Mental health: घातक हो सकता है आपका मानसिक तनाव (Stress), Depression का सामना
Mental health: बढ़ता तनाव (Stress), Tension, Depression स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है । तनावजनित स्थिति उत्पन्न होने पर दो प्रकार की प्रतिक्रियाएं होती हैं संघर्ष अथवा पलायन । जब मानव संकट में होता है ( मानो उसे धमकी दी जाती है ) तब वह अपने आपको तैयार करता है । किंतु उसे प्रायः अपने स्नायु तंत्र की प्रतिक्रियाओं को नियंत्रित करने के लिए संघर्ष करना पड़ता है ।
द्रुत नाड़ी – स्पन्द ( रेपिड पल्स ) , तनी हुई मांसपेशियां , धड़कता हुआ दिल , सांस की कमी | और भावनाएं तनाव के प्रखर ( लघु अवधि के ) प्रभाव है । यह अनुकूली प्रतिक्रिया ( एडेप्टि रेस्पांस ) हैं , जो हमारे शरीर और मन में खतरा या चुनौती का सामना करने के लिए उभरती है । समय – समय पर सभी उसका अनुभव करते हैं ।
जब प्रखर प्रभाव प्रकट होते हैं , तब भी स्वस्थ व्यक्ति के लिए घातक नहीं होता जब तक समस्या का निराकरण हो जाता है तब तक उसकी विशेष चिन्ता करने की आवश्यकता नहीं होती । जब दबाव से मुक्ति नहीं मिलती तब तनाव के चिरकालिक ( दीर्घावधि ) प्रभाव नजर आते हैं । यद्यपि कभी – कभी उनके बारे में बताना कठिन होता फिर भी वे इस बात के संकेत देते हैं कि आप अपनी जीवन शैली अथवा अपनी काम की आदतों का सामंजस्य बिठाएं , ताकि बदतर समस्याएं पैदा न हों ।
तनाव (Stress) का रसायन तनाव और भावनाओं का आपसी संबंध है । ये दोनों सिर्फ मनोवैज्ञानिक घटनाएं नहीं हैं , बल्कि रासायनिक घटनाएं भी है । तनाव की उत्पत्ति कहीं से भी हो सकती है डर , घृणा , दुःख , युद्धं -आदि के अलावा अनियंत्रित दिनचर्या भी तनाव (Stress) का कारण हो सकती है । इस रासायनिक क्रिया श्रृंखला उत्पन्न होती है ।
स्ट्रेस हारमोनस
और शरीर में कई प्रकार के रसायन एवं हार्मोन उत्सर्जित होने लगते हैं । तनाव (Stress) की स्थिति आते ही शरीर के विविध हिस्सों से मस्तिष्क को खतरे की सूचनाएं पहुंचती हैं , ताकि वह ” भागो या मुकाबला करो ” के लिए तैयार हो सके । तनाव से मस्तिष्क का वह हिस्सा प्रभावित होता है , जो हमारी भूख , क्रोध की भावना आदि अनेक कार्यों को नियंत्रित करता है । इसी समय ‘ स्ट्रेस हारमोनस ‘ जिन्हें संयुक्त रूप से एट्रीनलिन कहा जाता है , सवित होते हैं । इसी दौरान रुधिर वाहिकाएं सिकुड़ जाती हैं , रक्त की आपूर्ति कम हो जाती है और हमारा ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है । इसी समय ‘ ब्लड सुगर ‘ की मात्रा भी तेजी से बढ़ती है । श्वांस वाहिकाएं , सिकुड जाती हैं , हृदय की धड़कन बढ़ जाती है अथवा अनियमित हो सकती है ।
मैं अपने अनुभव के आधार पर कह सकता हूं कि जिन इलाकों में कुछ समय पूर्व बम गिरें हों या तीव्र भूकम्प आया हो या , वहां कई लोग हृदयघात से मर जाते है । मैं तो इन मौतों का कारण तनाव मानता हूं । यद्यपि जीवन के लिए घातक घटनाएं कम ही घटित होती हैं , किन्तु मौजूदा जीवन शैली में बढ़ते दबावों के अन्दर काम करना तनाव को एकत्र करना है । तनाव की पुनरावृत्ति के कारण : शरीर में रसायनों की मात्रा असंतुलित हो जाती है ।
तनाव (Stress) का प्रभाव तुरन्त भी नजर आ सकता है , जैसे हार्ट अटैक , गर्भपात , अनिद्रा आदि या फिर इस रासायनिक असंतुलन का प्रभाव देरी से प्रकट हो सकता है , जैसे- हृदय रोग , त्वचा के रोग , डायबिटीज , अल्सर आदि ।
