अपनी कलम से..
दर्द क्या होता है , तुम्हे बताएंगे किसी रोज,
दर्द भरी एक ग़ज़ल, तुमको सुनाएंगे किसी रोज,
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थी उनकी ये जिद, कि मै जाकर मनाऊं उनको,
हमे वहम ये था, कि वो बुलाएंगे किसी रोज..
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उड़ने दो परिंदो को आजाद फिजाओं में,
तुम्हारे होंगे अगर, तो लौट आयेंगे किसी रोज,
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उनकी जुदाई से , क्या गुजरेगी इस दिल पर,
सोचा था ये बात , उनको समझाएंगे किसी रोज,
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उनको यकीं है, मै मोहब्बत में जान नहीं दूंगा,
मुझे बस ये डर है कि वो पछताएंगे किसी रोज,
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हसरतें इस दिल की ,यहां कभी पूरी नहीं होंगी,
इस दुनिया से बहुत दूर,चले जाएंगे किसी रोज,
…
लोगो से सुना है , कि इबादत से दुआ कुबूल होगी,
चलो हम अपने खुदा को, आजमाएंगे किसी रोज …
इं0 दीपांशु सैनी (सहारनपुर, उत्तर प्रदेश) उभरते हुए कवि और लेखक हैं। जीवन के यथार्थ को परिलक्षित करती उनकी रचनाएँ अत्यन्त सराही जा रही हैं।
Vaah kya baat h
Congratulations
Wt a reality thought?
Congratulations