अपनी कलम से-तेरे पास मुस्कुराकर आएंगे
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हालात जो भी हो,हम तेरे पास मुस्कुराकर आएंगे,
मोहब्बत की सब हद तक हम भी, जाकर आएंगे…
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कितना दर्द होता है किसी अजीज के बिछड़ने से,
ये जरा सी बात भी उस खुदा को, बताकर आएंगे…
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तुम भी तलाशना,शायद कोई मुझसे बेहतर मिले,
हम भी इस तमाम कायनात को, ढूंढवाकर आएंगे….
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दुनिया की बंदिशों में,मोहब्बत का कत्ल हुआ है,
अगली दफा ये सब बंदिशे हम,हटाकर आयेंगे…
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तुम्हारी अब भी बसर हो जाएगी,ये हसीं जिंदगी,
हम अब अपनी इस जिंदगी को,मिटाकर आएंगे…
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किसी ओर की अमानत पर हक नहीं जताते,
अपने दिल को भी ये अल्फ़ाज़,समझाकर आएंगे…
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इस जन्म उनसे,मोहब्बत मुकम्मल ना होगी “दीप”
अगले जन्म उनको नसीबो में,लिखवाकर आएंगे …
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रचनाकार:
इं0 दीपांशु सैनी (सहारनपुर, उत्तर प्रदेश) उभरते हुए कवि और लेखक हैं। जीवन के यथार्थ को परिलक्षित करती उनकी रचनाएँ अत्यन्त सराही जा रही हैं। (सम्पर्क: 7409570957)