स्वास्थ्य

स्वस्थ जीवन सफल जीवन की कुंजी

 व्यक्ति को अगर किसी भी कार्य में सफलता पानी है तो इसके लिए सबसे पहले उसके शरीर का स्वस्थ होना बहुत ही आवश्यक है क्योंकि जब तक स्वास्थ्य अच्छा नहीं होगा तब तक सफलता प्राप्त नहीं की जा सकती है।

जिस मनुष्य का स्वास्थ्य अच्छा होता है उस मनुष्य का मस्तिष्क, सोचने-समझने की क्षमता तथा कार्य के प्रति निष्ठा सही होती है और तभी वह मनुष्य किसी भी कार्य को करने में सफलता प्राप्त कर पाता है। इसलिए स्वस्थ जीवन ही सफलता प्राप्त करने की कुंजी है।

स्वस्थ जीवन के लिए महत्वपूर्ण बातें

पानी :-

सभी व्यक्तियों को स्वस्थ रहने के लिए प्रतिदिन सुबह के समय में बिस्तर से उठकर कुछ समय के लिए पालथी मारकर बैठना चाहिए और कम से कम 1 से 3 गिलास गुनगुना पानी पीना चाहिए या फिर ठंडा पानी पीना चाहिए। स्वस्थ रहने के लिए प्रत्येक व्यक्तियों को प्रतिदिन कम से कम 10 से 12 गिलास पानी पीना चाहिए।

महत्वपूर्ण क्रिया :-

सभी व्यक्तियों को स्वस्थ रहने के लिए प्रतिदिन दिन में 2 बार मल त्याग करना चाहिए।
सांसे लंबी-लंबी और गहरी लेनी चाहिए तथा चलते या बैठते और खड़े रहते समय अपनी कमर को सीधा रखना चाहिए।
दिन में समय में कम से कम 2 बार ठंडे पानी से स्नान करना चाहिए।
दिन में कम से कम 2 बार भगवान का स्मरण तथा ध्यान करें, एक बार सूर्य उदय होने से पहले तथा एक बार रात को सोते समय।

विश्राम :-

सभी मनुष्यों को भोजन करने के बाद मूत्र-त्याग जरूर करना चाहिए।
प्रतिदिन दिन में कम से कम 1-2 बार 5 से 15 मिनट तक वज्रासन की मुद्रा करने से स्वास्थ्य सही रहता है।
सोने के लिए सख्त या मध्यम स्तर के बिस्तर का उपयोग करना चाहिए तथा सिर के नीचे पतला तकिया लेकर सोना चाहिए।
सोते समय सारी चिंताओं को भूल जाना चाहिए तथा गहरी नींद में सोना चाहिए और शरीर को ढीला छोड़कर सोना चाहिए।
पीठ के बल या दाहिनी ओर करवट लेकर सोना चाहिए।
सभी मनुष्यों को भोजन और सोने के समय में कम से कम 3 घण्टे का अन्तर रखना चाहिए।

व्यायाम :-

सभी व्यक्तियों को स्वस्थ रहने के लिए प्रतिदिन सुबह के समय में आधे घण्टे तक व्यायाम करना चाहिए तथा सैर या जॉगिंग करनी चाहिए।
सभी व्यक्तियों को आसन, सूर्य-नमस्कार, बागवानी, तैराकी, व्यायाम तथा खेल आदि क्रियाएं करनी चाहिए, जिनके फलस्वरूप स्वास्थ्य हमेशा अच्छा रहता है।
भोजन करने के बाद कम से कम 20 मिनट तक टहलना चाहिए जिसके फलस्वरूप स्वास्थ्य सही रहता है।

