भारत जमीन, हवा और पानी के अंदर से परमाणु मिसाइल को दागने की क्षमता रखने वाले दुनिया के महज छह देशों में शामिल है। भारत के अलावा यह क्षमता अमेरिका, रूस, फ्रांस, ब्रिटेन और चीन के ही पास है। चीन की राजधानी बीजिंग से लेकर पाकिस्तान के सभी शहरों को अपनी जद में लेने की क्षमता रखने वाली स्वदेश निर्मित के-4 बैलेस्टिक मिसाइल के पनडुब्बी संस्करण का रविवार को सफल परीक्षण किया गया। इस संस्करण के परीक्षण के प्रयास पिछले दो साल से किए जा रहे थे।
करीब 3500 किलोमीटर दूरी तक मार करने वाली यह मध्यवर्ती मिसाइल परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम है। इस परीक्षण की सफलता के साथ ही भारतीय सेना की पनडुब्बी से दुश्मनों के ठिकानों पर मिसाइल दागने की क्षमता और मजबूत हो गई है।
के-4 मिसाइल के पनडुब्बी संस्करण का परीक्षण रविवार को दिन के समय आंध्र प्रदेश के तट पर किया गया। इसे पानी के अंदर मौजूद प्लेटफार्म से फायर किया गया। यह स्वदेश में विकसित की गई उन दो मिसाइलों में से एक है, जिन्हें भारतीय पनडुब्बियों को दिया जाएगा। के-4 के अलावा दूसरी मिसाइल बीओ-5 है, जिसकी मारक क्षमता करीब 700 किलोमीटर है।
इस मिसाइल को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने विकसित किया है। इसे स्वदेश में निर्मित अरिहंत क्लास की परमाणु पनडुब्बियों के बेड़े पर तैनात किया जाएगा। परमाणु पनडुब्बी पर तैनात किए जाने से पहले इस मिसाइल के अभी कई और परीक्षण किए जाएंगे। बता दें कि फिलहाल भारत के पास आईएनएस अरिहंत के रूप में स्वदेशी तौर पर विकसित एक ही परमाणु पनडुब्बी है, जबकि एक अन्य परमाणु पनडुब्बी आईएनएस अरिघात के जल्द शामिल होने की संभावना है।