स्वास्थ्य

उच्च रक्तचाप का प्राकृतिक व घरेलु उपचार

High Blood Pressure: What Is High, Symptoms, Causes, And Moreरक्त संचार के समय रक्तनलियों की भीतरी दीवार पर जब रक्त का दाब पड़ता है और जब रक्तदाब की गति सामान्य से अधिक हो जाती है तो उसे उच्च रक्तचाप या हाई बीपी कहते हैं उच्च रक्तचाप हाई ब्लड प्रेशर अधिक क्रोध, डायबिटीज (मधु मेह) , गठिया (जोड़ों का दर्द) , कब्ज ,(किडनी) गुर्दे ,दिल की बीमारी है अधिक मोटापा ,अधिक शारीरिक और मानसिक श्रम, अधिक संभोग ,भय , दुःख , शक , गर्भवती या खून के दौरे में कुछ खराबी आने की वजह से व्यक्ति को हाई ब्लड प्रेशर /उच्च रक्तचाप का रोगी कहा जाता है

कुछ लोगों में यह रोग वंशानुगत भी हो सकता है इसलिए यह किसी भी उम्र में हो सकता है उच्च रक्तचाप होने पर व्यक्ति को सर में दर्द ,चक्कर आना ,काम में मन ना लगना ,जी मिचलाना , कब्ज रहना, उल्टी , बेचैनी, अजीर्ण , आंखों के सामने धुंधलापन छा जाना, नींद ना आना , नाक से खून आना , हाथ पैरों का सुन्न हो जाना आदि लक्षण नजर आते हैं उच्च रक्तचाप के व्यक्ति को चिंता, क्रोध , शोक , संभोग, दिन में सोना , धूप में अधिक घूमना , मांस, शराब , बीड़ी , सिगरेट, रिफाइंड नमक , मिर्ची, चाय , खट्टे पदार्थ , रिफाइंड तेल, वनस्पति घी, करेला, दाल, मूली, मेथी , अरबी, उड़द और चने की दाल का सेवन करने से बचना चाहिए

किसी भी मनुष्य को जीवित रहने के लिए उसके पूरे शरीर में रक्त संचारण होना बहुत ही आवश्यक है। शरीर में रक्त संचारण का कार्य धमनियों के द्वारा होता है जिसके फलस्वरूप शरीर के प्रत्येक भाग का पोषण होता है। धमनियों से कार्य कराने का कार्य हृदय के द्वारा होता है। हृदय एक पम्प की तरह खुलता और बंद होता रहता है और रक्त (खून) को रक्तवाहिनी, धमनियों तथा नलिकाओं में आगे बढ़ाता रहता है। हृदय के द्वारा रक्त को धमनियों में आगे बढ़ाने की क्रिया को रक्तचाप, खून का दबाव या ब्लडप्रेशर कहते हैं। यह क्रिया अगर रुक जाये तो मनुष्य का हृदय कार्य करना बंद कर देता है और उसकी मृत्यु हो जाती है।

जब तक शरीर की धमनियों और रक्त-नलिकाओं की दशा स्वाभाविक रहती है अर्थात जब तक वे लचीली रहती हैं तब तक उनके छिद्र खुले रहते हैं तब तक रक्त (खून) को आगे बढ़ाने के लिए हृदय को ज्यादा दबाव डालने की आवश्यकता नहीं रहती है और रक्त अपने स्वाभाविक रूप से हृदय से निकलकर धमनियों और रक्त नलिकाओं द्वारा शरीर के प्रत्येक भाग में पहुंचता रहता है और इससे पूरे शरीर को पोषक तत्व प्राप्त होते रहते हैं।

लेकिन जब धमनियों और रक्त-नलिकाओं के छिद्र संकरे हो जाते हैं तो हृदय को अधिक दबाव डालकर उन पतले छिद्र वाली तंग रक्त नलिकाओं से रक्त को आगे बढ़ाने के लिए अधिक मेहनत करनी पड़ती है जिसके कारण वे नसें कमजोर हो जाती हैं और उच्च रक्तचाप या हाई ब्लडप्रेशर का रोग हो जाता है।

