Aligarh/Agra: राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (एनईटी) में चौंकाने वाला अंकलबाजी आयोजित करने वाले एक गुट को गिरफ्तार किया गया
Aligarh/Agra राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (एनईटी) में नकल करने के लिए स्क्रीन शेयरिंग का शानदार उपयोग करते हुए, एक गुट को गिरफ्तार कर लिया गया है, जिसमें पीएसी जवान भी शामिल हैं। गिरफ्तारी के बाद एक आरोपी मौके से फरार हो गया है। गिरफ्तारी के मुख्य आरोपी अलीगढ़ में स्थित संतसार पब्लिक स्कूल में परीक्षा दे रहे एक अभ्यर्थी को नकल करते हुए पाए गए। आगरा एसटीएफ की टीम ने उनसे आधार कार्ड, प्रवेश पत्र, स्कॉर्पियो, और कई संदिग्ध दस्तावेज़ बरामद किए हैं।
एसटीएफ को मिली सूचना के अनुसार, संतसार पब्लिक स्कूल, भांकरी में एक अभ्यर्थी को स्क्रीन शेयरिंग के माध्यम से नकल कराने की योजना बन रही थी। इसके बारे में निरीक्षक हुकुम सिंह ने प्रमुख आरक्षी रामनरेश के साथ बातचीत करते हुए जानकारी प्राप्त की और यहां तक कि यह अभ्यर्थी अपने नाम के बजाय अन्य स्थान पर बैठी थी।
प्रीति ने पूछताछ में बताया कि जीतू उर्फ जितेंद्र सिनसिनवार उर्फ ललित सिनसिनवार, पीएसी 15वीं वाहिनी आगरा में तैनात सिपाही कृष्णा कुमार, समय सिंह जो इस लैब में ड्यूटी पर उपस्थित है ने इस सिस्टम पर बैठाया है। टीम ने समय सिंह एवं कृष्ण कुमार डांगर पुत्रगण शेर सिंह निवासी भमरौला, थाना गभाना, आकाश पुत्र अतर सिंह निवासी नगला दानी, थाना मांट, मथुरा को पकड़ लिया। आरोपी कृष्ण कुमार एवं समय सिंह दोनों सगे भाई हैं। पूछताछ में उन्होंने बताया कि हम लोग ललित सिनसिनवार के साथ मिलकर स्क्रीन शेयर कर पेपर हल कराते हैं। ललित पहले ही परीक्षा केंद्र से चला गया है। वही स्क्रीन शेयर करता था। इस कार्य में जो भी पैसा हम लोगों को मिलता है आपस में बांट लेते हैं।
परीक्षार्थी प्रीति को उसके नवजात बच्चे सहित परीक्षा केंद्र से सिटी को-ऑर्डिनेटर अंजू राठी एवं पर्यवेक्षक प्रो. रिहान ए खान की देखरेख में परिजनों के सुपुर्द कर दिया। आरोपियों के पास से दो सीपीयू, 13 परीक्षा संबंधी दस्तावेजों की छायाप्रति, दो मोबाइल फोन, एक आधार कार्ड, एक पैन कार्ड, एक वोटर कार्ड, तीन आईडी कार्ड, 250 रुपये नकद, एक स्कार्पियो कार बरामद हुई है।
भारत में सामान्य छल-कपट के मामले, समाज पर प्रभाव, और शामिल व्यक्तियों का विवेचन
1. विभिन्न परीक्षाओं में छल-कपट: भारत में परीक्षाओं में छल-कपट का मामला सामान्य हो गया है। यहां तक कि प्रतिष्ठित परीक्षाओं जैसे व्यावसायिक परीक्षाओं, सरकारी परीक्षाओं, और प्रवेश परीक्षाओं में भी छल-कपट की रिपोर्टें बढ़ रही हैं।
2. उदारवाद के नाटक: एक और सामान्य छल-कपट का क्षेत्र उदारवाद है, जहां लोग आरक्षित वर्गों में दाखिले के लिए नकल करते हैं। यह समाज में न्याय के प्रति विश्वास को कमजोर करता है और योजनाएं उन लोगों को छूने में विफल हो जाती हैं जिनके पास योग्यता होने के बावजूद भी वे अपना सफलता का मार्ग नहीं चुन पाते हैं।
3. प्रभाव: छल-कपट के मामले समाज पर असर डालते हैं, विशेषकर युवा पीढ़ी में। यह सोच को बदलता है कि सफलता का मार्ग सीधा होना आवश्यक नहीं है और अगर आप चाहें तो छल-कपट का सहारा लेकर भी कुछ हासिल किया जा सकता है। इससे समाज में न्याय की भावना कमजोर होती है और लोग खुद को आधारित समाज के भरोसे में रहने की क्षमता खो देते हैं।
4. शामिल व्यक्तियां: छल-कपट के मामलों में शामिल व्यक्तियां विभिन्न वर्गों से हो सकती हैं, जैसे कि छात्र, अभ्यर्थी, लोग और विभिन्न परीक्षा केंद्रों के स्टाफ। इनमें से कुछ लोग ऐसे आते हैं जो छल-कपट के बारे में सोचकर भी अपने लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए इसे सही मान सकते हैं।
इस प्रकार, भारत में सामान्य छल-कपट के मामलों का निरीक्षण करना और इस प्रचलित अवस्था को सुधारना अत्यंत आवश्यक है ताकि समाज में न्याय और सत्य की भावना बनी रहे।