महामारी का यह दौर बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता हैः डा. शर्मा
मुजफ्फरनगर/खतौली। कोरोना महामारी ने लोगों के स्वास्थ्य पर प्रभाव डालना आरंभ कर दिया है। जहां एक ओर युवा इससे प्रभावित हो रहे हैं, वहीं बुजुर्ग और बच्चे भी अछूते नहीं हैं। उनमें तनाव और अन्य शारीरिक समस्याएं पनपने लगी हैं। इस समय बच्चे चिड़चिड़ेपन का शिकार अधिक हो रहे हैं।
कोरोना वायरस संक्रमण के लगातार बढ़ने से लागू कोरोना कर्फ्यू के चलते बच्चे काफी समय से अपने घरों में कैद हैं। स्कूल-कॉलेज जाना छूट चुका है और दोस्तों से अलग-थलग अपने घरों में रहने को मजबूर ये बच्चे घर में तनाव का शिकार हो रहे हैं। वहीं, घर के लोगों में भी उपज रहे तनाव के चलते बच्चे इसका शिकार हो रहे हैं
जिससे बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है। स्वभाव में आ रहे चिड़चिड़ापन की वजह से बच्चे बेवजह बात-बात पर गुस्सा कर रहे हैं। बच्चों में आ रहे इन बदलाव से अभिभावकों की भी परेशानी बढ़ती जा रही है।
प्रीति का कहना है कि बच्चे बात सुनने को तैयार नहीं हैं। छोटी-छोटी बात पर बच्चे आक्रमक तो हो ही रहे हैं, पढ़ाई करने को भी तैयार नहीं हैं। पुष्पा रानी कहती हैं कि लंबे समय से बच्चे घरों में कैद हैं। घर से बाहर निकालना उनके जीवन के साथ खिलवाड़ करने के बराबर है। लंबे समय से स्कूल न जाने और सीमित जगह में रहने के कारण बच्चे चिड़चिड़ेपन का शिकार हो रहे हैं।
डॉ. अंकुर शर्मा, बाल रोग विशेषज्ञ ने कहा कि कोरोना वायरस ने देश-दुनिया को प्रभावित किया है। महामारी का यह दौर बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है।
ज्यादातर स्कूल बंद हैं और स्कूलों की ओर से बच्चों की ऑनलाइन क्लासेज शुरू की गई हैं, जिससे बच्चे मानसिक तौर पर डिस्टर्ब हैं। इससे बच्चों में बाल्यकाल से ही चिंता और भय जैसी स्थितियां जन्म ले सकती हैं। ऐसे में उनकी ज्यादा देखभाल की जरूरत है।
डॉ. शशिकांत वर्मा ने काह कि लंबे समय से घर में सीमित जगह में ही रहने का असर बच्चों की मानसिक दशा पर पड़ रहा है। उनमें नकारात्मक विचार घर कर रहे हैं। ऐसे में इसे गंभीरता से लेने की जरूरत है, क्योंकि धीरे-धीरे यह तनाव गहरे अवसाद का रूप ले सकता है। इससे बच्चों को सिरदर्द, आंखों में दई और हाथ-पैर में दर्द की शिकायत बन सकती है।
ये करें उपाय- बच्चों से उनके दोस्तों का फोन से संपर्क कराएं।, घर पर रहते हुए रोजाना व्यायाम करे, घर की छत पर सुबह-शाम की धूप लें, प्रोटीन युक्त भोजन लें, फेफड़ों को ताकत देने के लिए गुब्बारे फुलाए, शंख बजाए और अनुलोम-विलोम योग की प्रैक्टिस करें।, किसी भी तरह के लक्षण दिखने पर तत्काल डॉक्टर की सलाह लें।