स्वास्थ्य

डेंगू बुखार (Dengue fever) कारण, उपचार तथा बचाव

डेंगू ज्वर (Dengue fever) विशेषकर बरसात के उत्तरार्द्ध में होता है , इसके दो भेद हैं- पीड़िका युक्त और पीडिका रहित , पीड़िका युक्त ज्वर अधिक होता है , सामान्य लोग डेंगू बुखार , साधारण बुखार , वायरस बुखार या मलेरिया में अंतर नहीं समझ पाते हैं 

अतः वे शुरू में इसका इलाज सामान्य या मलेरिया समझकर ही कराते हैं और जब स्थिति गंभीर हो जाती है तब उन्हें इसका पता चलता है . कारण डेंगू बुखार बिल्कुल अलग किस्म का ज्वर है , जिसके साधारण और खतरनाक दोनों रूप हो सकते हैं . डेंगू के ज्यादातर मामलों में शुरू में कोई लक्षण प्रकट नहीं होते

यह Dengue fever  बुखार ‘ एडीस . एजिप्ती प्रजाति के मच्छरों के काटने से फैलता है . नर एडीस मच्छर की अपेक्षा मादा मच्छर ज्यादा ख़तरनाक होता है . यह मच्छर बड़े आकार का होता है और उस पर धारियां होती हैं . इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह अन्य मच्छरों की तरह रात में नहीं , बल्कि दिन में सक्रिय होता है 

Dengue fever पहली बार होने पर खतरनाक नहीं होता है . ख़तरा उस समय अधिक बढ़ जाता है जब यह दुबारा होता है , तात्पर्य यह कि जो लोग डेंगू के कारण काल कवलित होते हैं . वे दो – चार साल पहले इसके शिकार हो चुके रहते हैं . इसी तरह जो लोग डेंगु से पीड़ित होने के बावजूद बच जाते हैं , उन्हें कम से कम अगले तीन – चार वर्षों तक विशेष सचेत रहने की जरूरत होती है , चिकित्सा वैज्ञानिकों के अनुसार डेंगू बुखार वायरस संक्रमण का परिणाम है जो एडीस मच्छरों के काटने से फैलता है , इसलिए इसे एडीस इजिप्तियाई भी कहा जाता है , डेंगू को ‘ ब्रेक बैक फीवर ‘ भी कहते हैं 

क्योंकि डेंगू बुखार में भयानक दर्द होता है . डेंगू त तरह के होते हैं – ट्रिवियल ( मामूली ) , क्लासिकल ( साधारण ) और हैमरेजिंग (खतरनाक ) डेंगू बुखार के लक्षण आमतौर पर शुरू में डेंगू ( ट्रिवियल ) के कोई लक्षण प्रकट नहीं होते और वह बिना दवा के भी ठीक हो सकता है . क्लासिक डेंगू बुखार में कुछ काल ग्लानि तथा अंग – मर्द ( शरीर ) टूटना ) होने के बाद शीत से अकस्मात् ज्वर चढ़ जाता है 

कनपटी , शाखाओं और कमर में अत्यंत पीड़ा होती है . ऐसा प्रतीत होता है कि हड्डियां टूट रही है . इसी कारण उसे ‘ अस्थिभंजन ज्वर ‘ भी कहा जाता है , त्वचा उष्ण तथा रक्ताभ होती है . कई बार शरीर पर पीडिकाएं निकल आती है , ज्वर 103 ° से 104 ° फा . तक होता है और तीन – चार दिन बाद एक – दो दिन के लिए कम हो जाता है 

इसके अतिरिक्त सिरदर्द , आंखंदर्द , जुकाम , नाक से पानी गिरना , शरीर के निचले हिस्से के जोड़ों में दर्द , भूख की कमी , कमजोरी , मुख का ज्वाद बिगड़ जाना , गले में खराश आदि लक्षण भी पाए जाते हैं . हैमरेजिंग डेंगू में जीवन का खतरा बढ़ जाता है . इस स्थिति में उपरोक्त लक्षणों के अतिरिक्त मल – मूत्र के साथ रक्तस्त्राव भी होने लगता है 

ऐसे में मल का रंग भी काला हो जाता है . यह डेंगू ज्यादा मारक और खतरनाक होता है . शुरू में ही यदि डेंगू के लक्षणों का पता लग जाए तो इसे नियंत्रित किया जा सकता है . डेंगू बुखार में रक्त स्त्राव अधिक होने पर खून में ‘ प्लेटलेट्स ‘ की कमी हो जाती है . यह प्लेटलेट्स बहते हुए खून को जमाने का काम करता है

इनकी कमी होने पर खून नम नहीं पाता और लगातार बहता रहता है , डेंगू बुखार , जब अत्यधिक गंभीर रूप धारण कर लेता है तो शरीर पर दाने निकल आते हैं जो खसरे के दाने जैसे होते हैं।

डेंगू से बचने के उपाय

Dengue fever के उपचार से अधिक उसका बचाव जरूरी होता है . इसकी रोकथाम के लिए सफाई से बढ़कर दूसरा कोई उपाय नहीं है . डेंगू  के मच्छर ठहरे हुए पानी में पनपते हैं . इसलिए डेंगू का संक्रमण के अंतिम दिनों में होने लगता है , गड्ढों में जमा पानी बरसात एडीस मच्छरों के लिए वरदान साबित होता है.

