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चर्चाओं में स्ट्रैंगल्ड थ्रेड: बाल उपन्यासकार स्वास्तिक साहनी से एक मुलाकात

स्वास्तिक साहनी वैसे तो कोई जाना माना नाम नहीं है परन्तु पिछले कुछ समय से एक उपन्यास लिखने की कारण चर्चाओं में अवश्य है! है कौन स्वास्तिक साहनी और क्यों इनका नाम चर्चाओं में है यह जानने के लिए हमारे संवाददाता ने स्वास्तिक से संपर्क कर साक्षात्कार का समय लिया!

साक्षात्कार के लिए पहुंचे संवाददाता के लिए यह एक बहुत ही आश्चर्य क्षण था- यह लेखक महज 17साल का है; परन्तु आत्मविश्वास कूट-कूट कर भरा हुआ है!

चर्चा के दौरान स्वास्तिक ने बताया कि वह मेरठ के दीवान पब्लिक स्कूल में 12वीं कक्षा का विद्यार्थी है! स्वास्तिक का बाल्यकाल साहित्यिक संस्कारों से जुड़े हुए पारिवारिक माहौल में हुआ

जिसका सारा श्रेय उन्होंने अपनी मां डॉ उषा साहनी को दिया जो कि स्वयं राजकीय महाविद्यालय में अंग्रेजी साहित्य की प्राध्यापिका हैं और हिंदी व अंग्रेजी दोनों भाषाओं में कथा एवं काव्य लेखन से जुड़ी हुई हैं!

अब तक उनका एक कथा संकलन एवं काव्य संग्रह प्रकाशित हो चुका है। इसके अतिरिक्त उनके दो आलोचनात्मक ग्रंथ भी प्रकाशित हुए हैं। बकौल स्वास्तिक “मेरे इन साहित्य के संस्कारों को पल्लवित- पुष्पित करने में मेरी माँ का बहुत बड़ा योगदान रहा है”!

अपने उपन्यास “स्ट्रैंगल्ड थ्रेड” के बारे में बताते हुए स्वास्तिक ने कहा “मेरा यह उपन्यास जीवन के रिश्तो की गहराइयों और उसकी जटिलताओं के बारे में है! हमारे आसपास हमारे जीवन में कई बार ऐसी घटनाएं घट जाती हैं जिनका प्रभाव हमारे ऊपर बहुत गहरा पड़ता है! ये घटनाएं हमारे जीवन के अतीत,वर्तमान और भविष्य को भी निर्धारित करती हैं!

ऐसा ही कुछ महसूस किया मैंने अपने आसपास के परिवेश में और उन सबको साथ में लेकर एक ताना-बाना बुना उस पूरे घटनाक्रम का! कैसे हमारे रिश्ते उलझते हैं सुलझते हैं!

क्या मेरे वो पात्र इन उलझे हुए धागों को सुलझा पाने में सक्षम हुए या वह अपने ही चक्रव्यू में फंस कर और अधिक उलझते चले गए …इसी रोमांच को यदि आपको महसूस करना है तो आपको इस उपन्यास को पढ़ना पढेगा… इन पात्रों से कहीं एक संवाद स्थापित करना पड़ेगा”!

इस उपन्यास को लिखने की प्रेरणा कैसे मिली के जवाब में स्वास्तिक ने कहा कि इस उपन्यास को लिखने तक की यात्रा बड़ी रोचक और रोमांचक है! मैं जब छोटा था तो शब्दों को कहीं से देख- पढ़कर ज्यों का त्यों कागज पर उतार देता था!धीरे-धीरे वही कलम कागज मेरी भावनाओं की अभिव्यक्ति के मंच बन गए!

अपने सुपर हीरोज पर कविताएं लिखने लगा; जो कुछ मन में भावनाए उठती थीं शब्दों में पिरो करके गुनगुना उठता था! और यहीं से मेरी साहित्यिक यात्रा शुरू होती है!अनायास जब मेरी मां ने अपना  उपन्यास “Her Life His Ways”   पढ़ने के लिए मुझे दिया और कहा कि इसमें तुम अपनी बात जोड़ने की कोशिश करो

तो शायद उसको पढ़ने और अपनी बात कहने की कोशिश ने मुझे एक उपन्यासकार बना दिया! मुझे लगा कि मैं भी बहुत सरलता-सहजता के साथ अपने आप को अभिव्यक्ति दे सकता हूं! और बस वही उस उपन्यास के प्रथम पाठक के रूप में मैंने भी उपन्यास लिखने का प्रण कर लिया!

