संपादकीय विशेष

प्रदेश सरकार का सांस्कृतिक पहचान गंगा की निर्मलता के लिए सराहनीय कार्य

मुजफ्फरनगर। भारत की सांस्कृतिक पहचान की गंगा नदी/गंगा माँ उत्तराखण्ड में हिमालय से लेकर बंगाल की खाड़ी सुन्दरवन तक देश के विशाल भू-भाग को सींचती है। गंगा नदी देश की प्राकृतिक सम्पदा ही नहीं, जन-जन की भावनात्मक श्रद्धा और आस्था का आधार भी है। सामाजिक, साहित्यिक, सांस्कृतिक और आर्थिक दृष्टि से अत्यन्त महत्वपूर्ण गंगा का अति विशाल उपजाऊ मैदान अपनी घनी जनसंख्या के कारण भी जाना जाता है।

 

भारत के पौराणिक ग्रन्थों और साहित्य में इसके सौन्दर्य की प्रशंसा गौरवमयी व वैभवशाली इतिहास और जन-जन से जुड़ाव का भावुकतापूर्ण वर्णन किया गया है। गंगा की घाटी में एक ऐसी सभ्यता का उद्भव और विकास हुआ, जिसका प्राचीन इतिहास गौरवमयी तथा वैभवशाली रहा है। इस घाटी में ज्ञान, धर्म, अध्यात्म एवं सभ्यता एवं संस्कृति की ऐसी किरण प्रस्फुटित हुई जिससे न केवल भारत बल्कि पूरा संसार आलोकित हुआ। पाषाण, प्रस्तरयुग का जन्म और विकास इस घाटी में होने के अनेक साक्ष्य मिले हैं। इसी घाटी में रामायण और महाभारत कालीन युग का उद्भव और विलय हुआ। वैदिक काल में अनेक ग्रन्थों में गंगा को गंगा माँ का सम्बोधन करते हुए वर्णन किया गया है।

 

प्राचीन मगध महाजनपद का उद्भव गंगा घाटी में ही हुआ, जहां से गणराज्यों की परम्परा विश्व में पहली बार प्रारम्भ हुई। यही भारत का वह स्वर्ण युग विकसित हुआ जब मौर्य और गुप्तवंशीय राजाओं ने यहां शासन किया। मुस्लिम शासकों, मुगल काल में भी गंगा घाटी एवं गंगा नदी का महत्व रहा। अंग्रेजों के शासन में भी राजस्व, यातायात आदि का बड़ा न्नेत गंगा नदी/गंगा घाटी रही।
भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने गंगा को स्वच्छ बनाये रखने एवं गंगा के संरक्षण हेतु नमामि गंगे परियोजना लागू कर गंगा की निर्मलता एवं अविरलता पर बल दिया है। गंगा की निर्मलता के लिए अनेक परियोजनाएं संचालित की गई हैं जिनमें सीवरेज इन्फ्रास्ट्रक्चर, माड्युलर एसटीवीएस, जैविक उपचार, ग्रामीण स्वच्छता, औद्योगिक प्रदूषण में कमी, घाटों व मोक्षधाम का विकास, नदी सतह सफाई, नदी तट विकास, घाट सफाई, जैव विविधता संरक्षण, वनीकरण, रिसर्च एण्ड प्रोजेक्ट डेवलपमेंट, गंगा टास्क फोर्स आदि प्रमुख हैं। गंगा की निर्मलता के लिए लागू परियोजनाएं गुणवत्तापूर्ण कार्य कर रही हैं। कई परियोजनाएं पूर्ण हो चुकी हैं।

गंगा की स्वच्छता और पवित्रता बनाये रखने के लिए उत्तर प्रदेश के मा० मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने आमजन को जोड़ने का कार्य किया है। उनके अथक प्रयास से ही आज गंगा में नगरों व गांवों की गंदगी जाना बन्द हो गई है। गंगा अपने प्रवाह के दौरान सबसे अधिक दूरी ११४० किलोमीटर उत्तर प्रदेश से तय करती है, जिसके किनारे २७ जिले, २१ नगर निकाय एवं १०३८ ग्राम पंचायतें पड़ती हैं। प्रदेश सरकार ने नमामि गंगा कार्यक्रम के तहत उत्तर प्रदेश में १०३४१.८२ करोड़ रु० की स्वीकृत ४५ सीवरेज परियोजनाओं में १२ परियोजनाएं पूर्ण हो चुकी हैं, कुछ मार्च, २०२० तक पूर्ण होंगी, अन्य निर्माणाधीन हैं। गंगा किनारे के सभी शहरों के सीवरेज ट्रीटमेंट प्लाण्ट की शोधन क्षमता ठीक की जा रही है।

कानपुर की सभी टेनरियों को बन्द कर दिया गया है। सबसे बड़ा सीसामऊ नाले को टैप करते हुए गंगा में गिरते गन्दे पानी को रोका गया। प्रदेश के मुख्यमंत्री जी ने स्वयं वहां जाकर सीसामऊ नाले पर बने सेल्फी प्वाइंट से सेल्फी ली। वह स्थान अब साफ-सुथरा है। प्रदेश सरकार के निर्देश पर गंगा किनारे के समस्त १०३८ ग्राम पंचायतों के प्रत्येक घरों में शत-प्रतिशत व्यक्तिगत स्वच्छ शौचालयों का निर्माण कराते हुए गंगा में जाने वाली गन्दगी को रोका गया है। उसी तरह गंगा के दोनों तटों के किनारों पर गंगा हरीतिमा कार्यक्रम के तहत वृहद वृक्षारोपण किया गया है। गंगा को प्रदूषण से बचाने के लिए प्रदेश सरकार ने दाह संस्कार से होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए मोक्षधामों का निर्माण कराया है। गंगा नदी में अन्य स्तरों से होने वाली गन्दगी को रोकने के लिए जागरूकता कार्यक्रम चलाये गये हैं, इससे लोगों में काफी जागरूकता आई है।

 

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