जब किसी व्यक्ति को उच्च रक्तचाप का रोग हो जाता है तो चलते समय उस व्यक्ति के सिर व गर्दन के पीछे दर्द होने लगता है। रोगी में बेचैनी, मानसिक असंतुलन, सिर में दर्द, क्रोध, घबराहट, छाती में दर्द, चिड़चिड़ापन, किसी बात पर जल्दी उत्तेजित हो जाना, चेहरे पर तनाव होना आदि समस्याएं हो जाती हैं। यह रोग हो जाने के कारण रोगी का पाचनतन्त्र खराब हो जाता है जिसके कारण उसके द्वारा खाया हुआ खाना ठीक से पचता नहीं है। इसके अलावा रोगी की आंखे लाल हो जाती हैं, हृदय की धड़कन बढ़ जाती है, रोगी को अनिद्रा रोग हो जाता है तथा उसकी नाक से खून निकलने लगता है। रोगी व्यक्ति का रक्तचाप सामान्य से अधिक हो जाता है।
खून में कोलेस्ट्रोल की मात्रा बढ़ जाने के कारण रक्तचाप सामान्य से अधिक हो जाता है।
जब अंत:स्रावी ग्रन्थियों की क्रिया ठीक से नहीं होती है तो रक्त का संचारण शरीर में सामान्य से अधिक हो जाता है जिसके कारण व्यक्ति को उच्च रक्तचाप का रोग हो जाता है।

कब्ज, अपच, मानसिक रोग, मधुमेह, पुराना आंव तथा मूत्र से सम्बन्धित रोग और गुर्दे का रोग हो जाने के कारण भी उच्च रक्तचाप का रोग हो सकता है।
चिंता, क्रोध, भय, असंयम तथा अपर्याप्त व्यायाम के कारण भी यह रोग हो सकता है।धूम्रपान करने या नशीले पदार्थों का अधिक सेवन करने के कारण भी उच्च रक्तचाप का रोग हो सकता है।
मसाले, तेल, खटाई, तली-भुनी चीजें प्रोटीन, रबडी, मलाई, दाल, चाय, कॉफी आदि का सेवन करने के कारण भी उच्च रक्तचाप का रोग हो सकता है। जल्दी-जल्दी खाना खाने तथा जरूरत से अधिक खाना खाने के कारण भी यह रोग हो सकता है। गर्भावस्था में टोक्सिमिया रोग हो जाने के कारण भी रक्तचाप बढ़ जाता है।

प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार –

उच्च रक्तचाप रोग का उपचार करने के लिए सबसे पहले इस रोग के होने के कारणों को दूर करना चाहिए। फिर इसके बाद इस रोग का उपचार प्राकृतिक चिकित्सा से करना चाहिए।
उच्च रक्तचाप के रोग का उपचार करने के लिए रोगी व्यक्ति को कुछ दिनों तक फलों का रस (गाजर का रस, केले के तने का रस, चुकन्दर का रस, बथुए का रस, धनिया-पालक का रस, खीरे का रस, नारियल पानी, नींबू का रस पानी में डालकर, घिये का रस तथा गेहूं के ज्वारे का रस) पीना चाहिए। इसके अलावा कुछ समय तक बिना पका हुआ भोजन करने से भी यह रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।
इस रोग से पीड़ित रोगी को चोकर समेत आटे की रोटी तथा सब्जियां खानी चाहिए।

तुलसी के पत्ते को कालीमिर्च के साथ प्रतिदिन खाने से उच्च रक्तचाप सामान्य हो जाता है।
प्रतिदिन सुबह के समय में खाली पेट तुलसी के पत्ते को शहद के साथ सेवन करने से भी उच्च रक्तचाप सामान्य हो जाता है।
प्रतिदिन सुबह के समय नींबू का रस तथा 1 चम्मच शहद पानी में मिलाकर पीना बहुत ही लाभकारी होता है जिसके फलस्वरूप उच्च रक्तचाप सामान्य हो जाता है।

