मधुमेह (शुगर) DIABETES का प्राकृतिक व घरेलु उपचार
किसी व्यक्ति के खून में जब चीनी की मात्रा ज्यादा हो जाती है या पेशाब के साथ चीनी आने लगती है तो समझ जाना चाहिए कि उस व्यक्ति को मधुमेह (डायबटीज) का रोग है। ये अक्सर शरीर में इन्सुलिन की मात्रा कम हो जाने के कारण भी हो जाता है।
इन्सुलीन का काम शरीर में चीनी की मात्रा को सही बनाकर रखना, है। जब पैंक्रियास ग्रंथि इंसुलिन पैदा करना बंद कर दे या कम कर दे या किसी कारण से यह रस वाधक हो तो मधुमेह रोग हो जाता है ऐसी अवस्था में शक्कर खून में चला जाता है और ऊर्जा में बदल नहीं पाता है तथा मूत्र के साथ ही बाहर निकल जाता है जिसे मधुमेह रोग कहा जाता है इस रोग में रोगी को संयमी होना चाहिए संयमी व्यक्ति को मधुमेह रोग से जल्द ही छुटकारा मिल जाता है
मधुमेह (डायबिटीज) 2 तरह का होता है-
शरीर में इन्सुलिन की मात्रा कम हो जाने के कारण होने वाला मधुमेह (डायबटीज)।किसी भी स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में चीनी की मात्रा सुबह के समय खाली पेट 80 से 100 और भोजन करने के बाद 140 तक होनी चाहिए।
कारण-
मधुमेह (डायबिटीज) का रोग ज्यादातर व्यक्तियों को वंशानुगत होता है। इसके अलावा ज्यादा मोटापे के कारण, मीठे पदार्थों का अधिक सेवन , शारीरिक क्रिया कम करने , अधिक तनाव लेने, अनुवांशिक , कब्ज , अधिक चिंता , अधिक धूम्रपान , अधिक शराब तथा कफ बढ़ाने वाले पदार्थों का अधिक मात्रा में सेवन करना किसी तरह की लंबी बीमारी के कारण, संक्रमण फैलने के कारण तथा भोजन सम्बंधी दोष के कारण भी ये रोग हो जाता है।
लक्षण-
मधुमेह रोग में रोगी को बार-बार पेशाब आता रहता है जिसके कारण रात को सोते-सोते उसे पेशाब करने के लिए कई बार उठना पड़ता है।
रोगी को बार-बार प्यास लगती रहती है लेकिन पानी पीने के बाद भी रोगी का मुंह सूखा हुआ रहता है।
रोगी का वजन दिन पर दिन कम होता जाता है।
रोगी को आंखों से कम दिखाई देने लगता है।
रोगी को सिरदर्द रहने लगता है।
जख्म होने पर उसका भरना मुश्किल हो जाता है।
स्त्रियों की योनि में बार-बार जलन सी होती रहती है। मूत्र में मिठास या मूत्र में चींटी लगना , मुंह का स्वाद मीठा होना , कमर दर्द , गुर्दे के कई प्रकार के रोग चेहरे का पीला पड़ना , उच्च रक्तचाप, भूखअधिक लगना, त्वचा का रूखा पड़ जाना, मसूड़े फूल जाना , शरीर में खुजली , पैरों में सूजन व वजन का कम होना।
मधुमेह (डायबिटीज) रोग होने के कारण होने वाली परेशानियां-
आंखों को खून पहुचाने वाली नलियां नष्ट हो जाती हैं।
धमनियों में चिकनाई जम जाने से शरीर के दूसरें अंगों को पूरी तरह खून नहीं मिल पाता है।
मधुमेह रोगी को चोट लगने पर गैंग्रीन होने का खतरा सबसे ज्यादा रहता है।
मधुमेह रोग का असर गुर्दों पर बहुत ज्यादा पड़ता है।
अगर मधुमेह (डायबिटीज) का रोग बढ़ जाता है तो इसके कारण रोगी को दिल के रोग जैसे उच्च-रक्त-चाप (हाई-ब्लडप्रेशर) या दिल का दौरा पड़ना आदि हो जाते हैं।
सावधानी-
मधुमेह (डायबिटीज) का रोग होने पर रोगी को चिकित्सक के साथ समय-समय पर परामर्श लेते रहना चाहिए।
रोगी को अपने आप ही मधुमेह (डायबिटीज) रोग की औषधियों को लेना बन्द नहीं करना चाहिए।
मधुमेह (डायबिटीज) के रोगी को शराब का सेवन और धूम्रपान नहीं करना चाहिए।
रोगी को अपने रोजाना के भोजन में तले हुए पदार्थ या ज्यादा उत्तेजक चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए।
मधुमेह (डायबिटीज) के रोगी को रोजाना व्यायाम करना चाहिए और कम से कम 45 मिनट तक पैदल घूमना चाहिए।
रोगी को अपना वजन कंट्रोल में रखना चाहिए।
भोजन में ज्यादा से ज्यादा कच्ची सब्जियों की सलाद खानी चाहिए।
रोगी जब भी बाहर घूमने-फिरने जाए तो अपने साथ एक बिस्कुट का पैकेट रख लें। जब भी उसका सिर घूमे तो 1-2 बिस्कुट खा लें।
अगर रोगी के शरीर में कहीं कट जाता है या खरोंच, फफोले या सूजन आ जाती है तो उसे तुरन्त ही अपने चिकित्सक से मिलना चाहिए।
रोगी को नंगे पैर नहीं घूमना चाहिए और पैरों के नाखूनों को नियमित रूप से कटवाते रहना चाहिए।
रोगी को अच्छे गद्दीदार जूते पहनने चाहिए।
रोगी को अपना वजन कम करने के लिए भूख कम लेने वाली औषधियों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए क्योंकि ये औषधियां खून में चीनी की मात्रा को बढ़ा देती है।
मछली का तेल भी रोगी को सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि ये भी खून में चीनी की मात्रा को बढ़ा देता है।
क्या खाना चाहिए
मधुमेह रोग में रोगी को कम कैलोरी वाला भोजन ही करना चाहिए।
तला-भुना हुआ भोजन कम से कम ही करना चाहिए। भोजन में सलाद का ज्यादा से ज्यादा प्रयोग करना चाहिए।
रोगी को जमीन में उगी हुई सब्जियों का कम से कम सेवन करना चाहिए जैसे आलू, प्याज और चीकू, आम, केला आदि भी नहीं खाने चाहिए।
रोगी को नियमित रूप से करेले का रस पीना लाभदायक रहता है।
चाय, कोक, कॉफी, चाकलेट, पेस्ट्री, जैम और मिठाइयों का सेवन नहीं करना चाहिए।
