स्वास्थ्य

बवासीर (Piles) का प्राकृतिक व घरेलू उपचार

10 Home Remedies For Piles That Actually Work! | Thehealthsite.comइस रोग का मुख्य कारण कब्ज है पाचन क्रिया खराब होने के कारण पेट में कब्ज बनटाइम हैं जो पेट में सूखे पन की उत्पत्ति कर मल को अधिक सुखा देती हैं मल अधिक कठोर हो जाने के कारण मल करते समय अधिक जोर लगाना पड़ता है

जिससे मलद्वार के अंदर की त्वचा छिल व कट जाती है और मलद्वार के अंदर जख्म या मस्से बन जाते हैं जिस मे से ब्लड आने लगता है जिसे बवासीर/हेमोरहोएड्स /अर्श भी कहते हैं यह कई प्रकार का होता है जिसमें दो मुख्य हैं खूनी और बादी बवासीरखूनी बवासीर में मल के साथ बूंद बूंद करके खून आता है

जबकि बादी बवासीर में मलद्वार में सूजन मटर या अंगूर के दाने के बराबर हो जाती है लेकिन मल के साथ खून नहीं आता है उसे बादी बवासीर कहते हैं

बवासीर छह प्रकार का होता है
– पित्तार्श, कफार्श, वातार्श सन्निपातार्श, संसार्गर्श और रक्तार्श (खूनी बवासीर)

1. कफार्श : कफार्श बवासीर में मस्से काफी गहरे होते है। इन मस्सों में थोड़ी पीड़ा, चिकनाहट, गोलाई, कफयुक्त पीव तथा खुजली होती है। इस रोग के होने पर पतले पानी के समान दस्त होते हैं। इस रोग में त्वचा, नाखून तथा आंखें पीली पड़ जाती है।

2. वातजन्य बवसीर : वात्यजन अर्श (बवासीर) में गुदा में ठंड़े, चिपचिपे, मुर्झाये हुए, काले, लाल रंग के मस्से तथा कुछ कड़े और अलग प्रकार के मस्से निकल आते हैं। इसका इलाज न करने से गुल्म, प्लीहा आदि बीमारी हो जाती है।

3. संसगर्श : इस प्रकार के रोग परम्परागत होते हैं या किसी दूसरों के द्वारा हो जाते हैं। इसके कई प्रकार के लक्षण होते हैं।

4. पितार्श : पितार्श अर्श (बवासीर) रोग में मस्सों के मुंख नीले, पीले, काले तथा लाल रंग के होते हैं। इन मस्सों से कच्चे, सड़े अन्न की दुर्गन्ध आती रहती है और मस्से से पतला खून निकलता रहता है। इस प्रकार के मस्से गर्म होते हैं। पितार्श अर्श (बवासीर) में पतला, नीला, लाल रंग का दस्त (पैखाना) होता है।

5. सन्निपात : सन्निपात अर्श (बवासीर) इस प्रकार के बवासीर में वातार्श, पितार्श तथा कफार्श के मिले-जुले लक्षण पाये जाते हैं।

6. खूनी बवासीर : खूनी बवासीर में मस्से चिरमिठी या मूंग के आकार के होते हैं। मस्सों का रंग लाल होता है। गाढ़ा या कठोर मल होने के कारण मस्से छिल जाते हैं। इन मस्सों से अधिक दूषित खून निकलता है जिसके कारण पेट से निकलने वाली हवा रुक जाती है।

बवासीर होने पर व्यक्ति को गुदाद्वार के अंदर सूजन हो जाती हैं तथा मल त्याग करते समय गुदाद्वार बाहर आ जाते हैं इसमें गुदाद्वार के बाहर की और मस्से मोटे मोटे दाने जैसे होते हैं जिनमें रक्तस्राव व दर्द होता है इस रोग में दर्द जलन उठने बैठने लेटने में परेशानी होती है खूनी बवासीर में मस्सों से खून आता है शौच करते समय खून का निकलना तेज हो जाता है इस रोग में व्यक्ति को बहुत अधिक कष्टों का सामना करना पड़ता है

लाल मिर्च, तेल, खटाई, अधिक गर्म व मसाले वाले भोजन (खाना) तथा रोग के प्रतिकूल भोजन न करें। उड़द, सरसों, पिट्टी, तिल, शराब, बेलगिरी, पोइ का साग, घिया, मछली, मांस आदि न खायें। अधिक गरिष्ठ भोजन न करें।

How To Cure Piles Permanently At Home In 3 Days - The Ghana ...बवासीर रोग होने का मुख्य कारण पेट में कब्ज बनना है। 50 से भी अधिक प्रतिशत व्यक्तियों को यह रोग कब्ज के कारण ही होता है। इसलिए जरूरी है कि कब्ज होने को रोकने के उपायों को हमेशा अपने दिमाग में रखें।

कब्ज के कारण मलाशय की नसों के रक्त प्रवाह में बाधा पड़ती है जिसके कारण वहां की नसें कमजोर हो जाती हैं और आंतों के नीचे के हिस्से में भोजन के अवशोषित अंश अथवा मल के दबाव से वहां की धमनियां चपटी हो जाती हैं तथा झिल्लियां फैल जाती हैं। जिसके कारण व्यक्ति को बवासीर हो जाती है।

यह रोग व्यक्ति को तब भी हो सकता है जब वह शौच के वेग को किसी प्रकार से रोकता है।भोजन में आवश्यक पोषक तत्वों की कमी होने के कारण बिना पचा हुआ भोजन मलाशय में इकट्ठा हो जाता है और निकलता नहीं है, जिसके कारण मलाशय की नसों पर दबाव पड़ने लगता है और व्यक्ति को बवासीर हो जाती है।

शौच करने के बाद मलद्वार को गर्म पानी से धोने से भी बवासीर रोग हो सकता है।तेज मसालेदार, अति गरिष्ठ तथा उत्तेजक भोजन करने के कारण भी बवासीर रोग हो सकता है।

दवाईयों का अधिक सेवन करने के कारण भी यह रोग व्यक्ति को हो सकता है।
रात के समय में अधिक जगने के कारण भी व्यक्ति को बवासीर का रोग हो सकता है।

प्राकृतिक व घरेलू चिकित्सा से उपचार –
6 Excellent Home Remedies For Piles - Ndtv Foodप्राकृतिक चिकित्सा से उपचार करने के लिए रोगी को सबसे पहले २ दिन तक रसों का आहार वाह उपवास करवाना चाहिए फिर २ सप्ताह तक बिना पके भोजन का सेवन करो वास्क रखरखाव आना चाहिए सुबह शाम भिगोए हुई अंजीर व इसका पानी पीना चाहिए

वापस ला दो चम्मच काला तिल घोड़ा बेलगिरी मिलाकर सेवन करना चाहिए इसके बाद पेड़ों पर मिट्टी की पट्टी एनिमा तथा मस्सों पर मिट्टी का गोला रखना चाहिए यदि मस्सों में सूजन अधिक हो या खून अधिक आ रहा हो तो मिट्टी की पट्टी से बर्फ उसे ठंडा करके मस्सों पर १० मिनट तक रखकर इस पर गर्म सेट करें वह मिट्टी की पट्टी कुछ दिनों तक नियमित करने से मस्से नष्ट हो जाते है

वह बवासीर के रोग में आराम मिलता है रोगी को कटि स्नान में स्नान तथा कुछ आसन करवाने चाहिए जैसे नाड़ी शोधन कपालभाति भुजंग आसन प्राणायाम पवनमुक्तासन शलभासन सर्वांगासन मत्स्यासन हलासन चक्रासन आदि करना चाहिए दर्द होने वाले जगह पर वैसलीन में कपूर मिलाकर लगाना चाहिए 

सोते समय केले खाने को देना चाहिए भोजन में चुकंदर जिमीकंद फूलगोभी हरी सब्जी खिलाना चाहिए तथा एक गिलास माथे में एक चम्मच भुना जीरा पिलाना चाहिए एक-एक चम्मच जीरा सौंफ धनिया का काढ़ा भी घी डालकर पिलाना चाहिए तथा विभिन्न औषधियों से उपचार करना चाहिए जो इस प्रकार हैं —

1. हाऊबेर : हाऊबेर, हींग, तथा चित्रक इनको बराबर मात्रा में लेकर कूट-पीसकर चूर्ण बना लें। इसके चूर्ण को प्रतिदिन सुबह-शाम 3 ग्राम छाछ के साथ पीने से अर्श (बवासीर) विकृति नष्ट होती है।

2. मक्खन :

मक्खन निकालकर इसके छाछ में थोड़ा-सा सेंधानमक और जीरा मिलाकर पीने से अर्श (बवासीर) रोग ठीक होता है।
गाय के दूध का मक्खन और तिल का सेवन करने से अर्श (बवासीर) में लाभ होता है।मक्खन में शहद व खड़ी शक्कर मिलाकर खाने से खूनी बवासीर में लाभ होता है।
मक्खन, नागकेसर और खड़ी शक्कर मिलाकर खाने से खूनी बवासीर में लाभ होता है।
3. दारूहल्दी : दारूहल्दी का तना, जड़ और फल समभाग में मिलाकर लेप तैयार करें। इसे गुदा और मस्सों पर लगाने से रोग में बहुत लाभ मिलता है।

4. हरी मेथी : यह बवासीर ग्रस्त रोगी के लिए फायदेमंद है। अगर रक्त आ रहा हो तो इसे काले अंगूर के साथ मेथी के रस में समान मात्रा मे लेने से रोगी ठीक हो जाता है।

5. मालकांगनी : मालकांगनी के बीजों को गोमूत्र (गाय के पेशाब) में पीसकर खुजली वाले अंग पर नियमित रूप से लगाने पर खूनी बवासीर में आराम मिलता है।

6. अजवायन :

अजवायन के चूर्ण में सेंधानमक और छाछ मिलाकर पीने से कब्ज दूर होती है।
अजवायन और पुराना गुड़ कूटकर 4 ग्राम रोज सुबह गर्म पानी के साथ लें।
अजवायन देशी, अजवायन जंगली और अजवायन खुरासानी को बराबर मात्रा में लेकर महीन पीस लें और मक्खन में मिलाकर मस्सों पर लगायें। इसको लगाने से कुछ दिनों में ही मस्सें सूख जाते हैं।
7. पिप्पली : पिप्पली का चूर्ण लगभग आधा ग्राम और जीरा 1 ग्राम को सेंधानमक मिलाकर छाछ के साथ प्रतिदिन सुबह-शाम पीने से बवासीर नष्ट होता है।

8. कचनार की छाल :

कचनार की छाल का चूर्ण 3 ग्राम छाछ के साथ प्रतिदिन सुबह-शाम पीने से अर्श (बवासीर) में खून का निकलना बन्द हो जाता है।
कचनार की एक चम्मच छाल को एक कप के साथ दिन में 3 बार सेवन करने से बवासीर में होने वाले खून बन्द हो जाते हैं।
9. त्रिफला : त्रिफला (हरड़, बहेड़ा, आंवला) का चूर्ण 3 ग्राम की मात्रा में रोजाना रात को हल्के गर्म दूध में मिलाकर पीने से कब्ज दूर होती है।

10. चंदन: चंदन, चिरायता, जवांसा और सोंठ का काढ़ा बनाकर पीने से अर्श (बवासीर) में खून का निकलना बन्द होता है।

11. सूखे अंजीर : सूखे अंजीर के 3-4 दाने को शाम के समय जल में डालकर रख दें। सुबह उन अंजीरों को मसलकर प्रतिदिन सुबह खाली पेट खाने से अर्श (बवासीर) रोग दूर होता है।

12. नीम :

