Waqf Board बिल 🏛️ सरकार का बड़ा फैसला, कैबिनेट की मंजूरी के बाद संसद में हंगामे के आसार! 🔥
केंद्र सरकार ने Waqf Board बिल को लेकर एक बड़ा कदम उठाया है। जेपीसी (संयुक्त संसदीय समिति) की रिपोर्ट के आधार पर गुरुवार को केंद्रीय कैबिनेट ने इस बिल को मंजूरी दे दी। अब इसे संसद के आगामी बजट सत्र के दूसरे चरण में पेश किया जाएगा। माना जा रहा है कि 10 मार्च के बाद यह विधेयक लोकसभा में रखा जाएगा, जहां इसे लेकर तीखी बहस और विरोध की संभावना जताई जा रही है।
सरकारी सूत्रों के मुताबिक, 19 फरवरी को कैबिनेट की बैठक में इस विधेयक के संशोधनों पर चर्चा हुई, जिसके बाद इसे मंजूरी दे दी गई। गौरतलब है कि पिछली बार यह Waqf Board बिल अगस्त में संसद में पेश किया गया था, लेकिन विपक्षी दलों के भारी विरोध और हंगामे के कारण इसे संयुक्त संसदीय समिति (JPC) को भेज दिया गया था। अब जब यह बिल संसद में दोबारा पेश किया जाएगा, तो इसके समर्थन और विरोध में बड़े राजनीतिक घटनाक्रम देखने को मिल सकते हैं।
🕌 वक्फ क्या है और क्यों इतना विवादास्पद?
“वक्फ” अरबी भाषा का शब्द है, जिसका शाब्दिक अर्थ होता है “ठहरना” या “कायम रहना”। इसका विशेष अर्थ धार्मिक और समाजसेवा के उद्देश्यों के लिए संपत्ति दान करने से है। वक्फ बोर्ड उन्हीं संपत्तियों की निगरानी करता है, जो धार्मिक और परोपकारी कार्यों के लिए दी जाती हैं।
भारत में वक्फ बोर्ड एक अति महत्वपूर्ण संस्था है, जिसके पास भारी मात्रा में संपत्ति है। इसका मुख्य उद्देश्य इस्लामिक धार्मिक कार्यों जैसे मस्जिदों का निर्माण, शिक्षण संस्थानों का संचालन, अनाथालय, कब्रिस्तानों और अन्य धार्मिक उद्देश्यों के लिए भूमि और संपत्तियों का सही इस्तेमाल सुनिश्चित करना है।
परंतु, वक्फ बोर्ड की बेतहाशा बढ़ती संपत्ति और अधिकारों को लेकर कई विवाद भी उठते रहे हैं। कुछ संगठनों और राजनीतिक दलों का मानना है कि वक्फ बोर्ड के अधिकारों में पारदर्शिता और सुधार की जरूरत है।
⚖️ वक्फ बोर्ड बिल में क्या बदलाव किए गए हैं?
इस बार जो वक्फ बिल संसद में पेश किया जाएगा, उसमें कई बड़े संशोधन किए गए हैं।
🔹 पारदर्शिता बढ़ाने पर जोर: नए बिल में वक्फ संपत्तियों की निगरानी और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए सख्त प्रावधान जोड़े गए हैं। इससे गड़बड़ियों और भ्रष्टाचार पर रोक लगाने में मदद मिलेगी।
🔹 संपत्तियों के उपयोग का स्पष्ट निर्देश: यह बिल यह सुनिश्चित करेगा कि दान में मिली संपत्तियों का दुरुपयोग न हो और उनका उपयोग उन्हीं उद्देश्यों के लिए हो, जिनके लिए वे दी गई थीं।
🔹 राज्यों की भूमिका को मजबूत किया गया: इस संशोधित बिल में राज्य सरकारों को अधिक अधिकार दिए गए हैं, ताकि वे वक्फ बोर्ड की संपत्तियों की बेहतर निगरानी कर सकें।
🔹 गैर-कानूनी अतिक्रमण पर सख्ती: वक्फ संपत्तियों पर अवैध कब्जों को रोकने के लिए नए नियम जोड़े गए हैं, जिससे बेनामी संपत्तियों पर कार्रवाई आसान हो जाएगी।
🗳️ संसद में टकराव तय! विपक्ष ने उठाए सवाल
इस विधेयक को लेकर संसद में भारी हंगामा होने की संभावना है। विपक्षी दलों ने पहले ही सरकार पर वक्फ संपत्तियों पर नियंत्रण स्थापित करने की कोशिश का आरोप लगाया है।
🚨 कांग्रेस, टीएमसी, समाजवादी पार्टी और एआईएमआईएम जैसे दल इस विधेयक का विरोध कर सकते हैं।
📢 एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने इस बिल को लेकर अपनी नाराजगी जाहिर की है। उनका कहना है कि सरकार वक्फ संपत्तियों पर अपना नियंत्रण बढ़ाना चाहती है, जो मुस्लिम समुदाय के धार्मिक और सामाजिक अधिकारों का उल्लंघन होगा।
📢 दूसरी ओर, सरकार का दावा है कि यह बिल वक्फ बोर्ड में पारदर्शिता और जवाबदेही लाने के लिए बेहद जरूरी है।
🔍 वक्फ संपत्ति से जुड़े विवादों की लंबी फेहरिस्त!
भारत में वक्फ बोर्ड और उसकी संपत्तियों को लेकर कई बार विवाद खड़े हो चुके हैं। देश के कई हिस्सों में वक्फ बोर्ड की संपत्तियों को लेकर अवैध कब्जों, भ्रष्टाचार और गड़बड़ियों की खबरें आती रही हैं।
👉 दिल्ली, मुंबई, हैदराबाद, लखनऊ, भोपाल और कई अन्य शहरों में वक्फ संपत्तियों पर अतिक्रमण को लेकर कई मुकदमे अदालतों में लंबित हैं।
👉 2014 में वक्फ बोर्ड को लेकर एक बड़ी रिपोर्ट आई थी, जिसमें बताया गया था कि देश में 6 लाख से ज्यादा वक्फ संपत्तियां हैं, जिनका कुल क्षेत्रफल छोटे देशों के बराबर है!
👉 2018 में एक और विवाद सामने आया था, जब कुछ राजनीतिक संगठनों ने आरोप लगाया कि वक्फ संपत्तियों का गलत इस्तेमाल किया जा रहा है।
👉 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ बोर्ड की कई संपत्तियों पर चल रहे विवादों पर सुनवाई की थी, जिसमें अवैध कब्जों को हटाने का आदेश दिया गया था।
📜 अब आगे क्या होगा?
➡️ मार्च के दूसरे सप्ताह में इस विधेयक को संसद में पेश किया जाएगा।
➡️ अगर यह विधेयक लोकसभा और राज्यसभा से पारित हो जाता है, तो यह कानून बन जाएगा।
➡️ विपक्षी दलों के विरोध और संसद में संभावित हंगामे के बीच सरकार को इस बिल को पास कराना बड़ी चुनौती होगी।
➡️ विधेयक को लेकर देशभर में अलग-अलग समुदायों और संगठनों की राय बंटी हुई है। कुछ इसे पारदर्शिता बढ़ाने वाला कदम मान रहे हैं, तो कुछ इसे धार्मिक मामलों में सरकारी दखल का प्रयास बता रहे हैं।