प्रवर्तन निदेशालय का Supreme court में हलफनामा, दिल्ली की आबकारी नीति बनाने में केजरीवाल की भूमिका रही
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की ओर से प्रवर्तन निदेशालय के हिरासत को चुनौती देने वाली याचिका पर जांच एजेंसी ने Supreme court में हलफनामा दाखिल किया है. इस हलफनामे में जांच एजेंसी की ओर से कहा गया गया है कि दिल्ली की आबकारी नीति बनाने में केजरीवाल की भूमिका रही है
इस नीति से अर्जित अवैध पैसे का प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर लाभ अरविंद केजरीवाल को मिला है. साथ ही हलफनामे में कहा गया है कि आबकारी नीति बनाने में केजरीवाल की भूमिका रही है और उनके सहयोग से ही होलसेल कमीशन को 5 फीसदी से बढ़ाकर 12 फीसदी कर दिया गया. यह फैसला ग्रुप ऑफ मिनिस्टर के चर्चा के बिना मनमाने तरीके से किया गया. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट केजरीवाल की याचिका पर 29 अप्रैल को सुनवाई करेगा.
हलफनामे में कहा गया है कि कथित आबकारी नीति से आये 45 करोड़ रुपये का प्रयोग गोवा चुनाव में किया गया. चूंकि केजरीवाल आम आदमी पार्टी के संयोजक पद पर काबिज हैं तो इस अपराध में उनकी भूमिका को नकारा नहीं जा सकता है. प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट की धारा 70 का हवाला देते हुए जांच एजेंसी ने शीर्ष अदालत को बताया कि राजनीतिक दल व्यक्तियों का समूह है और ऐसे में राजनीतिक दल इस धारा के तहत मनी लॉन्ड्रिंग के तहत आरोपी बनाया जा सकता है.
जांच एजेंसी ने Supreme court हलफनामे में कहा है कि प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट की धारा 19 के तहत दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के लिए पर्याप्त साक्ष्य थे और ऐसे में गिरफ्तारी को अवैध नहीं कहा जा सकता है. जांच एजेंसी ने कहा कि यह कहना गलत है कि केजरीवाल को चुनाव प्रचार से दूर करने के लिए गिरफ्तार किया गया है.
केजरीवाल ने जांच एजेंसी के 9 समन की अनदेखी की और फिर उन्हें गिरफ्तार किया गया. अगर नेताओं के चुनाव प्रचार करने के तर्क को मान लिया गया तो किसी अपराधी नेता की गिरफ्तारी नहीं हो पाएगी. पूछताछ के दौरान केजरीवाल ने अपने मोबाइल फोन का पासवर्ड जांच एजेंसी को नहीं दिया और इस मामले में आरोपियों ने 170 फोन को नष्ट करने का काम किया ताकि डिजिटल सबूतों को मिटाया जा सके.