नीम के पके हुए फल को छाया में सुखाकर इसके फल का चूर्ण बना लें। 5 ग्राम चूर्ण सुबह जल के साथ खाने से बवासीर रोग ठीक होता है।
लगभग 50 मिलीलीटर नीम का तेल, कच्ची फिटकरी 3 ग्राम, चौकिया सुहागा 3 ग्राम को पीस लें। शौच के बाद इस लेप को उंगली से गुदा के भीतर तक लगाने से कुछ ही दिनों में बवासीर के मस्से मिट जाते हैं।
नीम के बीज, बकायन की सूखी गिरी, छोटी हरड़, शुद्ध रसौत 50-50 ग्राम, घी में भूनी हींग 30 ग्राम को बारीक पीसकर चूर्ण बनाकर उसमें 50 ग्राम बीज निकली हुई मुनक्का को घोंटकर छोटी-छोटी गोलियां बना लें, 1 से 4 गोली को दिन में 2 बार बकरी के दूध के साथ या ताजे लेने से बवासीर में लाभ मिलता हैं, और खूनी बवासीर में खून का गिरना बन्द हो जाता है।
नीम की गिरी का तेल 2-5 बूंद तक शक्कर (चीनी) के साथ खाने से या कैप्सूल में भर कर निगलने से लाभ मिलता है। इसके सेवन के समय केवल दूध और भात का प्रयोग करें।
नीम की बीज की गिरी, एलुआ और रसौत को बराबर भाग में कूटकर झड़बेरी जैसी गोंलियां बनाकर रोजाना सुबह 1-1 गोली नीम के रस के साथ बवासीर में लेने से आराम मिलता है।
नीम के बीजों की गिरी 100 ग्राम और नीम के पेड़ की छाल 200 ग्राम को पीसकर 1-1 ग्राम की गोलियां बनाकर 4-4 गोली दिन में 4 बार 7 दिन तक खिलाने से तथा नीम के काढ़े से मस्सों को धोने से या नीम के पत्तों की लुगदी को मस्सों पर बांधने से लाभ मिलता है।
100 ग्राम सूखी नीम की निबौली 50 मिलीलीटर तिल के तेल में तलकर पीस लें, बाकी बचे तेल में 6 ग्राम मोम, 1 ग्राम फूला हुआ नीला थोथा मिलाकर मलहम या लेप बनाकर दिन में 2 से 3 बार मस्सों पर लगाने से मस्से दूर हो जातें हैं।
फिटकरी का फूला 2 ग्राम और सोना गेरू 3 ग्राम, नीम के बीज की गिरी 20 ग्राम में घी या मक्खन मिलाकर या गिरी का तेल मिलाकर घोट लें, इसे मस्सों पर लगाने से दर्द तुरन्त दूर होता हैं और खून का बहना बन्द होता है।
50 ग्राम कपूर, नीम के बीज की गिरी 50 ग्राम को दोनों का तेल निकालकर थोड़ी-सी मात्रा में मस्सों पर लगाने से मस्सें सूखने लगते हैं।
नीम की गिरी, रसौत, कपूर व सोना गेरू को पानी पीसकर लेप करें या इस लेप को एरण्ड के तेल में घोंटकर मलहम (लेप) करने से मस्से सूख जाते हैं।
नीम के पेड़ की 21 पत्तियों को भिगोई हुई मूंग की दाल के साथ पीसकर, बिना मसाला डालें, घी में पकाकर 21 दिन तक खाने से और खाने में छाछ और अधिक भूख लगने पर भात खाने से बवासीर में लाभ हो जाता है। ध्यान रहे कि नमक का सेवन बिल्कुल नहीं करना चाहिए।
नीम के बीजों को तेल में तलकर, उसी में खूब बारीक पीस लें। इसके बाद फुलाया हुआ तूतिया डालकर मस्सों पर लेप करना चाहिए।
पकी नीम की निबौंली के रस में 6 ग्राम गुड़ को मिलाकर रोजाना सुबह सात दिन तक खाने से बवासीर नष्ट हो जाता है।
13. चिड़चिड़े : चिड़चिड़े की जड़ और कालीमिर्च दोनों को 5-5 ग्राम की मात्रा में लेकर पीसकर जल के साथ पीने से अर्श रोग ठीक होता है।

14. इन्द्रयव : इन्द्रयव का काढ़ा बनाकर काढ़े में सोंठ का चूर्ण मिलाकर प्रतिदिन सुबह-शाम पीने से बवासीर का रोग ठीक होता है।

15. कुंकुम : कुंकुम की जड़ों को जल के साथ पीसकर अर्श (बवासीर) के मस्सों (दानों) पर लगाने से पीड़ा व जलन मिटती है।

16. खजूर का बीज :

खजूर के बीजों को जलाकर उसके धुंए से अर्श (बवासीर) के मस्सों (दाने) को सेकने से मस्से नष्ट होते हैं।
खजूर के पत्तों को जलाकर भस्म (राख) बना लें। इसके भस्म (राख) 2 ग्राम की मात्रा में दिन में दो से तीन बार जल के साथ खाने से खूनी बवासीर ठीक होता है।
17. गुग्गल : गुग्गल को जल के साथ पीसकर अर्श (बवासीर) के मस्सों पर लगाने से मस्से जल्द नष्ट होते हैं।

18. चक्रमर्द (पंवाड़) : चक्रमर्द (पंवाड़) के बीजों को जल के साथ पीसकर अर्श (बवासीर) के मस्सों पर लगाने से मस्सा ठीक होता है।

19. सत्यानाशी : सत्यानाशी की जड (ताजा), सेंधानमक और चक्रमर्द के बीज इन सभी को 1-1 ग्राम की मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को छाछ के साथ पीने से अर्श (बवासीर) रोग नष्ट होता है।

20. बकायन का फल :

बकायन के सूखे बीजों को कूटकर लगभग 2 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम पानी के साथ सेवन करने से खूनी-वादी दोनों प्रकार की बवासीर में लाभ मिलता है।
बकायन के बीजों की गिरी और सौंफ दोनों को बराबर मात्रा में पीसकर मिश्री मिलाकर दो ग्राम की मात्रा में दिन में तीन बार सेवन करने से बवासीर में लाभ मिलता है।
बकायन के बीजों की गिरी में समान मात्रा में एलुआ व हरड़ मिलाकर चूर्ण बना लेते हैं। इस चूर्ण को कुकरौंधे के रस के साथ घोटकर लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग की गोलियां बनाकर सुबह-शाम 2-2 गोली जल के साथ लेने से बवासीर में खून आना बन्द हो जाता है तथा इससे कब्ज दूर हो जाती है।
21. अपामार्ग (चिरचिटा) :

अपामार्ग के बीजों को पीसकर उनका चूर्ण तीन ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम चावलों के धोवन के साथ देने से खूनी बवासीर में खून पड़ना बन्द हो जाता है।
अपामार्ग की 6 पत्तियां, 5 कालीमिर्च, को जल के साथ पीस-छानकर सुबह-शाम सेवन करने से बवासीर में लाभ होता है और उसमें बहने वाला रक्त रुक जाता है।
पित्तज या कफ युक्त खूनी बवासीर पर अपामार्ग की 10 से 20 ग्राम जड़ को चावल के धोवन के साथ पीस-छानकर दो चम्मच शहद मिलाकर पिलाना गुणकारी है।
चिरचिटा की 25 ग्राम जड़ों को चावल के पानी में पीसकर बकरी के दूध के साथ दिन में तीन बार लेने से खूनी बवासीर नष्ट हो जाता है।
अपामार्ग का रस निकालकर या इसके 3 ग्राम बीज का चूर्ण बनाकर चावल के धोवन (पानी) के साथ पीने से बवासीर में खून का निकलना बन्द हो जाता है।
अपामार्ग (ओंगा) का जड़, तना, पत्ता, फल और फूल को मिलाकर काढ़ा बनायें और चावल के धोवन अथवा दूध के साथ पीयें। इससे खूनी बवासीर में खून का गिरना बन्द हो जाता है।
22. अमलतास :

अमलतास का काढ़ा बनाकर उसमें सेंधानमक और घी मिलाकर उस काढ़े को पीने से खून का बहना बन्द होता है तथा बवासीर रोग ठीक होता है।
अमलतास का गूदा 40 ग्राम 375 मिलीलीटर पानी के साथ मिट्टी के बर्तन में पकायें। पानी का रंग लाल होने पर उसे उतारकर छान लें और उसके पानी में सेंधानमक 6 ग्राम तथा गाय का घी 20 ग्राम मिलाकर ठंड़ा करके पीयें। इसे पीने से तीन चार दिन में ही खूनी बवासीर में खून का गिरना बन्द हो जाता है।
10 ग्राम अमलतास की फलियों का गूदा, 6 ग्राम हर्र की दाल और 10 ग्राम मुनक्का (काली द्राक्ष) का आधा सेर पानी में अष्टमांश काढ़ा बनाकर रोज सुबह देना चाहियें। चार दिन में अर्श नरम पड़ जाता है। रक्त-पित्त यानी नस्कोरे फूटकर खून बहने, पेशाब साफ न होने और ज्वर में भी यह काढ़ा दिया जाता हैं। अवश्य लाभ होता है। इससे दस्त साफ होकर भूख भी लगती है।
23. अशोक :

अशोक के पेड़ की छाल और फूलों को मिलाकर थोड़ा-सा पीसकर दोनों को जल में रात भर भिगो दें। इस जल को सुबह छानकर पीने से खूनी बवासीर (रक्तार्श) ठीक होता है।
अशोक की छाल का 40-50 मिलीलीटर काढ़ा पिलाने से रक्तार्श का खून बन्द हो जाता है।
अशोक की छाल और इसके फूलों को बराबर की मात्रा में लेकर 30 ग्राम मात्रा को रात्रि में एक गिलास पानी में भिगोकर रख दें। सुबह पानी छानकर पी लें। इसी प्रकार सुबह का भिगोया हुआ शाम को पी लें। इससे खूनी बवासीर में शीघ्र आराम मिलता है।
24. आयापान : बवासीर में आयापान पत्तों को पीसकर लगाने तथा रस 10-20 ग्राम दिन में दो-तीन बार पीने से चमत्कारी लाभ होता है।

25. रीठा :

रीठा के छिलके को कूटकर आग पर जला कर कोयला बना लें। इसके कोयले के बराबर मात्रा में पपरिया कत्था मिलाकर चूर्ण बनाकर रखें। लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग की मात्रा में लेकर मलाई या मक्खन में मिलाकर प्रतिदिन सुबह-शाम खाने से मस्सों में होने वाली खुजली व जख्म नष्ट होते हैं।
रीठे के फल में से बीज निकालकर फल के शेष भाग को तवे पर भूनकर कोयला कर लें, फिर इसमें इतना ही पपड़िया कत्था मिलाकर अच्छी तरह से पीसकर कपडे़ से छान लें। इसमें से एक सौ पच्चीस मिलीग्राम औषधि सुबह-शाम मक्खन या मलाई के साथ सात दिन तक सेवन करें। जब तक दवा चले तब तक नमक और खटाई नहीं खानी चाहिए। इससे बवासीर ठीक हो जाती है।
रीठा के छिलके को जलाकर भस्म बनायें और 1 ग्राम शहद के साथ चाटने से बवासीर में खून का गिरना बन्द हो जाता है।
रीठा के पीसे हुए छिलके को दूध में मिलाकर बेर के बराबर गोलियां बना लें। प्रतिदिन सुबह-शाम 1-1 गोली नमक तथा छाछ के साथ लें।
रीठा के छिलके को जलाकर उसके 10 ग्राम भस्म (राख) में सफेद कत्था 10 ग्राम मिलाकर पीस लें। आधा से 1 ग्राम चूर्ण रोज सुबह पानी के साथ लें।
26. आम :

आम की अन्त:छाल का रस दिन में 20-40 ग्राम तक दो बार रोगी को पिलायें। इससे बवासीर, रक्तप्रदर या खूनी दस्त के कारण होने वाले रक्तस्राव में लाभ होता है।
बवासीर में आम की गुठली की गिरी का चूर्ण एक से दो ग्राम दिन में दो बार सेवन करना चाहिए।
आम का रस आधा कप, मीठा दही 25 ग्राम और 1 चम्मच अदरक मिलाकर प्रतिदिन तीन बार पीयें। इससे बवासीर (अर्श) रोग दूर होता है।
27. हर्र : आधा चम्मच हर्र का चूर्ण गर्म पानी से सुबह-शाम खाने से बादी बवासीर बन्द हो जाती है।

28. मसूर की दाल : सुबह भोजन के साथ मसूर की दाल खाकर और ऊपर से एक गिलास खट्टी छाछ पीना लाभकारी होता है।

29. चांगेरी :

बवासीर में चांगेरी के पंचांग को घी में सेंककर शाक बनाकर दही में सेवन करने से बवासीर नष्ट हो जाता है।
चांगेरी निशोथ, दन्ती, पलाश, चित्रक इन सभी की ताजी पत्तियों को समान मात्रा में लेकर घी में भूनकर, इस शाक को दही में मिलाकर सूखी बवासीर में देना चाहिए। इससे सूखी बवासीर नष्ट हो जाती है।
30. मिट्टी का तेल : शौच जाने के बाद पानी मे थोड़ा-सा मिट्टी का तेल मिलाकर गुदा धोने से बवासीर में लाभ होता हैं।

31. चौलाई : रक्तचाप, बलगम, बवासीर चौलाई की सब्जी प्रतिदिन खाते रहने से नष्ट हो जाते हैं।

32. अफसन्तीन : अफसन्तीन 40 ग्राम, कस्तूरी 1 ग्राम और भुनी हुई हींग 20 ग्राम को लेकर पानी मिलाकर इसकी 40 गोलियां बना लें। इसकी 1-1 गोलियां प्रतिदिन सुबह-शाम खाने से बवासीर ठीक होता है।

33. आमचूर : आम का ताजा (नया) आमचूर 200 ग्राम, पांचों नमक लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग और 3 वर्ष पुराना गुड़ या पुरानी मिश्री 50 ग्राम। इन सब को जल के साथ पीसकर चटनी बना ले। इसके चटनी को अकौआ के पत्ते पर लेपकर और उसे मिट्टी के पात्र में रखकर गजपुट में फूंक लें। पात्र ठंड़ा होने पर इसे निकालकर पीसें। इसे 2 से 3 ग्राम प्रतिदिन सुबह-शाम पानी के साथ खाने से अर्श (बवासीर) जल्द ठीक होती है।

34. बबूल : बबूल के बांदा को कालीमिर्च के साथ पीस लें। इस मिश्रण को पानी के साथ प्रतिदिन सुबह-शाम पीने से बवासीर में खून का निकलना बन्द हो जाता है।

35. कलमीशोरा : कलमीशोरा 50 ग्राम और शुद्ध रसौत 50 ग्राम लेकर उसमें मूली का रस मिलाकर पेस्ट बनायें। इस पेस्ट को चने के बराबर गोलियां बनाकर सूखा लें। इसकी 3-4 गोलियां प्रतिदिन सुबह-शाम पानी के साथ खाने से बवासीर ठीक होता है।

36. निबौली की गिरी (नीम के बीज) :