तीव्र तनाव (Stress) की वजह से लड़ो या भागो की जो स्थिति उत्पन्न -ताम्बी होती है , उसके एक प्रभाव के रूप में हमारा पाचन तंत्र गड़बड़ा जाता है । ऐसा होने पर अपचित भोजन और स्रावित अम्ल , देर तक पेट में रह सकते हैं , जिसकी वजह से पेट की अंदरुनी दीवारों पर जलन एवं सूजन उत्पन्न हो जाती है , जो आगे चलकर अल्सर में बदल जाती है । तनाव और हृदय रोग जैसा कि पूर्व में बताया जा चुका हैं , तनाव हमारा रक्तचाप बढ़ाता है ।
तनाव (Stress) जनित उच्च रक्तचाप के परिणामस्वरूप
अति रक्तचाप के पीड़ितों में रक्तचाप चरम सीमा पर रहता है । नतीजा यह होता है कि रक्तवाहिकाएं कमजोर हो जाती हैं और अंत में फट सकती हैं । जब यह मस्तिष्क की प्रमुख धमनी में होता रक्तघात का दौरा पड़ने में होता है , जिससे दुर्बलता तब उसका परिणाम आ जाती है या घातक नुकसान हो सकता है । दीर्घकालिक उच्च रक्तचाप से हृदय एवं गुर्दे कमजोर हो जाते हैं । तनाव जनित उच्च रक्तचाप के परिणामस्वरूप ” एंजाइना पेक्टेरिस ” हो सकता है या दिल का दौरा ‘ कोरोनरी थ्रोम्बोसिस ‘ हो सकता है ।
सामान्यतया उच्च रक्तचाप के लक्षणों की पहचानते समय हम मुंह में सूखापन बना रहना , अत्यधिक पसीना आना , सांस लेने में तकलीफ आदि लक्षणों पर तो गौर करते है , किन्तु एक आम और विश्वसनीय चेतावनी ” तनाव ” की सामान्यता उपेक्षा करते हैं । सतत् तनाव की स्थिति में गर्दन में मुक्त न की गई मांसपेशियों का तनाव अक्सर सिरदर्द पैदा कर देता है । तनाव के कारणं अर्ध – शिरोवेदना ( माइग्रेन हैडेक ) होती है ।
•• इस प्रकार का सिरदर्द पेशियों के तनने से नहीं, • बल्कि मस्तिष्क की रक्त को आपूर्ति करने वाले रक्तवाहिकाओं के ऐंठने और शिथिल होने के कारण होता है ।
ऊपरी श्वसन तंत्र प्रणाली से जुड़ी बीमारियां
तनाव (Stress) और प्रतिरक्षा प्रणाली यह देखा गया है कि परीक्षा के दिनों में कई विद्यार्थियों को ऊपरी श्वसन तंत्र प्रणाली से जुड़ी बीमारियां हो जाती हैं । इस प्रकार के संक्रमण सामान्यतया हमारे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली द्वारा नियंत्रित कर लिए जाते है । अतः वैज्ञानिकों के अनुसार परीक्षा से उत्पन्न तनाव के कारण हमारे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो जाती है और हम आसानी से संक्रमित हो कर बीमार हो जाते हैं । यह भी देखा गया है कि जो सैनिक पहली बार ऊंचाई से राशूट के सहारे छलांग लगाते हैं , उनमें ” नव ग्रोथ फेक्टर ” डर और नर्वसनेस के कारण बढ़ा हुआ पाया और उनके सुरक्षित जमीन पर पहुंच जाने के कई घंटों बाद तक बढ़ा रहा ।
इस बढ़े हुए नर्व ग्रोथ फैक्टर से हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो जाती है , अतः सुरक्षित छलांग लगाने के कई घंटों बाद भी इन सैनिकों के संक्रमित हो जाने की संभावना कई गुना अधिक नथी ।
तनाव (Stress) और अन्य बीमारियां क्या तनाव और कैंसर का आपसी संबंध है , क्या तनाव से अस्थमा या त्वचा की बीमारियां हो सकती है ? दोनों का उत्तर ” हां ” है । ऊपरी तौर पर तनाव एवं कैंसर के बीच सीधा संबंध नहीं पाया जाता । किन्तु कैंसर को बढ़ावा देने वाले कारकों का अध्ययन करें , तो हम पाते हैं कि व्यक्ति के व्यवहार का प्रभाव कैंसर से जुड़ा है तथा तनाव से व्यक्ति का व्यवहार प्रभावित होता है । अतः कैंसर और तनाव का अप्रत्यक्ष संबंध है ।
