कब्जा लेने का प्रयास कर सकता है प्रशासन: कहीं ऊपर से पालिटिकल प्रेशर तो नहीं ?
मुजफ्फरनगर। 570 बीघा भूमि जिसे काफी समय से शत्रु सम्पत्ति वाद में लिप्त बताया जा रहा था अब उसके स्थान पर 51 बीघा का जो दूसरा नोटिस दिया गया है जिसके सापेक्ष 9 पार्टियों ने रिकाल करने के लिए गुहार लगायी है उसे दरकिनार कर प्रशासनिक अमला कल (आजं) तीन स्थानों पर कब्जा लेने का प्रयास कर सकता है।
इस समाचार से जहां उन लोगों, परिवारों के होश फाख्ता हो गये है जिनके बच्चों के विवाह अगले कुछ दिनों में इन मण्डपों में होने प्रस्तावित है इसके साथ ही दूसरा पक्ष जो अपने आप को लूटापिटा सा महसूस कर रहा है
यह पक्ष है किरायेदारों का जिन्होंने इस वर्ष दिसम्बर तक की बुकिंग एडवांस लेकर कर रखी है। ये किरायेदार न पैसा वापस करने की स्थिति में है और न ही बुकिंग कैसिंल करके काम चलाने की स्थिति में है।
ऐसे में वे अपने आप को बदहवास महसूस कर रहे है। ऐसे में प्रशासन की होने वाली सम्भावित कार्यवाही पर भी सवालियां निशान उठने शुरू हो गये है।
गौतरलब है कि गत दिवस आलोक स्वरूप, अनिल स्वरूप ने पत्रकार वार्ता कर स्पष्ट किया था कि उनके पास मात्र 6 खसरे है जिनमें कमला फार्म्स, भावना फार्मस व मांउट लिट्रा स्कूल विद्यमान है ऐसे में यदि माउंट लिट्रा स्कूल कैम्पस पर भी कब्जा लेने का प्रयास किया जायेगा तो स्कूल मे ंपढ़ने वाले सैकडों बच्चां का भविष्य भी अधंकारमय हो जायेगा।
यूं भी कोरोना के चक्कर में बच्चें का एक साल पहले ही खराब हो चुका है। आलोक स्वरूप व अनिल स्वरूप ने पत्रकार वार्ता में स्पष्ट किया था कि प्रशासन द्वारा उनके प्रत्यावेदन पर सुनवाई न करके उनका पक्ष न जाने बगैर कब्जा लेने का प्रयास जो किया जा रहा है वह किसी भी दृष्टि से न्यायोचित नहीं है।
कब्जा लेने वाली टीम तीन बार इन स्थलों का दौरा कर कब्जा लेने का प्रयास कर चुकी है और अपना सामान समेटने की चेतावनी दे चुकी है और जाते जाते ये टीम सोमवार 1 फरवरी को पुनः आने व कब्जा लेने की चेतावनी देने से विवाह शादी वालो, किरायेदारों, आम जनमानस व राजनीतिक हल्कों में इसे प्रेशर की कार्यवाही (नाजायज दबाव बनाने का प्रयास) के रूप में देखा जा रहा है।
आम जनमानस ने कोई इस कार्यवाही को पोलिटकल प्रेशर मान रहा है तो कोई इसे सत्ता पक्ष लोभी की हरकत समझ रहा है। लोगों को समझ में नहीं आ रहा है कि आखिर वो कौन है जिसका प्रेशर अधिकारियों के सिर पर चढ़कर बोल रहा है ?
और वो भी 570 बीघा भूमि के स्थान पर मात्र 51 बीघे का नोटिस देना। पीड़ित पक्षों का कहना था कि यह नोटिस भी राजस्व अधिनियम 2006 की धारा 38 सब धारा 2 के अधीन दिये गये है।
कानून के जानकार लोगों का मानना है कि इस राजस्व एक्ट में प्रोविजन है कि त्रुटि को तो सुधारा जा सकता है लेकिन टाइटल चेंज नहीं किया जा सकता।
उल्लेखनीय है कि इस प्रकरण को लेकर प्रशासनिक अमले की तरफ से मीडिया को कोई स्थिति स्पष्ट नहीं की गयी और न ही कोई अधिकृत रूप से जानकारी दी गयी। जिसके कारण यह मामला चर्चित और उलझकर रह गया है।