मधुमेह रोग से बचने के लिए प्राकृतिक आहार का अधिक सेवन करना चाहिए जैसे – संतरा, सेब, नाशपाती, पपीता, तरबूज, खरबूजा, अमरूद, मौसमी, गाजर, मूली, खीरा, शलजम, ककड़ी, पालक, पोदीना, मेथी, धनिया, पत्तागोभी, फलियां, शिमला मिर्च आदि।
मधुमेह रोग को ठीक करने के फलों का रस, सब्जियों का रस, नारियल पानी तथा नींबू के रस को पानी में मिलाकर प्रतिदिन पीना चाहिए।
रोजाना ताजे आंवले के रस या सूखे आंवले के चूर्ण में हल्दी का चूर्ण मिलाकर सेवन करने से बहुत अधिक लाभ मिलता है।
मधुमेह रोग को ठीक करने के लिए जामुन का अधिक सेवन करना चाहिए या फिर जामुन की गुठली को सूखाकर चूर्ण बनाकर आधा चम्मच की मात्रा में पानी के साथ सुबह तथा शाम सेवन करने से यह रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।
15 मिलीलीटर करेले के रस को 100 मिलीलीटर पानी में मिलाकर प्रतिदिन 3 बार लगभग 3 महीने तक पीने से मधुमेह रोग ठीक हो जाता है।प्रतिदिन 1 चम्मच भीगे हुए मेथी के दाने खाने से कुछ महीने में ही यह रोग ठीक हो जाता है। मेथी दाना को पानी में डालकर उसका काढ़ा बनाकर पीने से यह रोग जल्दी ही ठीक हो जाता है।
मेथी दाने का चूर्ण बनाकर पानी के साथ सुबह-शाम सेवन करने से यह रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।इस रोग से पीड़ित रोगी को दूध का सेवन बहुत ही कम करना चाहिए बल्कि इसके स्थान पर छाछ का अधिक सेवन करने से बहुत अधिक लाभ मिलता है।
300 ग्राम भिंडी की 2 फांक करके रात के समय में पानी में फूलने के लिए रख दें तथा सुबह के समय में इसको पानी से निकालकर इस पानी को पी लें तथा भिंडी को फेंक दें। यह क्रिया 1 सप्ताह तक करने से यह रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।
प्रतिदिन सुबह के समय में कम से कम 10 बेल की पत्ती या सदाबहार की पत्ती या जामुन की पत्ती या नीम की पत्ती खाने से यह रोग बहुत जल्दी ठीक हो जाता है।
तुलसी की पत्ती प्रतिदिन सुबह के समय सेवन करने से खून में शर्करा की मात्रा कम हो जाती है और यह रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।प्रतिदिन सुबह के समय में 2 अंजीर खाकर इसके ऊपर से 2 गिलास पानी पीने से यह रोग ठीक हो जाता है।
गेहूं तथा जौ 50 ग्राम, मूंग, बाजरा, फाफर (कुट्टू), चना 20 ग्राम, सोयाबीन तथा मक्का 10 ग्राम इन सब को मिलाकर, इसे पीसकर इसकी रोटी बनाकर प्रतिदिन कुछ दिनों तक खाने से यह रोग ठीक हो जाता है।
मधुमेह रोग से पीड़ित रोगी को प्रतिदिन सुबह के समय में खुले बदन धूप में अपने शरीर की सिंकाई करनी चाहिए तथा नांरगी बोतल में सूर्यतप्त से बनाये गय जल को भोजन करने के थोड़ी देर बाद लेने से यह रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।
इस रोग से पीड़ित रोगी को प्रतिदिन अपने पेट पर मिट्टी की गीली पट्टी करनी चाहिए तथा इसके बाद एनिमा क्रिया करके अपने पेट को साफ करना चाहिए और फिर कटिस्नान तथा मेहनस्नान करना चाहिए।
इस रोग से पीड़ित रोगी को प्रतिदिन सुबह के समय में सैर के लिए जाना चाहिए और खुली हवा मे सांस लेनी चाहिए।
घरेलु उपचार –
1. बरगद :24 ग्राम बरगद के पेड़ की छाल लेकर जौकूट करें और उसे आधा लीटर पानी के साथ काढ़ा बना लें। जब चौथाई पानी शेष रहे, तब उसे आग से उतारकर छाने और ठंड़ा होने पर पीयें। इसे रोजाना 4-5 दिनों तक लगातार सेवन करने से मधुमेह रोग कम हो जाता है। इसका प्रयोग सुबह-शाम करें।
20 ग्राम बरगद की छाल व जटा के जौकूट चूर्ण को 500 मिलीलीटर जल में पकायें, अष्टमांश से भी कम बचे रहने पर उतारकर ठंड़ा होने पर छानकर लेने से लाभ होता है।
2. चित्रक : 6 ग्राम चित्रक के पंचाग का चूर्ण, सुबह-शाम 300 मिलीलीटर पानी में डालकर पकायें। जब 50 मिलीलीटर पानी शेष रह जाये, तब उसे उतार लें। इस हल्के गर्म काढ़े को 3 सप्ताह तक पीने से बहुमूत्र और मधुमेह रोग मिट जाता है।
3. नीम :नीम पर चढ़ी गिलोय, हालांकि अधिक कड़वी होती है, लेकिन लाभ भी ज्यादा करती है। ऐसी गिलोय 2 किलोग्राम लेकर छ: गुने पानी में 8 घंटे भिगोये रखें और भाप के द्वारा इसका रस निकालकर इसे रख लें। इस रस को 5 चम्मच, 3 ग्राम शहद और चौगुने गाय के दूध के साथ दिन में 3 बार नियमित पीयें। इसके सुबह-शाम सेवन से 4-5 सप्ताह में मधुमेह के रोग से लाभ होता है।
नीम की छाल के काढ़े को 10-20 मिलीलीटर नियमित रूप से सुबह-शाम पीने से मधुमेह के रोगी को लाभ मिलता है।
नीम के गुलाबी कोमल पत्तों को चबाकर रस चूसने से मधुमेह रोग से आराम मिलता है।
नीम की छाल को पत्थर पर घिसें, फिर उसी जगह मुर्दासन घिसें। इस लेप से प्रमेह (वीर्य) पिड़िकाओं में लाभ होता है।
चौथाई चम्मच नीम की पत्तियों का रस और दो बूंद लहसुन का रस दोनों को मिलाकर सेवन करने से मधुमेह में लाभ होता है।
4. बबूल :बबूल की कोमल पत्तियां उखाड़कर लायें और उन्हें सिल पर पानी के साथ पीसें, साथ ही उसमें 4-5 कालीमिर्च भी डाल दें और छानकर पीयें। इससे भी मधुमेह में लाभ होता है। इसे सुबह-शाम प्रयोग में लायें।
