पूरी दुनिया की नजर PM Modi पर: स्विटजरलैंड की मेजबानी में ukraine पीस समिट?
रूस-ukraine के बीच तनाव की सूचना से हम सभी परिचित हैं। ढाई साल से जंग चल रही है, जिसमें हजारों लोगों की मौत हो चुकी है, और लाखों लोग घरों से भगने के बाद मलबे में रह रहे हैं। इस जंग का सीधा असर भारत की भी राजनीतिक स्थिति पर पड़ रहा है, क्योंकि भारत/PM Modi इस मामले में मध्यस्थता की कोशिश कर रहा है।
भारत समेत दुनिया की कई देशों ने रूस-यूक्रेन विवाद के समाधान के लिए प्रयास किये हैं, और इस मुद्दे पर चर्चा को आगे बढ़ाने के लिए समिति गठित की है। इस समिति का मुख्य उद्देश्य है कि यहाँ पर सभी देशों को इस मामले का समाधान ढूंढने में मदद करना है।
स्विटजरलैंड में हो रहे इस समिति में भारत का भी अहम योगदान हो सकता है। भारत ने पिछले कुछ समय से ही रूस-यूक्रेन विवाद में दोनों देशों से संवाद कर रहा है और उनकी बातचीत की कोशिश कर रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस मुद्दे पर कई बार बातचीत का प्रस्ताव रखा है, और उन्होंने रूस-यूक्रेन विवाद में सुलझाव के लिए कई पहल की हैं।
भारत के लिए यह मामला बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यहाँ पर भारत को दोनों देशों की दोस्ताना संबंध को बनाए रखने के लिए भी कोशिश करनी चाहिए, और साथ ही यहाँ पर भारत को दोनों देशों के बीच शांति की सभी संभावनाओं को बनाए रखने के लिए भी काम करना चाहिए।
इस समय, जब PM Modi/प्रधानमंत्री मोदी की सरकार दूसरी बार चुनाव जीत चुकी है, तो भारत के ऊपर अब और भी अधिक जिम्मेदारी का बोझ आया है। रूस-यूक्रेन विवाद को सुलझाने में भारत की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो गई है। भारत को इस मामले में दोनों देशों से बातचीत के माध्यम से सुलझाव की दिशा में कदम उठाना चाहिए।
रूस-यूक्रेन के बीच चल रही जंग के बारे में समाचार देखने वाले हर किसी को आश्चर्य और दुःख होता है कि इस तरह की महामारी में हजारों लोगों की मौत हो चुकी है, और लाखों लोग भूखमरी और अस्थिरता का सामना कर रहे हैं। यह जंग न केवल रूस और यूक्रेन के लिए बल्कि पूरी दुनिया के लिए भी एक बड़ी समस्या बन गई है। इस जंग के दौरान समाज में तनाव और असहमति की स्थिति उत्पन्न होती है, जो किसी भी समाज के लिए स्वास्थ्यकर नहीं है। यह जंग विशेष रूप से सामाजिक और राजनीतिक परिस्थितियों को प्रभावित कर रही है।
इस तरह की घटनाएं समाज के नैतिक मूल्यों को भी प्रभावित करती हैं। युद्ध के चलते समाज में द्वेष, असहमति, और असुरक्षा की भावना बढ़ जाती है। लोगों के बीच भाईचारे और सहयोग की भावना कम होती है। यह स्थिति समाज के लिए हानिकारक होती है और उसे उठने में कई साल लग सकते हैं।
इस जंग के दौरान राजनीतिक परिस्थितियों में भी बड़ा परिवर्तन आ सकता है। दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ सकता है और इससे अन्य देशों को भी प्रभावित किया जा सकता है। इससे संयुक्त राष्ट्र संघ और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों को भी इस समस्या का समाधान करने के लिए कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है।भारत समेत कई देश इस समस्या का समाधान निकालने के लिए कई प्रयास कर रहे हैं। भारत की सरकार भी इस मामले में सक्रिय भूमिका निभा रही है। पीएम मोदी ने यूक्रेन और रूस के बीच तनाव को सुलझाने के लिए कई प्रयास किए हैं और उन्हें समाधान निकालने के लिए प्रेरित किया है। उन्होंने यह साबित किया है कि भारत एक ऐसा देश है जो शांति और सहयोग की दिशा में प्रयासरत रहता है।
इस तरह की जंग से हमें यह सिखना चाहिए कि समाज की भावनाओं और नैतिक मूल्यों का महत्व है। हमें इस तरह की घटनाओं से सीखना चाहिए और ऐसी स्थितियों को रोकने के लिए प्रयास करना चाहिए। यह सिर्फ एक देश या क्षेत्र की समस्या नहीं. रूस-यूक्रेन जंग के मामले में भारत की न्यूट्रलिटी का मतलब है कि भारत किसी एक पक्ष की समर्थन में नहीं है. भारत का कहना है कि दोनों देशों के बीच बातचीत से ही समस्या का समाधान हो सकता है. परिणाम स्वरूप भारत ने यूक्रेन पीस प्रक्रिया में हर संभाव प्रयास किया है. भारत के विदेश मंत्रालय का कहना है कि भारत की यूक्रेन के साथ दोस्ती है. भारत की यूक्रेन के साथ व्यापारिक और राजनितिक संबंध हैं. इसलिए भारत को यूक्रेन की मदद करना चाहिए. विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत यूक्रेन के सदमे में है. भारत ने कहा कि वह यूक्रेन को हर समर्थन देगा. भारत के इस कदम का स्वागत भी यूक्रेन ने किया है. यूक्रेन ने कहा कि भारत ने सच्चे मित्र के तौर पर उसके साथ खड़ा होकर उसकी मदद की है. यूक्रेन ने भारत का यूक्रेन के साथ खड़ा होने का जवाब भी दिया है.
रूस-यूक्रेन के बीच जंग को खत्म करने के लिए भारत की भूमिका महत्वपूर्ण है. रूस और यूक्रेन दोनों भारत के पुराने दोस्त हैं. रूस और भारत के बीच कई समझौते हैं. यूक्रेन भी भारत का पुराना दोस्त है. भारत की दोनों देशों के साथ अच्छी राजनीतिक और व्यापारिक संबंध हैं. भारत ने दोनों देशों से युद्ध समाप्ति की अपील की है. भारत ने कहा है कि युद्ध को खत्म करने के लिए दोनों देशों को चाहिए कि वह बातचीत करें. दोनों देशों को बातचीत से ही समस्या का समाधान हो सकता है. भारत ने इस कदम का समर्थन किया है. भारत के विदेश मंत्रालय का कहना है कि भारत की यूक्रेन के साथ दोस्ती है. भारत की यूक्रेन के साथ व्यापारिक और राजनितिक संबंध हैं. भारत ने कहा कि वह यूक्रेन को हर समर्थन देगा. भारत के इस कदम का स्वागत भी यूक्रेन ने किया है. यूक्रेन ने कहा कि भारत ने सच्चे मित्र के तौर पर उसके साथ खड़ा होकर उसकी मदद की है. यूक्रेन ने भारत का यूक्रेन के साथ खड़ा होने का जवाब भी दिया है.