ड्रिप विधि से करें सिंचाई, पानी की बचत, पैदावार अधिक…
मुजफ्फरनगर। जनपद गन्ना बहुल है। इस फसल में पानी की अधिक खपत होती है। पानी की बचत के लिए शासन ने ड्रिप विधि से फसलों की सिचाई करने वाले किसानों के लिए अनुदान की पोटली खोल दी है। गन्ना विभाग के सहयोग से उद्यान विभाग ड्रिप लगाने वाले किसानों को ८० से ९० प्रतिशत अनुदान देगा।
इस साल जिले को १५५९ हेक्टेयर क्षेत्रफल में ड्रिप लगाने का लक्ष्य मिला है। ड्रिप विधि से सिंचाई से जहां पानी की बचत होगी, वहीं फसल की लागत कम हो जाएगी। पैदावार भी अधिक होगी।
खेतों व बागों में सतही सिचाई विधि से पानी का ६० प्रतिशत भाग किसी न किसी कारण बर्बाद हो जाता है। पानी की बर्बादी को रोकने के लिए और जल की कमी की गंभीरता को देखते हुए ड्रिप सिचाई प्रणाली अपनाया जाना जरूरी हो गया है। इस बार उद्यान विभाग को जनपद में १५७९ हेक्टेयर क्षेत्रफल में ड्रिप लगाने का लक्ष्य दिया गया है।
ड्रिप लगाने वाले लघु एवं सीमांत (दो हेक्टेयर से कम) किसान को ९० प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा जबकि सामान्य किसान (दो हेक्टेयर से अधिक वाले) को ८० प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा। उद्यान विभाग द्वारा ड्रिप संयंत्र लगवाने वाले किसान के खाते में सब्सिडी भेजी जाएगी। ड्रिप विधि से सिचाई करने से खेत में हमेशा नमी बनी रहती है।
पौधों की जड़ों में सिचाई होने से फसल में खरपतवार होने की संभावना भी बहुत कम हो जाएगी। पौधों की जड़ों में खाद का एक समान वितरण होता है। फसल में कीटनाशक रसायन की भी जरूरत नहीं पड़ती। इससे किसान को लेबर व कीटनाशी रसायनों का खर्च भी बच जाएगा तथा फसल की पैदावार व उसकी गुणवत्ता में भी वृद्धि होगी।
ड्रिप लगाने से जहां पानी की बचत होगी, वहीं फसल की लागत कम हो जाएगी तथा पैदावार भी अधिक होगी। यदि खेत उबड़-खाबड़ भी है तब भी इस विधि से सिचाई करने में कोई दिक्कत नहीं आती और न ही पैदावार में कोई कमी आती।
सुरेंद्र सिंह मान, जिला उद्यान अधिकारी ने कहा कि गत वर्ष ३२९.१ हेक्टेयर क्षेत्रफल में ड्रिप संयंत्र लगाए गए थे। किसानों को ३.११ करोड़ रुपये अनुदान के रूप में दिए गए थे। इस बार अनुदान स्वीकृत होकर नहीं आया है लेकिन १५७९ हेक्टेयर क्षेत्रफल में ड्रिप लगाने का लक्ष्य मिला है। १०० हेक्टेयर क्षेत्रफल में ड्रिप संयंत्र लगा दिए गए हैं।