बबूल के गोंद का चूर्ण 3 ग्राम पानी के साथ या गाय के दूध के साथ दिन में 3 बार रोजाना सेवन करने से मधुमेह रोग में लाभ पहुंचता है।
5. जामुन :जामुन की सूखी गुठलियों को 5-6 ग्राम की मात्रा में ताजे पानी के साथ दिन में दो या तीन बार सेवन करने से मधुमेह रोग में लाभ होता है।
15 दिन तक लगातार जामुन खाना चाहिए या जामुन की छाल या सूखी हुई जामुन का चूर्ण 20 ग्राम रोज खायें।
30 ग्राम जामुन की नई कोपलें (पत्तियां) और 5 कालीमिर्च, पानी के साथ पीसकर सुबह-शाम पीने से मधुमेह में लाभ होता है।
जामुन की गुठलियों को छाया में सुखाकर, कूट-पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को रोजाना सुबह-शाम 3-3 ग्राम की मात्रा में पानी के साथ सेवन करने से मधुमेह में लाभ होता है।
जामुन की गुठली का चूर्ण और सूखे करेले का चूर्ण बराबर मात्रा में मिलाकर रख लें। 3 ग्राम चूर्ण रोजाना सुबह-शाम पानी के साथ सेवन करने से मधुमेह के रोग में फायदा होता है।
जामुन की भीतरी छाल को जलाकर भस्म (राख) बनाकर रख लें। रोजाना 2 ग्राम पानी के साथ सेवन करने से मूत्र में शर्करा कम होता है।
12 ग्राम जामुन की गुठली और 1 ग्राम अफीम को पानी के साथ मिलाकर 32 गोलियां बना लें और इसे छाया में सुखाकर बोतल में भर लें। 2-2 गोली सुबह-शाम पानी के साथ खायें। खाने में जौ की रोटी और हरी सब्जी खाएं। चीनी एकदम न खायें। इससे मधुमेह में लाभ होता है।
60 ग्राम जामुन की गुठली की गिरी पीस लें। 3-3 ग्राम पानी से सुबह-शाम सेवन करने से मधुमेह रोग से लाभ होता है।
8-10 जामुन के फलों को 1 कप पानी में उबालें। फिर पानी को ठंड़ा करके उसमें जामुन को मथ लें। इस पानी को सुबह-शाम पीयें। यह मूत्र में शूगर को कम करता है।
1 चम्मच जामुन का रस और 1 चम्मच पके आमों का रस मिलाकर रोजाना सेवन करने से मधुमेह में लाभ होता है।
जामुन के 4-5 पत्तों को सुबह के समय थोडे़-से सेंधानमक के साथ चबाकर खाने से कुछ दिनों में ही मधुमेह का रोग मिट जाता है।
जामुन के 4 हरे और नर्म पत्ते खूब बारीककर 60 मिलीलीटर पानी में रगड़कर छान लें। सुबह 10 दिन तक लगातार पीयें। इसके बाद इसे हर दो महीने बाद 10 दिन तक लें। जामुन के पत्तों का यह रस मूत्र में शक्कर जाने की परेशानी से बचाता है।
मधुमेह रोग के शुरुआत में ही जामुन के 4-4 पत्ते सुबह-शाम चबाकर खाने से तीसरे ही दिन मधुमेह में लाभ होगा।
60 ग्राम अच्छे पके जामुन को लेकर 300 मिलीलीटर उबले पानी में डाल दें। आधा घंटे बाद मसलकर छान लें। इसके तीन भाग करके एक-एक मात्रा दिन में तीन बार पीने से मधुमेह के रोगी के मूत्र में शर्करा आना बहुत कम हो जाता है, नियमानुसार जामुन के फलों के मौसम में कुछ समय तक सेवन करने से रोगी सही हो जाता है।
जामुन की गुठली को छाया में सुखाकर चूर्ण बनाकर रोजाना सुबह-शाम 3 ग्राम ताजे पानी के साथ लेते रहने से मधुमेह दूर होता है और मूत्र घटता है। इसे करीब 21 दिन तक लें, इससे लाभ होगा।
आधा चम्मच जामुन की गुठली का चूर्ण शाम को पानी के साथ लेने से पेशाब में शर्करा आना कम हो जाता है।
जामुन की गुठली और करेले को सुखाकर समान मात्रा में मिलाकर पीस लें। इसे एक चम्मच सुबह-शाम पानी के साथ फंकी लें। इससे मधुमेह मिट जायेगा।
जामुन का सेवन रोजाना करें और गुठलियों का चूर्ण बनाकर रखें। उसे 5 ग्राम की मात्रा में रोज सेवन करें, इससे शर्करा ठीक हो जाता है।
125 ग्राम जामुन रोजाना खाने से शूगर नियंत्रित हो जाता है।
6. गूलर :
गूलर के पत्तों को पानी के साथ पीसकर उसे शर्बत के सामान पीने से मधुमेह रोग में लाभ होता है।
गूलर का पका फल उसके पेड़ से तोड़कर, ताजा खाने, ऊपर से ताजे पानी पी लेना चाहिए। इसके सेवन से मधुमेह रोग से आराम मिलता है।
1 चम्मच गूलर के फलों के चूर्ण को एक कप पानी के साथ दोनों समय भोजन के बाद नियमित रूप से सेवन करने से पेशाब में चीनी आना बन्द हो जाती है और रक्त की शर्करा (खून में मीठापन) भी नियंत्रित होता है। साथ ही गूलर के कच्चे फलों की सब्जी नियमित रूप से खाते रहना अधिक गुणकारी होता है। बीच-बीच में रोगी को चीनी का टेस्ट अवश्य करायें। मधुमेह (शूगर) नियंत्रण में आने पर इसे खाना बन्द कर दें।
7. बेल :
बेल के 10-11 ताजे पत्ते पानी के साथ पीसकर पीने से कब्जयुक्त मधुमेह से आराम मिलता है।
बेल के पत्तों को कूट-पीसकर उसको किसी कपड़े में बांधकर रस निकालें, 10 मिलीलीटर रस रोजाना पीने से मधुमेह रोग में शर्करा आना कम हो जाता है।
ताजे बेल के 5 पत्ते और 10 कालीमिर्च लेकर इन दोनों को कूट-पीस छान लें, इसे शर्बत की तरह रोजाना सुबह पीने से मधुमेह मिट जाता है।
बेल की जड़ को सुखाकर कूट-पीसकर चूर्ण बना लें। 1 चम्मच चूर्ण में बेल की पत्तियों का आधा चम्मच रस मिलाकर सेवन करने से मधुमेह रोग से राहत मिलती है।
100 मिलीलीटर बेल के पत्ते का रस शहद के साथ सेवन करने से मधुमेह रोग मिट जाता है।
50-50 ग्राम की मात्रा में बेल की सूखी पत्तियां, घीग्वार, गुड़मार, जामुन की गुठली, करेले की पत्तियां सबको कूट-पीसकर चूर्ण बना लें। इसमें से 10 ग्राम चूर्ण रोजाना पानी के साथ सेवन करें। इससे मधुमेह रोग मिट जाता है।