नीम के फलों का बीज, सफेद कत्था, बकायन और रसबन्ती को बराबर मात्रा में लेकर कूट लें तथा कपड़े से छानकर इसके लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग की गोलियां बना लें। इसकी 2 से 4 गोली प्रतिदिन ताजा पानी या गाय के दूध के साथ सुबह-शाम लेने से बवासीर में लाभ होता है।
नीम के निंबोली (नीम का बीज) 10 ग्राम, रसौत 5 ग्राम और हरड़ 5 ग्राम इन सबको महीन कूट-पीसकर छान लेते हैं। इस चूर्ण में 1 कप गुलाब का जल मिलाकर चने के बराबर गोलियां बनाकर प्रतिदिन सुबह-शाम इसकी 2-2 गोलियां पानी के साथ खाने से बवासीर ठीक होता है।
नीम के कोमल पत्तियों को घी में भूनकर उसमें थोड़े-से कपूर डालकर टिकिया बना लें। टिकियों को गुदाद्वार पर बांधने से मस्से नष्ट होते हैं।
37. कुचला :

शुद्ध कुचला लगभग आधा ग्राम और शहद 6 ग्राम मिलाकर चाटने से खूनी बवासीर (रक्तार्श) जड़ से नष्ट होती है।
कुचला और अफीम को पानी के साथ पीसकर मस्सों पर लगाने से मस्से सूख जाते हैं।
अफीम और कुचला को बराबर में लेकर पानी में घिसकर मस्सों पर लेप करने से लाभ मिलता है।
38. एलुआ :

एलुआ, निशोथ और सफेद कत्था एवं मूली के रस बराबर मात्रा में कूटकर इसे 24 घण्टे तक रखें। इसके मिश्रण से लगभग आधा ग्राम की गोलियां बनाकर छाया में सुखा लें। इसे 1 से 2 गोली प्रतिदिन सुबह-शाम सेवन करने से वातार्श अर्श (बवासीर) ठीक होता है।
एलुआ 10 ग्राम, रसौत 10 ग्राम तथा शुद्ध गुग्गल 5 ग्राम इन सब में थोड़ा-सा मूली का रस मिलाकर पेस्ट बना लें। उस पेस्ट से चने के बराबर गोलियां बनाकर रखें। इसकी 1-1 गोली प्रतिदिन सुबह-शाम ताजे पानी के साथ 20 दिन तक खाने से कब्ज खत्म कर बवासीर रोग ठीक होता है।
39. मोचरस : मोचरस, लोध्र, कमल, लालचंदन, लाजवन्ती और भुनी फिटकरी बराबर मात्रा में लेकर उसका चूर्ण बना लें। इसके 2 से 3 ग्राम चूर्ण प्रतिदिन गाय के दूध के साथ सुबह-शाम खाने से खून का अधिक गिरना बन्द हो जाता है।

40. जिमीकन्द :

शुद्ध जिमीकन्द 300 ग्राम, कालीमिर्च 6 ग्राम, हल्दी 6 ग्राम और बड़ी इलायची के बीज 2 ग्राम इन सभी को मिलाकर बारीक कूटकर चूर्ण बना लें। इसे 2 से 3 ग्राम की मात्रा में ठंड़े पानी के साथ प्रतिदिन तीन बार लेने से पुरानी बवासीर कुछ दिनों में ही ठीक हो जाती है।
जिमीकन्द के छोटे-छोटे टुकड़े करके छाया में सुखाएं इसके बाद कूट-छानकर 10 ग्राम की मात्रा प्रात: सायं सेवन करें। सब प्रकार की बवासीर में लाभ करेगा।
41. कहरवा समई : कहरवा समई, गेरु और बबूल का गोंद 10-10 ग्राम की मात्रा में लेकर कूट कर चूर्ण बनायें। इसे 1 से 2 ग्राम चूर्ण गाय के दूध में छाछ मिलाकर 2 से 3 सप्ताह तक पीयें। यह बादी बवासीर और खूनी बवासीर दोनों में लाभकरी होता है।

42. कुड़ा की छाल : कुड़ा की छाल 5 किलो की मात्रा में लेकर इसे मोटा-मोटा कूटकर 12 किलो पानी में उबालकर काढ़ा बनायें। एक चौथाई पानी बचने पर इसके काढ़े में 1 किलो गुड़ डालकर फिर हल्की आंच पर पकायें। यह जब गाढ़ा हो जाये तब इसे कूटकर छान लें। इसका सेवन सभी प्रकार के बवासीर में लाभकारी होता है।

43. बादाम : बादाम 10 ग्राम, आंवला, हल्दी, भांग 6-6 ग्राम और मैदा 10 ग्राम की मात्रा में पीसकर गुनगुना (हल्का गर्म) कर के बवासीर पर बांधने से अर्श (बवासीर) रोग ठीक होता है।

44. गांजा : गांजे को पीसकर गाय के घी के साथ मिलाकर मलहम बनाकर बवासीर के मस्सों पर लगाने से मस्से जल्द सूख जाते हैं।

45. शहद :

छोटी मक्खी को शहद और गाय का घी बराबर मात्रा में लेकर मस्सों पर लगायें। इस मिश्रण को बवासीर के मस्सों पर लगाने से कुछ सप्ताह में ही मस्से सूखकर गिर जाते हैं।
रात्रि को सोते समय एक चम्मच त्रिफला-चूर्ण या अरण्डी का तेल एक गिलास दूध के साथ लेना चाहिए। इससे कब्ज दूर हो जाता है।
46. मुर्दासंख : मुर्दासंग 40 ग्राम, आलू 200 ग्राम, काई 400 ग्राम और छोटी इलायची के बीज 10 ग्राम लें। आलू को छीलकर तथा काई को निचोड़कर इसमें मुर्दासंख और इलायची मिलाकर बारीक कूटकर पेस्ट बना लें। इस पेस्ट से 10-10 ग्राम की टिकिया बना लें। टिकिया को कागज पर रखकर हल्का गर्म करके मस्सों पर रखकर पट्टी बांधे। इस प्रकार 2 से 4 दिन पट्टी बांधने से बवासीर ठीक होता है।

47. चित्रक :

चित्रकमूल, कनेरमूल, कस्सी दन्तीमूल और सेंधानमक को बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें। इसके चूर्ण में आक के दूध की 7 बूंदे मिला लें तथा इसे तिल के तेल में पकाकर रखें। प्रतिदिन सुबह-शाम शौच क्रिया के बाद उस पके हुए पेस्ट को मस्सों पर लगाने से मस्से सूख जाते हैं।
चित्रक की जड़ के 2 ग्राम चूर्ण को तक्र (छाछ) के साथ सुबह-शाम भोजन से पहले पीने से बवासीर में लाभ होता है।
चित्रक की जड़ को पीसकर मिट्टी के बर्तन में लेपकर, इसमें दही जमाकर, फिर उसी बर्तन में बिलोकर उस छाछ को पीने से बवासीर मिट जाता है।
चित्रक (चीता) का जड़ आधा ग्राम से 2 ग्राम को दही के साथ प्रतिदिन सुबह-शाम लेने से बवासीर ठीक होता है।
चीता की जड़ का चूर्ण लगभग 1-2 ग्राम की मात्रा में मट्ठे के साथ दिन में तीन बार लेने से बवासीर में लाभ मिलता है।
48. थूहर का दूध : थूहर के दूध में हल्दी का बारीक चूर्ण मिलाकर उसमें सूत का धागा भिगोकर छाया में सुखा लें। इस धागे से मस्सों को बांधें, मस्से को धागे से बांधने पर 4-5 दिन तक खून निकलता है तथा बाद में मस्से सूख कर गिर जाते हैं। ध्यान रहे- इसका प्रयोग कमजोर रोगी पर न करें।

49. घी :

गाय का घी 280 ग्राम लें। देशी कर्पूर 20 ग्राम, जीरा सफेद, सुरमा काला, मुर्दासंख, पपरिया कत्था और यशद का भस्म (राख) 10-10 ग्राम की मात्रा में लेकर इन सब को मिलाकर महीन चूर्ण बनायें। घी को कांसे की थाली में रखकर 101 बार ठंडे पानी से धोकर उसमें चूर्ण मिलाकर मलहम बना लें। इस मलहम को सभी बवासीर के मस्सों पर लगाने से मस्से जल्द ठीक होते हैं।
घी, तिल और मिश्री में से प्रत्येक को एक-एक चम्मच मिलाकर रोजाना तीन बार खाना चाहिए। इससे बवासीर में खून का आना बन्द हो जाता है।
50. गिलोय :

मट्ठा (छाछ, तक्र) के साथ गिलोय का चूर्ण एक चम्मच की मात्रा में दिन में दो बार लेना चाहिए।
लगभग 7 से 14 मिलीलीटर गिलोय के तने का ताजा रस शहद के साथ दिन में 2 बार सेवन करने से बवासीर, कोढ़ और पीलिया का रोग समाप्त हो जाता है।
20 ग्राम हरड़, गिलोय, धनिया को लेकर आधा किलो पानी में पकाकर चौथाई हिस्सा बाकी रह जाने पर इसमें गुड़ डालकर सुबह-शाम सेवन करने से सभी प्रकार की बवासीर मिट जाती है।
51. नीलाथोथा : नीलाथोथा 20 ग्राम और अफीम 40 ग्राम लेकर इसे महीन कूट लें। इस चूर्ण को 40 ग्राम सरसों के तेल में मिलाकर पकायें। प्रतिदिन सुबह-शाम उस मिश्रण (पेस्ट) को रूई से मस्सों पर लगाने से मस्से 8 से 10 दिनों में ही सूखकर गिर जाते हैं।

52. कमल : मक्खन और मिसरी के साथ कमल की केसर का नियमित सेवन करने से खूनी बवासीर में लाभ होता है।

53. अदरक : अदरक 500 ग्राम और पीपल 250 ग्राम को मिलाकर पेस्ट बनाकर इसे 500 ग्राम घी में पकायें। कालीमिर्च, चाव-चितावर, नागकेसर, पीपरामूल, इलायची, अजमोद, काला जीरा और हर्रे सब थोड़ी-थोड़ी से बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बनायें। अदरक और पीपला से बने पेस्ट को चूर्ण के साथ मिलाकर इसमें 1 किलो गुड़ की चासनी बनाकर डालें। गुड़ और बाकी पेस्ट से बने गाढ़े चासनी को 60 ग्राम के मात्रा में प्रतिदिन सुबह-शाम खाने से पाण्डु, अरुचि, मन्दाग्नि और बवासीर ठीक होता है।

54. ककोड़ा :

बवासीर या अतिसार में ककोड़े को सुखाकर उनको कूट-पीसकर चूर्ण बना लें और नियमित खाने से लाभ मिलता है।
ककोडे के फल का चूर्ण बनाकर 10 ग्राम की मात्रा में शक्कर मिलाकर, कुछ दिनों तक सुबह और शाम पानी के साथ खाने से अर्श (बवासीर) व अर्श के अंकुरों से बहने वाला खून भी बन्द होता है।
55. नारियल:

नारियल के जटा को आग में जलाकर भस्म (राख) बनायें और इसके बराबर मात्रा में चीनी मिलाकर 3 ग्राम की मात्रा में प्रतिदिन सुबह-शाम जल के साथ पीने से रक्तार्श (खूनी बवासीर) ठीक होता है।
नारियल के आंखों के पास की जटा को जलाकर भस्म (राख) बना लें। 2 ग्राम भस्म (राख) खाकर ऊपर से छाछ या दही 300 से 400 ग्राम की मात्रा प्रतिदिन सुबह-शाम पीयें। इसका प्रयोग लगातर 5 दिन तक करें। तेल, मिर्च, खटाई तथा गुड़ का प्रयोग न करें। इससे बवासीर का रोग ठीक हो जाता है।
नारियल की जड़ों को जलाकर पीसकर बूरा मिलाकर 10-10 ग्राम फंकी के रूप में पानी के साथ लेने से बवासीर नष्ट होती है।
56. चिरचिड़ा : चिरचिड़ा का रस 250 मिलीलीटर, लहसुन का रस 58 मिलीलीटर, प्याज का रस 60 मिलीलीटर और सरसों का तेल 125 मिलीलीटर इन सबको मिलाकर आग पर पकायें। पके हुए रस में मैनसिल 6 ग्राम को पीसकर डालें और 20 ग्राम मोम डालकर महीन मलहम (पेस्ट) बनायें। मलहम को मस्सों पर लगाकर पान या धतूरे का पत्ता ऊपर से चिपकाने से मस्से सूखकर ठीक हो जाते हैं।

57. मदार का दूध : मदार का दूध और हल्दी को पीसकर मस्सों पर रखकर लगोट बांधें। इसको लगाने से मस्से सूखकर ठीक हो जाते हैं।

58. रसौत :

रसौत, चीनिया, कपूर और नीम के बीजों (बीज) को पानी के साथ पीसकर मस्सों पर लगाने से मस्से सूख जाते हैं।
रसौत 5 ग्राम, छोटी हरड़ 50 ग्राम और अनार के पेड़ की छाल 50 ग्राम को मिलाकर बारीक कूट-पीसकर चूर्ण बना लें। प्रतिदिन 5 ग्राम चूर्ण सुबह जल के साथ पीने से अर्श (बवासीर) में खून गिरना बन्द हो जाता है।
3 ग्राम रसौत और 3 ग्राम अजवायन को मिलाकर खाने से बवासीर (अर्श) रोग ठीक होता है।
59. सज्जीखार : सज्जीखार, सुहागा, खाने वाला चूना और तूतिया सभी को बराबर मात्रा में पीस लें। इस पेस्ट को नींबू के रस में मिलाकर बवासीर के मस्सों पर लगाने से मस्से कुछ दिनों में ही सूखकर गिर जाते हैं।

60. शंखिया : शंखिया, तूतिया और चूना 10-10 ग्राम की मात्रा में पीसकर बवासीर के मस्सों पर लगाने से मस्से सूख जाते हैं और रोग में आराम रहता है।

61. हल्दी :