भोजन :-

कभी भी भूख से ज्यादा भोजन नहीं करना चाहिए तथा जितना आवश्यक हो उतना ही भोजन करना चाहिए।
भोजन को अच्छी तरह से चबाकर तथा धीरे-धीरे और शांतिपूर्वक खाना चाहिए।
दिन में केवल 2 बार ही भोजन करना चाहिए।
सुबह के समय में कम से कम 8-10 बजे के बीच में भोजन करना चाहिए तथा शाम के समय में 5-7 बजे के बीच में भोजन कर लेना चाहिए। ऐसा करने से स्वास्थ्य हमेशा सही रहता है।
भोजन में बीज या खाद्यान्न उपयोग करने से पहले उसे रात भर पानी में भिगोकर रखना चाहिए। इसके बाद अगले दिन उनका उपयोग भोजन में करना चाहिए।
भोजन के एक भाग में अनाज तथा दूसरे भाग में सब्जियां होनी चाहिए।
ज्यादा पके हुए तथा ज्यादा कच्चे अन्न पदार्थों का भोजन नहीं करना चाहिए।
भोजन में वसायुक्त शुद्ध तेलों का ही इस्तेमाल करना चाहिए, जैसे- तिल का तेल या सूरजमुखी का तेल आदि।
भोजन में कच्चे पदार्थों का अधिक सेवन करना चाहिए जैसे- अंकुरित चीजें, ताजी और पत्तेदार हरी सब्जियां, सलाद, फलों का रस, नींबू तथा शहद मिला हुआ पानी, मौसम के अनुसार फल आदि।
दूध की जगह छाछ या दही का अधिक उपयोग करना चाहिए।
पका हुआ भोजन करने के लिए चोकर सहित आटे की रोटी, दलिए तथा बिना पॉलिश किए हुए चावल का उपयोग करना चाहिए।
सप्ताह में कम से कम 1 बार फलों का रस पीकर उपवास रखना चाहिए।
स्वस्थ रहने के लिए जैसे ही बीमार पड़े तुरंत ही प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार करना चाहिए।

कम उपयोग करने वाली चीजें :-

मिर्च-मसाले, दालें, घी, आइसक्रीम, क्रीम, नमक, मिठाईयां, गिरीदार चीजें तथा पकाई हुई चीजों का भोजन में बहुत ही कम उपयोग करना चाहिए।
अधिक वजन उठाने का कार्य नहीं करना चाहिए।
बहुत ज्यादा कठिन व्यायाम नहीं करना चाहिए।
ऊंची एड़ी के जूते नहीं पहनने चाहिए।
टी.वी. तथा फिल्में आदि ज्यादा नहीं देखनी चाहिए।

इन पदार्थों के सेवन से बचें :-

चाय, कॉफी, शराब, नशीली दवाईयां, धूम्रपान, सॉफ्ट ड्रिंक, तम्बाकू, पान, जर्दा तथा अन्य दूषित पदार्थ जिनसे शरीर को हानि होती हो, का सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि इन पदार्थों से शरीर का स्वास्थ्य केवल बेकार होता है सही कभी भी नहीं होता है।
चीनी, मैदा तथा पॉलिश किये हुए चावल का उपयोग नहीं करना चाहिए।
दूषित भोजन का सेवन न करें क्योंकि इसके सेवन से कई प्रकार के रोग हो सकते हैं और शरीर का स्वास्थ्य गिर सकता है।
रंगदार भोजन, फ्लेवर्ड, सिन्थेटिक, कृत्रिम खाद्य पदार्थ, डिब्बाबंद, ड्राइड तथा मिलावटी चीजों का सेवन न करें।
रिफाइंड तेलों का कम उपयोग करना चाहिए।
गैर-प्राकृतिक भोजन तथा पेय पदार्थों का उपयोग कम से कम करना चाहिए।
भूख न होने पर भोजन नहीं करना चाहिए।
ज्यादा चिंता नहीं करना चाहिए तथा किसी से नहीं डरना चाहिए।
ज्यादा गर्म तथा ज्यादा ठंडी चीजों का भोजन में इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
वायु, जल तथा शोर वाले प्रदूषणों से बचना चाहिए।
हानिकारक प्रसाधन सामग्री व वस्त्र, औषधियुक्त साबुन व क्रीम का उपयोग नहीं करना चाहिए।
भोजन करने के समय में बीच-बीच में पानी नहीं पीना चाहिए।
भोजन करने के कम से कम 1 घण्टे के बाद ही पानी पीना चाहिए।
रात के समय में देर से भोजन नहीं करना चाहिए।
भारी तथा ठोस भोजन नहीं करना चाहिए।
रात के समय में देर से नहीं सोना चाहिए।

