स्वास्थ्य

पागलपन दूर करें होम्योपैथ से

पागलपन का मतलब होता है मानसिक प्रवृत्ति । मानसिक प्रवृत्तियों का मनुष्य के जीवन से गहरा संबंध है ।. मानसिक प्रवृत्तियां मनुष्य के मानवीय जीवन को शांतिमय व्यतीत करने तथा मानव को सर्वोमुखी प्रतिभा संपन्न बनाने में पूर्ण सहयोगी होती है 

प्रत्येक मनुष्य किसी न किसी मानसिक प्रवृत्ति का शिकार होता है . बचपन से बालक की मानसिक प्रवृतियां साहस , चालाकी , भय , डर , सुस्ती , उदासी , झूठ बोलना , निष्क्रिय सामाजिकता तथा धार्मिकता की ओर अग्रसर होने लगती है 

उपरोक्त सभी प्रवृत्तियों का मिश्रण बालक के युवावस्था में पदार्पण करने पर पूर्ण रूप से झलकता प्रतीत होता है . किशोरावस्था से ही बालक उशंखलता , उद्दण्ड , अनैतिक , व्यभिचारी , अपरिवाह , झूठ बोलने जैसी मानसिक प्रवृत्तियों का शिकार हो जाता है . कुछ व्यक्ति मदिरापान के अभ्यस्त होते हैं , कुछ व्यक्ति तम्बाकु सेवन सिगरेट पीने के तथा कुछ अफीम चरस , गांजा , मादक द्रव्यों इत्यादि के अभ्यस्त हो जाते हैं . ये दुर्गुण मानव के मानवीय प्रवृत्तियों में परिवर्तित हो जाते हैं .

इन प्रवृत्तियों के आधार पर उनका जीवन पतन की ओर अग्रसर होने लगता है , जिसके परिणाम स्वरूप देश , समाज , राष्ट्र तथा मानवता को गहरा आघात पहुंचता है . इन प्रवृत्तियों तथा सामाजिक बुराइयों से छुटकारा एक मात्र होम्योपैथिक की गुणकारी औषधियों के द्वारा संभव हो सकता है .

होमियो चिकित्सा पद्धति के जनक डा. हैनिमैन ने मानसिक लक्षणों पर अत्यधिक जोर दिया है . किसी भी बीमारी में व्याधि से संबंधित लक्षणों के साथ ही साथ मानसिक लक्षणों की अनिवार्यता का अत्यधिक महत्व है .

जैसे बुखार के साथ चिड़चिड़ापन ( कैमोमिला ), बुखार के साथ प्रलाप ( बेलाडोना , हायोसियामस ) , बुखार के साथ सुस्ती , चक्कर तथा औंघाई ( जेलसेमियम ) ,

बुखार के साथ सांत्वना देने पर रोना ( इग्नेशिया , पल्साटिला ) , इत्यादि मानसिक लक्षण रोगी के व्याधि के साथ – साथ बदलते रहते हैं . होमियोपैथी की औषधियों द्वारा स्वस्थ मानव शरीर पर जो लक्षण समूह उत्पन्न किया जाता है , वैसे ही लक्षण समूह वाले रोग ग्रस्त रोगियों को वह औषधि प्रदान करने पर वह आरोग्य हो जाता है .

यही होमियोपैथिक चिकित्सा पद्धति का सिद्धांत है . अतः इस पद्धति के सिद्धांत के अर्न्तगत औषधि सम्पूर्ण मानव शरीर पर अपना असर उत्पन्न करती हैं . इसलिए मनुष्य के शरीर का महत्वपूर्ण अंग मानव मन होने के कारण औषधियों का प्रभाव मानवीय मन पर गहरा एवं तीव्रता से होता है , उपरोक्त सिद्धांतानुसार यदि रोग ग्रस्त व्यक्तियों को होमियोपैथिक औषधियों दी जाय 

तो इससे मानवीय प्रकृति जैसे उत्तेजना , हर एकांतप्रियता , शंका , ईष्या , झगड़ालु पन् , व्याभिचार , चोरी , मदिरापान आदि अमानवीय एवं असमाजिक मानसिक प्रवृत्तियों को परिवर्तित किया जा सकता है तथा इन अनैतिक मानवीय प्रवृत्तियों से व्यक्ति , समाज , राष्ट्र को बचाया जा सकता है

इस प्रकार होमियोपैथिक चिकित्सा पद्धति सदाचारी मानवीय प्रवृतियों को सर्वोच्च शिखर पर पहुँचाने में पूर्ण रूप से सहायक सिद्ध हो सकती है . अनैतिक मानवीय प्रवृत्तियों के कारण मस्तिष्क में अन्य व्याधियां उत्पन्न हो जाती है , जो मानसिक रोगों का कारण बन सकती हैं . कई मानसिक रोग जैसे – फिट्स , हिस्टीरिया , इपिलेप्सी , डिलीरियम , ब्रेन फैग , फोबिया , स्वप्नविचरण , निद्राक्षमण इत्यादि रोग उपरोक्त अमानवीय , मानसिक प्रवृत्तियों के कारण उत्पन्न होती हैं

जिसे पूर्ण रूपेण आरोग्य करने की क्षमता होमियोपैथिक चिकित्सा पद्धति में है . इस प्रकार हम देखते हैं कि आज के युग में लगभग प्रत्येक व्यक्ति मानसिक रूप से किसी न किसी गलत आदत का शिकार होता है . जिसका समाधान होमियोपैथिक चिकित्सा पद्धति में विद्यमान है . कुछ मानसिक विकृतियों का समाधान होमियोपैविक औषधियों द्वारा प्रस्तुत कर रहा हूँ : एसिड नाईट्रिक : – स्त्रियाँ , लड़कियों वगैरह में अक्सर स्लेट , बत्ती , चाक , मुल्तानी मिट्टी दिवारों का प्लास्टर तेलयुक्त पदार्थ , खट्टी चीजे खाने की आदत पड़ जाती है 

इस औषधि के सेवन से यह आदत छुट जाती है , अर्निका मॉण्ट: – गर्भवती स्त्रियों में कई बार सिरका बहुतायत में खाने की आदत पड़ जाती है , जो कि गर्भ में पल रहे बच्चे के लिए हानिकारक होता है , इस औषधि से यह आदत छुट जाती है . ब्रायोनिया एल्ब: – कई बार ऐसा होता है कि कोई चीज मांग रहा है .

