रियो डी जनेरियो: लुइज इनेसियो लुला दा सिल्वा की राजनीति में वापसी का रास्ता
भ्रष्टाचार के आरोप में चल रहे मुकदमे में बरी होने के बाद पूर्व राष्ट्रपति और वामपंथी नेता लुइज इनेसियो लुला दा सिल्वा की राजनीति में वापसी का रास्ता खुल गया है।
लुला को आज भी देश का सबसे लोकप्रिय नेता माना जाता है। उनकी ही पार्टी की नेता दिलमा रुसेफ को विवादास्पद महाभियोग प्रस्ताव के जरिए हटा कर दक्षिणपंथी नेता माइकेल टेमेर 2016 में सत्ता में आए थे।
में 2018 में जायर बोलसेनारो राष्ट्रपति चुने गए। अब लुला 2022 में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में फिर से उम्मीदवार बन सकेंगे।लुला को निचली अदालत से सज़ा सुनाई गई थी।
लेकिन बाद में वेबसाइट इंटरसेप्ट ने एक खोजी रिपोर्ट में खुलासा किया था कि उन्हें सजा साक्ष्यों को नजरअंदाज कर सुनाई गई। अब ब्राजील के सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें बरी कर दिया है।
साथ ही उनके राजनीतिक अधिकारों को बहाल कर दिया गया है। इस फैसले को कई विश्लेषकों ने ब्राजील की राजनीति में विस्फोटक असर वाला बताया है।
रियो डी जनेरियो स्थित राजनीतिक पर्यवेक्षक थॉमस ट्राउमन ने अखबार द गार्जियन से कहा- ‘ब्राजील में राष्ट्रपति चुनाव की शुरुआत अभी से हो गई है।
यह असंभव है कि लुला उम्मीदवार ना बनें। अगर अमेरिकी राजनीति से उपमा लें, तो अगला चुनाव बर्नी सैंडर्स बनाम डोनाल्ड ट्रंप जैसा होगा।’ सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद ब्राजील के वित्तीय अखबार वालोर इकॉनमिको की वेबसाइट पर ये खबर ‘लुला की वापसी’ शीर्षक से छपी।
ब्राजील लैटिन अमेरिका का सबसे बड़ा देश है। वहां की घटनाएं पूरे क्षेत्र को प्रभावित करती हैँ। इसलिए लुला के मुकदमे को पूरे लैटिन अमेरिका में दिलचस्पी के साथ फॉलो किया जा रहा था।
लुला 2003 से 2011 तक ब्राजील के राष्ट्रपति रह चुके हैं। उस दौरान ब्राजील की अर्थव्यवस्था में तेजी से वृद्धि हुई थी। साथ ही गरीबी में भारी गिरावट आई। लुला के कार्यकाल में चलाई गई कई जन कल्याण योजनाओं की चर्चा दुनिया भर में रहीं।
लुला वर्कर्स पार्टी (पीटी) के नेता हैं। उन्होंने अपना जीवन जूता पॉलिश का काम करने से शुरू किया था। बाद में वे एक बड़े ट्रेड यूनियन नेता बन कर उभरे।
अब उनकी उम्र 75 साल हो चुकी है। भ्रष्टाचार के आरोप में सजायाफ्ता होने के कारण वे 2018 के राष्ट्रपति चुनाव में उम्मीदवार नहीं बन पाए थे। लुला ने इसी मुकदमे के सिलसिले में 580 दिन जेल में गुजारे। नवंबर 2019 में उन्हें रिहा गिया गया था, लेकिन अब तक उनके राजनीतिक अधिकार निलंबित थे।
पिछले चुनाव में पूर्व सेना अधिकारी और धुर दक्षिणपंथी उम्मीदवार जायर बोलसोनारो राष्ट्रपति चुने गए थे। लेकिन कोरोना वायरस महामारी के दौरान उनकी भूमिका विवादास्पद रही है।
बताया जाता है कि इस कारण देश में उनकी लोकप्रियता काफी गिर गई है। वैसे माना जाता है कि कंजरवेटिव हलकों में अभी भी अगले चुनाव के लिए उन्हें सबसे पसंदीदा उम्मीदवार माना जाता है।
कुछ जानकारों की राय है कि लुला के मैदान में उतरने पर तमाम कंजरवेटिव समूह मजबूती से बोलसोनारो के पीछे लामबंद हो जाएंगे। इससे अगले चुनाव में कड़ा मुकाबला देखने को मिल सकता है।
लुला के बरी होने पर ब्राजील और लैटिन अमेरिका के दूसरे देशों के वामपंथी खेमो में खुशी जताई गई है।
ब्राजील में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आते ही #लुलाप्रेसिडेंट2020 ट्विटर पर ट्रेंड करने लगा। उधर अर्जेंटीना के वामपंथी राष्ट्रपति अल्बर्तो फर्नांडेज ने एक ट्विट में कहा कि आखिर इंसाफ हुआ है। लुला का राजनीतिक करियर नष्ट करने की कोशिशें नाकाम हो गई हैं।