युवाओं को साथ लेकर चल रहा नया Rashtriya LokDal: जयंत के हमराह बने हैं अभिषेक चौधरी गुर्जर
मुजफ्फरनगर: बुढ़ाना में Rashtriya LokDal अध्यक्ष जयंत चौधरी की सोमवार को होने वाली सभा की तैयारियां पूर्ण हो चुकी हैं। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की प्रस्तावित रैली से पूर्व जयंत की इस सभा को भाजपा से यह सीट छीनने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है। कल एक दिग्गज नेता के भी रालोद में शामिल होने की चर्चा है। चुनाव में गठबंधन की तैयारी करने वाली सपा और रालोद के बीच यह सभाएं शक्ति परीक्षण के रूप में देखी जा रही हैं।
तीसरी आशीर्वाद पथ जनसभा बुढाना के डीएवी इंटर कॉलेज के मैदान में होगी। @RLD_MZN के नेता कार्यकर्ता और पदाधिकारी रैली को सफल बनाने के लिए पिछले एक माह से तैयारियों में जुटे हुए हैं। https://t.co/xys8AwJ3nw
— News & Features Network (@mzn_news) October 10, 2021
प्रदेश प्रवक्ता अभिषेक चौधरी गुर्जर ने बताया की उतर प्रदेश में आगामी 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव की सरगर्मियों के बीच जयंत चौधरी बुढ़ाना के डीएवी इंटर कॉलेज के मैदान में आशीर्वाद पथ जनसभा को संबोधित करने पहुंचेंगे। राष्ट्रीय लोक दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयंत चौधरी की जनसभा में लगभग पंडाल मंच और हेलीपैड की व्यवस्था पूर्ण हो चुकी है। राष्ट्रीय लोक दल के अध्यक्ष जयंत चौधरी उत्तर प्रदेश में लगभग 17 जनसभा को संबोधित करेंगे
जिसमें से अब तक दो जनसभा संबोधित कर चुके हैं और तीसरी आशीर्वाद पथ जनसभा बुढाना के डीएवी इंटर कॉलेज के मैदान में होगी। राष्ट्रीय लोक दल के नेता कार्यकर्ता और पदाधिकारी रैली को सफल बनाने के लिए पिछले एक माह से तैयारियों में जुटे हुए हैं। कल डीएवी इंटर कॉलेज के मैदान में जयंत चौधरी जनसभा को संबोधित करेंगे जिसमें हजारों की संख्या में कार्यकर्ता किसान व ग्रामीण मौजूद रहेंगे।
इस सभा में वह 2022 का चुनाव भी बिगुल फूंकेंगे। पिछले दिनों भाकियू के साथ गठजोड़ और गठवाला खाप की नाराजगी व कांग्रेस नेता पूर्व सांसद हरेंद्र मलिक की सक्रियता के बीच इस सभा पर तमाम लोगों की निगाह लगी है। एक दिग्गज नेता के रालोद में शामिल होने की भी चर्चा है। हालांकि यहां जमीन तलाश रहे रालोद को मुजफ्फरनगर दंगे के दौरान अपनी चुप्पी का जवाब देना भारी पड सकता है।
दूसरे अगर सपा और रालोद मुस्लिम वोट के मोह में पडते हैं तो इससे भाजपा को फायदा होगा। इससे गठबंधन की उल्टी गिनती भी शुरू हो सकती है। भाकियू की भीड़ को सियासी पैमाने पर नापना सियासी नादानी साबित हो सकता है।