संपादकीय विशेष

Muzaffarnagar में तूफानी कहर! पेड़ों की तबाही से बाल-बाल बचे लोग, वन विभाग की लापरवाही उजागर

Muzaffarnagar से एक सनसनीखेज खबर सामने आई है जिसने पूरे शहर को हिला कर रख दिया। शनिवार की दोपहर अचानक तेज़ आंधी और तूफान के चलते जनपद मुजफ्फरनगर के मेरठ रोड स्थित कंपनी बाग के सामने एक दर्दनाक मंजर देखने को मिला। संतोष हॉस्पिटल के बाहर खड़ी गाड़ियों पर अचानक एक विशालकाय पेड़ की भारी-भरकम शाखाएं गिर पड़ीं। इस हादसे ने न सिर्फ लोगों में दहशत फैला दी बल्कि प्रशासन और वन विभाग की लापरवाही की पोल भी खोल कर रख दी है।

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, हादसा इतना अचानक हुआ कि लोग कुछ समझ पाते, उससे पहले ही पेड़ की टूटी शाखाएं हवा के झोंके के साथ तेज़ी से गाड़ियों पर गिर गईं। एक कार के शीशे पूरी तरह चकनाचूर हो गए। कार के अंदर बैठे यात्री किसी चमत्कार से जीवित बच गए। आसपास खड़े लोगों ने जान बचाने के लिए भागते हुए खुद को किसी तरह सुरक्षित किया। गनीमत रही कि इस हादसे में किसी की जान नहीं गई, लेकिन लाखों का नुकसान जरूर हुआ।

🌳 शिकायतों के बावजूद वन विभाग मौन!

स्थानीय नागरिकों और अस्पताल प्रशासन का कहना है कि इस विशेष पेड़ के बारे में पहले ही वन विभाग को जानकारी दी गई थी। बताया गया था कि पेड़ कमजोर हो चुका है और झुक गया है, जिससे कभी भी खतरा उत्पन्न हो सकता है। मगर अफसोस की बात है कि वन विभाग ने इस चेतावनी को हल्के में लिया और कोई भी कदम नहीं उठाया। नतीजा सबके सामने है—एक बड़ा हादसा, जिसमें जानमाल का नुकसान होते-होते बचा।

इस लापरवाही ने न सिर्फ प्रशासनिक तंत्र की नाकामी को उजागर किया है, बल्कि यह सवाल भी खड़ा किया है कि आखिर कितनी बार चेतावनी देने के बाद ही कार्यवाही होगी? क्या वन विभाग किसी बड़े हादसे का इंतज़ार कर रहा था?

🚨 तूफान से शहर के कई इलाकों में तबाही

मुज़फ्फरनगर के सिर्फ मेरठ रोड ही नहीं, बल्कि कई अन्य हिस्सों से भी तेज़ आंधी तूफान के कारण पेड़ों के गिरने, बिजली की लाइनें टूटने और ट्रैफिक जाम जैसी खबरें सामने आई हैं। शहर के सिविल लाइंस, बेगमपुर, नई मंडी, भोपा रोड, शारदा रोड जैसे इलाकों में भी पेड़ गिरने की घटनाएं हुईं। कई इलाकों में बिजली आपूर्ति घंटों ठप रही जिससे आम जनजीवन प्रभावित हुआ।

नगर निगम और फायर ब्रिगेड की टीमें तुरंत मौके पर पहुंचीं और कटे-फटे पेड़ों को हटाकर ट्रैफिक को सामान्य किया। हालांकि, कई जगहों पर घंटों तक जाम की स्थिति बनी रही।

🚑 संतोष हॉस्पिटल के बाहर मची अफरा-तफरी

संतोष हॉस्पिटल के बाहर का दृश्य किसी फिल्मी सीन से कम नहीं था। कार पर गिरे पेड़ की टहनी ने हॉस्पिटल की पार्किंग को तहस-नहस कर दिया। मौके पर मौजूद गार्डों और कुछ स्थानीय युवकों ने फुर्ती दिखाते हुए फंसे यात्रियों को बाहर निकाला। बताया जा रहा है कि कार के अंदर एक बुज़ुर्ग दंपति और दो बच्चे बैठे थे, जो कुछ पलों के लिए सदमे में आ गए थे।