रात को सोते समय तांबे के बर्तन में पानी रख दें। सुबह के समय में इस पानी को पीने से रक्तचाप सामान्य हो जाता है।
ताजे आंवले का रस 2 चम्मच प्रतिदिन सुबह तथा शाम को पीने से यह रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।
3 भाग गाजर के रस में 1 भाग पालक का रस मिलाकर प्रतिदिन पीने से उच्च रक्तचाप सामान्य हो जाता है।
5-6 बूंद लहसुन का रस पानी में मिलाकर दिन में 4 बार पीने से उच्च रक्तचाप सामान्य हो जाता है।
मुनक्का या शहद के साथ कच्चा लहसुन प्रतिदिन खाने से उच्च रक्तचाप सामान्य हो जाता है।
इस रोग से पीड़ित रोगी को घी, नमक, मिर्च-मसाला, अचार तथा मिठाई नहीं खाने चाहिए।
इस रोग से पीड़ित रोगी को प्रतिदिन फलों का रस पीकर 1 सप्ताह तक उपवास रखने से उच्च रक्तचाप सामान्य हो जाता है।
रोगी व्यक्ति को उन चीजों का अधिक सेवन करना चाहिए जिनमें विटामिन `सी´ तथा पोटाशियम की मात्रा अधिक हो।
इस रोग से पीड़ित रोगी को सुबह तथा शाम को खुली हवा में टहलना चाहिए तथा 50 से 100 बार गहरी सांस लेनी चाहिए।

उच्च रक्तचाप के रोग को ठीक करने के लिए रोगी व्यक्ति को प्रतिदिन ठंडे पानी से एनिमा क्रिया करके अपने पेट को साफ करना चाहिए तथा पेट पर मिट्टी की पट्टी करनी चाहिए। फिर गर्म ठंडा सेंक करना चाहिए। इसके बाद गर्म पादस्नान, रीढ़स्नान, कटिस्नान, मेहनस्नान तथा सप्ताह में 1 दिन गीली चादर लपेट स्नान करना चाहिए और स्नान से पहले और बाद में शरीर को रगड़ना चाहिए। इस प्रकार से उपचार करने से यह रोग जल्दी ही ठीक हो जाता है।

उच्च रक्तचाप को ठीक करने के लिए कई प्रकार के आसन हैं जिनको करने से यह रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है जैसे- गोमुखासन, शवासन, अर्धमत्स्येन्द्रासन, वज्रासन, पदमासन, सिद्धासन, ताडासन, नाड़ीशोधन, शीतकारी तथा शीतली प्राणायाम बिना कुम्भक आदि।
उच्च रक्तचाप को सामान्य करने के लिए कुछ योगक्रियाएं भी हैं जिन्हें करने से यह रोग ठीक हो सकता है जैसे- ज्ञानमुद्रा, योगनिद्रा।
जलनेति, कुंजल तथा शवासन क्रिया करने से भी उच्च रक्तचाप सामान्य हो जाता है।

रीढ़ की हड्डी तथा सिर पर 5-10 मिनट तक मालिश करने से उच्च रक्तचाप सामान्य हो जाता है।सुबह के समय आधा लीटर सूर्यतप्त हरी बोतल का पानी थोड़ी-थोड़ी मात्रा में करके पीने से यह रोग कुछ ही समय में ठीक हो जाता है।
सूर्य तप्त नीले तेल से शरीर की मालिश करने से भी यह रोग ठीक हो जाता है। रोगी के हृदय पर अधिक मालिश करनी चाहिए तथा रोगी व्यक्ति के मानसिक तनावों को दूर करने का प्रयास करना चाहिए।

बेलपत्र का काढ़ा बनाकर दिन में 3 बार पीने से उच्च रक्तचाप सामान्य हो जाता है।
प्रतिदिन 2 संतरे छीलकर खाने तथा फलों में अमरूद, नाशपाती, सेब, आम, जामुन, अनन्नास, खरबूजा, खजूर तथा रसभरी खाने से उच्च रक्तचाप सामान्य हो जाता है।

