भारत का महाशक्ति न होना विश्व के लिए खतरा, Media का राष्ट्रधर्म ना निभाना बहुत ही भयानक
सामरिक दृष्टि से जिस प्रकार विश्व में आज परमाणु हाइड्रोजन जैविक एवं रासायनिक विज्ञान का विस्तार हो रहा है एवं राजनीतिक दृष्टि से जिस प्रकार राजनीति में बौद्धिक अराजक भी विस्तार पकड़ रहे हैं एवं तकनीकी दृष्टि से सोशल मीडिया का अराजको के हाथ में आना और कुछ देशों की महत्वकांक्षी विस्तारवादी नीति जो विश्व के लिए खतरा बने हुए हैं
ऐसी स्थिति में मीडिया (Media )का राष्ट्रधर्म ना निभाना बहुत ही भयानक स्थिति को खड़ा कर सकते है एवं विश्व के सभी शक्तिशाली देश स्वार्थ वश व्यक्तिगत हो केवल अपने देश के हितों को साध रहे हैं
जिससे विश्व नेतृत्व अनाथ सा लगता है एवं हर देश के राजनीतिक व्यक्तिगत राजनीति कर रहे हैं जो मानव एवं विश्व कल्याण के लिए अहितकर हैं ऐसे में भारत जैसे राष्ट्र का महाशक्ति होना अत्यंत आवश्यक है क्योंकि वह आपकी ही केवल ऐसी संस्कृति है जो विश्व को परिवार एवं सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया। सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चित् दुःखभाग् भवेत्।।
अर्थातसभी सुखी होवें, सभी रोगमुक्त रहें, सभी मंगलमय के साक्षी बनें और किसी को भी दुःख का भागी न बनना पड़े के सिद्धांत पर आधारित है बाकी किसी भी देश का ऐसा सिद्धांत नहीं है एवं वर्तमान में बेशक मोदी जी ने आकर उस लक्ष्य को प्राप्त करने का निर्णय ले लिया है और उस पथ की ओर अग्रसर हो रहे हैं
परंतु इसमें हर हिंदू की भागीदारी की उतनी ही आवश्यकता है जितनी एक सैनिक की होती है हर हिंदू को एक सिपाही की तरह कार्य करना चाहिए और हर हिंदू को राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय विषय पर प्रबुद्ध होना चाहिए अगर भारत अमेरिका समान महाशक्ति होता तो आज विश्व में इस तरह का अशांति पूर्ण माहौल ना होता और विश्व मे इस्लामिक आतंकवाद इस प्रकार अपने पांव ना पसार पाता और मानवता ऐसी त्रस्त ना होती केवल भारत के पास ही ऐसा चिंतन है जो मानव के साथ-साथ चराचर जगत को भी सुरक्षित रख सकता है
इसलिए हिंदूओ तुम विश्व के प्रथम दायित्ववान मानव हो अपने दायित्व को संभालो और इस दायित्व में सबसे बड़ी आवश्यकता है तुम्हारी विद्वत्ता एवं वीरता की जो तुम्हारे पूर्वजों ने तुम्हें संस्कारों में दी तुम्हारा दायित्व विश्व के लिए सबसे अधिक जरूरी है
इसके लिए तुम्हें राष्ट्र के प्रति हमेशा सजग रहना चाहिए जिससे राष्ट्र सशक्त हो और अगर तुम सशक्त हुए तो विश्व का नेतृत्व कर मानव सभ्यता को नई ऊंचाइयां दे सकें हो।