मां सरस्वती का प्रकटोत्सव वसंत पंचमी दो दिन यानी आज और कल मनाया जाएगा। पंचमी तिथि बुधवार सुबह 10:24 बजे से शुरू होगी, जो अगले दिन गुरुवार दोपहर 1:19 बजे तक रहेगी। वसंत पंचमी अबूझ मुहूर्त वाले पर्वों की श्रेणी में शामिल है। इस दिन गुरुवार व उत्तराभाद्रपद नक्षत्र होने से सिद्धि योग बनेगा। इसी दिन सर्वार्थ सिद्धि योग भी रहेगा।
अबूझ सावा होने से दोनों ही दिन बड़ी संख्या में मांगलिक व शुभ कार्यों के साथ सामूहिक विवाह सम्मेलन भी होंगे। सिद्धि व सर्वार्थ सिद्धि योग जैसे दो शुभ मुहूर्त का संयोग भी बन रहा है।
वसंत पंचमी 2020 पर सर्वार्थ सिद्धि और रवि योग का संयोग बनेगा। परिणय सूत्र में बंधने के लिए यह दिन श्रेष्ठ है।
वसंत पंचमी बुधवार सुबह 10.45 बजे से शुरू होगी अगले दिन 30 जनवरी गुरुवार दोपहर 1.20 बजे तक रहेगी।
बुधवार को वसंत पंचमी का शुभ मुहूर्त है : 10.45 से 12.35 तक
गुरुवार को वसंत पंचमी का शुभ मुहूर्त है : 6.00 से 7.30, 12.20 से 1.20 बजे तक
वसंत पंचमी पर इस बार तीन ग्रहों का स्वराशि योग बन रहा है। इसमें मंगल वृश्चिक में, गुरु धनु में और शनि मकर राशि में रहेंगे। इस दिन विवाह कार्यों के लिए अति शुभ माना गया है। साथ ही विवाह, विद्यारंभ और यज्ञोपवीत के लिए सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त रहेगा।
मंत्रों से की गई आराधना विशेष प्रतिफलित होती है। पुराणों से लिए गए सरस्वती के 3 असरकारी मंत्र :* ‘सरस्वत्यै नमो नित्यं भद्रकाल्यै नमो नम:।
वेद वेदान्त वेदांग विद्यास्थानेभ्य एव च।।
सरस्वति महाभागे विद्ये कमललोचने।
विद्यारूपे विशालाक्षी विद्यां देहि नमोस्तुते।।’
* एकादशाक्षर सरस्वती मंत्र : ॐ ह्रीं ऐं ह्रीं सरस्वत्यै नमः।
बसंत ऋतु में होली, धुलेंडी, रंगपंचमी, बसंत पंचमी, नवरात्रि, रामनवमी, नव-संवत्सर, हनुमान जयंती और गुरु पूर्णिमा उत्सव मनाए जाते हैं। इनमें से रंगपंचमी और बसंत पंचमी जहां मौसम परिवर्तन की सूचना देते हैं वहीं नव-संवत्सर से नए वर्ष की शुरुआत होती है। इसके अलावा होली-धुलेंडी जहां भक्त प्रहलाद की याद में मनाई जाती हैं वहीं नवरात्रि मां दुर्गा का उत्सव है तो दूसरी ओर रामनवमी, हनुमान जयंती और बुद्ध पूर्णिमा के दिन दोनों ही महापुरुषों का जन्म हुआ था।
1. श्रीकृष्ण ने कहा था ऋतुतों में मैं वसंत हूं : क्यों कहा ऐसा कृष्ण ने? क्योंकि प्रकृति का कण-कण वसंत ऋतु के आगमन में आनंद और उल्लास से गा उठता है। मौसम भी अंगड़ाई लेता हुआ अपनी चाल बदलकर मद-मस्त हो जाता है। प्रेमी-प्रेमिकाओं के दिल भी धड़कने लगते हैं। जो लोग ‘जागरण’ का अभ्यास कर रहे हैं उनके लिए वसंत ऋतु उत्तम है।
2.प्रेम दिवस : वसंत पंचमी को मदनोत्सव के रूप में भी मनाया जाता है। कामदेव का ही दूसरा नाम है मदन। इस अवसर पर ब्रजभूमि में भगवान श्रीकृष्ण और राधा के रास उत्सव को मुख्य रूप से मनाया जाता है। औषध ग्रंथ चरक संहिता में उल्लेखित है कि इस दिन कामिनी और कानन में अपने आप यौवन फूट पड़ता है। ऐसे में कहना होगा कि यह प्रेमी-प्रेमिकाओं के लिए इजहारे इश्क दिवस भी होता है।
3.प्रकृति का परिवर्तन : इस दिन से जो-जो पुराना है सब झड़ जाता है। प्रकृति फिर से नया श्रृंगार करती है। टेसू के दिलों में फिर से अंगारे दहक उठते हैं। सरसों के फूल फिर से झूमकर किसान का गीत गाने लगते हैं। कोयल की कुहू-कुहू की आवाज भंवरों के प्राणों को उद्वेलित करने लगती है। गूंज उठता मादकता से युक्त वातावरण विशेष स्फूर्ति से और प्रकृति लेती हैं फिर से अंगड़ाइयां।
4.देवी सरस्वती का जन्मदिन : मूलत: यह पर्व ज्ञान की देवी सरस्वती के जन्मदिन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। कवि, कथाकार, चित्रकार, गायक, संगीतकार और विचारकों के लिए इस दिन का महत्व है। सरस्वती देवी का ध्यान और पूजन ज्ञान और कला की शक्ति को बढ़ाता है।
5.प्राणायाम और ध्यान : जिन्हें प्राणायाम का ज्ञान है वे जानते हैं कि इस मौसम में प्राणायाम करने का महत्व क्या है। इस मौसम में शुद्ध और ताजा वायु हमारे रक्त संचार को सुचारु रूप से चलाने में सहायक सिद्ध होती है। मन के परिवर्तन को समझते हुए ध्यान करने के लिए सबसे उपयोगी ऋतु सिद्ध हो सकती है।