बेल की गिरी का चूर्ण, छोटी पिप्पली, वंशलोचन व मिश्री 2-2 ग्राम को इकठ्ठा कर इसमें 10 मिलीलीटर तक अदरक का रस मिलाकर तथा थोड़े पानी में मिलाकर धीमी आग पर पकायें। गाढ़ा हो जाने पर दिन में चार बार चाटें। इससे मधुमेह का रोग मिट जाता है।
बेल के पत्ते, हल्दी, गिलोय, हरड़, बहेड़ा और आंवला, 6-6 ग्राम, सभी को 250 मिलीलीटर पानी में रात को कांच व मिट्टी के बर्तन में भिगो दें। सुबह खूब मसलकर, छानकर आधी मात्रा में सुबह-शाम दो महीने तक सेवन करने से लाभ मिलता है।
बेल के दस पत्ते, नीम के दस पत्ते तथा तुलसी के 5 पत्तों को पीसकर गोली बनाकर सुबह रोजाना पानी के साथ सेवन करें, इससे मधुमेह में आराम मिलेगा।
8. अमरूद : पके अमरूद को आग में डालकर उसे निकाल लें और उसका भुर्ता बना लें, उसमें आवश्कतानुसार नमक, कालीमिर्च, जीरा मिलाकर सेवन करें। इससे मधुमेह रोग में लाभ होता है।
9. त्रिफला : त्रिफला का काढ़ा और रस लेने से मधुमेह के रोग में फायदा होता है।
10. छोटी दूधी : छोटी दूधी का पंचांग छाया में सुखाकर, इसका चूर्ण बना लें, 3-3 ग्राम की मात्रा में यह चूर्ण गाय के दूध के साथ सुबह-शाम सेवन करने से मधुमेह में लाभ होता है।
11. अर्जुन : अर्जुन के पेड़ की छाल, कदम्ब की छाल और जामुन की छाल तथा अजवायन बराबर मात्रा में लेकर जौकूट करें। इसमें से 24 ग्राम जौकुट लेकर, आधा लीटर पानी के साथ आग पर रखकर गर्म कर लें। थोड़ा शेष रह जाने पर इसे उतारें और ठंड़ा होने पर छानकर पीयें। सुबह-शाम 3-4 सप्ताह तक इसके लगातार प्रयोग से मधुमेह में लाभ होगा।
12. कड़वा कूट : कड़वे कूट में केसर मिलाकर, मधुमेह रोगी के शरीर में मालिश करने से उसके शरीर से दुर्गन्ध कम आती है।
13. कायफल : कायफल के चूर्ण का लेप मधुमेह रोगी के शरीर में मालिश करने से पसीना कम आता है।
14. कुचला : थोड़ी सी मात्रा में शुद्ध कुचला के सेवन से मधुमेह रोगी के अंगों में शून्यता, असहाय होना आदि रोगों में लाभ होता है लेकिन कुचला का अधिक सेवन हानि भी कर सकता है।
15. बादाम : बादाम, कालीमिर्च की ठंड़ाई और शहद एक साथ मिलाकर शीतल पेय बनाकर देने से मधुमेह रोगी को ठंड़ का एहसास होता है।
नोट : यह प्रयोग रोगी को ठंड अधिक पसन्द हो तो करना चाहिए।
16. सौंफ : सौंफ, छोटी इलायची, फल-रस और ताजा निकाला हुआ दूध मधुमेह रोगी को देने से उसके तालु सूखने की शिकायत, गला सूखना आदि दूर हो जाता है।
17. सदाबहार :सदाबहार की तीन-चार कोमल पत्तियां चबाकर रस चूसने से मधुमेह रोग से राहत मिलती है।
1 कप तेज गर्म पानी में से आधा कप पानी अलग लेकर इसमें गुलाबी रंग के सदाबहार के तीन फूल पांच मिनट पड़े रहने दें। 5 मिनट बाद फूल निकालकर फेंक दें, और पानी रोजाना 3 बार पीयें। आधा कप अलग रखा गर्म पानी इसके बाद पीयें। इससे मधुमेह में बढ़ी हुई ब्लड-शुगर सामान्य हो जायेगी। कुछ दिन बाद पुन: इसी प्रकार से सदाबहार के गुलाबी फूलों का पानी पीयें। इससे मधुमेह में लाभ होगा।
4 सदाबाहार पौधे के पत्तों को पानी से अच्छी तरह धोकर साफ करके सुबह बिना कुछ खाये उसे चबाने से और ऊपर से 2 घूंट पानी पीने से मधुमेह मिटता है। इस प्रयोग को 90 दिनों तक करना चाहिए।
18. आंवला :10 मिलीलीटर आंवले का रस, 1 ग्राम हल्दी और 3 ग्राम शहद मिलाकर सेवन करने से मधुमेह में लाभ होता है।
5 मिलीलीटर ताजे आंवले के रस में थोड़ा शहद मिलाकर रोजाना सुबह के समय सेवन करने से मधुमेह रोगी को फायदा होता है।
100 ग्राम सूखा आंवला और 100 ग्राम सौंफ को बारीक पीस लें। इसे 6-6 ग्राम सुबह-शाम खाने से 3-4 महीने में मधुमेह रोग मिट जाता है।
2 चम्मच ताजे आंवले का रस शहद के साथ दिन में 2 बार सेवन से मधुमेह में लाभ होता है।
थोड़ा सूखा आंवला लेकर उसमें 100 ग्राम जामुन की गुठलियों को सुखाकर पीस लें। इस चूर्ण में से 1 चम्मच चूर्ण रोजाना बिना कुछ खायें पानी के साथ सेवन करने से मधुमेह में लाभ होता है।
ताजे आंवले के 4 चम्मच रस में एक चम्मच शहद मिलाकर पीने से मधुमेह ठीक हो जाता है।
आंवले के फूलों को छाया में सुखाकर, कूट-पीसकर चूर्ण बनाकर रखें। 1-1 ग्राम चूर्ण सुबह-शाम पानी के साथ सेवन करने से मधुमेह में लाभ होता है।
19. करेला :
5 मिलीलीटर करेले का रस रोजाना पीने से मधुमेह रोग में लाभ होता है।
50 ग्राम करेले को 100 मिलीलीटर पानी में उबालकर पीने से मधुमेह में लाभ होता है।
मधुमेह के रोगी को 15 मिलीलीटर करेले का रस 100 मिलीलीटर पानी में मिलाकर रोज 4 बार लगभग 1 माह तक पिलाये। खाने में भी करेले की सब्जी लेनी चाहिए।
10 मिलीलीटर करेले के रस में शहद मिलाकर रोजाना सेवन करने से शर्करा पर नियंत्रण होता है।
करेले की सब्जी बनाकर खाने से भी मधुमेह रोग में लाभ होता है।
20-25 मिलीलीटर तक ताजे करेले के रस को निकालकर उसमें थोड़ा-सा नमक मिलाकर नाश्ते के बाद पीने से 2 महीने में मधुमेह रोग मिट जाता है।
करेले को कुचलकर इसका 3-3 चम्मच रस सुबह-शाम लेने से मधुमेह में लाभ होता है।
