Gyanvapi Case: मुस्लिम पक्ष सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी में, केशव प्रसाद मौर्य ने हाईकोर्ट के फैसले का खुलकर स्वागत किया
Gyanvapi Case: इलाहाबाद हाईकोर्ट के ज्ञानवापी परिसर में एएसआई सर्वेक्षण जारी रखने के फैसले के बाद अब मुस्लिम पक्ष सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी में है. हाईकोर्ट के फैसले के बाद एएसआई सर्वे गुरुवार से ही फिर शुरू किया जा सकता है. हालांकि, ऐसा इसे लेकर निर्णय नहीं किया गया है. माना जा रहा है कि एएसआई की टीम शुक्रवार से सर्वे का काम दोबारा शुरू कर सकती है.
इस बीच उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने हाईकोर्ट के फैसले का खुलकर स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि एएसआई सर्वे के माध्यम से सच्चाई बाहर आएगी और ज्ञानवापी का जो विवाद है श्री राम जन्म भूमि विवाद की तरह उसका भी निर्णय होगा. उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि शिव भक्तों की जो भावना है, मनोकामनाएं हैं, वह पूर्ण होगी. हमें पूर्ण विश्वास है कि सर्वे के माध्यम से मुगल आक्रमणकारियों ने मंदिरों का जो विध्वंस किया था, उसका सच छिपाया था, अब वह सामने आएगा.
समाजवादी पार्टी के सांसद एसटी हसन ने कहा कि हाई कोर्ट का फैसला है. कोर्ट के फैसले सर्वमान्य होते हैं, हम भी इसे मानेंगे. उन्होंने कहा कि हमें ASI से ईमानदार सर्वे की उम्मीद है. बाकी फैसले क्या होते हैं, यह वक्त बताएगा.
सपा सांसद ने कहा कि आज के दौर में हमें इंसानियत को बढ़ाने की जरूरत है. हमें सांप्रदायिक सौहार्द की जरूरत है. हिंदुस्तान की बढ़ी आबादी के बीच में प्यार मोहब्बत को बढ़ाने की जरूरत है. ये हम सभी की जिम्मेदारी है, चाहे वह विपक्ष से हो या फिर सत्तापक्ष से जुड़ा हो. उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ज्ञानवापी को मजिस्द बताने पर ऐतराज वाले बयान को लेकर कहा कि साढ़े तीन सौ साल से जहां पांच वक्त की नमाज हो रही है, यहां आज भी हो रही है, उसे मस्जिद नहीं तो और क्या कहेंगे.
सपा सांसद एसटी हसन ने कहा कि जहां पर नमाज हो रही हो, इबादत हो रही है, वहां के बारे में ऐसी बात करना अजीब है. उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि मैं पूछता हूं कि अल्लाह और ईश्वर एक नहीं हैं? मुझे अल्लाह ने पैदा किया, तुम्हें ईश्वर ने पैदा किया, क्या ये दो हैं, अहम इन्हें भी बांट रहे हैं.
उन्होंने कहा कि हिंदू और मुस्लिम दोनों इबादत ही तो कर रहे हैं. आपकी पद्धति दूसरी है, आप पूजा करते हैं. मुसलमान दूसरे तरीके से अपनी इबादत करता है. लेकिन सभी को पैदा जिस परवरदिगार ने किया, वह एक है. ऐसे मामलों में विवाद क्यों होता है, ये सही नहीं है.
उन्होंने इस मामले में मुस्लिम पक्ष के सुप्रीम कोर्ट जाने के सवाल पर कहा कि सुप्रीम कोर्ट आखिरी अदालत है. अगर कोई निचली अदालत के फैसले से असतुंष्ट है, तो वह जा सकता है. ये उसका अधिकार है.हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा कि इलाहाबाद हाई कोर्ट ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को सर्वेक्षण करने के लिए कहा है. इलाहाबाद हाई कोर्ट ने जिला कोर्ट के फैसले को तत्काल प्रभाव से प्रभावी करने के लिए भी कहा है.
अंजुमन इंतजामिया की याचिका को खारिज कर दिया है. इसके साथ ही इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि एएसआई का सर्वे शुरू होना चाहिए. डिस्ट्रिक्ट कोर्ट का फैसला तत्काल प्रभावी हो चुका है. उन्होंने बताया कि हाईकोर्ट ने अंजुमन इंतजामिया की एएसआई सर्वे से परिसर को नुकसान पहुंचने की दलीलों को खारिज कर दिया.
कोर्ट ने हमारी दलीलों को मान लिया है. हमारी दलील इस बात पर आधारित थी कि ज्ञानवापी परिसर को डैमेज के बिना एएसआई सर्वे किया जाएगा. एएसआई ने भी एफिडेविट फाइल किया था. हाईकोर्ट ने कहा कि एएसआई के एफिडेविट पर अविश्वास करने का कोई मतलब नहीं बनता है. उन्होंने कहा कि एएसआई ने जो एफिडेविट फाइल किया है, उसके टर्म के आधार पर सर्वे किया जाएगा. ये सर्वे तत्काल शुरू किया जा सकता है.