गाय या बकरी के दूध जिसमें मलाई न हो, को पीने से उच्च रक्तचाप सामान्य हो जाता है।
रोगी व्यक्ति के पेड़ू पर गीली मिट्टी की पट्टी या तौलिये को पानी में भिगोकर फिर निचोड़कर 10 मिनट तक रखने से उच्च रक्तचाप सामान्य हो जाता है।

इस रोग से पीड़ित रोगी को सप्ताह में 1 बार एनिमा क्रिया करके अपने पेट को साफ करना चाहिए।इस रोग से पीड़ित रोगी के शरीर पर दिन में एक बार सूखी मालिश करें और इसके बाद गीले तौलिए से शरीर को पोंछें। इससे रोगी का रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।
इस रोग से पीड़ित रोगी को कम से कम 7-8 घण्टे की नींद लेनी चाहिए।

उच्च रक्तचाप से पीड़ित रोगी को रूद्राक्ष अच्छी तरह से धोकर रात को 1 गिलास पीने के पानी में डालकर ढक देना चाहिए। फिर सुबह के समय में रूद्राक्ष को निकालकर इस पानी को पी लेना चाहिए। इसके बाद 1 गिलास पानी में रूद्राक्ष डालें व शाम को वह पानी पी लें। इस प्रकार प्रतिदिन यह पानी दिन में 2 बार पीने से उच्च रक्तचाप सामान्य हो जाता है।

घरेलु चिकित्सा से उपचार-
गाय का मूत्र : नियमित सुबह के समय 50ml ताजा गोमूत्र रोजाना पीने से 15 दिनों में ही उच्च रक्तचाप का रोग ठीक हो जाता है।
मेहंदी: उच्च रक्तचाप के रोगियों को पैर के तलवों पर मेहंदी लगानी चाहिए।
ककड़ी: गर्मी के मौसम में दो चम्मच ककड़ी का रस नित्य पीना चाहिए।
रस: नींबू, लहसुन और सेब का रस पीने से उच्च रक्तचाप में लाभ होता है।
हींग: निम्न रक्तचाप (लो ब्लडप्रेशर) में हींग का सेवन करने से पूरा लाभ मिलता है।
चावल: लंबे समय तक चावल खाते रहने से कोलेस्ट्राल कम हो जाता है और रक्तचाप भी ठीक रहता है।
जटामांसी: जटामांसी, ब्राह्मी और अश्वगंधा का चूर्ण समान मात्रा में मिलाकर 1-1 चम्मच की मात्रा में दिन में 3 बार बार सेवन करने से उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) में लाभ होता है।

शहद:शहद 2 चम्मच, नींबू का रस 1 चम्मच मिलाकर सुबह-शाम दिन में 2 से 3 बार सेवन करने से हाई बल्डप्रेशर (उच्च रक्त चाप) में लाभ होता है।

शहद शरीर पर शामक प्रभाव डालकर रक्तवाहिनियों की उत्तेजना घटाकर और उनको सिकुड़ाकर उच्च रक्तचाप घटा देता है। शहद के प्रयोग से हृदय सबल व सशक्त होता है, लगभग 7 दिनों तक प्रयोग करने से लाभ होता है।
सफेद पेठा: उच्च रक्तचाप के रोग में पेठे का सेवन करने से लाभ होता है। पेठा रक्तचाप और गर्मी से बचाता है।
सेब: हाई ब्लडप्रेशर होने पर 2 सेब रोज खाने से लाभ होता है।
केला :एक पके केले की फली खाली पेट खाने से उच्च रक्तचाप (हाईब्लडप्रेशर) में लाभ होता है यदि रोगी एसनोफिलिया से पीड़ित हो तो ऊपर से 2 दाने इलायची चबाने को दें।