उसे वह चीज दें तो वह एकदम लेने से ठुकरा देगा और खेलने लगेगा . कई बार हमारा ही मन ऐसा होता है कि कुछ अजीब सी इच्छा होती है , लेकिन उसे मुंह से व्यक्त करने में असमर्थ होते हैं .

वास्तविकता यह होती है कि हम समझ नहीं पाते है कि हमें क्या चाहिए . यह दिमागी कमजोरी इस औषधि के सेवन से समाप्त हो जाती है . ब्यूफो राना: – आज के युवा वर्ग में प्रायः हस्तमैथुन की इच्छा पाई जाती है , जो कि स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है . दौर्बल्य , याददाश्त कमजोर होना आदि कई लक्षण स्वास्थ्य पर बुरा असर डालते हैं . इस औषधि के सेवन से हस्तमैथुन की प्रायः समाप्त हो जाती है . , कॉस्टिकम : – युवा लड़कियों में बहुधा शादी करने के लिए एक विशेष इच्छा पाई जाती है

लेकिन यह स्वभाविकता कई बार सीमा से बाहर होकर जर्बदस्त इच्छा बन जाती है . यह मानसिक विकृति इस दवा के सेवन से समाप्त हो जाती है . सिस्टस कैन सर्दियों में पनीर खाने की इच्छा होना , यह आदत हानिकारक है क्योंकि पनीर के साथ – साथ अक्सर खट्टी चीजें खाने को मन करता है , जिससे दस्त तथा शारीरिक दर्द वगैरह की शिकायत रहने लगती है .

केलेडियम: – तम्बाकू खाने की आदत इस दवा के प्रयोग से जाती है . इस दवा को सप्ताह में एक बार 1M शक्ति में कुछ दिनों तक लेना चाहिए . कैल्केरिया कार्ब : – बच्चों को मिट्टी , चॉक , स्लेट पटी , चूना , मिठाई , खट्टी चूर्ण इत्यादि खाने की इच्छा इस दवाई के प्रयोग से छुट जाती है .

साइक्यूटा वोरसा : – बच्या कोयला उठाकर मुंह में रख लेता है उसे ऐसे चबाता है जैसे कोई स्वादिष्ट चीज खा रहा हो . आयोडियम : – इस दवा के लगातार सेवन से मांस खाने की आदत छुट जाती है . मैग कार्ब ऐसे बच्चे जिन्हें क्षय रोग है , उनकी मांस खाने की इच्छा इससे समाप्त हो जाती है .

मयूरियस : – मनुष्य के अन्दर गाय की गोबर खाने की तीव्र इच्छा उठने पर इस दवा का सेवन लाभदायक है . नैट्रम म्यूर : – बच्चा अपना अंगूठा चूसता है तथा मुंह से नाखून काटता है . स्ट्रामोनियम : – कई बार इच्छा होना की अपने दांतो से वस्तुओं को काट दे या फाड़ दे . यह मानसिक विकृति इस दवा के सेवन से दूर हो जाती है .

सेलेनियम ” : – इस औषधि के सेवन से शराब पीने की आदत छुट जाती है . हफ्ते में तीन बार लगातार कुछ दिनों तक लेने से रोगी में शराब पीने की तीव्र इच्छा समाप्त हो जाती है . सल्फर: कई बार आपने देखा होगा कि बच्चे अपने नाक से गंदगी निकालकर खाते रहते हैं . यह बहुत हानिकारक आदत है .

सल्फर 30 दस , पन्द्रह दिन देने से बच्चे की यह आदत छुट जाती है . टैबेकम: – इस औषधि के सेवन से सिगरेट पीने की आदत छुट जाती है . 200 शक्ति हफ्ते में दो बार या IM शक्ति हफ्ते में एक बार इस तरह कुछ समय तक सेवन करने से धुम्रपान की आदत छुट जाती है . ऐवेना

सेटाइवा एंड पैसिफ्लोरा : – इन दोनों के सेवन से रोगी की ‘ मारफीन ‘ और ‘ अफीम ‘ खाने की आदत छुट जाती है . लगातार कुछ समय तक लेने से फायदा होता है . उपरोक्त दवाओं का लक्षणानुसार सेवन से मानसिक प्रवृत्तियों पर अंकुश लगाया जा सकता है .

 

 

Tiwari Abhi News |

Ved |

लेखक:

डा0 वेद प्रकाश विश्वप्रसिद्ध प्राकृतिेक एवं होमियोपैथी चिकित्सक हैं। जन सामान्य की भाषा में स्वास्थ्य सम्बन्धी जानकारी को घर घर पहुँचा रही “रसोई चिकित्सा वर्कशाप” डा0 वेद प्रकाश की एक अनूठी पहल हैं। उनसे नम्बर 8709871868 पर सीधे सम्पर्क किया जा सकता हैं और ग्रीन स्टार फार्मा द्वारा निर्मित दवाईयाँ भी घर बैठे मंगवाई जा सकती हैं।

 

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