उत्तर प्रदेश

शत्रु सम्पत्ति मामला फिर गर्माया: प्रशासन की कार्यवाही पर सवालिया निशान- एसडीएम कोर्ट के आदेश पर हाईकोर्ट से लगी रोक

मुजफ्फरनगर। निजी स्वामित्व की भूमि को शत्रु सम्पत्ति मानते हुए उक्त भूमि को राज्य सरकार में दर्ज किये जाने से संबंधित प्रकरण जो पिछले कुछ दिनों से समाचार पत्रों की सुर्खियां बने हुए थे उक्त में अब हाईकोर्ट ने स्टे दे दिया है जिससे जहां एक ओर प्रशासन की कार्यवाही पर सवालियां निशान खडे हो गये है

वहीं पर आमजनमानस में भी इस प्रकरण पर स्टे आने से भ्रांतियां दूर होने लगी है। आज एक पत्रकार वार्ता में अनिल स्वरूप व आलोक स्वरूप ने पत्रकारों से वार्ता करते हुए बताया कि उक्त प्रकरण में हमने एसडीएम कोर्ट में याचना की थी कि कोरोना काल में एक पक्षीय आदेश न्यायोचित नहीं है।

 

वहीं याचना माननीय हाईकोर्ट इलाहाबाद ने स्वीकार कर ली और वाद संख्या 6866 सन् 2021 आलोक स्वरूप बनाम राज्य सरकार व अन्य में एसडीएम कोर्ट का आदेश दिनांक 31 दिसम्बर 2020 को प्रथम दृष्टया गलत मानते हुए इस पूरे प्रकरण पर स्टे पारित कर दिया है तथा आदेश में स्पष्ट रूप से कोरोना काल में जून 2020 के बाद सुनवाई का मौका दिये बिना एक पक्षीय आदेश को न्यायोचित नहीं माना है।

पत्रकारों से वार्ता करते हुए उन्होंने कहा कि वे भी इस नगर में आम आदमी की तरह से व्यवहार और कारोबार कर रहे है समय-समय पर नगर के विकास और सामाजिक जिम्मेदारियों के प्रति वे जागरूक है और राष्ट्र हित के कार्यक्रमों में उनका तथा उनके परिवार का योगदान भी सर्वविदित है।

शत्रु सम्पत्ति प्रकरण एक बार फिर मामला चर्चाओं में: सरकार का दखल देना किसी की भी समझ से परे- उद्योगपति आलोक स्वरूप

उन्होंने बताया कि इस प्रकरण में प्रशासन की कार्यवाही से जहां उनकी छवि धूमिल होने का प्रयास हुआ है वहीं पर उन्हे गहरी पीढा भी हुई है लेकिन आप सभी के सहयोग व न्यायिक प्रक्रिया के संज्ञन लेने से उनके हितों की रक्षा हो जायेगी ऐसी उन्हे उम्मीद है।

उन्होंने आरोप लगाया कि सरकारी विभाग भली भांति सारे तथ्यों को जानते है और समझते है और यही कारण है कि शत्रु सम्पत्ति घोषित न करके प्रकरण की सुनवाई नहीं की जा रही है और जान बूझकर प्रकरण को लम्बित रखा जा रहा है। कोरोना काल में भी आदेश संख्या 32 बिना सुनवाई के जल्दबाजी में पारित करना और उस आदेश में रिकाल प्रार्थनापत्र 27 जनवरी 2021 को लम्बित रखना भी एक गम्भीर प्र्रश्न पैदा करता है।

रिकाल प्रार्थना पत्र पर अधिकारी द्वारा बिना किसी भी पक्ष द्वारा स्थगन प्रार्थना पत्र दिये स्वंय अग्रिम तारीखे लगाना भी स्पष्ट दर्शाता है कि संबंधित अधिकारी सुनवाई का मौका नहीं देना चाहते तथा फिर से इस प्रकरण को लम्बित रखना चाहते है। उपरोक्त तथ्यों से यह भी स्पष्ट लगता है कि उक्त प्रकरण को सामान्य प्रकरण की भांति न लेकर किसी दबाव में जो अधिकारियों पर अवश्य है इसकी जांच होनी चाहिए।

570 बीघा जमीन का शत्रु सम्पत्ति से कोई संबंध नहीं-आलोक स्वरूप

जांच के बाद यह स्पष्ट हो जायेगा कि अधिकारियों पर दबाव किसका है और क्यों है? उन्होंने कहा कि वाद 32 दिनांक 15.6.20 नोटिस निर्गत होने से एक पक्षीय कार्यवाही करने तक की सारी प्रक्रिया महज पांच माह में समाप्त कर दी गयी

जबकि इसी अधिकारी के कार्यालय में उनके स्वंय के 35 मुकदमे आज भी लम्बित चले आ रहे है। जिन पर समय रहते हुए निर्णय नहीं लिया गया और कुछ मुकदमे तो वर्षो पुराने है। दोनों लोगों ने पत्रकारों से कहा कि उन्होंने सारी वस्तु स्थिति मीडिया के माध्यम से आम जनमानस के सामने रखी है ताकि पूरा प्रकरण आम जनता को समझ में आ जाये।

उन्होंने मीडिया के माध्यम से अधिकारी वर्ग से भी यह अनुरोध किया है कि वे बिना किसी दबाव के निष्पक्ष होकर कार्य करे ताकि न्याय व्यवस्था पर लोगों का भरोसा बना रहे और स्वंय उन्हे भी इंसाफ मिल सके।

इससे जहां अधिकारियों की छवि निखरेगी और वे न्यायिक प्रक्रिया के गम्भीर परिणामों से भी बचे रहेंगे। पत्रकार वार्ता में आलोक स्वरूप, अनिल स्वरूप, प्रणव स्वरूप, अभिनव स्वरूप, एडवोकेट तरूण गोयल एवं मुश्ताक मौजूद रहे।

News Desk

निष्पक्ष NEWS,जो मुख्यतः मेन स्ट्रीम MEDIA का हिस्सा नहीं बन पाती हैं।

News Desk has 6029 posts and counting. See all posts by News Desk

Avatar Of News Desk

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

8 + sixteen =