केले में सोडियम कम होता है, पोटैशियम पर्याप्त मात्रा में होता है, जो उच्च रक्तचाप को रोकता है।
शंखपुष्पी: शंखपुष्पी के पंचांग (जड़, तना, पत्ती, फल और फूल) का काढ़ा 2-2 चम्मच की मात्रा में सुबह-शाम रोज सेवन करते रहने से कुछ ही दिनों में लाभ मिलेगा।

ब्राह्मी: ब्राह्मी के पत्तों का रस 1 चम्मच की मात्रा में आधे चम्म्च शहद के साथ लेने से उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) ठीक हो जाता है।
सोयाबीन: आधा कप भुने सोयाबीन को नमक के साथ दो महीने तक लगातार सेवन करें। इससे ब्लडप्रेशर संतुलित रहता है। स्वाद बढ़ाने के लिए कालीमिर्च भी डाल सकते हैं। सिर्फ आधा कप रोस्टेड सोयाबीन खाने से महिलाओं का बढ़ा हुआ ब्लडप्रेशर कम होने लगता है। 8 हफ्ते तक सोयाबीन खाने से महिलाओं का 10 प्रतिशत सिस्टोलिक प्रेशर, 7 प्रतिशत डायस्टोलिक और सामान्य महिलाओं का 3 प्रतिशत ब्लडप्रेशर कम हो जाता है।

तुलसी :4 तुलसी की पत्तियां, 2 नीम की पत्तियां, 2-4 चम्मच पानी के साथ घोटकर 5-7 दिन लगातार सबुह-सुबह खाली पेट पीने से उच्च रक्तचाप में लाभ होता है।
एक चम्मच त्रिफला के चूर्ण को गर्म पानी से रात को सोने से पहले लेने से लाभ होता है।
व्यायाम : प्रतिदिन सूर्योदय से पहले उठकर किसी बाग में घूमने जाने और ओस पड़ी घास पर नंगे पैर चलने से उच्च रक्तचाप (हाई ब्लडप्रेशर) में बहुत लाभ होता है।
रात का तांबे के बर्तन में रखा हुआ पानी सुबह पीने से उच्च रक्तचाप कम होता है
पेठा , लौकी , चौलाई , टिंडा अधिक मात्रा में सेवन करना चाहिए
सुबह शाम खुली हवा में घूमना व सप्ताह में एक बार फलों का रस पीना चाहिए
पीपल: पीपल के पेड़ की छाल के चूर्ण को 2 चम्मच शहद में मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से उच्च रक्तचाप (हाई ब्लडप्रेशर) में लाभ होता है।
नींबू :100 मिलीलीटर (आधा कप) पानी में आधा नींबू निचोड़कर दिन में 2-3 बार 2-2 घंटे के अन्तराल में पीने से उच्च रक्तचाप (हाई ब्लडप्रेशर) में तुरंत लाभ होता है।

नींबू का रस पीने से हार्ट-फेल का भय नहीं रहता है क्योंकि इससे रक्तवाहिनियों में कोलेस्ट्राल जमा नहीं होने देता है।
शहद मिले शर्बत में नींबू रस की कुछ बून्दें डालकर रोज सेवन करना उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) में फायदेमंद है।
नींबू के रस में पानी मिलाकर पीने से उच्च रक्तचाप (हाई ब्लडप्रेशर) में फायदेमंद होता है।
मौसमी: मौसमी के रस का सेवन करने से हार्ट-फेल का भय नहीं रहता क्योंकि इससे रक्तवाहिनियों में कोलेस्ट्राल जमा नहीं होने पाता है।
तरबूज के बीज:एक कप तरबूज के रस में 1 चुटकी सेंधानमक डालकर पीने से उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) कम होता है।
तरबूज के बीजों के रस में एक तत्व होता है जिसे कुरकुर पोसाइट्रिन कहते हैं। इसका असर गुर्दों पर भी पड़ता है। इससे उच्चरक्तचाप कम हो जाता है। इसके अलावा टखनों के पास की सूजन भी ठीक हो जाती है।