हल्दी और कसी हुई लौकी का चूर्ण पानी के साथ पीसकर या सरसों के तेल में पका लें। उस तेल को मदार के पत्ते में लगाकर मस्सों पर लगायें और लंगोट कसने से मस्से सूखकर गिर जाते हैं।
पिसी हल्दी को थूहर के दूध में मिलाकर उसका लेप लगाने से बवासीर में लाभ मिलता है।
62. पीपल :

पीपल के नर्म डण्ठल, धनिया और शक्कर को बराबर मात्रा में लेकर मुंह में रखें और दांतों से चबाकर इसका रस गले में निगलने से खूनी बवासीर के रोग में आराम मिलता है।
पीपल की कोमल टहनियां, धनिये के बीज तथा मिश्री को बराबर मात्रा में मिलाकर 3-4 ग्राम रोजाना सुबह और शाम सेवन करने से खूनी बवासीर के रोग में लाभ होता है।
5 पीपल के पत्तों को पीसकर गर्म पानी से फंकी लेने से बवासीर दमा और खांसी में लाभ होता है।
63. कालीमिर्च :

कालीमिर्च 3 ग्राम, पीपल 5 ग्राम, सौंठ 10 ग्राम तथा जिमीकन्द 20 ग्राम को सूखाकर महीन चूर्ण बना लें। उस चूर्ण में 200 ग्राम गुड़ डालकर अच्छी तरह मिला लें। इससे बेर के बराबर गोलियां बनाकर 1-1 गोली दूध या जल के साथ प्रतिदिन दो बार पीने से खूनी तथा बादी दोनों बवासीर ठीक होती है।
कालीमिर्च, चित्रक और काले नमक का चूरन छाछ में मिलाकर पीने से गुल्म, उदर रोग, पाचन शक्ति का कमजोर होना, तिल्ली, संग्रहणी और अर्श (मस्सों) लाभ होता है।
कालीमिर्च और जीरे के पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण में थोड़ा-सा सेंधानमक मिलाकर छाछ के साथ पीने से रोग में आराम मिलता है।
कालीमिर्च और स्याहजीरा (काला जीरा) को बराबर मात्रा में मिलाकर चूर्ण बनायें। यह चूर्ण लगभ 1 ग्राम का चौथा भाग से लगभग आधा ग्राम की मात्रा में शहद के साथ प्रतिदिन सुबह-शाम पीने से बवासीर ठीक होता है तथा बवासीर के मस्से भी ठीक होते हैं।
64. धनिया :

धनिया के काढ़े में मिश्री मिलाकर प्रतिदिन दो से तीन बार पीने से रक्तार्श (खूनी बवासीर) ठीक होता है।
बवासीर दो प्रकार का होता है एक खूनी और दूसरी बवासीर। खूनी बवासीर में मस्सों से रक्त आता है। परन्तु वादी में गुदा के भीतर-बाहर मस्से निकल आते हैं, जिनमें खुजली मचती है। ये मस्से कांटे की तरह चुभते हैं। बवासीर प्राय: कब्ज के कारण होती है। यह बड़ा भयंकर रोग है। इससे बचने के विभिन्न उपाय हैं। जैसे भोजन सुपाच्य लेना चाहिए, पेट में कब्ज न बनने दिया जाए अधिक खाने या खाने के बाद मैथुन से बचा जाए। बादी की चीजें जैसे अमरूद, भिण्डी, अरुई, बैंगन, उड़द, अरहर की दाल तथा अधिक वसायुक्त पदार्थ नहीं खाने चाहिए। चावल और बैंगन का प्रयोग भूलकर भी न करें क्योंकि ये दोनों भोज्य पदार्थ वादी और खूनी बवासीर वाले व्यक्ति को बहुत हानिकारक होते हैं। इसके उपचार के लिए वैसलीन में पिसा हुआ कत्था, 100 दाने धनियां, 10 बूंद मिट्टी का तेल, सत्यानाशी पौधे की जड़ ये सभी चीजें कूट-पीसकर और कपड़छन करके वैसलीन में मिला लेते हैं। इस मरहम को गुदा में लगाने से मस्से ठीक हो जाते हैं। यदि खून निकलता है तो वह भी बन्द हो जाएगा।
लगभग 4 चम्मच धनिया 250 मिलीलीटर दूध में उबालकर व छानकर पिसी हुई मिश्री मिलाकर पियें अथवा मिश्री मिलाकर धनिये का रस पीना चाहिए।
65. सोंठ :

सोंठ के साथ इन्द्रजव को मिलाकर पानी या दूध के साथ काढ़ा बनायें और इसमें शहद मिलाकर प्रतिदिन सुबह-शाम पीने से खूनी बवासीर ठीक होती है।
सोंठ का चूर्ण छाछ में मिलाकर पीने से बवासीर में लाभ होता है।
सोंठ और गुड़ बराबर मात्रा में लेकर प्रतिदिन सुबह-शाम खाने से बवासीर ठीक होती है।
66. छोटी माई : छोटी माई का चूर्ण 2 से 4 ग्राम की मात्रा में पानी के साथ प्रतिदिन सूबह-शाम लेने से खूनी बवासीर ठीक होती है।

67. कायफल :

कायफल के महीन चूर्ण में हींग, कपूर और घी मिलाकर बवासीर में लगाने से बवासीर ठीक होती है।
बवासीर के मस्सों पर कायफल छाल का चूर्ण घी में मिलाकर लगाना चाहिए।
68. विदारीकन्द : विदारीकन्द के चूर्ण को तिल के तेल में समान मात्रा में मिलाकर पीस लें। एक चम्मच चूर्ण में शहद मिलाकर दिन में तीन बार दूध के साथ पीने से कुछ ही दिनों में खून आना बन्द हो जाता है।

69. शंखपुष्पी : शंखपुष्पी का चूर्ण 1 चम्मच की मात्रा में 3 बार रोज पानी के साथ कुछ दिन तक सेवन करने से बवासीर ठीक हो जाता है।

70. अमरूद :

कुछ दिनों तक नित्य सुबह खाली पेट 250 ग्राम अमरूद खाने से बवासीर ठीक हो जाती है। बवासीर को दूर करने के लिए सुबह खाली पेट अमरूद खाना उत्तम है। मल-त्याग करते समय बांयें पैर पर जोर देकर बैठें। इस प्रयोग से अर्श (बवासीर) नहीं होता और मल साफ आता है।
सुबह खाली पेट 200-300 ग्राम अमरूद नियमित रूप से सेवन करने से बवासीर से छुटकारा मिलता है।
71. कुलथी : कुलथी की दाल खाने से सूखी बवासीर का दर्द खत्म होता है।

72. पिठवन : रक्तार्श (खूनी बवासीर) और शराब की अधिकता से पैदा हुए रोगों में पिठवन और खिरैटी का काढ़ा 10-20 मिलीलीटर की मात्रा में पीना काफी लाभदायक होता है।

73. फूलगोभी : फूलगोभी खाने से खूनी बवासीर और साधारण बवासीर ठीक हो जाती है।

74. छुई मुई :

छुई-मुई के पत्तों का 1 चम्मच पाउडर दूध के साथ रोज सुबह-शाम या दिन में 3 बार देने से बवासीर में आराम मिलता है।
छुई-मुई की जड़ और पत्तों का पाउडर दूध में मिलाकर दो बार देने से बवासीर और भगन्दर रोग ठीक होता है।
75. लौकी :

लौकी के पत्तों को पीसकर बवासीर के मस्सों पर बांधने से कुछ ही दिनों में लाभ दिखना शुरू हो जाता है।
लौकी या तुलसी के पत्तों को जल के साथ पीसकर अर्श (बवासीर) के मस्से पर दिन में दो से तीन बार लगाने से पीड़ा व जलन कम होती है तथा मस्से भी नष्ट होते है।
लौकी के छिलके को छाया में सुखाकर पीस लें और 1 चम्मच प्रतिदिन सुबह-शाम ठंड़े पानी के साथ फंकी लें। इस फंकी का 7-8 दिन तक लेने से बवासीर में खून का आना बन्द हो जाता है।
लौकी के पत्तों को पीसकर बवासीर में लगाने से बवासीर मिट जाती है।
76. लीची : बवासीर के रोगियों के लिए लीची का सेवन करना लाभकारी होता है।

77. अन्धाहुली : सोंठ, भिलावा शुद्ध, विधोरा बीज तीनों का चूर्ण समान मात्रा में लेकर सबसे दुगुना गुड़ लेकर विधिवत् पकाकर लड्डू बनाकर दो ग्राम से तीन ग्राम तक ठंडे पानी से सेवन करें। सभी प्रकार की बवासीर ठीक हो जाती है।

78. श्योनाक : इन्द्रजौं, करंज की छाल, ‘योनाक की छाल, चित्रकमूल, सोंठ, सेंधानमक इन सब औषधियों को समान मात्रा में लेकर पीस-छान करके बारीक चूर्ण बना लें, इस चूर्ण को डेढ़ से तीन ग्राम तक की मात्रा में दिन में 3 बार छाछ के साथ सेवन करने से बवासीर में लाभ होता है।

79. अंगूर : प्रतिदिन अंगूर खाने से कब्ज दूर होती है, बवासीर में भी लाभ मिलता है।

80. पपीता : बवासीर के मस्सों पर करीब एक महीने तक लगातार पपीते का दूध लगाने से मस्से सूख जाते हैं।

81. बारतग : बवासीर में इसके पत्तों का साग बनाकर खाने से लाभ मिलेगा।

82. चुकन्दर : चुकन्दर खाने व रस पीते रहने से बवासीर के मस्से समाप्त हो जाते हैं।

83. फिटकरी :

लगभग 10 ग्राम फिटकरी को बारीक पीसकर इसके चूर्ण को 20 ग्राम मक्खन के साथ मिलाकर मस्सों पर लगाने से मस्से सूखकर गिर जाते हैं। फिटकरी को पानी में घोलकर उस पानी से गुदा को धोयें इससे रोग में लाभ होता है।
भूनी फिटकरी और नीलाथोथा 10-10 ग्राम को पीसकर 80 ग्राम गाय के घी में मिलाकर प्रतिदिन सुबह-शाम मस्सों पर लगायें। इससे मस्से सूखकर गिर जाते हैं।
सफेद फिटकरी 1 ग्राम की मात्रा में लेकर दही की मलाई के साथ 5 से 7 सप्ताह खाने से रक्तार्श (खूनी बवासीर) में खून का अधिक गिरना कम करता है।
भूनी फिटकरी 10 ग्राम, रसोत 10 ग्राम और 20 ग्राम गेरु को पीस-कूट व छान लें। 3-3 ग्राम की मात्रा में प्रतिदिन सुबह-शाम खाने से खूनी तथा बादी बवासीर में लाभकारी होता है।
खूनी बवासीर हो और गुदा बाहर आती हो तो फिटकरी को पानी में घोलकर गुदा में पिचकारी देने से लाभ प्राप्त होता है। एक गिलास पानी में आधा चम्मच पिसी हुई फिटकरी मिलाकर प्रतिदिन गूदा को साफ करते हैं तथा साफ कपड़े को फिटकरी के पानी में भिगोकर गूदा पर रखें।
84. मूली :

मूली के 125 मिलीलीटर रस में 100 ग्राम जलेबी को मिलाकर एक घण्टे तक रखें। एक घण्टे बाद जलेबी को खाकर रस को पी लें। इस क्रिया को एक सप्ताह तक करने से बवासीर रोग ठीक हो जाता है।
मूली के छोटे-छोटे टुकड़े करके उसे देशी घी में तलकर प्रतिदिन सुबह-शाम खाने से दोनों प्रकार की बवासीर ठीक हो जाती है।
सूखे हुए मूली के पत्तों का चूर्ण बनाकर उसमें मिश्री मिलाकर प्रतिदिन खाने से बवासीर ठीक होती है।
मूली को काटकर उसके टुकडों को नमक लगाकर रात भर ओस में रखें। सुबह मूली के टुकड़े को खाली पेट खायें। इससे बवासीर ठीक हो जाती है।
मूली का रस निकालकर इसके 20 मिलीलीटर रस में 5 ग्राम घी मिलाकर प्रतिदिन सुबह-शाम पीने से खून का निकलना बन्द हो जाता है।
मूली के कन्दों का ऊपर का सफेद मोटा छिंलका उतारकर तथा पत्तों को अलगकर रस निकाल लें, इसमें 6 ग्राम घी मिलाकर रोजाना सुबह-सुबह सेवन करने से खूनी बवासीर दूर हो जाती है।
मूली कच्ची खाएं तथा पत्तों की सब्जी बनाकर खाएं। कच्ची मूली खाने से बवासीर से गिरने वाला रक्त (खून) बन्द हो जाता हैं। बवासीर खूनी हो या बादी।
सूखी मूली की पोटली गर्म करके सेंक देते रहने से बवासीर में लाभ मिलता है।
सूरन के चूर्ण को घी में भूनकर, मूली के रस में घोटकर 1-1 ग्राम की गोलियां बनाकर सुबह-शाम को 1-1 गोली ताजे जल के साथ लेने से सभी प्रकार की बवासीर नष्ट होती है।
रसौत और कलमीशोरा दोनों को समान भाग में लेकर, रस में घोटकर चने के बराबर गोलियां बना लें। प्रतिदिन सुबह-शाम एक से 4 गोली बासी पानी के साथ खाने से खूनी-बादी दोनों प्रकार की बवासीर नष्ट हो जाती है।
नीम की निबौली, कलमीशोरा, रसौत और हरड़ 10-10 ग्राम लेकर कूट-पीसकर, बारीककर मूली के रस में घोटकर जंगली बेर के बराबर गोलियां बना लें। सुबह-शाम एक-एक गोली ताजे पानी या मट्ठा के साथ खाने से खूनी बवासीर से खून आना पहले ही दिन बन्द हो जाता है और बादी बवासीर एक महीने के प्रयोग से पूरी तरह नष्ट हो जाती है।
मूली के रस में नीम की निबौली की गिरी पीसकर कपूर मिलाकर मस्सों पर लेप करने से मस्से सूख जाते हैं।
एक अच्छी मोटी मूली लेकर ऊपर की ओर से काटकर चाकू या छुरी से उसे खोखली करके उसमें 20 ग्राम `रसवत´ भरकर मूली के कटे हुए भाग का मुंह बन्दकर कपड़ा मिट्टी से अच्छी तरह बन्द कर दें। इसे कण्डों की आग से भस्म बना लें। दूसरे दिन रसवत निकालकर मूली के रस में खरल (कूट) कर झड़बेरी के बराबर गोलियां बना लें। 1-1 गोली सुबह-शाम ताजे जल के साथ सेवन करने से खूनी बवासीर कुछ ही दिनों में ठीक हो जाती है।
मूली के पत्तों को छाया में सूखाकर बारीक पीसकर बराबर में मिश्री या खांड़ में मिलाकर प्रतिदिन बासी मुंह 10 ग्राम की मात्रा में खाने से बवासीर में आराम हो जाता है।
मूली की सब्जी बनाकर खाने से बवासीर और उदरशूल में आराम मिलता है।
मूली का 20 मिलीलीटर रस निकालकर उसमे 50 ग्राम गाय का घी मिलाकर सेवन करने से कुछ ही दिनों में बवासीर नष्ट हो जाती है।
मूली के पत्तों को छाया में सुखाकर, पीसकर समान मात्रा में चीनी मिलाकर 40 दिन तक 25 से 50 ग्राम की मात्रा में सेवन करने से बवासीर में लाभ होता है।
सूखी मूली की पुल्टिस (पट्टी) करके मस्से पर सेंक करना चाहिए।
बवासीर में सूखी मूली का 20-50 मिलीलीटर सूप, पानी अथवा बकरी के मांस के सूप में मिलाकर पीना चाहिए।
85. दूध : गाय का ताजा दूध चार प्यालों में आधा भरकर, इनमें आधा-आधा नींबू का रस निचोड़ कर पीलें। इस प्रकार 5 से 6 दिन तक पीने से बवासीर ठीक हो जाती है।

