्षण रिपोर्ट 2019 के अनुसार उत्तर प्रदेश के कुल भौगोलिक क्षेत्र का कुल 9.19 प्रतिशत क्षेत्र ही वनावरण व वृक्षावरण है। इसे बढ़ाने के लिए प्रदेश सरकार ने जो कदम उठाया उसमें काफी सफलता भी मिली है। मुख्यमंत्री जी के निर्देशन में प्रदेश की हरीतिमा लाई जा रही है। वर्तमान सरकार के 3 वर्ष के कार्यकाल में 40.08 करोड़ तथा जुलाई 2020 में 25.87 करोड़ अब तक के कार्यकाल में पूरे प्रदेश में कुल 66.95 करोड़ वृक्षारोपण किया गया है।

इतनी बड़ी संख्या में वृक्षारोपण होने से वनाच्छादन क्षेत्र बढ़ा है। सरकार ने नमामि गंगे परियोजना के तहत बिजनौर से बलिया तक पदयात्रा कार्यक्रम आयोजित करते हुए लोगों को गंगा हरीतिमा बनाये रखने के लिए विशेष अभियान चलाया जिसके तहत गंगा किनारे रहने वालों को प्रेरित किया गया कि वृक्षारोपण से भी गंगा की स्वच्छता और निर्मलता बनी रहेगी। उत्तर प्रदेश में गंगा के प्रवेश से लेकर बलिया तक के 27 जनपदों के दोनों तटों से 10 किमी0 के अन्दर करोड़ोे पौधों का रोपण करते हुए गंगा हरीतिमा अभियान के तहत वृहद वृक्षारोपण किया गया।

उसी तरह गंगा व यमुना की 40 से अधिक सहायक नदियों के तटों के दोनों ओर वृहद स्तर पर वृक्षारोपण किया गया।प्रदेश सरकार वन क्षेत्र बढ़ाने के साथ-साथ वन्य जीवों की सुरक्षा पर भी विशेष ध्यान दे रहीं हैं। वन्य जीवों द्वारा मनुष्यों पर कभी-कभी आकस्मिक हमला भी कर दिया जाता है।

बढ़ती आबादी के दबाव के कारण वन क्षेत्र के आस-पास के लोग वनों में अपनी कुछ दैनिक आवश्यक वस्तुओं के लिए जंगली क्षेत्र में चले जाते हैं और उन पर वन्य जीव हमला कर देते हैं, परिणामस्वरूप कभी-कभी हमले से जान भी चली जाती है।

ऐसी स्थिति में गरीब परिवार के कमाऊ व्यक्ति की मृत्यु होने पर परिवार के समक्ष आर्थिक संकट खड़ा हो जाता है। उ0प्र0 के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी देश के पहले मुख्यमंत्री हैं जो मानव वन्य जीव संघर्ष को राज्य आपदा घोषित किया है। सरकार के इस कदम से मानव-वन्य जीव संघर्ष की घटनाओं से प्रभावित लोगों को आर्थिक अनुग्रह सहायता राशि मिल रही है। इससे आम जनता लाभान्वित हो रही है।

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