स्वास्थ्य

सहगल सिस्टम और मनोरोग

आज के इस वर्तमान समय में मानव अनेक रोगों से ग्रस्त हैं. यह रोग साध्य , असाध्य , ” जीर्ण , कठिन तथा तरुण रूप में हो कुछ स्थिति में रोग मुक्त हो पाना असंभव – सा मालूम पड़ता है 

इनमें से कुछ तो चिकित्सा द्वारा रोग मुक्त हो जाते हैं , परन्तु सकते हैं . ऐसे ही कठिन रोगों की चिकित्सा रिपर्टरी में वर्णित लक्षणों यथा मानसिक लक्षणों के आधार पर उसके अनुभव को समझकर जिस चिकित्सा विधि को अपनायी जाती है 

उसे ही रिवोल्युनाज्ड होमियोपैथी या सहगल सिस्टम ऑफ होमियोपैथी कहते हैं . इस सहगल सिस्टम के प्रयोग करने वाले चिकित्सक एवं रोगी दोनों को धैर्य की आवश्यकता होती है 

जिससे परिणाम सुखद एवं उत्तम हो . मनोरोग के कई प्रकार हैं होमियोपैथी में क्रोध , ईष्या , घमण्ड , संदेह कृपणता . आदि को भी मनोरोग के रूप में पहचान की गई है 

यदि किसी भी रोग में शारीरिक लक्षणों के साथ – साथ मानसिक लक्षणों की प्रबलता हो तो इस मानसिक लक्षणों को ही आधार बनाकर चिकित्सा कार्य किया जा सकता है 

किसी भी रोग में ‘ ब्रह्मास्त्र ‘ के रूप में मानसिक लक्षणों के आधार बनाने की बात डॉ ० वेद प्रकाश करते है . मानसिक रोगी एक करोड़ से ज्यादा विश्व भर में है

मनोरोग से संबंधित हॉलीवुड की फिल्म ‘ ए ब्यूटीफुल माइन्ड ‘ जो आठ ऑस्कर पुरस्कारों के लिए नामांकित किया गया था . जिसमें चार पुरस्कार जीते थे

यह भी मनोरोग पर आधारित है . ‘ जॉन नैश ‘ नामक अर्थशास्त्र के नोबेल पुरस्कार विजेता के जीवन पर आधारित था , मनोरोग की चिकित्सा में इस बात पर ध्यान दिया जाता है Treat the patient not the disease the patient as a whole .

इस बात की पुष्टि महात्मा हैनीमैन ने तो की ही थी . इस दार्शनिक ‘ प्लेटो ‘ का भी सैद्धान्तिक समर्थन आज से 2500 साल पहले मिला था . उदाहरण— स्तन में गांठ एवं प्रदाह की चिकित्सा सहगल सिस्टम द्वारा – रोगिणी महिला , उम्र 45 वर्ष , स्तन प्रवाह , स्तन में फोड़ा , स्तन कड़ा , गांठ युक्त था . जो फोड़ा नहीं पका हुआ और नहीं भीतर की ओर बैठे पाया था 

अंग्रेजी दवा खा रही थी . यह शिकायत दो वर्ष से था . मेरे पास होमियो चिकित्सा कराने आयी तो रोगिणी कि मानसिकता ऐसी कि बार – बार कहना डॉ . साहब कोई उपाय कीजिए नहीं तो मैं मर जाऊंगी

अब जीने की इच्छा बिल्कुल नहीं होती . दर्द के मारे छटपटाना , नोचना , मन करता है कि इसे ( स्तन ) अपने ही दांतों से काटकर हटा दूं . ताकि यह न रहेगा न दर्द करेगा 

सभी बात सुनने के बाद मैं उसका रूब्रिक बनाया था जो इस प्रकार या – Life Averwtion to , Sure , she will die . Irrisistable desirs to bite teeth .

इस प्रकार फाइटोलेक्का 200 की चयन क्रिया जो रोग मुक्त करने में सहायता प्रदान किया . दिनांक 16.6.2020 को फाइटोलेक्का 200 , 6 खुराक दिया 

प्रतिदिन एक ( 1 ) खुराक के हिसाब से खाने को कहा . 23.6.2020 को रोगी बतायी सभी शिकायत में कुछ सुधार है पुनः 6 खुराक प्रतिदिन के हिसाब से खाने को दिया . 

दिनांक 29.6.2020 को रोगिणी 75 प्रतिशत ठीक थी . उसे । खुराक प्रतिदिन के हिसाब दिया गया . दिनांक 5.7.2020 को रोगी पूर्णतः स्वरथ यी . अब दवा बंद कर दिया गया 

 

Tiwari Abhi Min |

Ved |

लेखक:

डा0 वेद प्रकाश विश्वप्रसिद्ध प्राकृतिेक एवं होमियोपैथी चिकित्सक हैं। जन सामान्य की भाषा में स्वास्थ्य सम्बन्धी जानकारी को घर घर पहुँचा रही “रसोई चिकित्सा वर्कशाप” डा0 वेद प्रकाश की एक अनूठी पहल हैं। उनसे नम्बर 8709871868 पर सीधे सम्पर्क किया जा सकता हैं और ग्रीन स्टार फार्मा द्वारा निर्मित दवाईयाँ भी घर बैठे मंगवाई जा सकती हैं।

 

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