10 मिलीलीटर करेले का रस और 6 मिलीलीटर तुलसी के पत्तों का रस एक साथ मिलाकर रोजाना सुबह पीने से मधुमेह में लाभ होता है।
छाया में सुखाए हुए करेलों का चूर्ण 6 ग्राम, दिन में 1 बार लेने से मूत्र में शर्करा आना बन्द हो जाता है।
250 ग्राम करेला, 500 मिलीलीटर पानी में उबालें। चौथाई पानी रहने पर छानकर पीयें। इससे मधुमेह में लाभ होगा।
मधुमेह रोगी बच्चे को रोजाना करेले की सब्जी खिलाने से बहुत लाभ होता है। करेले के 5 मिलीलीटर रस में थोड़ा-थोड़ा शहद मिलाकर सेवन कराने से भी लाभ होता है।
करेले को सुखाकर महीन चूर्ण बना लें और इसे 4-6 ग्राम की मात्रा में पानी के साथ दिन में 2 बार सेवन करें। इससे मधुमेह में लाभ होगा।
20. चना :
चने और जौ के आटे की रोटी खाने से मधुमेह रोगी को फायदा मिलता है।
7 दिनों तक केवल चने की रोटी खायें। गूलर के पत्तों को उबालकर उसी पानी से नहायें। थोड़ा-थोड़ा पानी पीयें। इससे पेशाब में शक्कर (चीनी) आना बन्द हो जायेगा और मधुमेह में लाभ होगा।
रात को 30 ग्राम काले चने दूध में भिगो दें, और सुबह खायें। चने और जौ को बराबर मिलाकर इसके आटे की रोटी सुबह-शाम खायें। केवल चने (बेसन) की रोटी ही 10 दिन तक खाते रहने से पेशाब में शक्कर जाना बन्द हो जाता है।
केवल बेसन (चने का) की रोटी ही दस दिन तक लगातार खाते रहने से पेशाब में शक्कर का जाना बन्द हो जाता है।
21. तिल : 10-20 ग्राम काले तिल में बराबर मात्रा में गुड़ मिलाकर रोजाना सेवन करने से मधुमेह में फायदा होता है।
22. पपीता :20 ग्राम पपीता, 5 ग्राम कत्था, 1 कटी कुचली हुई सुपारी, तीनों का काढा़ बनाकर रोजाना खाने के साथ सेवन करने से मधुमेह में लाभ होता है।
पपीता, कत्था, खैर और सुपारी का काढ़ा बनाकर पीने से मधुमेह मिट जाता है।
23. बिनौले :
50 ग्राम बिनौलों को रात को 250 मिलीलीटर पानी में भिगो दें। सुबह बिनौलों को मसलकर छान लें और पानी को कढ़ाही में डालकर आग पर रख दें। इसमें 3 ग्राम मिश्री मिला दें। जब शहद जैसी चाशनी हो जाये तो उतारकर ठंड़ा कर लें। 21 दिनों तक इसका सेवन करने से मधुमेह मिट जाता है।
2 ग्राम बिनौले की गिरी को 150 मिलीलीटर पानी के साथ उबाल लें। एक तिहाई रहने पर इसे छानकर सुबह-शाम लें। इससे मधुमेह में फायदा होगा।
24. गिलोय :
40 मिलीलीटर हरी गिलोय का रस, 6 मिलीलीटर पाषाण भेद का रस और 6 ग्राम शहद को मिलाकर 1 महीने तक पीने से मधुमेह रोग मिट जाता है।
20-50 मिलीलीटर गिलोय का रस सुबह-शाम बराबर मात्रा में पानी के साथ मधुमेह रोगी को सेवन करायें, या जब-जब प्यास लगे तो देने से मधुमेह में अच्छा लाभ होता है।
15 मिलीलीटर गिलोय का सत्व और 5 ग्राम घी को मिलाकर दिन में 3 बार रोगी को देने से मधुमेह (शूगर) का रोग दूर हो जाता है।
25. छुहारा : गुठली निकालकर छुहारे के टुकड़े दिन में 8-10 बार चूसें। कम से कम 6 महीने तक इसका सेवन करने से मधुमेह में लाभ होता है।
26. कैथ :
300 ग्राम कैथ के बीजों की गिरी कूट-छानकर 5-5 ग्राम सुबह-शाम पानी के साथ 30 दिनों तक लगातार लेने से मधुमेह रोग से आराम मिलता है।
कैथ का गूदा छाया में सुखाकर बारीक महीन पीसकर उसे 3-5 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम लेने से मधुमेह में लाभ होता है।
27. आम :
आम के पत्तों को छाया में सुखाकर कूट-छान लें। इसे 5-5 ग्राम सुबह-शाम पानी से 20-25 दिनों लगातार सेवन करने से मधुमेह रोग में लाभ होता है।
आम के 8-10 नये पत्तों को चबाकर खाने से मधुमेह पर नियंत्रण होता है।
आम और जामुन का रस बराबर मात्रा में मिलाकर कुछ दिनों तक पीने से मधुमेह रोग सही हो जाता है।
आम के छाया में सुखायें हुए पत्तों को 500 मिलीलीटर पानी में औटावे, चौथाई पानी शेष रहने पर सुबह-शाम पिलाने से कुछ ही दिनों में मधुमेह दूर हो जाता है।
आम के कोमल पत्तों का छाया में सुखाया हुआ चूर्ण 25 ग्राम की मात्रा में सेवन करना मधुमेह में उपयोगी है।
28. ककोड़ा : 100 ग्राम ककोड़ा को कूट-छानकर 3-3 ग्राम, सुबह-शाम पानी के साथ लेने से मधुमेह रोग में फायदा होता है।
29. पलास क्षार : 5-5 ग्राम पलास क्षार, मूली क्षार और कदली क्षार मिलाकर एक साथ पीस लें। इसे सुबह-शाम 1-1 ग्राम शहद के साथ प्रयोग में लाने से मधुमेह रोग में लाभ होता है।
30. खिरेंटी : खिरेंटी, गूलर, बबूल और आंवले के पत्ते इन सबको बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें। इसे 6 ग्राम की मात्रा में रोजाना सुबह गर्म दूध के साथ सेवन करें। 21 दिनों तक केवल जौ की रोटी और मूंग की दाल का सेवन करें। इससे मधुमेह मिट जाता है।
31. रसौत : 50-50 ग्राम रसौत, बच, 6-6 ग्राम नीम की छाल, बड़ी हरड़, बहेडे़ की मींगी, भांग के बीज, अजवायन और कनेर के फूल, 3 ग्राम शुद्ध अफीम और 30 ग्राम मिश्री, इन सबको एक साथ कूट-पीस करके 1-1 ग्राम की गोलियां बनाकर रख लें। 1-1 गोलियों को रोजाना सुबह-शाम पानी और गाय के दूध के साथ सेवन करें। इससे पुराने से पुराना ´बहुमूत्र´ (शर्करा-रहित मधुमेह) रोग मिट जाता है।