86. कचूर : कचूर का चूर्ण 5 ग्राम की मात्रा में लेकर प्रतिदिन सुबह पानी के साथ खाने से बवासीर ठीक होता है।

87. नागकेसर : नागकेसर और सुर्मा को बराबर मात्रा में मिलाकर चूर्ण बना लें। आधा ग्राम चूर्ण को 6 ग्राम शहद के साथ मिलाकर चाटने से सभी प्रकार की बवासीर ठीक हो जाती है।

88. सिरस :

सिरस के बीजों को बहुत महीन (बारीक) पीसकर तेल में मिलाकर 4 दिन रखें। फिर इस तेल को गरम करके छान लें, मस्सों पर यह तेल नियमित लगायें इससें मस्से सूखकर गिर जायेंगे। 100 ग्राम सिरस के बीज और 50 ग्राम मिश्री दोनों को बारीक पीस लें। इसकी 2 चम्मच रोज 4 बार ठंड़े पानी से फंकी लें। बवासीर का खून बहना रुक जायेगा।
6 ग्राम सिरस के बीज और 3 ग्राम कलियारी की मूल को पानी से पीसकर लेप करने से बवासीर खत्म हो जाती है।
सिरस के बीज कूठ, आक का दूध, पीपल और सेंधानमक, समान भाग लेकर सबको लेंकर पीस लें। ये लेप बवासीर को जल्दी खत्म करती है।
सिरस के तेल का लेप करने से बवासीर समाप्त हो जाती है।
89. अनार :

अनार के छिलके का चूर्ण बनाकर इसमें 100 ग्राम दही मिलाकर खाने से बवासीर ठीक हो जाती है या अनार के छिलकों का चूर्ण 8 ग्राम, ताजे पानी के साथ प्रतिदिन सुबह- शाम लेना चाहिए।
अनार का रस, गूलर के पके फलों का रस तथा बाकस के ताजे पत्तों का रस निकालकर उसमें शहद मिलाकर पीने से खूनी बवासीर (रक्तार्श) ठीक होती है।
अनार के छालों का काढ़ा बनाकर उसमें सोठ का चूर्ण मिलाकर पीने से बवासीर रोग ठीक होता है तथा खून का गिरना बन्द होता है।
अनार के पत्ते पीसकर टिकिया बना लें और इसे घी में भूनकर गुदा पर बांधें। इससे मस्सों की जलन, दर्द तथा सूजन मिट जाती है।
लगभग 10 मिलीलीटर अनार के रस को मिसरी के साथ दिन में सुबह-शाम दो बार लेना चाहिए। इससे खूनी बवासीर नष्ट हो जाती है।
10 ग्राम अनार के सूखे छिलकों के चूर्ण को बराबर मात्रा में बूरा मिलाकर दिन में दो बार लेना चाहिए। इससे खूनी बवासीर नष्ट हो जाती है।
खूनी बवासीर में सुबह-शाम अनार के पिसे छिलके के चूर्ण को आठ ग्राम की मात्रा में ताजे पानी से फंकी लेना चाहिए। इससे खूनी बवासीर नष्ट हो जाती है।
लगभग 10 मिलीलीटर अनार का रस चीनी के साथ दिन में दो बार लेने से खूनी बवासीर नष्ट हो जाती है।
12 ग्राम अनार के फल के छिलके का चूर्ण समान मात्रा में चीनी के साथ दिन में दो बार दें। इससे रक्तार्श में लाभ मिलता है।
मीठे अनार का छिलका शीतल तथा खट्टे फल का छिलका शीतल रूक्ष होता है इसलिए यह अर्श (बवासीर) के लिए विशेष उपयोगी होता है।
अनार की जड़ के 100 मिलीलीटर काढे़ में पांच ग्राम सोंठ का चूर्ण मिलाकर दिन में दो-तीन बार पीने से रक्तार्श यानी खूनी बवासीर में लाभ होता है।
अनार के पत्तों का लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग रस सुबह-शाम पीने से खूनी बवासीर में लाभ होता है।
अनार के 8-10 पत्तों को पीसकर टिकिया बनाकर गरम घी में भूनकर बांधने से अर्श (बवासीर) के मस्सों में लाभ होता है।
अनार के छिलकों का चूर्ण नागकेशर के साथ मिलाकर सेवन करने से बवासीर का रक्तस्राव बन्द होता है। अनार का रस पीने से भी बवासीर में लाभ होता है।
90. गूलर :

गूलर के पके फलों को तथा गूलर की सब्जी बनाकर खाने से रक्तार्श ठीक होता है।
गूलर के पत्तों या फलों के दूध की 10 से 20 बूंदों को पानी में मिलाकर रोगी को पिलाने से खूनी बवासीर और रक्तविकार दूर हो जाते हैं। गूलर के दूध का लेप मस्सों पर भी करना चाहिए और पथ्य में घी का भी सेवन करना चाहिए।
10 से 15 ग्राम गूलर के कोमल पत्तों को लेकर बारीक पीस लें तथा 250 मिलीलीटर गाय के दूध की दही और थोड़ा सा सेंधानमक मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से खूनी बवासीर के रोग में लाभ होता है।
91. चिरचिटा : 6 ग्राम चिरचिटा के पत्तों को 5 ग्राम कालीमिर्च के साथ शर्बत की तरह मिलाकर पीने से अर्श (बवासीर) रोग ठीक होता है।

92. हुलहुल : 30 ग्राम हुलहुल के पत्ते को पीसकर टिकिया बनाकर बवासीर के मस्सों पर लगाकर लंगोट बांधने से 3 से 4 दिन में ही मस्से ठीक हो जाते हैं।

93. वनगोभी : वनगोभी के पत्तों को कूटकर उसका रस निकालकर दिन में तीन से चार बार बवासीर के मस्सों पर लगायें। इसको लगाने से एक सप्ताह में ही मस्सें ठीक हो जाते हैं।

94. मकरध्वज : मकरध्वज लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग, जमीकन्द का चूर्ण 1 ग्राम और मिश्री 6 ग्राम मिलाकर खाने से बवासीर में आराम मिलता है।

95. फूल की पंखुड़ियां : गेंदे के फूल की पंखुड़ियों को पीसकर इसका 10 ग्राम रस निकाल लें। इसके रस को गाय के 30 ग्राम घी के साथ मिलाकर प्रतिदिन सुबह-शाम पीने से खूनी बवासीर ठीक होती है।

96. सूखा आंवला :

सूखे आंवलों का चूर्ण 20 ग्राम लेकर 250 मिलीलीटर पानी में मिलाकर मिट्टी के बर्तन में रातभर भिगोकर रखें। दूसरे दिन सुबह उसे हाथों से मलकर छान लें तथा छने हुए पानी में 5 ग्राम चिरचिटा की जड़ का चूर्ण और 50 ग्राम मिश्री मिलाकर पीयें। इसको पीने से बवासीर कुछ दिनों में ही ठीक हो जाते हैं और मस्से सूखकर गिर जाते हैं।
सूखे आंवले को बारीक पीसकर प्रतिदिन सुबह-शाम 1 चम्मच दूध या छाछ में मिलाकर पीने से खूनी बवासीर ठीक होता है।
97. कड़वी तोरी : कड़वी तोरी का रस निकालकर इसके जल में बैंगन पकाकर खाने से बवासीर (अर्श) के अंकुर (मस्से) सूखकर नष्ट हो जाते हैं।

98. गाजर :

गाजर का रस 2 कप तथा पालक का रस 1 कप निकालकर दोनों को मिलाकर 20 दिन तक प्रतिदिन सुबह-शाम पीने से सभी प्रकार की बवासीर ठीक हो जाती है।
गाजर और पालक का रस निकालकर प्रतिदिन सुबह-शाम पीने से अर्श (बवासीर) रोग ठीक होता है।
कच्चा गाजर खाने अथवा गाजर का रस पीने से बवासीर ठीक होता है।
गाजर का रस निकालकर पीने से कब्ज तथा अर्श (बवासीर) दोनों ठीक होता है।
99. करेले :

करेले को कूटकर इससे 2 चम्मच रस निकालें। उसमें थोड़ी-सी चीनी मिलाकर प्रतिदिन सुबह-शाम 30 दिन तक पीयें इससें बवासीर ठीक हो जाती है।
करेले की जड़ को घिसकर वादी वाले बवासीर के मस्सो पर लेप करने से फायदा मिलता है।
करेले के बीजों को सूखाकर इसका महीन पाउडर बनाकर इसे कपड़े से छान लें। इसके पाउडर में थोड़ी-सी शहद तथा सिरका मिलाकर मलहम बना लें। इस मलहम को लगातार 20 दिन तक मस्सों पर लगाने से मस्से सूख जाते हैं, तथा बवासीर (अर्श) रोग ठीक हो जाता है।
100. अमरबेल : अमरबेल के 10 मिलीलीटर रस में पांच ग्राम कालीमिर्च का चूर्ण मिलाकर खूब घोंटकर रोज सुबह ही पिला दें। तीन दिन में ही खूनी और बादी दोनों प्रकार की बवासीर में विशेष लाभ होता है। दस्त साफ होता है, तथा अन्य अंगों की सूजन भी उतर जाती है।

101. नींबू :

नींबू का रस 1 चम्मच और जैतून का तेल 4 चम्मच लेकर इसे 4 ग्राम ग्लिसरीन के साथ मिलाकर शीशी में भर लें। इसे दिन में चार-पांच बार गुदा के मस्सों पर रूई से लगाना चाहिए।
नींबू को काटकर आधे नींबू का रस गर्म दूध में मिलाकर अधिक तेज खूनी बवासीर में देने से तुरन्त लाभ होता है।
नीबू को काटकर उसके दोनों फांको में कत्था पीसकर भरें और उसे रात भर ओस में रखें। सुबह दोनों टुकड़ों को चूस लें। इससे बवासीर में खून का गिरना बन्द हो जायेगा।
नींबू के रस को साफ-सुथरे कपड़े से छानकर उसमें बराबर मात्रा में जैतून का तेल और 2 मिलीलीटर ग्लिसरीन मिलाकर सिरिंज द्वारा रात को सोते समय में गुदा में प्रवेश कराते रहने से बवासीर की जलन और दर्द दूर हो जाती है।
4 कप अलग-अलग गाय के दूध से भर लें, इनमें क्रमश: आधा-आधा नींबू को निचोड़कर पीते जाएं। इसे एक सप्ताह तक करने से प्रत्येक प्रकार की खूनी या वादी बवासीर नष्ट हो जाती हैं।
गर्म दूध में आधे-नींबू का रस डालकर 3 घण्टे के अन्तर से पिलाने से बवासीर में लाभ होगा।
250 मिलीलीटर ताजा (धारोष्ण) दूध में आधा नींबू को निचोड़कर तुरन्त पीने से बवासीर में लाभ होता है। ताजा (धारोष्ण) दूध के न होने पर गर्म दूध का भी सेवन कर सकते हैं।
102. प्याज :

