टायफायड बुखार- लक्षण व बचाव
टायफायड बुखार को मियादी ज्वर या अविराम ज्वर के नाम से भी जाना जाता है । ठण्ड के मौसम में टाइफायड इखार अत्यधिक होता है , टाइफायड बुखार ” वैसिलस टाइकोसिस ” नामक कीटाणु के कारण होता है , यह बुखार ३ सप्ताह में ५ सप्ताह तक रह सकता है ।
स्वस्थ व्यक्ति को मियादी ज्वर जल्दी नहीं होता इसके कीटाणु अस्वस्थ या कमजोर व्यक्ति पर जल्दी प्रभाव डालते है , ” बैसिलस टाइफोसिस कीटाणु गन्दगी में जल्दी पनपते है , कभी – कभी यह रोग संक्रामक रूप भी ले लेता है । इसके लक्षण के तरफ अगर हम ध्यान दें तो बुखार का बराबर बना रहना ,कुछ देर के लिए कम रहना, फिर तेज बुखार हो जाना , चेहरे का रंग मटमैला , मुंह के अन्दर छाले हो जाना , पेशाब में दुर्गन्ध , शरीर में भारी थकान , बदन में बेहद तेज दर्द ।
कभी – कभी जीवाणु के शरीर में प्रविष्ट हो जाने के तुरन्त बाद ही रोग के लक्षण प्रकट नहीं होते टाइफायड के लक्षण धीरे – धीरे प्रकट होते है । मियादी ज्वर के रोगी को पतले – पीले दस्त होने लगते है , पेट में दर्द के साथ कब्ज की शिकायत हो जाती है इसका समय ५ सप्ताह तक होता है । प्रत्येक सप्ताह में निमलिखित लक्षण प्रकट होते है । पहला सप्ताह – धीरे – धीरे बुखार का चढ़ना , पहला दिन 99′ , दूसरा दिन १००’ इस तरह छठे दिन तक बुखार १०५’ तक हो जाता है ।
नाड़ी की गति बहुत तेज चलती है , सर दर्द , पेट में गैस के साथ दर्द , मल पतला होना । दूसरा सप्ताह – बुखार सुबह में बहुत ज्यादा बढ़ जाना ,शाम होते – होते १ – २ डिग्री कम हो जाना , पहले सप्ताह के सभी लक्षण का बढ़ जाना , शरीर में कमजोरी हो जाना , सिर्फ सोने की इच्छा होना , दिन में १० – १२ बार पतला मल होना । तीसरा सप्ताह – इस सप्ताह बुखार सुबह में नहीं रहता , शाम में हल्का बुखार आ जाता है , पेशाव में तकलीफ होने लगती है।
चौथा सप्ताह – चौथे सप्ताह में शरीर का तापमान स्वाभाविक हो जाता है , रोगी को कुछ खाने की इच्छा होने लगती है , कमजोरी के कारण कभी – कभी चक्कर आ जाता है । पाँचवा सप्ताह – इस सप्ताह में बुखार पूर्णतया समाप्त हो जाता है , शरीर स्वस्थ हो जाता है ।
बचाव- मियादी ज्वर संक्रामक रोगों में आता है इसे रोकने के लिए सबसे पहले स्वच्छता पर ध्यान देना चाहिए । प्रयास करना चाहिए कि जिसे मियादी ज्वर हो उसके पास कम से कम जाना चाहिए । अधिक परिश्रम , लगातार सर्दी , खांसी , ठण्ड हवाओं से बचना चाहिए । मियादी ज्वर की शुरूआत अधिकतर ठण्ड लगने से ही होती है ।
मियादी ज्वर की होमियोपैथिक चिकित्सा-
Baptisia -Q इस औषधि को मियादी ज्वर के किसी भी अवस्था अथवा किसी भी लक्षण मे दिया जा सकता है ।
Gelsimium – 30 – मियादी ज्वर के शुरूआत में इस औषधि का प्रयोग करना चाहिए , रोगी हमेशा लेटे रहना चाहता हो , शरीर में दर्द , सिर दर्द , शरीर में कम्पन आदि लक्षणों में यह औषधि लाभ करती है । Lachasis 200 – मियादी ज्वर के तीसरे सप्ताह में जब बहुत तेज बुखार , शरीर पर नीला दाग पड़ते जाना , प्यास नहीं लगना , पखाने में अत्यधिक दुर्गय तथा पतला होना , प्यास अधिक लगना इन सभी लक्षणों में Lachasis – 200 की एक मात्रा रोज सुबह खाली पेट लेने से अप्रत्याशित लाभ होता है ।
डॉ वेद प्रकाश
नवादा (बिहार)-8051556455
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