तरबूज के बीज की गिरी और सफेद खसखस अलग-अलग पीसकर बराबर मात्रा मिलाकर रख लें। 3 ग्राम यानी 1 चम्मच की मात्रा से सुबह-शाम खाली पेट पानी के साथ लें। इससे रक्तचाप कम होता है और रात में नींद अच्छी आती हैं। सिर दर्द भी दूर हो जाता है। तरबूज के बीज की गिरी खाते रहने से उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) में लाभ होता है। कोलेस्ट्रोल पिघलकर पतला होकर निकलने लगता हैं। रक्तवाहिनियों की कठोरता घटने लगती हैं और उनकी रचना में खराबी आनी रुक जाती है। वे मुलायम और लचकीली बनने लगती है। इसका प्रयोग आवश्यकतानुसार 3-4 सप्ताह तक लें।

मेथी:मेथी के सूखे दाने को बारीक पीसकर 3 ग्राम (एक चम्मच) को फंकी के रूप में सुबह-शाम खाली पेट 30 दिनों तक पानी के साथ लेने से उच्च रक्तचाप कम होता है। इससे मधुमेह में भी लाभ होता है।
मेथीदाना और सोया के दाने पीसकर सुबह-शाम पानी के साथ लेने लेने से उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) में लाभ होता है।
दूध: दूध, बादाम, पिस्ता, काजू, अखरोट, सेब, पपीता, अंजीर आदि हितकारी है।

लहसुन:6 बूंदे लहसुन के रस को 4 चम्मच पानी में मिलाकर रोजाना 2 बार पीने से हाई ब्लडप्रेशर (उच्चरक्त चाप) के रोग में लाभ मिलता है।
लहसुन, पुदीना, जीरा, धनिया, कालीमिर्च और सेंधानमक की चटनी बनाकर खाने से ब्लडप्रेशर (उच्चरक्त चाप) दूर होता है।
लहसुन को पीसकर दूध में मिलाकर पीने से ब्लडप्रेशर (उच्चरक्त चाप) में बहुत लाभ होता है।
दिल का दौरा पड़ते ही लहसुन की चार कलियों को तुरंत चबा लेने से हार्ट फेल नहीं होगा। दौरा समाप्त हो जाने के बाद रोजाना कुछ दिनों तक लहसुन की दो कलियां दूध में उबालकर लें। आमतौर पर नंगे पैर फिरने वालों को ब्लड प्रेशर की शिकायत नहीं होती है।
खाना खाने के बाद कच्चे लहसुन की एक-दो फॉके पानी के साथ चबाने या एक-दो बीज निकाली हुई मुनक्का में लपेटकर चबाने से उच्च रक्तचाप मिटता है। लहसुन की ताजा कलियां बढ़े हुए रक्तचाप को कम कर साधारण संतुलित अवस्था में रखने में मदद करती है। लहसुन की एक कली लेना अधिक अच्छा रहता है।

लहसुन खाने की विधि: सुबह खाली पेट लहसुन की 2-3 कलियों को छीलकर प्रत्येक कली के 3-4 टुकड़े कर थोड़े पानी के साथ सुबह खाली पेट चबा लें या उन टुकड़ों को पानी के घूंट के साथ निगल लें। इस विधि से कच्चे लहसुन का सेवन करना खून (रक्त) में कोलेस्ट्रोल की मात्रा शीघ्रता से घटाने, रक्तचाप कम करने और ट्यूमर बनने से रोकने में बेजोड़ है।