प्याज का रस 4 चम्मच निकालकर इसे चीनी के साथ पीयें और 1 कच्चा प्याज रोज खायें। इससे खूनी बवासीर ठीक होती है।
100 मिलीलीटर प्याज के रस में 50 ग्राम शक्कर मिलाकर पीने से खूनी बवासीर के रोग में लाभ मिलता हैं।
प्याज के 125 मिलीलीटर रस में 20 ग्राम मिश्री मिलाकर रोजाना 1 बार रोगी को पिलाने से खूनी बवासीर में आराम मिलता है।
बवासीर के रोग में आधा कप प्याज का रस, 1 चम्मच घी और 3 चम्मच चीनी को मिलाकर खाने से आराम मिलता है।
2 प्याज को पीसकर लेप करने से बवासीर और गुदा भ्रंश (कांच का बाहर निकलना) के रोग में लाभ होता है।
बवासीर के मस्सों को दूर करने के लिए 2 प्याज को भूमल (धीमी आग या राख की आग) में सेंककर छिलका उताकर लुगदी बनाकर मस्सों पर बांधने से मस्से तुरन्त नष्ट हो जाते हैं।
103. तुलसी :

तुलसी के पत्ते का रस निकालकर इसे नीम के तेल में मिलाकर प्रतिदिन सुबह-शाम मस्सों पर लगाएं। मस्सों पर इसको लगाने से मस्से जल्द ठीक हो जाते हैं।
बवासीर के कष्ट में तुलसी के पत्तों को पीसकर लेप करने या रस लगाने से बवासीर के मस्सों में लाभ होता है।
104. तुरई या लौकी : लौकी या तुरई के पत्तों को पीसकर मस्सों पर लगाने से मस्से खत्म हो जाते हैं।

105. चाय की पत्ती :

चाय की पत्तियों को पीसकर मलहम बना लें और इसे गर्म करके मस्सों पर लगायें। इस मलहम को लगाने से मस्से सूखकर गिरने लगते हैं।
चाय की पत्तियों को पानी में पीसकर गर्म करें। फिर गर्म-गर्म पिसी हुई चाय का बवासीर पर लेप करें। इससे बवासीर का दर्द दूर हो जाता है।
106. हरा धनिया :

हरे धनिया के 1 चम्मच रस में थोड़ी-सी मिश्री मिलाकर रोज सुबह के समय पीने से खूनी बवासीर (रक्तार्श) मिट जाती है।
धनिया को मिश्री के साथ मिलाकर चूर्ण बना लें। 1 कप गर्म पानी में 1 चम्मच चूर्ण डालकर प्रतिदिन सुबह-शाम पीने से मलद्वार की जलन तथा खूनी बवासीर ठीक हो जाती है।
107. सौंफ :

1 चम्मच सौंफ, 1 चम्मच जीरा तथा 1 चम्मच धनिया को मिलाकर काढ़ा बना लें। इस काढ़े को सुबह-शाम पीने से बवासीर रोग मिटता है।
सौंफ और मिश्री दोनों पीसकर आधा चम्मच की फंकी दूध के साथ लें। इससे बवासीर का रोग ठीक हो जाता है।
सौंफ, जीरा, धनिया नियमित 1 चम्मच 2 कप पानी में उबालें। आधा पानी रहने पर छानकर उसमें 1 चम्मच देशी घी मिलाकर पिलाने से रक्तस्रावी बवासीर में लाभ होता है।
सौंफ और मिश्री को कूटकर चूर्ण बना लें। आधा चम्मच चूर्ण प्रतिदिन सुबह-शाम दूध के साथ पीना चाहिए।
108. सुहागा : 1 चम्मच सुहागा, 1 चम्मच हल्दी, 1 चम्मच चीते(चित्रक) की जड़, थोड़े-से इमली के पत्ते तथा 10 ग्राम गुड़ को पीसकर इसका मलहम बना लें। इस मलहम को मस्सों पर लगाने से मस्से जल्द सूखकर गिर जाते हैं।

109. लता करंज :

अगर मल रुककर आता हो या वायु का प्रकोप ज्यादा हो तो लता करंज के 1 से 3 ग्राम पत्तों को घी और तिल के तेल में भूनकर सत्तू के साथ मिलाकर खाना खाने से पहले खायें। इससे बवासीर रोग ठीक होता है।
लता करंज के कोमल पत्तों को पीसकर लेप बनाकर खूनी बवासीर में लेप करने से रोग में फायदा होता है। इसके 1 से 3 पत्तों को पीस व छानकर रोगी को पिलाने से भी रोग में लाभ होता है।
लगभग आधा ग्राम से 2 ग्राम करंज की जड़ के पाउडर में चित्रक, सेंधानमक, सौठ और इन्द्रजौ की छाल का चूर्ण बराबर में मिला लें। यह मिश्रण को 1 से 3 ग्राम की मात्रा में दिन में 2 बार सेवन करते रहने से वादी तथा खूनी बवासीर खत्म होती है।
2 ग्राम करंज के जड़ की छाल के चूर्ण को गाय के मूत्र में पीसकर रोगी को पिलायें तथा पीने में केवल छाछ तीन दिन तक लेने से फायदा होता है।
110. सेंहुड : सेंहुड के दूध में थोड़ी-सी हल्दी मिलाकर बाहर के तरफ हुए मस्सों पर लेप करने से मस्से सूखकर गिर जाते हैं।

111. महानीम : महानीम के 11 बीजों को पीसकर इसमें 5 ग्राम चीनी मिलाकर पानी के साथ प्रतिदिन सुबह-शाम पीने से खूनी बवासीर में लाभ होता है।

112. आम की छाल :

आम की छाल, चीता की छाल, करंज तथा इन्द्रजौ इन सबको पीसकर चूर्ण बना लें। इसका 1 चम्मच चूर्ण छाछ के साथ प्रतिदिन सूबह-शाम लेने से बवासीर (अर्श) रोग मिट जाता है।
पके और मीठे आम का रस निकालकर उसमें शहद मिलाकर खाने से बवासीर (अर्श) रोग मिट जाता है।
आम की गुठली को तोड़कर उसके गिरी को कूटकर चूर्ण बनायें। इसका चूर्ण 120 ग्राम से 180 ग्राम पानी के साथ लेने से खूनी बवासीर, खून का बहना और पेट के कीड़े नष्ट होते हैं।
113. बेल :

बेल की गिरी के चूर्ण में बराबर मिश्री मिलाकर, 4 ग्राम तक ठंड़े पानी के साथ सेवन करने से खूनी बवासीर में लाभ मिलता है।
रोगी के मस्सों में विशेष वेदना हो तो विल्ब की जड़ का काढ़ा तैयार कर सुहाते-सुहाते काढ़े में रोगी को बैठाने से जल्दी ही दर्द दूर हो जाता है।
2 ग्राम कच्चे फल की मज्जा का चूर्ण तथा 1 ग्राम सोंठ के चूर्ण को दिन में 3 बार सेवन करने से आराम मिलता है।
114. अंजीर :

अंजीर को गुलकन्द के साथ रोज सुबह खाली पेट खाने से शौच के समय पैखाना (मल) आसानी से होता है।
तीन से चार पके अंजीर दूध में उबालकर रात्रि में सोने से पूर्व खाएं और ऊपर से उसी दूध का सेवन करने से कब्ज तथा बवासीर में लाभ होता है।
115. अमरुद : पके अमरुद खाने से पेट की कब्ज खत्म होती है और बवासीर रोग दूर होता है।

116. इलायची :

छोटी इलायची को पीसकर उसमें आधा कप पानी मिलाकर 4 सप्ताह तक पीने से बवासीर में निकल रहे मस्से सूख जाते हैं।
इलायची के दाने, केसर, जायफल, बांसकपूर, नागकेसर, और शंखजीरा बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बना लेते हैं। लगभग 2 ग्राम चूर्ण में दो ग्राम शहद, 6 ग्राम घी और 3 ग्राम शक्कर मिलाकर सुबह-शाम 15 दिन तक लेने और गुड़, खोपरा आदि त्याग करने से रक्तप्रदर और खूनी बवासीर नष्ट हो जाती है।
117. सूरजमुखी : सूरजमुखी के बीजों का चूर्ण 3 ग्राम लेकर उसमें 3 ग्राम चीनी मिलाकर रोज सुबह-शाम सेवन से वायु की वजह से होने वाला बवासीर खत्म हो जाता है।

नोट- पथ्य में घी, खिचड़ी और छाछ का ही प्रयोग करना चाहिए।

118. अंकोल : अंकोल की जड़ की छाल का एक ग्राम चूर्ण कालीमिर्च के साथ फंकी देने से बवासीर में लाभ होता है।

119. छाछ :

भोजन करने के बाद छाछ में सेंधानमक मिलाकर पीयें अथवा छाछ में सौंठ या पीपल या प्याज का साग मिलाकर रोज पीने से बवासीर में लाभ होता है।
1 गिलास छाछ में काला नमक, एक चम्मच पिसी हुई अजवायन और थोड़ा सा भूना हुआ जीरा मिलाकर पीने से बवासीर रोग में लाभ मिलता है। छाछ के उपयोग से बवासीर दुबारा नहीं होता है।
ताजी छाछ में चित्रक की जड़ का चूर्ण डालकर प्रतिदिन पीने से दीर्घ समय का बवासीर नष्ट हो जाता है।
गाय की छाछ में कालीमिर्च सोंठ, पीपर और बीड़ लवण का चूर्ण मिलाकर पीने से बवासीर में लाभ होता है।
120. जटामांसी : जटामांसी और हल्दी बराबर की मात्रा में पीसकर मस्सों पर लगाना चाहिए।

121. धाय : धाय के फूलों का शर्बत पीने से खूनी बवासीर नष्ट हो जाती है। खूनी बवासीर, रक्त प्रदर या अन्य किसी प्रकार का रक्त स्राव रोकने के लिए एक चम्मच चूर्ण में दो चम्मच शहद मिलाकर दिन में दो-तीन बार सेवन करने से लाभ होता है।

122. आंवला :

आंवलों को भली-भान्ति पीसकर उस पीठी को एक मिट्टी के बरतन में लेप कर देना चाहिए। फिर उस बर्तन में छाछ भरकर उस छाछ को रोगी को पिलाने से बवासीर में लाभ होता है।
बवासीर के मस्सों से अधिक रक्त स्राव होता हो तो तीन से आठ ग्राम आंवला चूर्ण का सेवन दही की मलाई के साथ दिन में दो-तीन बार करना चाहिए।
आंवले का चूर्ण एक चम्मच, एक कप मट्ठे के साथ तीन बार लें।
आंवले का चूर्ण 1 चम्मच दही या मलाई के साथ दिन में तीन बार खाना चाहिए। इससे बवासीर ठीक हो जाती है।
सूखे आंवले को बारीक पीसकर एक चम्मच सुबह-शाम दो बार छाछ या गाय के दूध से लेने से खूनी बवासीर में लाभ होता है।
123. हरी दूब :

तालाब के नजदीक की हरी दूब मिट्टी के बर्तन में थोड़े पानी के साथ आंच पर चढ़ाकर उबाल लें और उस पानी से गुदा द्वारा को धोयें इससें खूनी बवासीर का दर्द शान्त होता है।
दूब के पत्तों, तनों, टहनियां और जड़ों को दही में पीसकर मस्सों व गुदा में लगाना और सुबह-शाम एक कप की मात्रा में सेवन करने से खूनी बवासीर में लाभ मिलेगा।
124. कुटज :

कुटज की छाल के काढ़े को छाछ या बेल के शर्बत के साथ मिलाकर पीयें। इससे खूनी बवासीर (रक्तार्श) में आराम मिलता है।
कुटज (कुड़ा) का चूर्ण बनाकर इसे दही में मिलाकर खाने से अर्श (बवासीर) रोग ठीक होता है तथा मस्से से खून का निकलना बन्द हो जाता है।
कुटज (कुड़ा) की छाल का काढ़ा बनाकर छान लें। इस काढ़े में सोंठ का चूर्ण मिलाकर पीने से बवासीर में खून का निकलना बन्द हो जाता है।
125. गेहूं : गेहूं के छोटे-छोटे पौधों का रस निकालकर पीयें। इससे सभी प्रकार के बवासीर (अर्श) ठीक हो जाते हैं।

126. दही : जब तक बवासीर में खून आता रहे तब तक केवल दही ही खाते रहें बाकी सारी चीजे बन्द कर दें। इससे बवासीर मे खून आना बन्द हो जाता है।

127. आकड़ा : सूर्योदय से पहले आकड़े के तीन बूंद दूध को बताशे में डालकर खाने से बवासीर में लाभ होता है।

128. चमेली :

चमेली के पत्तों का रस तिल के तेल की बराबर की मात्रा में मिलाकर आग पर पकाएं। जब पानी उड़ जाए और केवल तेल शेष रह जाए तो इस तेल को गुदा में 2-3 बार नियमित रूप से लगाएं। इससे खूनी बवासीर नष्ट हो जाती है।
चमेली की पत्तियों को तेल में जलाकर, पीसकर, मरहम बना लें और गुदा पर प्रतिदिन लगाते रहें। यह प्रयोग कुछ दिनों तक करते रहने से खूनी बवासीर ठीक हो जाती है।
129. चना : सेंके हुए गरमागरम चने खाने से खूनी बवासीर में लाभ मिलता है।

130. महुआ : महुआ के फूल छाछ में पीसकर एक कप की मात्रा में सुबह-शाम रोजाना सेवन करने से बवासीर में लाभ मिलेगा।

131. दालचीनी :

चौथाई चम्मच दालचीनी चूर्ण एक चम्मच शहद में मिलाकर प्रतिदिन एक बार लेना चाहिए। इससे बवासीर नष्ट हो जाता है।
आधा चम्मच दालचीनी पाउडर एक कप पानी में उबालकर, खाने के आधा घंटे बाद सुबह-शाम पीने से रक्तस्रावी बवासीर ठीक हो जाती है।
132. माजूफल : एक गिलास पानी में माजूफल पीकर डालें और 10 मिनट उबाल लें ठंड़ा होने के बाद इससे मलद्धार को धोने से मलद्वार का बाहर निकलना और बवासीर का दर्द दूर होता है।

