उत्तर प्रदेश

Gyanvapi Case: हिन्‍दू पक्ष को ज्ञानवापी के व्यास जी के तहखाने में नियमित पूजा पाठ की इजाजत

Gyanvapi Case Varanasi कोर्ट के जिला जज अजय कृष्ण विश्वेश ने हिन्‍दू पक्ष को ज्ञानवापी के व्यास जी के तहखाने में नियमित पूजा पाठ की इजाजत दे दी है. इसके साथ ज्ञानवापी के तहखाने में 30 साल बाद हिंदुओं को पूजा का अधिकार मिल गया है.

Gyanvapi Case जिला जज के फैसले के बाद हिन्दू पक्ष में खुशी का माहौल है. कचहरी परिसर में हिन्दू पक्ष के वादियों ने एक दूसरे को मिठाई खिलाकर खुशी का इजहार किया, तो वहीं कोर्ट के इस फैसले के बाद लोगों ने भी इसे हिंदुओं की बड़ी जीत बताते हुए कहा कि अभी तो पूजा का अधिकार मिला है, पूरा ज्ञानवापी भी हमें चाहिए.

अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जितेन्द्रानंद सरस्वती ने कहा कि यह फैसला हिन्दू समाज की बड़ी जीत है. ये हमारी विजय का पहला चरण है. बता दें कि व्यास परिवार को निर्वाणी अखाड़े ने ही वहां पूजा पाठ के लिए ताम्र पत्र दिया था.

किसी भी शिवलिंग के सामने नंदी विराजमान होता है.जबकि ज्ञानवापी के सामने विराजमान नंदी अभी भी प्रतीक्षा कर रहे हैं. ऐसे में इस फैसले के बाद उनकी प्रतीक्षा जल्द ही समाप्त होने की आस सभी हिंदुओं में जगी है.

वाराणसी के कोर्ट के जिला जज अजय कृष्ण विश्वेश ने ज्ञानवापी मामले में हिंदू समुदाय को जीत की खुशखबरी दी है। उन्होंने निर्धारित किया है कि ज्ञानवापी के तहखाने में हिंदू धर्म के अनुयायियों को नियमित पूजा-पाठ की अनुमति है। इस फैसले के बाद हिंदू समुदाय में खुशी का माहौल है, जो कचहरी परिसर में मिठाई बाँटकर व्यक्त कर रहा है।

ज्ञानवापी मामला एक दुर्भाग्यपूर्ण इतिहास का हिस्सा बन गया था, जिसमें हिंदू और मुस्लिम समुदाय के बीच सांघर्ष और असंवाद था। इस मामले में हिंदू समुदाय ने अपने पूजा-पाठ के अधिकार की मांग की थी, जो कि फिर अदालत ने मान भी लिया है।

अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जितेन्द्रानंद सरस्वती ने इस फैसले को हिंदू समाज की बड़ी जीत माना है। उन्होंने कहा, “यह हमारी विजय का पहला चरण है।” व्यास परिवार को निर्वाणी अखाड़े ने भी पूजा-पाठ के लिए ताम्र पत्र दिया था, जिससे यह फैसला संज्ञान में आया।

ग्यारहवीं सदी में बने इस महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल के आस-पास का माहौल अब बदलने लगा है। इस तहखाने में हिंदू धर्म के अनुयायियों को पूजा-पाठ का अधिकार मिलने के बाद, उनकी आसानी से इस स्थल की पूजा करने की उम्मीद है।

ज्ञानवापी के सामने विराजमान नंदी अभी भी प्रतीक्षा कर रहे हैं, और इस फैसले के बाद उनकी प्रतीक्षा जल्द ही समाप्त होने की आस सभी हिंदुओं में जगी है। इस समय यह आवश्यक है कि समुदायों के बीच सांघर्ष की बजाय सांझेदारी का माहौल बनाए रखा जाए ताकि देश की एकता और समरसता में नया दृष्टिकोण आए।

इस घड़ी में हमें यह याद रखना चाहिए कि हम सभी एक ही मिट्टी के हैं और हमारा उद्देश्य एक-दूसरे के प्रति समर्पित होना चाहिए – धर्म, भाषा और जाति के बावजूद, सभी एक परमाणु रूप में एक समान हैं। इस मौके पर हमें अपने धार्मिक स्थलों के प्रति समर्पितता को मजबूती से बनाए रखने की आवश्यकता है, ताकि सभी व्यक्ति आपसी समझ और समरसता के अंगुलियों में मिलकर रह सकें। एक सशक्त और सहयोगी समाज का निर्माण करने के लिए हमें सभी धर्मों और समुदायों के बीच एक विशेष धार्मिक आदान-प्रदान का समर्थन करना चाहिए।

धरोहरों की सुरक्षा और सजीवता के लिए हमें सभी तहखानों, मंदिरों, मस्जिदों, और चर्चों का समर्थन करना चाहिए, ताकि आने वाली पीढ़ियाँ इसे अपना सकें और इसे समृद्धि और समरसता का प्रतीक मान सकें। हमें एक ऐसे समाज की दिशा में काम करना चाहिए जो सभी को समाहित करने में सक्षम हो, जिससे भविष्य में इस प्रकार के मामलों की घटना होना कम हो सके।

इस दौरान, हमें आपसी समझ और सहयोग के लिए प्रतिबद्ध रहना चाहिए ताकि हम एक साथ समृद्धि, शांति और समरसता की ओर बढ़ सकें। एकता की भावना को बढ़ावा देने वाले ऐसे समाचारों को हमें आत्मनिरीक्षण के लिए उत्तेजित करना चाहिए, ताकि हम सभी मिलकर एक साजग और समर्थ समाज की दिशा में काम कर सकें।

धर्म, सभी के लिए एक साझा पथ हो सकता है, और इससे हम सभी को आपसी समझ, समरसता, और सांघर्षिक समाधान की दिशा में बढ़ने में मदद मिल सकती है।

News Desk

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