लहसुन का रस निकालकर 10 मिलीलीटर सुबह-शाम पीने से उच्च रक्तचाप (हाई ब्लडप्रेशर) कम होने लगता है।
लहसुन की एक कली बारीक पीसकर प्रतिदिन सुबह-सुबह चाटकर खाने से उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) में लाभ होता है।
सहजन: सहजन का रस 15 मिलीलीटर सुबह और इतना ही रस शाम को पीने से उच्च रक्तचाप में बहुत लाभ होता है।
पपीता :रोजाना 400 ग्राम पपीता खाने से उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) में बहुत लाभ होता है।
केले के तने का रस निकालकर आधा कप सुबह-आधा कप शाम को पिएं। कुछ दिनों में रक्तचाप की शिकायत नहीं रहती है।
भोजन के बाद पके हुए पपीते का सेवन करने से उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) में बहुत लाभ होता है।
खाली पेट रोज पका हुआ पपीता खाने के बाद 2 घंटे कुछ न खाएं पीएं। ऐसा 1 महीने तक करने से उच्च रक्तचाप (हाई ब्लडप्रेशर) ठीक होता है।
1 कप पपीते और गाजर के रस में आधा कप अनार या संतरे का रस मिलाकर उसमें 2-2 चम्मच तुलसी और लहसुन का रस मिला दें। इसे दिन में कुछ दिन लगातार 2 बार रोगी को देने से बिना किसी औषधि के रक्तचाप ठीक हो जाता है।
प्याज:25 मिलीलीटर प्याज के रस में इतना ही शहद मिलाकर प्रतिदिन सेवन करने से कुछ सप्ताह में उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) घटने लगता है।

प्याज का रस, शहद और मिश्री को बराबर मात्रा में मिलाकर शीशी में भरकर रखें। प्रतिदिन 10 ग्राम मिश्रण सेवन करने से उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) का प्रकोप शांत होता है।
प्याज का रस और शुद्ध शहद बराबर मात्रा में मिलाकर रोज 10 ग्राम की मात्रा में दिन में 1 बार लेना रक्तचाप का प्रभावशाली इलाज है।
प्याज का रस 200 मिलीलीटर, शहद 200 ग्राम, पिसी हुई मिश्री 100 ग्राम-तीनों को मिलाकर एक शीशी में भरकर रख लें। रोज 10 ग्राम की मात्रा में पीने से उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) में लाभ मिलता है।
1 चम्मच प्याज का रस, 1 चम्मच लहसुन का रस और 1 चम्मच अदरक का रस, जरा-सा सेंधानमक मिलाकर सुबह-शाम पीने से उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) की समस्या 8-10 दिन में खत्म हो जाएगी।

चम्मच प्याज का रस शहद के साथ दिन में 2 बार इस्तेमाल करें। यह उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) में बहुत लाभकारी है।
11. त्रिफला: त्रिफला (हरड़, बहेड़ा और आंवला) का चूर्ण बनाकर रात को किसी बर्तन में 10 ग्राम चूर्ण पानी में मिलाकर रख दें। सुबह इस मिश्रण को छानकर थोड़ी-सी मिश्री मिलाकर पीने से उच्चरक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) कम होता है।
निर्गुण्डी: निर्गुण्डी 10 ग्राम, लहसुन 10 ग्राम और सोंठ का चूर्ण 10 ग्राम मिलाकर 400 मिलीलीटर पानी में उबालकर काढ़ा बनाकर 50-60 मिलीलीटर की मात्रा में काढ़े को रोजाना पीने से उच्च उच्च रक्तचाप (हाई ब्लडप्रेशर) सामान्य होता है।
अश्वगंधा : अश्वगंधा चूर्ण 3 ग्राम, सूरजमुखी बीज का चूर्ण 2 ग्राम, मिश्री 5 ग्राम और गिलोय का बारीक चूर्ण (सत्व) 1 ग्राम मात्रा में लेकर पानी के साथ दिन में 2-3 बार सेवन करने से उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) में लाभ होता है।
टमाटर: एक कप टमाटर के रस में शहद मिलाकर पीने से उच्च रक्तचाप की बीमारी 15 दिनों में चली जाती है।
गुलकन्द: उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) से पीड़ित रोगी को प्रतिदिन 25-30 ग्राम गुलकन्द खाने से कब्ज नष्ट होने के साथ बहुत लाभ होता है।
गाजर: गाजर के रस में शहद मिलाकर पीने से उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) में लाभ होता है।
नीम:नीम की गुलाबी, कोमल पत्तियों का 10-15 मिलीलीटर रस शहद में मिलाकर पीने से उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) में लाभ होता है।
नीम का सेवन करने से उच्च रक्तचाप कम हो जाता है।