133. हरड़ का छिलका : लगभग 75 ग्राम हरड़ के छिलके को कूट छानकर इसमें 3 ग्राम गुड़ मिलाकर रोज खाली पेट लें। 21 दिन लगातार खाने से बवासीर में आराम रहता है।

134. हीरा कसीस : हीरा कसीस पिसा हुआ 5 ग्राम, रीठा का छिलका पिसा हुआ और रसोत पिसी हुई 10-10 ग्राम को मिलाकर चने के बराबर गोलियां बनाकर सुखा लें। 1 गोली पानी के साथ रोज सुबह खाली पेट लें।

135. तिल :

लगभग 10 ग्राम काले तिल को महीन कूटकर 20 ग्राम मक्खन मिलायें। इसको खाने से खूनी बवासीर ठीक हो जाती है।
60 ग्राम काले तिल खाकर ठंड़ा पानी पीयें और तिल का तेल बवासीर पर लगायें। इससे मस्से सूख जाते हैं और खूनी बवासीर में लाभ होता है।
तिलों के पांच ग्राम चूर्ण में बराबर मात्रा में मिश्री मिलाकर बकरी के चार गुने दूध के साथ पीने से खूनी बवासीर में लाभ मिलता है।
50 ग्राम काले तिल को इतने पानी में भिगोएं कि उस पानी को तिल सोख ले। इसे आधा घण्टा पानी में भिगोकर पीस लें। इनमें एक चम्मच मक्खन, दो चम्मच पिसी हुई मिश्री मिलाकर सुबह और शाम दो बार लेने से बवासीर में खून का बहना बन्द हो जाता है।
तिल को पानी के साथ पीसकर मक्खन के साथ दिन में तीन बार भोजन से एक घण्टा पहले चाटने से लाभ होता है और खून निकलना रुक जाता है।
तिल को पीसकर गर्म कर बवासीर पर पोटली की तरह बांधने से लाभ होता है।
तिल, नाग केशर और शर्करा का चूर्ण खाने से बवासीर नष्ट हो जाती है।
लगभग 60 ग्राम काले तिल खाकर ऊपर से ठंड़ा पानी पीने से बिना खून वाली बवासीर (वादी बवासीर) ठीक हो जाती है। दही के साथ पीने से खूनी बवासीर भी नष्ट हो जाती है।
136. भांग :

भांग की पत्तियों को पीसकर टिकिया बनायें। टिकियों को गुदाद्वार पर रखकर लंगोट बांधने से बवासीर ठीक हो जाती है।
फूली हुई और दर्दनाक बवासीर पर हरी या सूखी भांग 10 ग्राम अलसी, 30 ग्राम की पुल्टिश बनाकर बांधने से दर्द और खुजली मिट जाती है।
137. भांगरा :

भांगरा 50 ग्राम पत्ते और कालीमिर्च 5 ग्राम दोनों को खूब महीन पीसकर छोटे बेर जैसी गोलियां बनाकर छाया में रखकर सुखा लेते हैं। सुबह-शाम 1 या 2 गोली पानी के साथ दिन में 3 बार सेवन करने से वातज बवासीर में शीघ्र लाभ मिलता है।
भांगरा के पत्ते 3 ग्राम व 5 पीस कालीमिर्च दोनों का बारीक चूर्ण ताजे पानी से दोनों समय सेवन करने से 7 दिन में ही बहुत लाभ मिलता है।
भांगरा के रस में गेहूं का आटा सानकर, गाय के घी में चूर्ण बनाकर छाछ भिगोंकर खाएं। ऊपर से 1-2 मूली खाये इससे बवासीर के रोगी को तुरन्त ही लाभ मिलता है।
138. मेंहदी: मेंहदी के पत्तों को जल के साथ पीसकर गुदाद्वार पर लगाकर लंगोट बांधे। इससे मस्से सूख कर गिर जाते हैं।

139. कपूर :

कपूर को आठ गुना अरण्डी के गर्म तेल में मिलाकर मलहम बनाकर रखें। पैखाने के बाद मस्सों को धोकर और पौंछकर मस्सों पर मलहम को लगायें। इसको लगाने से दर्द, जलन, चुभन आदि में आराम रहता है तथा मस्से सूखकर गिर जाते हैं।
कपूर, रसोत, चाकसू और नीम का फूल सबको 10-10 ग्राम कूट कर पाउडर बनालें। मूली को लम्बाई में बीच से काटकर उसमें सबके पाउडर को भरें और मूली को कपड़े से लपेटे तथा मिट्टी लगाकर आग में भून लें। भुन जाने पर मूली के ऊपर से मिट्टी और कपड़े को उतारकर उसे शिलबट्टे (पत्थर) पर पीस लें और मटर के बराबर गोलियां बना लें। 1 गोली प्रतिदिन सुबह खाली पेट पानी से लेने पर 1 सप्ताह में ही बवासीर ठीक हो जाती है।
140. ज्वार : ज्वार की रोटी खाने से बवासीर के मस्से सूख जाते हैं।

141. बैंगन :

बैंगन की डंड़ी पीसकर बवासीर पर लगाने से दर्द और जलन से आराम मिलता है।
बैगन को जलाकर पीसकर कपड़े से छान लें और इसे मस्सों पर लगायें बवासीर में लाभ मिलेगा।
बैंगन का वह हिस्सा जिससें बैंगन जुड़ा रहता है। उसे पीसकर बवासीर पर लेप करने से दर्द और जलन में आराम मिलता है। बैंगन की डंड़ी और छिलके को सुखा लें और फिर इनको कूट लें। जलते हुए कोयलों पर डालकर मस्सों को धूनी दें। बैंगन को जला लें। इनकी राख शहद में मिलाकर मरहम बना लें। इसे मस्सों पर लगायें। मस्से सूखकर गिर जायेंगें।
142. तौरई : तौरई की सब्जी खाने से कब्ज का रोग ठीक होता है और बवासीर में आराम मिलता है।

143. अरनी : अरदनी के पत्तों का 100 मिलीलीटर काढ़ा पिलाने से तथा इसके पत्तों की पुल्टिस बनाकर बांधने से बवासीर की वेदना कम होती है।

144. बथुआ : बथुआ का साग और बथुआ का उबला पानी पीने से बवासीर ठीक हो जाती है।

145. ग्वार : ग्वार के पौधे के 10 हरे पत्ते और 10 कालीमिर्च को पीसकर इसे लगभग 60 मिलीलीटर पानी में मिलायें। इस पानी को सुबह पीने से बादी बवासीर ठीक हो जाती है।

146. ग्वारपाठा : खूनी बवासीर में 50 ग्राम घृतकुमारी के गूदे में 2 ग्राम पिसा हुआ गेरू मिलाकर इसकी टिकिया बनाकर, रूई के फोहे पर फैलाकर गुदा स्थान पर लंगोटी की तरह पट्टी बांध देनी चाहिए। इससे मस्सों में होने वाली जलन तथा दर्द ठीक हो जाती है और मस्से सिकुड़कर दब जाते हैं। यह प्रयोग खूनी बवासीर में लाभकारी होता है।

147. जायफल :

10 जायफल को देशी घी में इतना सेंकें की वह सूख जाये। इसे पीस-छान कर इसमें दो कप गेहूं के आटे को मिलाकर घी में फिर सेंकें और शक्कर मिलाकर रखें। इसे 1 चम्मच रोजाना सुबह खाली पेट खायें।
जायफल के बीजों की गिरी 25 ग्राम तथा सौंफ 25 ग्राम कूट छान कर उसमें 50 ग्राम खांड़ मिलालें। 3-3 ग्राम की मात्रा में प्रतिदिन सूबह-शाम पानी के साथ लेने से बादी तथा खूनी बवासीर में लाभ होता है।
148. आक :

तीन बूंद आक के दूध को राई पर डालकर और उस पर थोड़ा कूटा हुआ जवाखार बुरककर बताशे में रखकर निगलने से बवासीर बहुत जल्दी नष्ट हो जाती है।
149. ईसबगोल :

ईसबगोल की भूसी को गर्म पानी या गर्म दूध के साथ रात को सोते समय पीने से सभी प्रकार के बवासीर दूर होता है।
ईसबगोल को ठंडे पानी में भिगोकर उसका शर्बत बनाकर छान लें। इसको पीने से खूनी बवासीर (रक्तार्श) में लाभ होता है।
149. जीरा :

जीरा और मिश्री को कूटकर पानी के साथ खाने से बवासीर (अर्श) के दर्द में आराम रहता है।
जीरा, सौफ, धनिया तीनो 1-1 चम्मच 1 गिलास पानी में उबालें। आधा पानी बच जाने पर छानकर 1 चम्मच देशी घी मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से बवासीर में रक्त गिरना बन्द हो जाता है। यह गर्भवती स्त्रियों के बवासीर में ज्यादा लाभकारी है।
काले जीरे का काढ़ा बनाकर इससे मस्से को सेंकने से बवासीर में सूजन तथा पीड़ा से आराम मिलता है।
जीरा, सौंफ और धनिया 1-1 चम्मच लेकर 1 गिलास पानी में मिलाकर आधा पानी खत्म होने तक उबालें। आधा पानी को छानकर उस में 1 चम्मच घी मिलाकर प्रतिदिन सुबह-शाम पीने से बवासीर रोग में आराम मिलता है।
150. कसौंदी : कसौंदी के बीज 10 तथा कालीमिर्च के 1-2 दानों को मिलाकर पानी में पीसकर घोंटकर सुबह-शाम पानी के साथ पिलाने से खूनी बवासीर में लाभ होता है। इसको सुखाकर दस्त में भी उपयोग किया जाता है।

151. गुलाब : खूनी बवासीर में गुलाब के 3 ताजा फूलों को मिश्री के साथ मिलाकर सेवन करने से आराम आता है।

152. अखरोट :

वात जन्य बवासीर में इसके अखरोट के तेल की पिचकारी गुदा में लगाने से सूजन कम होकर पीड़ा मिट जाती है।
अखरोट के छिलके की भस्म दो से तीन ग्राम को किसी विष्टम्श्री औषधि के साथ सुबह, दोपहर तथा शाम को खिलाने से रक्तार्शजन्य खून बन्द हो जाता है।
अखरोट के छिलके का भस्म (राख) बनाकर उसमें 36 ग्राम गुरुच मिलाकर प्रतिदिन सुबह-शाम खाने से खूनी बवासीर (रक्तार्श) नष्ट होता है।
153. मेथी :

मेथी के दानों का काढ़ा बनाकर या इसे दूध में उबालकर पीने से बवासीर (अर्श) रोग में खून का आना बन्द हो जाता है।
4 चम्मच मेथी को एक गिलास पानी या दूध में उबालकर सेवन करने से बवासीर में रक्त आना बन्द हो जाता है।
154. राल : पीली राल 60 ग्राम बारीक पीस लें। नियमित सुबह 7 ग्राम चूर्ण, 125 ग्राम दही में मिलाकर खायें। यह खूनी बवासीर के साथ सभी प्रकार के बवासीर को ठीक करता है।

155. कलौंजी : कलौंजी की भस्म को बवासीर के मस्सों पर नियमित रूप से लगाना चाहिए।

156. गेंदा :

गेंदें के फूल की पंखुड़ियों को 10 ग्राम की मात्रा में, थोड़े से घी के साथ पकाकर दिन में 3 बार रोजाना सेवन करने से लाभ मिलता है।
10 ग्राम गेंदें के पत्ते, 2 ग्राम कालीमिर्च को एक साथ पीसकर पीने से बवासीर के रोग में लाभ होता है।
लगभग 5 से 10 ग्राम गेंदें के फूलों की पंखुड़ियों को घी में भूनकर रोजाना 3 बार रोगी को देने से बवासीर के मस्सों से बहने वाला खून बन्द हो जाता है।
रक्तार्श (खूनी बवासीर) में गेन्दें के फूलों के 5-10 मिलीलीटर रस का दिन में 2-3 बार सेवन करना बहुत ही लाभकारी होता है।
157. हरताल वरकी : हरताल वरकी और सफेद कत्था को महीन पेस्ट बनाकर 100 बार घोलें। उस पेस्ट को गाय के घी में मिलाकर मलहम बना लें तथा उसे मस्सों पर लगायें। इससे मस्से सूख जाते हैं और जलन तथा दर्द में आराम रहता है।

158. अफीम :

अफीम तथा कुचला को पीसकर मलहम बनायें। मलहम को मस्सों पर लगाने से मस्से सूखते हैं और दर्द में आराम रहता है।
शूल (दर्द) युक्त अर्श यानि बवासीर पर रसवन्ती तथा अफीम का लेप करने से वेदना कम होकर रक्तस्राव (खून का बहाव) बन्द हो जाता है।
धतूरे के पत्तों के रस में अफीम मिलाकर लेप करने से वेदना (दर्द) जल्द ही बन्द हो जाती है।
159. बकुची : लगभग 2 ग्राम हरड़, 2 ग्राम सौंठ और एक ग्राम बावची के बीज को पीसकर रख लें, आघे चम्मच की मात्रा में गुड़ के साथ सुबह-शाम सेवन करने से लाभ होता है।

160. बिरोजा: बिरोजा लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग और गुलाबी फिटकरी लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग को चीनी में मिलाकर खाने से बवासीर (अर्श), योनि तथा बवासीर में खून का गिरना तुरन्त ठीक होता है।

161. गोभी :

