UPSRTC की लापरवाही: कोहरे में सुरक्षा से समझौता, बसों की मेंटेनेंस पर सवाल
उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम (UPSRTC) की बसों की मेंटेनेंस और सुरक्षा इंतजामों में गंभीर खामियां एक बार फिर सामने आई हैं। 14 नवंबर को मथुरा में घने कोहरे के चलते मथुरा-दिल्ली-फरीदाबाद मार्ग पर जैंत थाना क्षेत्र में एक रोडवेज बस खड़े ट्रक से टकरा गई। इस हादसे में 12 यात्री घायल हो गए। यह घटना UPSRTC की लचर मेंटेनेंस और सुरक्षा प्रबंधन की पोल खोलती है।
मेंटेनेंस की अनदेखी ने बढ़ाया खतरा
UPSRTC के क्षेत्रीय कार्यालय से सभी बसों में ऑल वेदर बल्ब, वाइपर, और रिफ्लेक्टिव टेप लगाने के निर्देश दिए गए थे। लेकिन मथुरा डिपो में इन निर्देशों पर अमल नहीं हुआ। हादसे के बाद यह खुलासा हुआ कि बसों में अभी तक न तो ऑल वेदर बल्ब लगाए गए हैं और न ही बैक लाइट और वाइपर को सही स्थिति में रखा गया है।
डिपो की स्थिति
- मथुरा डिपो में 167 बसें हैं, जिनमें से 98 निगम की और 69 अनुबंधित हैं।
- अनुबंधित बसों में सुरक्षा और रखरखाव के इंतजाम और भी खराब हैं।
- वर्कशॉप में कर्मचारियों की कमी, उपकरणों की अनुपलब्धता, और लापरवाह प्रबंधन से मेंटेनेंस कार्य बुरी तरह प्रभावित है।
घटना का ब्योरा और लापरवाही की कहानी
घने कोहरे के कारण बस चालक को खड़े ट्रक की स्थिति का अंदाजा नहीं हुआ और बस ट्रक से जा टकराई। दुर्घटना के बाद घायल यात्रियों को स्थानीय पुलिस और राहगीरों की मदद से अस्पताल पहुंचाया गया। क्षेत्रीय प्रबंधक बी.पी. अग्रवाल ने हादसे पर दुख व्यक्त किया, लेकिन यह भी स्वीकार किया कि सुरक्षा उपायों में गंभीर खामियां हैं।
क्यों होती है मेंटेनेंस में देरी?
- फंड की कमी: UPSRTC के पास मेंटेनेंस के लिए पर्याप्त फंड नहीं है, जिससे जरूरी उपकरण समय पर उपलब्ध नहीं होते।
- कर्मचारियों की कमी: वर्कशॉप में प्रशिक्षित कर्मचारियों की भारी कमी है, जिससे बसों की समय पर जांच और सुधार नहीं हो पाती।
- प्रबंधन की लापरवाही: निर्देश देने के बावजूद निगरानी की कमी के कारण सुधार कार्य लंबित रह जाते हैं।
घायलों का हाल और यात्रियों की सुरक्षा पर सवाल
हादसे में घायल 12 यात्रियों को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। इनमें से तीन की हालत गंभीर बताई जा रही है। यात्रियों ने शिकायत की कि बसों में कोहरे के दौरान यात्रा करना बेहद खतरनाक हो गया है, क्योंकि न तो बसों में सही लाइट्स हैं और न ही वाइपर काम कर रहे हैं।
“हम अपनी जान जोखिम में डालकर यात्रा कर रहे हैं,” एक घायल यात्री ने बताया।
कोहरे के दौरान UPSRTC की तैयारियां सवालों के घेरे में
सर्दियों के मौसम में कोहरा उत्तर प्रदेश की सड़कों पर बड़ी चुनौती बनता है। विशेषज्ञों का कहना है कि कोहरे में सुरक्षित ड्राइविंग के लिए बसों में आधुनिक तकनीक और नियमित मेंटेनेंस अनिवार्य है। लेकिन UPSRTC की लापरवाही के चलते हादसे रुकने का नाम नहीं ले रहे।
जरूरी मेंटेनेंस की लिस्ट:
- ऑल वेदर बल्ब: कम दृश्यता में सड़क को रोशन रखने के लिए जरूरी।
- रिफ्लेक्टिव टेप: कोहरे में वाहन की पहचान के लिए अनिवार्य।
- सही बैक लाइट और वाइपर: बारिश या कोहरे में ड्राइवर की मदद के लिए महत्वपूर्ण।
- इंजन और ब्रेक चेक: अचानक खराबी और हादसों को रोकने के लिए जरूरी।
अनुबंधित बसों की दयनीय स्थिति
UPSRTC के अनुबंधित बसों के मालिकों को भी कोहरे से निपटने के निर्देश दिए गए थे। लेकिन इन निर्देशों का पालन न के बराबर हुआ। अनुबंधित बसों में खराब टायर, टूटी हुई लाइट्स, और घटिया सीटें आम समस्या हैं।
आंकड़ों में मेंटेनेंस की खामियां:
- 40% बसें नियमित मेंटेनेंस के बिना ही चल रही हैं।
- 60% अनुबंधित बसों में जरूरी उपकरणों की कमी है।
- औसतन हर महीने कोहरे के कारण 10-15 दुर्घटनाएं होती हैं।
पिछले हादसों से भी नहीं सीखा सबक
यह पहली बार नहीं है कि UPSRTC की लापरवाही के कारण ऐसी दुर्घटना हुई हो। हर साल सर्दियों में कोहरे के चलते कई सड़क हादसे होते हैं। लेकिन प्रशासन और निगम की उदासीनता के कारण यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं की जाती।
2019 और 2021 की घटनाएं:
- 2019 में मथुरा में ही कोहरे के चलते दो बसों की टक्कर में 5 लोगों की मौत हुई थी।
- 2021 में आगरा एक्सप्रेसवे पर घने कोहरे में रोडवेज बस ने 3 वाहनों को टक्कर मारी थी।
जनता और विशेषज्ञों की राय
स्थानीय नागरिकों और सड़क सुरक्षा विशेषज्ञों ने UPSRTC की लापरवाही की कड़ी निंदा की है।
“कोहरे के दौरान बसें चलाने से पहले उन्हें पूरी तरह तैयार करना चाहिए। ऑल वेदर बल्ब, ब्रेक, और बैक लाइट जैसी जरूरी चीजों के बिना बसें चलाना यात्रियों की जान के साथ खिलवाड़ है,” एक विशेषज्ञ ने कहा।
यात्रियों का कहना है कि सरकार को UPSRTC पर दबाव बनाना चाहिए ताकि सुरक्षा और मेंटेनेंस के इंतजाम सुनिश्चित किए जा सकें।
प्रशासन का वादा: फिर वही ढर्रा?
आगरा क्षेत्रीय प्रबंधक ने भरोसा दिलाया कि “सभी बसों में जल्द ही ऑल वेदर बल्ब लगाए जाएंगे और कोहरे के दौरान बिना सुरक्षा उपकरणों के बसों का संचालन नहीं होगा।” लेकिन सवाल उठता है कि इन वादों का कितना असर होगा?