एक कप नीम की पत्तियों के रस में सेंधानमक डालकर सेवन करें। मूली:उच्चरक्त चाप (हाई ब्लडप्रेशर) से पीड़ित स्त्री-पुरुष को मूली के सलाद व रस का प्रतिदिन सेवन करने से लाभ होता है। मूली के कोमल पत्ते चबाकर खाने से भी बहुत लाभ होता है।
उच्च रक्तचाप वालों के लिए मूली काफी लाभदायक होती है।
मूली का नियमित सेवन करने से उच्च रक्तचाप में लाभ पहुंचता है।
आंवला:आंवले का मुरब्बा खाने से उच्चरक्तचाप (हाई ब्लडप्रेशर) में लाभ होता है।
आंवले का चूर्ण 1 चम्मच, गिलोय का चूर्ण आधा चम्मच और 2 चुटकी सोंठ तीनों को मिलाकर गर्म पानी से सेवन करने से उच्च रक्तचाप (हाई ब्लडप्रेशर) से लाभ होता है।

आंवले का चूर्ण एक चम्मच, सर्पगंधा 3 ग्राम, गिलोय का चूर्ण 1 चम्मच। तीनों को मिलाकर 2 खुराक सुबह-शाम इस्तेमाल करने से लाभ होगा।
आंवला को खाते रहने से अचानक हृदयगति रुकने की सम्भावना नहीं रहती और न ही उच्च रक्तचाप का रोग होता है।
आलू: पानी में नमक डालकर छिलके वाला आलू उबाले। इस प्रकार उबाले गये दो तीन आलू को खुराक के रूप में सुबह-शाम खाने से उच्चरक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) में बहुत लाभ मिलता है।

सर्पगंधा (छोटी चन्दन) :सर्पगन्धा (छोटी चन्दन) का चूर्ण 1 से 2 ग्राम रोज 1 खुराक सोने से पहले सेवन करने से उच्च रक्तचाप (हाई ब्लडप्रेशर) की समस्या धीरे-धीरे स्थिति सामान्य हो जाएगी।
सर्पगंधा को कूटकर सुबह-शाम 2-2 ग्राम की मात्रा में खाने से बढ़ा हुआ उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) सामान्य हो जाता है।
आंवला 10 ग्राम, सर्पगंधा 10 ग्राम और गिलोय 10 ग्राम आदि को बराबर मात्रा में लेकर कूट-पीसकर चूर्ण बनाकर रखें। इसमें से 2 ग्राम की मात्रा में चूर्ण को पानी के साथ सेवन करने से रक्तचाप कम होता है।

सर्पगन्धा, गिलोय और आंवला को समान भाग मिलाकर चूर्ण बनाकर रख लें। 1-1 ग्राम की मात्रा में रोजाना सुबह और शाम खाने से उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) में लाभ होता है। इस ट्रीटमेंन्ट के दौरान गर्म चीजे न खायें।
सर्पगन्धा, आंवला, गिलोय, अर्जुन-वृक्ष की छाल, पुनर्नवा और आशकन्द बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को शहद के साथ दिन में दो बार खाने से उच्च रक्तचाप (हाई ब्लडप्रेशर) में लाभ होता है।

गेहूं:गेहूं की बासी रोटी सुबह-सुबह दूध में भिगोकर खाने से उच्चरक्तचाप (हाई ब्लडप्रेशर) सामान्य हो जाता है।
गेहूं और चना बराबर मात्रा में लेकर आटा पिसवायें। चोकर सहित आटे की रोटी बनायें और खायें। एक-दो दिन में ही उच्च रक्तचाप में सुधार आने लगेगा।

दही: दही में ग्लूकोज मिलाकर खाते रहने से कुछ दिनों में उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) ठीक हो जाता है। ध्यान रहे कि औषधि सेवन-काल तक और कुछ न खायें। यदि दही खाने से शरीर में अकड़न और आलस्य प्रतीत हो तो ग्लूकोजयुक्त चाय पी सकते हैं।

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