मैं परेशान हूँ ..
क्यों? आज मैं इतना परेशान हूं,
देखकर दुर्दशा अपने देश की,
हो रहा क्यों मैं इतना हैरान हूं? क्यों ?आज मैं इतना परेशान हूं|
(1) मचा चारों ओर भीषण कत्लेआम ,
लुटती यहां इज्जत, अब तो सरेआम ,
आतंक का हो रहा यहां नंगा नाच, दहशत के इस दौर में,मैं क्यों बेचैन हूं ?
क्यों? आज मैं इतना परेशान हूं |
(2) सौंपा था जिनको देश,
वह देश के दलाल निकले,
दलाली इनका पेशा, इन्हें देश से क्या ?
पिस रही है जनता, इन्हें इससे क्या?
नेताओं की नियत देख ,
नहीं रह सकता अब मौन हूं|
क्यों?आज मैं इतना परेशान हूं, हो रहा इतना क्यों ?हैरान हूं|
(3) नजर लग गई ,मेरे वतन को किसी की ,
दुश्मन वो हमारा, हमें कसम इस देश की ,
मिटायें आतंक और इनके रहनुमाओं को |
फिर देख भ्रष्टाचार ,जातिवाद, क्षेत्रवाद ,जमाखोरी और घूसखोरी इनके आगे में कितना बेबस ,
और कितना कमजोर हूं|
क्यों ? आज मैं इतना परेशान हूं |
रचनाकार:
मूलतः शांत स्वभाव के दिखने वाले श्री ओम प्रकाश गुप्ता (सम्पर्क: 9907192095) एक प्रखर राष्ट्रवादी ,विद्रोही रचनाकार लेखक एवं समाज सेवक है जो समसामयिक विषयों पर अपनी तल्ख रचनाओं एवं टिप्पणियों के लिए जाने जाते हैं|