इसे इस युवा उपन्यासकार का समय का उपयोग कहें या अपने लेखन के प्रति जुझारूपन, उन्होंने इस उपन्यास को वैश्विक महामारी के दौरान मिली स्कूल की छुट्टियों का सदुपयोग कर पूरा किया! स्वास्तिक बताते है कि जब सारी गतिविधियां रुक गई थीं और हम अपने घरों में कैद हो गए थे तब मैंने समय का भरपूर लाभ उठाया और अपने उस उपन्यास को अंतिम रूप दिया! अब यह पुस्तक के रूप में आपके सामने है।

स्वास्तिक आगे बताते हैं कि बचपन से ही मैं रचनात्मक लेखन की ओर प्रवृत्त हो गया था! विद्यालय की साहित्यिक गतिविधियों में मैं सक्रिय रूप से भाग लेता रहा! आसपास का परिवेश और प्रकृति मुझे अनायास ही अपनी ओर आकर्षित करती रही और कविताओं के रूप में मैं अपनी भावनाओं को व्यक्त करता रहा!

दसवीं क्लास में आते-आते मेरे मन में आसपास के घटनाक्रम को देखकर उन चरित्रों को एक उपन्यास के रूप में प्रस्तुत करने का भाव जागृत हुआ! बोर्ड की परीक्षाएं समाप्त होते-होते उपन्यास लिखने की भावना उत्कट चाह के रूप में बदल गई और मैंने लेखन का काम शुरू कर दिया! मन के भाव कागजों पर उतरते चले गए

और अनायास ही पूरी दुनिया को एक पेन्डेमिक के दौर से गुजारना पड़ा । सारी गतिविधियां ठप हो गई थीं लेकिन मेरे मन की हलचल बढ़ती जा रही थी!

आसपास के सारे पात्र कहीं मेरी कल्पना शक्ति को चैतन्य बनाए हुए थे और मैंने उस समय का उपयोग सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर बिताने की बजाए उन  पात्रों को जीने की कोशिश करने में व्यतीत करना शुरू किया!

ये पात्र 12वीं क्लास तक आते-आते एक उपन्यास के रूप में एक प्रकार से मेरे रचना संसार में जीवंत हो उठे! बस यह मेरे मन का संकल्प था कि मैंने इस आपदा को भी अवसर के रूप में बदल दिया और यह उपन्यास आज आपके हाथों में है!

यह उपन्यास क्या समाज को कुछ सन्देश भी देता है या इसका उद्द्येश्य केवल मनोरंजन तक ही सीमित है के जवाब में स्वास्तिक ने कहा “साहित्य हमारे जीवन के बहुत सारे पक्षों का प्रतिबिंब है! साहित्यिक कृतियां हमारे जीवन के अनेकानेक चित्र हमारे सामने प्रस्तुत कर देती हैं! मेरा यह  उपन्यास भी जीवन के इन विविध पक्षों को प्रस्तुत करता है ।

इसमें मनोरंजन है तो संदेश भी है! केवल संदेश उपदेश मात्र रह जाएगा! इस उपन्यास को पढ़ते समय पाठक यह महसूस कर पाएंगे कि ऐसे चरित्र उनके जीवन में भी आसपास बिखरे हुए हैं!

वे स्वयं भी इन घटनाओं से अपने आप को इस उपन्यास को पढ़ते हुए जोड़ पाएंगे! मुझे विश्वास है कि इस उपन्यास को पढ़ने के बाद एक किशोर मन की कोमल भावनाओं को आत्मसात करने में  वे सफल होंगे!

मैं कहना चाहता हूं कि किस तरह हम सजग सचेत होकर के सकारात्मक ढंग से इन रिश्तो को निभाने के लिए प्रयत्न करते हैं! जीवन में सभी के साथ अनेक घटनाएं दुर्घटनाएं घट जाती हैं;

उन पर हमारा कोई वश नहीं है! यह घटनाएं हमें जीवन को समझने में मदद देती हैं और एक बाल रचनाकार के रूप में मैंने अपनी बाल-बुद्धि से इन सब के पीछे जो भाव छिपा है

उसे समझने और परखने की कोशिश की है! मुझे विश्वास है कि यह  उपन्यास पाठकों को कहीं गुदगुदाया तो कहीं गंभीर सोच के लिए भी विवश करेगा”!

लेखन से जुड़ाव के विषय में स्वास्तिक कहते है कि लेखन से मेरा जुड़ाव शायद तभी से है जब मैंने लिखना और पढ़ना सीख लिया था! मन की भावनाओं को कभी कविता तो कभी डायरी तो कभी लेख तो कभी अन्य किसी रूप में अपने उम्र के अलग-अलग दौर में अभिव्यक्त करता ही रहा हूं! लेखन की मेरी नियमित साधना ही मुझे एक उपन्यासकार के रूप में विकसित कर पाई है- ऐसा मुझे विश्वास है!