अभ्यास :-

अपनी आंखों को स्वस्थ बनाये रखने के लिए प्रतिदिन सुबह तथा शाम के समय में त्रिफला के पानी से आंखों को धोना चाहिए।
दिन में 1 बार नमक मिले गुनगुने पानी से गरारे करने चाहिए, इसके फलस्वरूप स्वास्थ्य सही बना रहता है।
यदि कब्ज की शिकायत हो तो कुछ दिनों तक लगातार गुनगुने पानी से एनिमा क्रिया करनी चाहिए और पेट को साफ करना चाहिए।
स्वस्थ रहने के लिए सप्ताह में कम से कम 1 बार वमन धौति क्रिया (कुंजल या वमन) करनी चाहिए।
सप्ताह में कम से कम 1 बार शरीर की मालिश करनी चाहिए तथा धूप-स्नान करना चाहिए, जिसके फलस्वरूप शरीर का स्वास्थ्य अच्छा बना रहता है।
प्रतिदिन सुबह के समय में अपने तालू पर अच्छी तरह मालिश करनी चाहिए।
हर समय खुश रहने की कोशिश करनी चाहिए तथा सभी व्यक्तियों से हंसना-बोलना चाहिए।
प्रतिदिन 2 बार माथे या आंखों पर पानी के छींटे मारने चाहिए तथा मुंह पर पानी मारना चाहिए जिसके फलस्वरूप स्वास्थ्य सही रहता है।

कुछ सावधानियां :-

फलों और सब्जियों को खाने से पहले अच्छी तरह से धो लेना चाहिए तथा जो फल छीलकर खाने वाले हो उसे छीलकर ही खाने चाहिए।
किसी भी सब्जी तथा फलों को काटने से पहले अच्छी तरह से धो लेना चाहिए क्योंकि इन पर कीटनाशी तथा अन्य दूषित तत्व जमे होते हैं।
टी.वी. तथा पिक्चर आदि देखने के लिए उचित दूरी पर बैठकर देखें क्योंकि इससे आंखे खराब हो सकती हैं।

याद रखने लायक कुछ बातें :-

औषधियां बीमारियों से ज्यादा खतरनाक होती हैं इसलिए औषधियों का उपयोग ज्यादा नहीं करना चाहिए।
स्वस्थ रहने के लिए पर्याप्त जगह, शुद्ध वायु, शुद्ध जल, धूप, व्यायाम तथा शारीरिक क्रिया करना बहुत ही आवश्यक हैं तथा इसके बाद उचित भोजन का करना आवश्यक है।
भोजन, नींद, व्यायाम तथा विश्राम सम्बंधी नियमों का पालन करना चाहिए तभी स्वास्थ्य ठीक प्रकार से बना रह सकता है।
किसी भी बीमार व्यक्ति के लिए जल औषधि तथा आहार दवा के सामान होता है अत: किसी भी बीमारी को ठीक करने के लिए इनका उपयोग अधिक करना चाहिए।
किसी भी बीमारी को ठीक करने के लिए उपवास चिकित्सा का महत्वपूर्ण अंग है इसके द्वारा कई प्रकार के रोग ठीक हो जाते हैं।
किसी भी व्यक्ति को कोई भी कार्य करने के लिए जल्दबाजी नहीं करना चाहिए।

स्वस्थ रहने के लिए चिंता-फिक्र का त्याग कर देना चाहिए।

तेज मसालेदार तथा चिकनाईयुक्त सब्जियां व्यक्ति को बीमार कर देती हैं इसलिए इन चीजों का बहुत ही कम उपयोग करना चाहिए।

