NEET-UG 2024: एनटीए को नोटिस जारी, काउंसिलिंग की प्रक्रिया को रोकने से मना कर दिया Supreme Court ने
Supreme Court ने मंगलवार को नीट रिजल्ट पर दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए एनटीए को नोटिस जारी किया है. कोर्ट ने यह भी कहा कि परीक्षा की पवित्रता से समझौता किया गया है. कोर्ट के नोटिस जारी करने पर फिजिक्स वाला के CEO अलख पांडे ने कहा, हमने जो याचिका दायर की है उसपर बुधवार को सुनवाई होगी.
हमारी याचिका में ग्रेस मार्क्स और पेपर लीक दोनों पर बात की गई है. आज जो सुनवाई हुई है उसमें ग्रेस मार्क्स पर कोई बात नहीं हुई है. अलख पांडे ने कहा कि कोर्ट ने आज जिस याचिका पर सुनवाई कि वो पेपरलीक से जुड़ा है, क्योंकि उस वक्त रिजल्ट घोषित नहीं हुए थे.
आज के समय में शिक्षा और परीक्षण प्रक्रिया एक महत्वपूर्ण माध्यम है जिसके माध्यम से युवा अपने उच्चतम लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए जुट जाते हैं। इसी कड़ी में, नीट (National Eligibility cum Entrance Test) एक महत्वपूर्ण परीक्षा है जिससे मेडिकल कोर्सेज में प्रवेश प्राप्त करने के लिए छात्रों को जानकारी, योग्यता और समर्पण की जरूरत होती है। हालांकि, इस परीक्षा के संबंध में हाल ही में उठी गड़बड़ी के मामले ने विवाद को चरम स्थिति तक ले जाने की संभावना पैदा की है।
अलख पांडे के वकील जे साई दीपक ने बताया कि नीट परीक्षा को लेकर सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गई हैं. कुछ याचिकाएं नीट रिजल्ट घोषित होने से पहले की हैं और कुछ बाद की है. जो याचिकाएं सिर्फ पेपरलीक से जुड़ी थीं, उनपर नोटिस हो चुका है. लेकिन हमारी याचिका संभवत: बुधवार को सुनवाई के लिए लिस्ट हो जाए.
हमने ग्रेस मार्क्स और पेपरलीक दोनों का मामला उठाया है. कई बच्चों को 60-70 नंबर ग्रेस मार्क्स के तौर पर दिए गए हैं, जिससे उन्होंने फुल मार्क्स मिल गए हैं. कोर्ट ने आज एनटीए को नोटिस तो जारी किया, लेकिन वर्तमान परिस्थिति में काउंसिलिंग की प्रक्रिया को रोकने से मना कर दिया है.
सुप्रीम कोर्ट ने नीट UG 2024 परीक्षा में हुई गड़बड़ी की शिकायत पर सुनवाई करते हुए कहा कि परीक्षा की पवित्रता पर सवाल उठे हैं, तो टेस्टिंग एजेंसी को जवाब देना होगा। जस्टिस विक्रम नाथ और असदुद्दीन अमानउल्लाह की बेंच ने कहा कि चूंकि काउंसिलिंग शुरू हो चुका है, इसलिए हम उसपर रोक नहीं लगाएंगे। कोर्ट ने मामले की सुनवाई के लिए अगली तिथि आठ जुलाई निर्धारित की है।
नीट परीक्षा को लेकर यह समय बहुत ही महत्वपूर्ण है। यह परीक्षा उन सभी छात्रों के लिए महत्वपूर्ण है जो मेडिकल क्षेत्र में करियर बनाना चाहते हैं। इसलिए, इस परीक्षा की गड़बड़ी को लेकर खुलेआम जांच होनी चाहिए और यदि कोई भी गड़बड़ी पाई जाती है, तो उसपर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में नीट परीक्षा के रिजल्ट पर एक याचिका पर सुनवाई की है जिसमें परीक्षा की पवित्रता पर संदेह जताया गया है। इसके साथ ही, एनटीए को नोटिस जारी कर दिया गया है। इस याचिका का मुख्य ध्यान पेपर लीक और ग्रेस मार्क्स पर है। कई छात्रों को ग्रेस मार्क्स में गड़बड़ी की शिकायत है, जिससे उन्हें फुल मार्क्स मिल गए हैं। यह एक गंभीर मुद्दा है जो न केवल इन छात्रों के भविष्य को संदेहास्पद बना सकता है, बल्कि इससे समाज में भी आधारभूत विश्वास कम हो सकता है।
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बहुत ही सावधानी बरती है। उन्होंने कहा है कि चूंकि काउंसिलिंग शुरू हो चुका है, इसलिए उन्हें रोक नहीं लगाई जाएगी। हालांकि, यह मुद्दा अभी भी संवादित है और अगली सुनवाई की तारीख आठ जुलाई निर्धारित की गई है। इससे साफ है कि इस मामले में आगे भी दिलचस्पी बनी रहेगी। इस पूरे मामले से सामाजिक, नैतिक और राजनीतिक दृष्टिकोण से हमें कुछ महत्वपूर्ण सवालों का सामना करना पड़ता है। पहले तो, यह परीक्षा के संबंध में आत्मविश्वास की स्थिति को लेकर हमें गंभीरता से सोचना चाहिए। छात्रों की भविष्य की भी इस मामले में जिम्मेदारी है, इसलिए उनकी हितैषी नीतियों की भी समीक्षा की जानी चाहिए। दूसरे तो, इस प्रकार की गड़बड़ी से सामाजिक विश्वासघात हो सकता है जिससे उस समाज की सामाजिक स्थिति पर असर पड़ सकता.
जैसे ही एक महत्वपूर्ण परीक्षा के संबंध में गड़बड़ी की शक्ति सामने आती है, उसके दूषित प्रक्रिया और गलत अंकों के परिणाम से समाज पर बहुत बड़ा असर पड़ता है। यह समाज की विश्वासघात और नैतिकता को खतरे में डाल सकता है। इसके अतिरिक्त, इस प्रकार की गलती और गड़बड़ी राजनीतिक वातावरण को भी प्रभावित कर सकती है, क्योंकि यह उस संस्था के विश्वास को कमजोर करता है जिससे इस परीक्षा को आयोजित किया जाता है।
इस प्रकार की स्थिति में, सुप्रीम कोर्ट की सक्रिय भूमिका और न्यायिक दृष्टिकोण के माध्यम से समाज को विश्वास और न्याय की प्रक्रिया में विश्वास दिलाने का काम करना चाहिए। यहां तक कि यदि परीक्षा के परिणाम को न्यायिक तरीके से दोषित पाया जाता है, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए ताकि इस प्रकार की गलती और गड़बड़ी को फिर से नहीं होने दिया जा सके।
इस पूरे मामले से स्पष्ट होता है कि एक न्यायिक समीक्षा कितनी महत्वपूर्ण होती है और कैसे यह समाज में विश्वास को सुधारने में मदद कर सकती है। इसलिए, हमें इस प्रकार की गलती और गड़बड़ी के खिलाफ सख्ती से लड़ना चाहिए और सुनिश्चित करना चाहिए कि युवा बिना किसी दबाव के अपने उच्चतम लक्ष्यों को हासिल कर सकें।