लेखन के अलावा और क्या-क्या शौक हैं के जवाब में स्वास्तिक मुस्कुराते हुए कहते है कि लेखन के अलावा भी मेरी बहुत सारी रुचियां रही हैं! स्कूल में पढ़ते समय मैंने अंतर विद्यालय वाद-विवाद प्रतियोगिताओं में भाग लिया है

रंगमंच पर अभिनय किया है, मंच पर कविता पाठ भी किया है और इन्हीं सब अभिरूचियों से प्रेरित होकर मैंने अपना एक यूट्यूब चैनल भी खोल लिया! यूट्यूब चैनल पर मैंने मनोरंजन और हास्य प्रधान प्रस्तुतियों को प्राथमिकता दी है और विशेषकर युवाओं के मन को इसमें व्यक्त किया है!

मैं लेखन के अलावा अनेक सामाजिक कार्यों से भी जुड़ा हुआ हूं! समाज के दलित, उपेक्षित और साधन-हीन वर्ग मुझे सदा से ही व्यथित करते रहे हैं!उनकी सेवा की दृष्टि से हम कुछ मित्रों ने मिलकर एक स्वयंसेवी संगठन की स्थापना भी की है और उस के माध्यम से हम सामाजिक सेवा के क्षेत्र में भी यथाशक्ति अपनी सेवाएं दे रहे हैं!

आगे क्या करना चाहते है के जवाब में स्वास्तिक कहते हैं कि जीवन में बहुत कुछ करने की इच्छा है!मुझे नहीं पता यह शिक्षा पद्धति किस तरह से मेरे भावी जीवन को दिशा दे पाएगी!

मैं कला या मानविकी के विषयों में दिल्ली विश्वविद्यालय या किसी अन्य प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय से अपनी स्नातक उपाधि प्राप्त कर प्रशासनिक सेवाओं या उसके समकक्ष ऐसी ही किसी करियर  की कल्पना करता हूं, लेकिन मैं कहीं भी जाऊं मेरी हार्दिक इच्छा है मेरी यह साहित्यिक अभिरुचि लगातार बनी रहे और अपनी लेखनी के माध्यम से मैं अपनी भावनाओं को कविता, कहानी और उपन्यास के रूप में सदा व्यक्त करता रहूं!

जैसा आपको मैंने पहले बताया था कि अपने यूट्यूब चैनल के माध्यम से मैं अपनी रचनात्मकता को अभिव्यक्ति देता रहता हूं! विद्यालय जीवन में अनेक साहित्यिक गतिविधियों जैसे डिबेट थिएटर आदि  से भी मैं बराबर जुड़ा रहा हूं और यही मेरे जीवन के वो पक्ष हैं जिन्होंने मेरे मन में आत्मविश्वास का  संचार किया है और जीवन में कहीं  संघर्ष करने की क्षमता भी विकसित की है!

गंभीर मुद्रा में स्वास्तिक आगे कहते है कि मुझे लगता है लेखन के संस्कार मेरी प्राण-चेतना के साथ जुड़ गए हैं!अपने मन में चल रही उथल-पुथल कई रूपों में मेरी लेखनी से व्यक्त होती रही है और यही अभिव्यक्ति मुझे एक नई ऊर्जा और शक्ति प्रदान करती है!

एक रचनात्मक सृजन की अनुभूति मुझे एक ऐसे आत्मिक लोक में ले जाती है जहां एक ओर संतोष की अनुभूति होती है वहीं दूसरी ओर सामाजिक व्यवस्था के प्रति कहीं तीखे विद्रोह का स्वर भी मैं महसूस करता हूं!

यही उथल-पुथल मुझे इस बात के लिए भी प्रेरित करती है कि मैं इस मानसिकता के बदलाव में कहीं अपना एक विनम्र योगदान इस लेखन के माध्यम से दे सकूं!

अंत में स्वास्तिक कहते हैं कि इस उपन्यास के माध्यम से मैं अपने सभी साथियों और पाठकों को यही संदेश देना चाहता हूं कि जीवन में सुख और दुख एक चक्र की भांति आते रहते हैं!

दुख में निराश न हों और सुख में ऐसा न हो कि हम स्वयं को ही भूल जाए! जीवन में अपने आत्मविश्वास को बनाए रखते हुए हमें सदैव सकारात्मक सोच से आगे बढ़ना होगा!

नियति के समक्ष कभी हथियार न डालें और अपनी उसी आत्मिक चेतना से सारी चुनौतियों का सामना करते हुए जीवन को सहज, सरल और सुंदर बनाने की दिशा में सतत प्रयत्नशील रहें!

मैं आशा करता हूँ कि मुझे आपका आशीर्वाद मिलेगा और आगे भी उत्कृष्ट लेखन के लिए मुझे प्रेरित करता रहेगा! इस उपन्यास का प्रकाशन नगीन प्रकाशन, मेरठ ने किया है और यह अमेजॉन पर ऑनलाइन बिक्री हेतु उपलब्ध है!                                                                                                        

स्वास्तिक की कलम से: सिहरती हुई मानवता को संदेश

 

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12 thoughts on “चर्चाओं में स्ट्रैंगल्ड थ्रेड: बाल उपन्यासकार स्वास्तिक साहनी से एक मुलाकात

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