जंगली गोभी का रस निकालकर उसमें कालीमिर्च तथा मिश्री मिलाकर पीने से बवासीर में खून का गिरना तुरन्त बन्द हो जाता है।
खूनी बवासीर हो अथवा वादी हो फूलगोभी का दोनों प्रकार की बवासीर में सेवन करना लाभकारी होता है।
162. कड़वी तोरई : करवी तोरई को उबाल कर उसके पानी में बैंगन को पका लें। बैंगन को घी में भूनकर गुड़ के साथ भर पेट खाने से दर्द तथा पीड़ा युक्त मस्से झड़ जाते हैं।

163. कनेर :

कनेर और नीम के पत्तों को इक्ट्ठा लेकर पीस लें। तैयार लेप को बवासीर के मस्सों पर 2 से 3 बार रोज लगाने से लाभ मिलता है।
कनेर की जड़ को ठंडे पानी के साथ पीसकर शौच जाते समय जो मस्से बाहर निकल जाते है उन पर लगाने से वे मिट जाते हैं।
164. जिमीकन्द : सूखी जिमीकन्द का चूर्ण 160 ग्राम, चीते की जड़ की छाल 80 ग्राम, सोंठ 40 ग्राम, कालीमिर्च 20 ग्राम, मुलहठी 80 ग्राम, विधारा के बीज 160 ग्राम, दालचीनी 20 ग्राम, इलायची 20 ग्राम तथा पिप्पलामूल, तालीस पत्र, शुद्ध भिलावां और वायविडंग 40-40 ग्राम की मात्रा में लेकर कूट-पीसकर और छानकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को पुराने गुड़ के साथ मिलाकर लड्डु बना लें। 1 लड्डू प्रतिदिन खाने से बवासीर ठीक होता है।

165. नागकेशर : नागकेशर 6 ग्राम और मिश्री 6 ग्राम को 10 ग्राम मक्खन में मिलाकर 6 से 7 दिन तक प्रतिदिन सुबह-शाम खाने से खूनी बवासीर ठीक हो जाती है।

166. गेहूं का आटा : गेहूं का आटा 50 ग्राम, घी 10 ग्राम, दूध या पानी 200 मिलीलीटर, हल्दी 1 ग्राम इन सबको मिलाकर पकायें। इसका गर्म लेप बवासीर की जगह पर लगायें। इससे बवासीर नष्ट हो जाती है।

167. कंघी का पत्ता : कंघी के पत्तों को पानी में उबालकर उसे अच्छी तरह से मिलाकर काढ़ा बना लें। काढ़े में उचित मात्रा तक ताड़ का गुड़ मिलाकर पीयें। इससे बवासीर में लाभ होता है।

168. संतरा : संतरे के छिलके को छाया में सूखा कर इसे बारीक पीस लें और देशी घी बराबर मात्रा में मिलायें। 1-1 चम्मच प्रतिदिन तीन बार गुनगुने पानी में मिलाकर पीने से बवासीर में आराम मिलता है।

169. अजवाइन : दोपहर के भोजन के बाद एक गिलास छाछ में डेढ़ ग्राम (चौथाई चम्मच) पिसी हुई अजवायन और एक ग्राम सैंधा नमक मिलाकर पीने से बवासीर के मस्से दोबारा नहीं होते हैं।

170. इन्द्रायण :

इन्द्रायण के बीजों को पानी में पीसकर लेप बनाकर बवासीर के मस्सों पर दिन में दो बार कुछ हफ्ते तक लगाने से लाभ होता है।
इन्द्रायण की जड़ 750 ग्राम में जीरा 100 ग्राम डालकर इसे अच्छे से मिलालें। टिकिया बनाकर बवासीर पर बांधने से बवासीर मिटती है।
171. सांप की केंचुली : सांप की केंचुली को जलाकर उसे सरसों के तेल में मिलायें। इस तेल को गुदा पर लगाने से मस्से कटकर गिर जाते हैं।

172. खैर : खैर, मोम और अफीम को मिलाकर मस्सो पर लगाने से मस्से सूख कर गिर जाते हैं।

173. गेरु : गेरु 58 मिलीलीटर घमिरा के रस में भिगोकर सुखाकर गोला बना लें और बदहरे में रखकर पकाकर सेवन करने से लाभ मिलता है।

174. चिरचिरा : चिरचिरा के पत्तों का रस में 5-6 काली मिर्च पीसकर पानी के साथ पीयें। इससे बवासीर में आराम मिलता है।

175. धावड़े का फूल : धावड़े के फूलों का शर्बत बनाकर पीने से खूनी बवासीर ठीक होती है।

176. अडूसा का पत्ता :

अडूसे के पत्ते को चंदन और हीरादक्खन के साथ मिलाकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को प्रतिदिन सुबह-शाम पानी के साथ लेने से खूनी बवासीर (रक्तार्श) ठीक होती है।
अडूसे के पत्ते और सफेद चंदन इनको बराबर मात्रा में लेकर महीन चूर्ण बना लेना चाहिए। इस चूर्ण की चार ग्राम मात्रा प्रतिदिन, दिन में दो बार सुबह-शाम सेवन करने से रक्तार्श में बहुत लाभ होता है और खून का बहना बन्द हो जाता है।
177. अजाझाड़ : अजाझाड़े के बीजों के मिश्रण को चावल के धोवन के साथ पीने से खूनी बवासीर में आराम मिलता है।

178. इमली :

इमली के बीजों की राख 1-2 ग्राम की मात्रा में दही के साथ मिलाकर लेने से खूनी बवासीर दूर होती है।
इमली की छाल का चूर्ण बनाकर कपडे़ में छानकर सुबह-शाम गाय के दही के साथ सेवन करने से लाभ मिलता है।
खूनी बवासीर के रोग में इमली के पत्तों का रस पीने से बहुत लाभ होता है।
इमली के ताजे फूल का रस निकाल कर 5 मिलीलीटर रस प्रतिदिन सुबह-शाम पीने से बवासीर में लाभ मिलता है।
इमली के पत्ते को पानी के साथ पीसकर 2 चम्मच रस निकालें। इसके रस को प्रतिदिन 20 दिन तक सुबह-शाम पीने से रक्तार्श (खूनी बवासीर) में खून का गिरना बन्द हो जाता है।
179. नाशपाती का मुरब्बा : नाशपाती के मुरब्बे के साथ नागकेशर को मिलाकर खायें। इसे खाने से धीरे-धीरे बवासीर ठीक हो जाती है।

180. आसापाला : आसापाला की छाल का काढ़ा बनाकर प्रतिदिन सुबह-शाम पीने से खूनी बवासीर ठीक होती है।

181. कड़वे इन्द्रजौ : कड़वे इन्द्रजौ को पानी के साथ पीसकर बेर के बराबर गोलियां बना लें। रात को सोते समय दो गोली ठंड़े जल के साथ खायें। इससे बादी बवासीर ठीक होती है।

182. जामुन : जामुन की कोमल पत्तियों का 20 मिलीलीटर रस निकालकर उसमें थोड़ा बूरा मिलाकर पीयें। इससे खूनी बवासीर ठीक होती है।

जामुन के पेड़ की जड़ की छाल का रस 2 चम्मच और छोटी मक्खी का शहद 2 चम्मच मिलाकर रोजाना सुबह-शाम पीने से खूनी बवासीर में खून का गिरना रुक जाता है।
जामुन के पेड़ की छाल का रस निकालकर उसके 10 मिलीलीटर रस में शहद मिलाकर प्रतिदिन सुबह-शाम पीने से अर्श (बवासीर) रोग ठीक होता है तथा खून साफ होता है।
जामुन की गुठली और आम की गुठली के भीतर का भाग सुखाकर इसको मिलाकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को हल्के गर्म पानी या छाछ के साथ पीने से रोग ठीक होता है तथा अर्श में खून का गिरना बन्द हो जाता है।
183. रसौत : रसौंत लगभग आधा ग्राम से 2 ग्राम की मात्रा में प्रतिदिन लेने से रोग में आराम मिलता है।

184. दूब का रस : दूब का रस 50 मिलीलीटर लेकर उसमें चीनी मिलाकर पीने से बवासीर में खून का आना बन्द हो जाता है।

185. गंधक : गंधक और बिरोजा की गोलियां बनाकर प्रतिदिन खाने से खूनी बवासीर ठीक होती है।

186. काली हरड़ : काली हरड़ 200 ग्राम लेकर उसे 20 ग्राम घी में डालकर भून लें। उसमें थोड़ा-सा आंवले का रस और गंधक डालकर अच्छी तरह से मिला लें। रोजाना रात को सोते समय 6 ग्राम मिश्रण गर्म दूध के साथ पीने से लाभ मिलता है।

187. छोटी हरड़ : छोटी हरड़, पीपल और सहजने की छाल का चूर्ण बनाकर उसी मात्रा में मिश्री मिलाकर खायें। इससे बादी बवासीर ठीक होती है।

188. मकोय : मकाये के अर्क को एक तिहाई कप के पानी में मिलाकर रोजाना तीन बार पीने से खूनी बवासीर ठीक होती है।

189. खजूर का पत्ता : खजूर के पत्ते को जलाकर भस्म (राख) बना लें। 2 ग्राम भस्म (राख) को प्रतिदिन तीन बार खाने से खून का गिरना बन्द हो जाता है।

190. गुग्गल : गुग्गल 40 ग्राम को 125 मिलीलीटर दूध में हल्के आग पर पकाकर गाढ़ा बनाकर मटर के बराबर गोलियां बना लें। इसकी 1 गोली रोज सुबह खाली पेट खाने से खूनी बवासीर में आराम रहता है।

191. बरगद :

लगभग 20 ग्राम बरगद के छाल को 400 मिलीलीटर पानी में पकायें, आधा पानी रहने पर छानकर उसमें गाय का घी और खांड़ 10-10 ग्राम मिलाकर खाने से कुछ ही दिनों में बवासीर ठीक हो जाती है।
बरगद के 25 ग्राम कोमल पत्तों को 200 मिलीलीटर पानी में घोटकर पिलाने से 2-3 दिन में ही खून का बहना बन्द होता है। बवासीर के मस्सों पर इसके पीले पत्तों की भस्म (राख) को मिलाकर सरसों के तेल में मिलाकर लेप करते रहने से जल्दी फायदा होता है।
बरगद के 10 ग्राम कोमल पत्तों को 100 मिलीलीटर बकरी के दूध में बराबर पानी मिलाकर पकाने पर जब सिर्फ दूध रह जाये तो छानकर खाने से रक्तपित्त, खूनी बवासीर में लाभ होता है।
192. एरण्ड :

एरण्ड के पत्तों के 100 मिलीलीटर काढ़े में घृतकुमारी का स्वरस 50 मिलीलीटर मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से लाभ होता है।
एरण्ड के तेल की मालिश नियमित रूप से करते रहने से बवासीर की सभी तकलीफे धीरे-धीरे दूर हो जाएंगी।
एरण्ड तेल और घृतकुमारी का स्वरस मिलाकर मस्सों पर लगाने से जलन शान्त हो जाती है।
नीम और एरण्ड के तेल को गर्म करें तथा उसमें 1 ग्राम अफीम व 2 ग्राम कपूर का चूर्ण डालकर मलहम (गाढ़ा पेस्ट) बना लें। मलहम को मस्सों पर लगाने से मस्से सूखकर बाल झड़ जाते हैं।
193. हारसिंगार :

हारसिंगार के 2 ग्राम फूलों को 30 ग्राम पानी में रात को भिगोकर रखें। सुबह फूलों को पानी में मसल कर छान लें और 1 चम्मच खांड़ मिलाकर खाली पेट खायें। रोज 1 सप्ताह खाने से बवासीर मिट जाती है।
हारसिंगार का (बिना छिलके का) बीज 10 ग्राम तथा कालीमिर्च 3 ग्राम को मिलाकर पीस लें और चने के बराबर गोलियां बनाकर खायें। रोजाना 1-1 गोली गुनगुने जल के साथ सुबह-शाम खाने से बवासीर ठीक होती है।
हारसिंगार के बीजों को छील लें। 10 ग्राम बीज में 3 ग्राम कालीमिर्च मिलाकर पीसकर गुदा पर लगाने से बादी बवासीर ठीक होती है।
194. पलास :

बवासीर में पलास के ताजे पत्तों में घी की छौंक लगाकर दही की मलाई के साथ खाने से लाभ होता है।
पलास के पंचाग की राख लगभग 10 से 20 ग्राम तक गुनगुने घी के साथ पिलाने से खूनी बवासीर में आराम होता है इसे कुछ दिन लगातार खाने से मस्से सूख जाते हैं।
195. सफेद कत्था :

रीठा के छिल्के को जलाकर उसका भस्म (राख) को सफेद कत्थे के साथ मिलाकर बारीक पीस लें। 3 ग्राम चूर्ण को 20 ग्राम मक्खन या मलाई में मिलाकर रोज शाम को खाने से खूनी बवासीर (रक्तार्श) में खून का गिरना रुक जाता है।
सफेद कत्था, बड़ी सुपारी और नीलाथोथा को बराबर मात्रा में लें। सुपारी और नीलाथोथा को आग पर भून लें। सुपारी नीलाथोथा और सफेद कत्था का चूर्ण बनाकर उसे मक्खन के साथ तांबे के पात्र (बर्तन) में मिलाकर मिश्रण (पेस्ट) बनायें। प्रतिदिन सुबह-शाम उस मलहम (पेस्ट) को शौच के बाद 8 से 10 दिन तक मस्सों पर लगाने से मस्से सूख जाते हैं।

Left Writing Hand Emoji (U+1F58E)डॉ. ज्योति ओम प्रकाश गुप्ता (N.D.)

Contact: +91- 9399341299

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

16 + 17 =