32. केला :कच्चे केले के टुकडे़ करके उसे सुखा लें। फिर उसका चूर्ण बनाकर बोतल में भर लें। इसका 1 चम्मच चूर्ण, फीके गाय के दूध के साथ सेवन करें। इससे मधुमेह में लाभ होता है।
मधुमेह के रोगी जिन्हें बार-बार पेशाब लगता है। उन्हें केला खाने से लाभ मिलता है।
33. लता करंज : मधुमेह और ज्यादा पेशाब आने की बीमारी में लताकरंज के फूलों का घोल बनाकर लेने से रोग ठीक होता है।
34. हल्दी :1 चम्मच पिसी हुई हल्दी को फांककर पानी पीने से मधुमेह में बार-बार पेशाब आना बन्द होता है।
8 ग्राम पिसी हल्दी रोजाना दो बार पानी के साथ फंकी लें। इससे बार-बार और अधिक मात्रा में पेशाब का आना, ज्यादा प्यास लगना आदि मधुमेह के रोगों से आराम मिलता है।
50 ग्राम हल्दी को बारीक पीसकर 2.5 लीटर गाय के दूध में भिगो दें, और हल्की आंच पर गर्म करें। 5-6 उबाल आने के बाद उतार लें। ठंड़ा होने पर इसकी दही जमा लें। इस दही को मिलाकर (मथकर) मक्खन निकालें और घी बना लें। इस घी को 3 से 6 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम सेवन करते रहने से मधुमेह में नियंत्रण होता है।
अगर बार-बार ज्यादा से ज्यादा पेशाब आये और प्यास भी लगे तो 8 ग्राम पिसी हुई हल्दी रोज दिन में 2 बार पानी के साथ सेवन करें या आधा चम्मच पिसी हल्दी शहद में मिलाकर खायें।
हल्दी की गांठ को पीसकर और घी में सेंककर शक्कर मिलाकर नियमित खायें। इससे मधुमेह (शुगर) और प्रमेह में फायदा मिलता है।
35. जीरा : 10 ग्राम काला जीरा, 10 ग्राम मिर्च तथा तुलसी के 10-12 पत्ते लेकर इन्हें पीसकर चूर्ण बना लें। इसमें थोड़ी-सी कालीमिर्च डालकर चने के बराबर की गोलियां बना लें। इसकी 2-2 गोलियों को रोजाना पानी के साथ सुबह के समय सेवन करने से मधुमेह रोग में लाभ होता है।
36. अमलतास : अमलतास के थोड़े से गूदे को लेकर गर्म करें। फिर मटर के दाने के बराबर उसकी गोलियां बना लें। इसकी 2-2 गोली सुबह-शाम पानी के साथ सेवन करने से मधुमेह में आराम मिलता है।
37. गुड़मार :गुड़मार के पत्तों को सुखाकर इसका चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को 2-2 ग्राम फीके दूध के साथ सुबह-शाम सेवन करें। इससे मधुमेह रोग से राहत मिलती है।
20 ग्राम गुड़मार का चूरा, 10 ग्राम जामुन की गुठली, 10 ग्राम सोंठ, तीनों का बारीक चूर्ण बना लें। इसमें आधा कप ग्वारपाठा का रस मिलाकर चने के समान की गोलियां बना लें। दिन में 3 बार 1-1 गोली शहद के साथ सेवन करें। इससे 20 दिनों में ही मधुमेह की बीमारी मिट जायेगी।
100 ग्राम गुड़मार के सूखे पत्ते, 50 ग्राम जामुन की गुठली, 50 ग्राम सोंठ सबको कूटकर कपडे़ से छानकर चूर्ण बना लें। इसकी गोलियां बनाने के लिए इस चूर्ण को बार-बार घीग्वार (ग्वारपाठा) के रस में घोंट लें, तथा लगभग आधा ग्राम की गोली बना लें। रोजाना 3-3 गोली शाम को नियमित रूप से 2 महीने तक देना चाहिए। इससे मधुमेह के रोग में लाभ होता है।
38. तेजपात : तेजपात के पत्तों का चूर्ण 1-1 चुटकी सुबह, दोपहर तथा शाम को ताजे पानी के साथ सेवन करने से मधुमेह रोग में लाभ होता है।
39. विजयसार : विजयसार का चूर्ण 3 ग्राम की मात्रा में सेवन करने से मधुमेह का रोग कुछ दिनों में ही मिट जाता है।
40. गुलमोहर : गुलमोहर की एक कली टुकडे़ करके पानी में भिगो दें। थोड़ी देर बाद उस पानी में से 1-1 कप पानी सुबह-शाम पीयें। इससे मधुमेह में लाभ होगा।
41. कैर :10-10 ग्राम केर अनाज का छिलका, बायबिडंग, असगंध नागौरी सबको कूटकर रख लें। इसमें से 1 चम्मच चूर्ण का काढ़ा बनाकर सुबह-शाम सेवन कराने से मधुमेह में लाभ होता है।
कैर का अचार बनता है। सूखे कैर पीसकर एक चम्मच सुबह-शाम भूखे पेट लेने से लाभ होता है।
42. हरड़ : त्रिफला (हरड़, बहेड़ा, आंवला) जामुन की गुठली, करेले के बीज, मेथी के दाने सभी 50-50 ग्राम की मात्रा में लेकर 100 ग्राम गुड़मार में कूट-पीसकर मिला लें और सुबह नाश्ते के बाद 2 चम्मच पानी के साथ सेवन करें। इससे मधुमेह से आराम मिलता है।
43. लहसुन : 2 लहसुन की पुतियों का रस निकालकर बेल के पत्ते के रस के साथ सुबह सेवन करने से मधुमेह में लाभ होता है।
44. जौ :जौ का आटा 50 ग्राम (पांच भाग), चने का आटा 10 ग्राम (एक भाग) मिलाकर रोटी बनाकर सब्जियों के साथ खायें। यदि केवल चने की रोटी ही 8-10 दिन खायें, तो पेशाब में शक्कर जाना बन्द हो जाता है।
मधुमेह के रोगियों के लिए व मोटापा कम करने के लिए जौ की रोटी बेहद उपयोगी है। जौ की रोटी को खाने से मधुमेह रोग नियंत्रण में रहता है।
45. नींबू :पानी में नींबू निचोड़कर पिलाने से मधुमेह रोगी को प्यास अधिक लगने की परेशानी से आराम मिलता है। इसे रोजाना तीन बार रोगी को पिलायें। इससे लाभ होता है।
46. नारंगी : नारंगी के छिलके को छाया में सुखाकर कूट लें। इन्हें 4 चम्मच, 1 गिलास पानी में उबालकर छान लें और रोजाना पीयें। इससे मधुमेह रोग से आराम मिलता है।
47. टमाटर :टमाटर के सेवन से मधुमेह रोगी के मूत्र में शक्कर आना धीरे-धीरे कम हो जाता है।
