शुरुआती पहचान, बचाए कैंसर से जान
मुजफ्फरनगर। तेजी से बढ़ रही कैंसर की बीमारी की जितनी जल्दी पहचान हो जाए उतना ही ठीक है। शुरुआती चरण में यदि बीमारी का पता लगाकर उसका उपचार शुरू हो जाए, तो मरीज के ठीक होने की संभावना अधिक रहती है।
जिले में कैंसर के उपचार की व्यवस्था नहीं है। इसलिए जिले के मरीजों को मेरठ, पीजीआई या एम्स में ही उपचार के लिए जाना पड़ता है। जनपद में नेशनल प्रोग्राम फॉर कंट्रोल ऑफ डायबिटीज, कैंसर, कार्टियक डिजिज एंड स्ट्रॉक (एनपीसीडीसीएस) के तहत मरीजों की पहचान की जाती है।
अब हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर शुरू हो गए हैं, जहां गैर संक्रामक बीमारियों को चिह्नित करने का काम शुरू हो गया है। एनपीसी डीसीएस के प्रभारी डॉ. एसके त्यागी का कहना है कि कैंसर के शुरुआती लक्षणों के पहचानने के लिए हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर शुरू किए गए हैं। जांच में यदि कैंसर के लक्षण होते हैं तो मरीज को उपचार के लिए हायर सेंटर भेज दिया जाता है। वर्तमान में जिले में 30 हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर शुरू हो गए हैं जबकि 50 की शुरुआत और होनी है।
शुरुआती चरण में कैंसर की पहचान होने पर कीमोथैरेपी और रेडियोथैरेपी के जरिए इसका उपचार संभव है।गुटखा और धूम्रपान मुंह के कैंसर का बड़ा कारण-प्रमुख रूप से तीन तरह के कैंसर पाए जाते हैं। डा. एसके त्यागी बताते हैं कि मुंह, गले, फेफड़े के कैंसर गुटखा, तंबाकू और धूम्रपान के कारण होता है। शुरुआती लक्षणों में मुंह में सफेद या लाल चकत्ते होना, गांठ होना, घाव होना है। दूसरा प्रकार ब्रेस्ट कैंसर का है। तीसरा प्रकार सर्विक्स कैंसर का है।
इन गांवों में कहर बरपा रहा कैंसर-जिले में बाढ़, कसौली, लुहारी खुर्द, बोपाड़ा, डबल, मोरकुक्का, कितास आदि गांवों में कैंसर का प्रकोप ज्यादा है। ये गांव काली और हिंडन नदी के किनारे बसे हुए हैं। इन नदियों में प्रदूषित पानी बहता है। ग्रामीण बताते हैं कि गांवों के हैंडपंप में दूषित पानी आता है इसके चलते लीवर, आंत, लंग्स, गले एवं मुंह के कैंसर के मामले सामने आए। कुछ वर्ष पूर्व हिंडन और काली नदी के किनारे बसे गांवों के हैंडपंपों के पानी की जांच में नाइट्रेट, नाइट्राइट और आग्जलेट जैसे तत्व पाए गए थे। चिकित्सक बताते हैं कि ये तत्व कैंसर के कई कारणों में से एक हो सकते हैं।
कैंसर से बचने को बरतें सावधानी
– गुटखा, तंबाकू का सेवन न करें।
– धूम्रपान से बचें।
– शरीर में गांठ हो तो तुरंत डाक्टर को दिखाएं।
– पुराना घाव होने पर तुरंत जांच कराएं।
– शुद्ध पानी एवं भोजन का ही सेवन करें।
– प्रदूषण से बचने की कोशिश करें।