क्या आपके निष्पक्ष लेखन का ऐसे होगा विरोध? Digital Journalism भी हैं अब सिरफिरों के निशाने पर
जब से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डिजिटल इंडिया (Digital India) को बढ़ावा दिया हैं, समाज के हर तबके से इस मुहिम को नई चेतना और सम्बल मिला हैं। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) के निष्पक्ष और पारदर्शी शासन व्यवस्था के कारण डिजिटल पत्रकारिता (Digital Journalism) को बढ़ावा मिला हैं, जिससे हर घर में छोटे बड़े समाचार पलक झपकते ही पहुंच जाते हैं।यहां तक कि जनता अब जागरूक होने लगी हैं और अच्छे, बुरे और फर्जी समाचार और कार्यों का स्वयं आंकलन करती हैं।
जहां डिजिटल मीडिया (Digital Media/ Journalism) का क्षेत्र अभी भी आर्थिक मदद से जूझ रहा हैं, वहीं आर्थिक संकट को रुकावट न मानते हुए अनेको श्रमजीवी पत्रकारों ने अपने न्यूज़ पोर्टल (News Portal) और वेबसाइट (Website) शुरू की हैं। बीते पांच वर्षों में ऑनलाइन न्यूज़ और पोर्टल में बढ़ोत्तरी देखी गयी हैं। यहां पर जुझारू पत्रकार (Journalist) समाज के हर वर्ग को सामने आकर अपनी बात रखने का मौका दे रहे हैं।
जैसे की हर अच्छे कार्य का विरोध होता हैं उसी प्रकार यह क्षेत्र भी अनेको परेशानियां झेल रहा हैं और रोजाना नित नए प्रपंचों से दो चार हो रहा हूं। अभी एक माह पूर्व ही, न्यूज़ पोर्टल के वरिष्ठ सम्पादक ने एक तथाकथित कथावाचक की पोल खोलते हुए एक समाचार प्रकाशित किया था और साथ में साक्ष्य सहित वाइरल वीडियो भी साझा किया था। बस फिर क्या था, अगले ही दिन वाचक महोदय की “पी0आर0” टीम की तरफ से बोला गया कि इस पोस्ट को हटाया जाए।
News Portal की टीम ने साफ कहा कि, समाचार नही हटेगा। हाँ आप चाहे तो अपना भी वक्तव्य और पक्ष दीजिये, जो अक्षरशः प्रकाशित किया जाएगा। मगर, आज तक भी वक्तव्य क्या… कुछ नहीं आया।
इसी तरह, असामाजिक तत्वों के विरुद्ध लिखते रहने के कारण कुछ पत्रकारों पर जानलेवा हमले हुए हैं और कुछ को अपमान सहना पड़ा हैं। अब डिजिटल मीडिया के जमाने में ये शरारती तत्व दो कदम आगे चल पड़े हैं। अपनी दाल न गलती देख अब ये तत्व न्यूज़ पोर्टल/वेबसाइट हैक करने और उंस पर ऊलजलूल लिखने लगे हैं।
सर्वविदित हैं कि, पत्रकार दिन भर अपने सूत्रों और टीम के माध्यम से जानकारी एकत्र करता हैं, मगर इस तरह के कार्य उस सम्पूर्ण जमा पूंजी जो प्रकाशित सामग्री के रूप में होती हैं उसको तबाह कर देते हैं।
इंटरनेट की दुनिया में डार्क वेब अभी भी अनसुलझा और अनजान पहलू हैं। विश्व प्रसिद्ध रैन्समवेयर वायरस और हैकिंग का गवाह तो पूरा विश्व था ही, अब छोटे स्तर पर भी इस तरह के कृत्यों ने पैर पसारना शुरू कर दिया हैं। इसके ताज़ा उदाहरण न्यूज़ वेबसाइट और व्यक्तिगत लेखन संग्रह के वेब सोर्स हैं। अब ये कार्य कोई सिरफिरा कर रहा हैं या आपके लेखन का कोई विरोधी करा रहा हैं, कुछ कह नही सकते।
हाल ही में एक वाक्या सामने आया जब एक वरिष्ठ पत्रकार जो हिन्दू संघठनो से भी जुड़े हैं और देश -समाज के लिए प्रमुखता से लिखते रहे हैं, उनके अखबार का ऑनलाइन पोर्टल हैक कर लिया गया और वेबसाइट की अंदरूनी फाइल्स में वायरस डाल दिया गया। यह कार्य इतनी खूबी से होता हैं कि आप जान ही नही पाते कि आपका सारा का सारा कार्य लुप्त होने के कगार पर हैं।
इस तरह से सर्च इंजन और होस्टिंग भी पल्ला झाड़ लेते हैं और आपके पास नए सिरे से कार्य करने के अलावा कोई विकल्प शेष नहीं रहता। अंततः दिन रात की कड़ी मेहनत करके उनकी टीम ने पुनः वेबसाइट शुरू की और नए पुराने कंटेंट्स को फिर से एक एक करके डाला।कुछ दिन पूर्व भी एक न्यूज वेबसाइट को हैक/कंट्रोल करके होम पेज पर कुछ अवांछनीय लिख दिया गया। संज्ञान में आने पर एक्सपर्ट की मदद से इसे ठीक तो कर लिया गया मगर कब तक ये सिलसिला चलता रहेगा?
हो सकता हैं कि आप किसी की बात से सहमत न हो या आपको पूर्ण जानकारी न हो। इस तरह आप स्वयं लेखक/पत्रकार से सम्पर्क करके अपना पक्ष रख सकते हैं और फिर भी संतुष्ट न होने पर एडिटोरियल (सम्पादक मण्डल) के वरिष्ठ लोगो से सम्पर्क किया जा सकता हैं।
आमतौर पर पत्रकार/ न्यूज़ पोर्टल सटीक जानकारी देने का प्रयास करते हैं मगर अनेको बार कतिपय कारणों या किसी पाठक द्वारा दी गयी जानकारी/सोर्स को वेरीफाई करना सम्भव नहीं हो पाता। इस परिस्थिति में आप सभी कारणों को ध्यान में रखते हुए, निर्णय ले और ऐसा कोई कार्य न करें जिससे प्रबुद्ध वर्ग द्वारा परिश्रम से अर्जित किये हुआ लेखन और समाचार कार्य का अस्तित्व ही समाप्त हो जाये।
मुख्यतः न्यूज़ पोर्टल मुफ्त में समाचार और जानकारी प्रदान करते हैं। नए और किसी विशेष क्षेत्रीय स्तर पर होने से कोई आर्थिक मदद भी नही मिल पाती हैं। बुद्धिजीवी वर्ग से भी आग्रह हैं कि, किसी भी अनजाने लिंक पर या बिना पहचान हुए मोबाइल मैसेज पर क्लिक न करें। अपनी जानकारी सुरक्षित रखें।
ओरिजिनल फ़ायरवॉल सॉफ्टवेयर थोड़ा महंगा जरूर होता हैं मगर सतर्कता और सावधानी ही बचाव नहीं हैं। आपके न्यूज़ वेबसाइट मुफ्त समाचार भले ही प्रदान करता हो, असामाजिक और शरारती तत्वों को इससे कोई लेना देना नही होता चाहे वह शैक्षिक सामग्री हो, न्यूज़ हो या आपकी अपनी कृतियों का संग्रह हो।
(बातचीत और सूत्रों से प्राप्त जानकारी पर आधारित लेख)