अतः इसके लिए कूलरों को बंद करना जरूरी है . घर के आसपास भी पानी का जमाव नहीं होने देना चाहिए . इसके लिए गड्ढ़ों को भर देना चाहिए है जिससे पानी जमा न हो सके , घरों तथा उसके आसपास कीटनाशक दवाओं का छिड़काव करना चाहिए . ये सबसे पहले तालु पर निकलते हैं , फिर छाती एवं पेट पर . इनमें खुजली भी होती है . • डेंगू ज्वर और मलेरिया में भेद मरीज ही नहीं , बल्कि डॉक्टर भी कभी – कभी डेंगू बुखार को मलेरिया मान बैठते हैं और वे मलेरिया की तरह उपचार भी करते हैं , जबकि डेंगू और मलेरिया दोनों भिन्न – भिन्न व्याधियां है

Dengue fever के कुछ विशेष लक्षण होते हैं जो मलेरिया में नहीं पाए जाते हैं . मलेरिया के ज्वर में आंखों अथवा जोड़ों में दर्द नहीं होता है . ‘ रक्तस्त्राव तथा शरीर पर दानें सिर्फ डेंगू ज्वर के लक्षण है.

डेंगू ज्वर की विशेषता है कि यदि इसका ठीक ढंग से उपचार किया जाए और ठीक हो जाए तो यह दुबारा नहीं होता  जबकि मलेरिया में ऐसा नहीं है . यह एक से अधिक बार भी हो सकता है .

# सरसों तथा नारियल का तेल लगाने से भी मच्छरों के काटने से चार – पांच घंटे तक बचाव होता है . इस तेल में नीम का तेल मिला देने से इसका प्रभाव लगभग दो घंटे और बढ़ाया जा सकता है , ऐसे कपड़े पहनने चाहिए जिससे शरीर अधिक से अधिक ढंका रहे

Dengue fever में रोगी के शरीर में पानी की कमी भी हो जाती है , अतः रोगी को ‘ ग्लूकोज़ ‘ या इलेक्ट्रोल देना चाहिए , इस प्रकार सतर्कता बरतने से डेंगू के प्रसार को रोका जा सकता है .

डेंगू की गंभीर बीमारी के लिए दवाएं शरीर पर अनेक प्रकार के साईड-इफेक्ट करती है। डेंगू की बीमारी से बचने के लिए पपीते के पत्तों का रस बहुत ही अच्छा माना गया है। इसके रस में पपैन और सिमोपपैन नामक एंजाइम पाएं जाते हैं जो कि प्लेटलेट्स की वृद्धि करके डेंगू को नष्ट करते हैं।

पपीते के पत्तों का रस निकालकर दिन में दो बार 2–3 चम्मच की मात्रा लेने से डेंगू से बचाव किया जा सकता है।

* तुलसी के पत्तों को पानी में उबालकर, गुनगुना होने पर इसमें एक चम्मच शहद मिलाकर दिन में 2–3 बार पीएं

* दूध में हल्दी पाउडर 1/2 चम्मच मिलाकर 2–3 बार पीएं, इसमें मौजूद एंटीबायोटिक तत्त्व आपके प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत कर बीमारियों से आप की रक्षा करते हैं ।

* गिलोय के तनों को लेकर इसे उबाल लें और गुनगुना होने पर इसका सेवन करें। इसमें तुलसी की पत्तियां भी मिला सकते हैं

Dr. Ved Prakash

डा0 वेद प्रकाश विश्वप्रसिद्ध इलेक्ट्रो होमियोपैथी (MD), के साथ साथ प्राकृतिक एवं घरेलू चिकित्सक के रूप में जाने जाते हैं। जन सामान्य की भाषा में स्वास्थ्य सम्बन्धी जानकारी को घर घर पहुँचा रही "समस्या आपकी- समाधान मेरा" , "रसोई चिकित्सा वर्कशाप" , "बिना दवाई के इलाज संभव है" जैसे दर्जनों व्हाट्सएप ग्रुप Dr. Ved Prakash की एक अनूठी पहल हैं। इन्होंने रात्रि 9:00 से 10:00 के बीच का जो समय रखा है वह बाहरी रोगियों की नि:शुल्क चिकित्सा परामर्श के लिए रखा है । इनका मोबाइल नंबर है- 8709871868/8051556455

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