मधुमेह की बीमारी में टमाटर का सेवन करना बहुत ही गुणकारी है। टमाटर की खटाई शरीर में शर्करा की मात्रा घटाती है। इसके सेवन से मूत्र में शक्कर जाना धीरे-धीरे कम हो जाता है। मधुमेह में टमाटर बहुत उपयोगी होता है।
48. भिन्डी : भिन्डी की डंड़ी काट लें। इसकी डंड़ी को छाया में सुखाकर, पीसकर मैदा की चलनी से छान लें। इनमें बराबर मात्रा में मिश्री मिलाकर आधा चम्मच सुबह भूखे पेट ठंड़े पानी से रोजाना फांके। इससे मधुमेह मिट जाता है।
49. शलगम : मधुमेह के रोगी को शलगम की सब्जी रोजाना खिलाने से आराम मिलता है।
50. गेहूं : गेहूं के छोटे-छोटे पौधों को पीसकर उनके रस को पीने से मधुमेह रोग में लाभ होता है।
51. शहद : मीठा खाने की तीव्र इच्छा होने पर शक्कर के स्थान पर बहुत थोड़ी-सी मात्रा में मधुमेह रोगी को शहद देने से उसके मूत्र में शक्कर आना और गुर्दे (वृक्क) के पुराने रोगों से बच सकते हैं। शहद मीठा खाने की ज्यादा इच्छा पर ही इसे लें।
52. खजूर : मधुमेह और ऐसे रोग जिसमें मीठा खाना हानिकारक है और रोगी को मीठा खाने की इच्छा होती है। इसके लिए वह थोड़ी मात्रा में खजूर का सेवन कर सकता है।
53. चकोतरा : मधुमेह रोगियों के लिए चकोतरा बहुत उपयोगी होता है। प्राकृतिक चिकित्सा विशेषज्ञों का मत है कि इससे शरीर में मधुमेह पर नियंत्रण रखने में मदद मिलती है, क्योंकि इसके प्रयोग से शरीर में स्टार्च की मिठास और वसा में कमी आती है। यह भूख को बढ़ाता है।
54. चालमोंगरा : चालमोंगरा के फल की गिरी का चूर्ण एक चम्मच की मात्रा में दिन में तीन बार खाने से पेशाब में शक्कर जाना कम हो जाता है जब मूत्र में शक्कर जाना बन्द हो जाए तो इसके चूर्ण का प्रयोग बन्द कर दें।
55. दालचीनी : थकान, आंखों की रोशनी कम होना, हृदय, किडनी खराब होना आदि के खतरों से बचाव होता है। सेवन विधि : एक कप पानी में दालचीनी पाउडर उबालकर, छानकर प्रात: पियें। इसे कॉफी, खाद्य पदार्थों में भी मिलाकर पी सकते हैं। इसे सेवन करने के हर दसवें दिन मधुमेह की जांच करवाकर इसके लाभ को देखें।
सावधानी : दालचीनी बताई गई अल्प मात्रा में लें, इसे अधिक मात्रा में लेने से हानि हो सकती है।
56. मशरूम : मधुमेह रोग से पीड़ित स्त्री-पुरुषों को मशरूम के सेवन से अधिक लाभ होता है। मशरूम शारीरिक शक्ति को विकसित करता है।
57. दूधी : गुड़मार बूटी, छोटी दूधी, पारासी कयवानी, जामुन की गुठली ये चारों बूटी लेकर समभाग पानी (बराबर मात्रा) में पीसकर झाड़ी के बेर के बराबर की गोलियां बना लेते हैं। यह 2-2 गोली सुबह-शाम ताजे पानी से सेवन करना चाहिए। मीठी, तली, भुनी तथा अम्ल (खट्टी वस्तुओं) का परहेज करना चाहिए।
58. तगर : सिर और मज्जा तंतुओं की खराबी से पैदा हुए मधुमेह और बहुमूत्र में तगर को लगभग चौथाई ग्राम से एक ग्राम तक ताजे फल से दिन में दो या तीन बार लेने से लाभ होता है। यह सिर रोग उन्माद, अपस्मार (मिर्गी) विष के विकारों में भी लाभ होता है।
59. संतरा : मधुमेह में रोगी को नारंगी कम मात्रा में दे सकते हैं।
60. सोयाबीन : सोयाबीन मोटे भारी-भरकम शरीर वालों के तथा मधुमेह (डायबिटीज) वाले लोगों के लिए उत्तम पथ्य है।
61. पवांड़ (चक्रमर्द): 10 ग्राम से लेकर 40 ग्राम तक पवांड़ (चक्रमर्द) की जड़ों को पानी में पकाकर चौथाई भाग रहने पर बचे हुए काढ़े का सेवन करने से मधुमेह (डायबटीज) के रोग में लाभ होता है।
62. अनन्नास : अनन्नास मधुमेह में बहुत लाभकारी है। अनन्नास के 100 मिलीलीटर रस में, तेल, हरड़, बहेड़ा, आंवला, गोखरू और जामुन के बीज 10-10 ग्राम मिला दें। सूखने पर पाउडर बनाकर रखें। इस चूर्ण का सुबह-शाम तीन ग्राम की मात्रा में सेवन, बहुमूत्र रोग तथा मधुमेह में अत्यन्त गुणकारी है भोजन में दूध व चावल, परहेज-लाल मिर्च, खटाई और नमक।
63. सफेद पेठा : पेठे का सेवन अग्नाशय को ठीक करके मधुमेह (डायबिटीज) के रोग में लाभ करता है।
64. ग्वारपाठा : मधुमेह (शूगर) के रोग में घीग्वार का 5 ग्राम गूदा आधा ग्राम गूडूची सत्व के साथ देने से लाभ मिलता है।
65. कुन्दरू : कड़वे कुन्दरू के पत्तों का 4 ग्राम चूर्ण मधुमेह में देने से लाभ होता है। मधुमेह में कुन्दरू का शाक लाभदायक है।
66. छुई-मुई : मधुमेह की बीमारी होने पर छुई-मुई की जड़ का काढ़ा 100 मिलीलीटर बनाकर रोजाना सुबह-शाम देने से मधुमेह का रोग ठीक होता है।
67. मूली :आधी मूली का रस दोपहर के समय मधुमेह रोगी को देने से उसके लिए यह बहुत अच्छा साबित हुआ है।
2 मूली खाने से या इसका रस पीने से मधुमेह में फायदा होता है।
1 कप गाजर का रस, आधा कप पालक का रस और आधा चम्मच जीरे के चूर्ण में दो चुटकी नमक डालकर 20 दिनों तक रोजाना सेवन करने से मधुमेह में लाभ होता है।
नोट : इसे उच्चरक्तचाप के व्यक्ति न लें।300 मिलीलीटर गाजर का रस, 200 मिलीलीटर पालक का रस एक साथ मिलाकर, उसमें नमक, जीरा, डालकर पीने से मधुमेह रोग में लाभ होता है।
300 मिलीलीटर गाजर का रस और 150 मिलीलीटर पालक का रस मिलाकर पीने से मधुमेह (शूगर) का रोग ठीक हो जाता है।