🏢 प्रशासन और वन विभाग पर उठे सवाल

नगर निगम के एक अधिकारी से जब इस हादसे पर बात की गई तो उन्होंने कहा कि ऐसे पेड़ों की सूची वन विभाग के पास पहले से है और उन्हें समय-समय पर नोटिस भेजे जाते हैं। वहीं, वन विभाग के एक अधिकारी ने सफाई देते हुए कहा कि बजट की कमी और जनशक्ति की सीमितता के कारण हर जगह तुरंत कार्यवाही संभव नहीं होती।

मगर सवाल यह है कि जब चेतावनी दी गई थी, तो क्या जानबूझ कर आंखें मूंदी गईं? क्या एक आम आदमी की जान की कोई कीमत नहीं? इस घटना ने न केवल प्रशासन को कटघरे में खड़ा किया है, बल्कि आने वाले दिनों में तूफान और बारिश के सीज़न में तैयारियों पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।

⚠️ क्या कहता है मौसम विभाग?

मौसम विभाग ने पहले ही उत्तर प्रदेश के कुछ जिलों में तेज़ आंधी, बारिश और बिजली गिरने की चेतावनी जारी की थी। ऐसे में जिला प्रशासन को अतिरिक्त सतर्कता बरतनी चाहिए थी। बावजूद इसके कहीं कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए। विशेषज्ञों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन के कारण अब तूफान और तेज़ हवाओं की तीव्रता बढ़ रही है और ऐसे में पुराने और जर्जर पेड़ बड़ी दुर्घटनाओं को न्योता दे सकते हैं।

💡 आगे क्या करना होगा?

अब वक्त आ गया है कि प्रशासन और वन विभाग दोनों ही अपनी कार्यशैली में बदलाव लाएं। जिन पेड़ों को लेकर शिकायतें हैं, उनकी जल्द से जल्द जांच होनी चाहिए। तकनीकी सर्वे कराया जाना चाहिए कि कौन-कौन से पेड़ गिरने की स्थिति में हैं। इसके अलावा नागरिकों को भी सजग रहने की जरूरत है। बारिश और आंधी के समय खुले में खड़े होने से बचना चाहिए और गाड़ियों को ऐसे पेड़ों के पास न खड़ा किया जाए जो कमजोर हों।

🔍 स्थानीय जनता में नाराज़गी

घटना के बाद से स्थानीय नागरिकों में काफी गुस्सा है। सोशल मीडिया पर लोग वन विभाग और नगर निगम को जमकर कोस रहे हैं। ट्विटर, फेसबुक और व्हाट्सएप पर तस्वीरें वायरल हो रही हैं, जिसमें टूटी गाड़ियाँ, गिरे हुए पेड़ और हताश लोग दिखाई दे रहे हैं। लोग प्रशासन से मांग कर रहे हैं कि संबंधित अधिकारियों पर कार्रवाई हो और ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकी जाए।


📣 अंत में ये कहना ग़लत नहीं होगा कि यह हादसा भले ही बड़ा नहीं हुआ, लेकिन यह एक चेतावनी है—एक संकेत कि समय रहते चेत नहीं पाए, तो अगली बार नुकसान और भी भयावह हो सकता है।

अगर आप मुज़फ्फरनगर या आस-पास के इलाके में रहते हैं तो सतर्क रहें, खासतौर पर जब मौसम बिगड़ने लगे। साथ ही प्रशासन से अपील है कि अब और इंतज़ार नहीं—तुरंत कार्रवाई की जाए ताकि किसी मासूम की जान न जाए।

Dr. S.K. Agarwal

डॉ. एस.के. अग्रवाल न्यूज नेटवर्क के मैनेजिंग एडिटर हैं। वह मीडिया योजना, समाचार प्रचार और समन्वय सहित समग्र प्रबंधन के लिए जिम्मेदार है। उन्हें मीडिया, पत्रकारिता और इवेंट-मीडिया प्रबंधन के क्षेत्र में लगभग 3.5 दशकों से अधिक का व्यापक अनुभव है। वह राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई प्रतिष्ठित समाचार पत्रों, चैनलों और पत्रिकाओं से जुड़े हुए हैं। संपर्क ई.मेल- [email protected]

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