अच्छा स्वास्थ्य बनाये रखने के लिए कुछ आवश्यक बातों पर नजर :-

सभी प्रकार के रोगों को ठीक करने की शक्ति शरीर में ही मौजूद होती है।
थकान, बीमारी, दर्द होने पर तथा तनाव की स्थिति या फिर जल्दबाजी में भोजन नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे स्वास्थ्य पर बहुत बुरा असर पड़ता है।
किसी भी रोग को ठीक करने के लिए प्राकृतिक चिकित्सा का सहारा लेना चाहिए, क्योंकि यह चिकित्सा सर्वाधिक सुरक्षित और स्थायी होती है।
भोजन करने से आधा घण्टा पहले पानी पीना चाहिए तथा भोजन करने के कम से कम 1 घण्टे के बाद ही पानी पीना चाहिए। भोजन करने के समय में कभी भी पानी नहीं पीना चाहिए।
रोग की अवस्था में उचित भोजन का ही उपयोग करना चाहिए तथा कभी भी ऐसा भोजन नहीं करना चाहिए जिससे बीमारी का प्रकोप और बढ़ जाए।
अच्छा स्वास्थ्य संतुलित भोजन और जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण पर ही निर्भर करता है अत: भोजन उतना ही करना चाहिए जितना आवश्यक हो।
नशीली चीजें, तम्बाकू, शराब तथा अन्य विषैले पदार्थों का उपयोग नहीं करना चाहिए क्योंकि इन चीजों से स्वास्थ्य पर बहुत बुरा असर पड़ता है।
स्वस्थ रहने के लिए प्रतिदिन दिन में 10 से 12 गिलास पानी पीना चाहिए।
रात के भोजन और सोने के बीच में कम से कम 3 घण्टे का अन्तर रखना चाहिए इससे स्वास्थ्य सही रहता है।
धन से दवाई खरीदी जा सकती है स्वास्थ्य नहीं यह ध्यान रखना चाहिए।
चाय, कॉफी का ज्यादा इस्तेमाल नहीं करना चाहिए क्योंकि इन चीजों से स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है।
अनुशासित जीवन आपको दीर्घजीवी और खुशहाल बनाता है अत: अपने जीवन में अनुशासित रूप अपनाना चाहिए।
परिवर्तन संसार का नियम है इसलिए इसके साथ-साथ छेड़-छाड़ नहीं करनी चाहिए।
शरीर, मस्तिष्क व आत्मा को शुद्ध रखने के लिए योग सबसे आसन तरीका है। इसलिए अपने जीवन में योग का अच्छी तरह से इस्तेमाल करना चाहिए।
किसी भी रोग को ठीक करने के लिए प्राकृतिक चिकित्सा और योग एक ही गाड़ी के 2 पहिए हैं।
रोग को ठीक करने के लिए प्राकृतिक चिकित्सा पर विश्वास करना बहुत ही आवश्यक है। इसके फलस्वरूप रोग जल्द ही ठीक हो जाता है।

 

डॉ.ज्योति ओमप्रकाश गुप्ता

Contact: 9399341299

जबलपुर मध्य प्रदेश 

Dr. Jyoti Gupta

डॉ ज्योति ओम प्रकाश गुप्ता प्रसिद्ध चिकित्सक एवं Health सेक्शन की वरिष्ठ संपादक है जो श्री राजीव दीक्षित जी से प्रेरित होकर प्राकृतिक घरेलू एवं होम्योपैथिक चिकित्सा को जन जन तक सहज सरल एवं सुलभ बनाने के लिए प्रयासरत है, आप चिकित्सा संबंधित किसी भी समस्या के नि:शुल्क परामर्श के लिए 9399341299, [email protected] पर संपर्क कर सकते है।

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One thought on “स्वस्थ जीवन सफल जीवन की कुंजी

  • I really like reading an article that will make men and women think. Also, thank you for permitting me to comment!

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