तनाव से उत्पन्न स्थिति में जब व्यक्ति धूम्रपान बढ़ा देता है , शराब बढ़ा देता है , चर्बी वाले भोज्य पदार्थ की मात्रा बढ़ा देता है तब ये कारक कैंसर को बढ़ावा देते है । बदले हुए व्यवहार के कारण भावनाओं का शमन , क्रोध को दबा कर रखना जैसे व्यक्तिगत कारकों एवं कैंसर का आपसी
मनोशारीरिक विकार तनाव (Stress)
संबंध अभी विवादास्पद है । तनाव (Stress) की वजह से हमें अस्थमा हो सकता है । यह एक ऐसा मनोशारीरिक विकार है , जो . किसी प्रिय की मृत्यु के उपरान्त या ” मुझे कोई नही समझता ” जैसी स्थिति के उपरान्त पनप सकता है । कई पकार की एलर्जी भी तनाव से उत्पन्न हो सकती है । एक्जीमा जैसे त्वचा के रोग और तनाव का आपसी संबंध पाया गया है । तनाव और कार्य निष्पादन तनाव के प्रारंभिक लक्षणों की जानकारी आवश्यक है , क्योंकि वे आपको बता सकते हैं कि आपका कार्य निष्पादन वेदना के बिन्दु पर है और दबाव के ऐसा ही रहने से उनका विपरीत परिणाम होगा ।
अगर आप दिन के अंत में शारीरिक रूप से थके हुए होते है । और सुबह उठने पर थकान महसूस कर रहे हैं तब जब तक ऐसे विचार मन में आकर प्रेरित नही होंगे कि काम करने के लिए पड़ा है तब तक हिलने के इच्छुक नहीं होंगे , तो इस चेतावनी को नजरअंदाज करना ही ठीक होगां यह इस बात का लक्षण है कि शायद उत्पादकता चरमसीमा पर है और शायद थकान के दबाव से नीचे फिसल रही है ।
यदि संकट समाप्त होने से पहले काम अत्यधिक है , तो शायद आप उसे अपेक्षाकृत जल्दी करेंगे , और बेहतर है कि आप कुछ दिन की छुट्टी ले । चेतावनी के दूसरे लक्षण है सोने में दिक्कत , अनिश्चितता , भुलक्कड़पन , मानसिक अवरोध तथा दिन के अंत में शब्दों के उच्चारण में कठिनाई ? आप अपने को आवेगशील व्यवहार करते पाएंगे ।
फटकारना अथवा उतावलापन करना: तनाव (Stress)
अत्यधिक दबाव से आपका घटा हुआ उत्साह आपको अस्त – व्यस्त और उद्विग्न बना देते हैं । तनाव और सम्बन्ध तनाव की प्रतिक्रियाओं के व्यक्तिगत तथा कार्य के स्थान पर गंभीर परिणाम हो सकते हैं । तनाव (Stress) से उत्पन्न बेचैनी आपकी विनोदशीलता नष्ट हो जाती है । हालांकि इसका पता आपको तब तक नहीं चलता , जब तक आपको कोई बता न दे । आप जरा सी चिड़चिड़ाहट के लिए अधिक प्रतिक्रिया व्यक्त करते हैं – लोगों को अचानक फटकारना अथवा उनके साथ उतावलापन करना
उद्धेग की मनःस्थिति में अपने किसी दोस्त या सहकर्मी के साथ मुठभेड़ से अपने दृष्टिकोण को व्यक्त करने , प्रभावशील रूप से सुनने तथा नई जानकारी संग्रह करने की आपकी क्षमता में कमी आने की संभावना रहती है । आपको आसानी से ऐसा लगेगा कि आपका विरोध किया जा रहा है । तथा आपको समझा नहीं जा रहा है ।
अत्यधिक तनाव (Stress) के अंतर्गत कई लोग आलोचना के प्रति अति संवेदनशील हो जाते हैं । याद रखें दीर्घकालिक तनाव के प्रति आपकी प्रतिक्रिया , आपके परिवार के लिए तनाव कारक है , अतः आप स्वयं अपने लिए ही नहीं , बल्कि उनके लिए भी परेशानी उत्पन्न कर रहे हैं 1 बेहतर यह होगा कि आप तनाव उत्पन्न करने वाली स्थितियों से बचें , उन्हें पहचानें , उन्हें सहजता से लें तथा तनाव प्रबंध की महत्ता को स्वीकारते हुए , अपनाते हुए तनाव मुक्त रहने का यत्न करें ।
STOP- Suicidal Behaviours, आत्महत्या रोकने में सक्षम है Homeopathy