68. मेथी :5 ग्राम मेथी के दाने एक कप में पानी भरकर, उसमें डालकर रखें। सुबह उसी पानी में मेथी को पीसकर सेवन करने से खून में शर्करा का मिलना बन्द हो जाता है।
5 ग्राम मेथी का चूर्ण खाना-खाने के आधा घंटे पहले सेवन करने से मधुमेह में लाभ होता है।
10-10 ग्राम मेथी के दाने, सूखा करेला दोनों को अच्छी तरह पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को सुबह के समय 1-2 चम्मच तक ताजे पानी के बिना कुछ खाये, इसका सेवन करने से मधुमेह में लाभ होता है।
2 चम्मच मेथी दाना में 1 चम्मच सौंफ मिलाकर कांच के गिलास में 200 मिलीलीटर पानी में रात को भिगो दें। सुबह कपडे़ से छानकर पी लें। जिन रोगियों को मेथी गर्मी करती हो ऐसे गर्म प्रकृति वाले मधुमेह तथा अल्सरेटिव कोलाइटिस के रोगियों के लिए यह सौंफ के साथ मैथी वाला प्रयोग बहुत ही अच्छा रहता है। इससे मधुमेह में लाभ होगा।
दाना मेथी के बीजों के सेवन से मधुमेह सही हो जाता है। मेथी के बीजों से खून में चीनी की मात्रा कम हो जाती है।
रात को 1 चम्मच मेथी और आंवला पीसकर, 1 ग्राम चूर्ण के सेवन करने से मधुमेह में फायदा होता है।
दाना मेथी 60 ग्राम बारीक पीसकर एक गिलास पानी में भिगो दें। इसे 12 घण्टे के बाद छानकर पानी पीएं। इस प्रकार सुबह और शाम को प्रतिदिन 2 बार नियमित 6 सप्ताह तक सेवन करने से मधुमेह ठीक हो जाता है। इसके साथ मेथी के हरे पत्तों की सब्जी भी खाएं मधुमेह के रोग में काफी लाभ मिलेगा। मेथी को आटे में मिलाकर रोटी बनाकर सेवन करने से भी लाभ मिलता है।
25 ग्राम मेथी के बीजों को शाम के समय पानी में भिगोकर रख दें। सुबह उस पानी को छानकर, बीजों को निकालकर, पीसकर, उसी पानी में घोलकर, उसमें आधा नींबू निचोड़कर पीयें। नींबू लेने से मधुमेह के रोगियों को किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं होगा बल्कि उनको इससे लगातार विटामिन ही मिलेंगे।
20 ग्राम मीठा दही तथा 100 ग्राम लाल टमाटर को मिक्सी में पीसकर रस छान लें। इसमें 2 चम्मच पिसी दाना मेथी मिलाकर रोजाना एक बार पीने से मधुमेह में लाभ होता है।
50 ग्राम दाना मेथी बारीक पीसकर एक गिलास पानी में भिगो दें। इसे बारह घण्टे बाद छानकर पानी पीयें। इस प्रकार सुबह-शाम रोजाना छ: सप्ताह पिलाने से मधुमेह ठीक हो जाता है। साबुत दाना मेथी भी रात को भिगोकर सुबह भूखे पेट उसी पानी के साथ ले सकते हैं। इसके साथ मेथी के हरे पत्तों की सब्जी भी खाने से लाभ मिलता है। इससे रक्त-शर्करा घट जाती है।
मेथी को मोटा (दरदरा) कूट लें। इस मेथी चूर्ण को 20 ग्राम की मात्रा में रात को एक गिलास पानी में भिगो दें। सुबह इस पानी को छानकर (निथार) खाली पेट ही पियें, यह मधुमेह के रोगियों के लिए अमृत के समान हितकारी है। यदि इसमें विजयसार की लकड़ियां या इसका बुरादा भी 3 ग्राम की मात्रा में भिगो दें तो यह और भी अधिक लाभदायक हो जाता है।
3 चम्मच दाना मेथी 1 गिलास पानी में रात को भिगोकर सुबह पानी छानकर पियें और इसे अंकुरित करके खाने से भी लाभ होता है।
भुनी हुई दाना मेथी 100 ग्राम और जामुन की गुठली 100 ग्राम लेकर दोनों को पीसकर मिला लें। इस बने मिश्रण की 2 चम्मच मात्रा को, करेले का रस और समान मात्रा में पानी को मिलाकर सुबह-शाम रोजाना लेने से लाभ मिलता है।
मेथी, हल्दी, आंवला समान मात्रा में कूट-पीसकर मिला लें। रोजाना एक चम्मच इस मिश्रण की पानी से फंकी लगातार 2 महीने लेते रहने पर मधुमेह में आराम मिलता है।
मेथी दाना को पीसकर पाउडर बनाकर रख लें इस पाउडर में से सुबह-शाम भोजन करने से 20 मिनट पहले इसकी 2 चम्मच की खुराक रोगी को पानी के साथ 20 दिनों तक देने से मूत्र और रक्त में शक्कर कम हो जाती है। इस नुस्खे के इस्तेमाल से मधुमेह, बहुमूत्रमेह तथा हृदय रोग भी दूर होते हैं।
सामग्री : आधा किलो हरी मेथी, आधा किलो पालक, मूली 250 ग्राम, मूंग की दाल 20 ग्राम, टमाटर 20 ग्राम, प्याज 20 ग्राम, मसाले बहुत कम।
विधि : मेथी के पत्ते व मूंग की दाल, पालक और मूली को धोकर बारीक काट लें और प्रेशर कुकर में उबालकर साग बना लें। गलने पर टमाटर, प्याज और मसाला डालकर तड़का तैयार करके उसमें मिला दें यह मेथी का साग मधुमेह के रोगियों के लिए बहुत लाभदायक है क्योंकि इससे कार्बोज की मात्रा बहुत कम होती है।
नोट : दाना मेथी और मेथी के बीज अलग-अलग होते हैं। मेथी के बीज बीजों की दुकान पर मिलते हैं जो दाना मेथी से बहुत छोटे होते हैं।
69. वत्सनाभ : 70 ग्राम अखरोट में 10 ग्राम शुद्ध बछनाग को मिलाकर उसमें से एक चौथाई ग्राम की मात्रा में रोगी को देने से भयातिसार, मधुमेह, कुष्ठ रोग और पक्षाघात में ज्यादा लाभ होता है। यह दवा दिन में तीन बार दें।
सावधानी : मधुमेह में सम्बंधित रोगों में आलू, गाजर, चुकन्दर, टैपियोका (दक्षिणी मूल), मटर, फलियां, शकरकन्द, क्लस्टर बीन। आदि फलों और सब्जियों का कम से कम प्रयोग करना चाहिए।
विशेष – यदि मधुमेह रोगी रात्रि का भोजन पूर्णतः बंद कर दे तो उसे मधुमेह रोग में काफी आराम मिलता है
डॉ.ज्योति ओमप्रकाश गुप्ता
N.D.(प्राकृतिक एवं घरेलु चिकित्सा )