Qatar के जेल में बंद आठ भारतीय की रिहाई, भारत की कूटनीतिक जीत: मोदी ने खुद की घटनाक्रमों की निगरानी
नरेंद्र मोदी की नेतृत्व में भारत ने विदेश नीति में एक नई दिशा देखी है। विदेश सचिव विनय क्वात्रा के द्वारा बताया गया है कि भारतीय प्रधानमंत्री ने अपनी नजरें विदेशी मामलों पर रखी हैं और उन्होंने खुद ही इस के प्रबंधन में सकारात्मक भूमिका निभाई है। इसका एक प्रमुख उदाहरण है Qatar में जेल में बंद भारतीय नागरिकों की रिहाई का मामला।
Qatar के जेल में बंद आठ भारतीय की रिहाई और घर वापसी किसी करिश्मे से कम नहीं. यह भारत की सिर्फ कूटनीतिक जीत नहीं हैं, यह इस बात की भी गारंटी है कि अब भारत और भारत के नागरिकों को किसी तरह से भी साजिश में फंसाकर न बंदी बनाया जा सकता है और न ही सजा दी जा सकती है. कतर की अदालत ने 8 भारतीय नागरिकों को मौत की सजा सुनाई थी. हालांकि बाद में कतर सरकार ने मौत की सजा को कम कर उम्र कैद में बदल दी थी.
घटना को लेकर विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने खुद पूरे मामले में सभी घटनाक्रमों की लगातार निगरानी की और भारतीयों की वापसी सुनिश्चित करने के लिए किसी भी पहल से कभी पीछे नहीं हटे. क्वात्रा ने ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि पीएम मोदी संयुक्त अरब अमीरात की अपनी दो दिवसीय यात्रा के संपन्न होने के बाद बुधवार को कतर की राजधानी दोहा की यात्रा करेंगे, लेकिन संकेत दिया कि इस यात्रा की योजना काफी पहले बनाई गई थी.
विदेश सचिव ने विवरण दिए बिना कहा कि भारत आठवें भारतीय की शीघ्र वापसी सुनिश्चित करने के लिए Qatar सरकार के साथ काम करना जारी रखेगा. विदेश मंत्रालय ने सुबह एक बयान में कहा कि भारतीयों की रिहाई और उनकी स्वदेश वापसी को संभव बनाने के कतर के अमीर शेख तमीम बिन हम्माद अल-थानी के फैसले की भारत सराहना करता है. ऐसा माना जाता है कि नौसेना के इन पूर्व कर्मियों के खिलाफ जासूसी का आरोप था. हालांकि न तो कतर के प्रशासन और न ही भारतीय अधिकारियों की तरफ से इसको सार्वजनिक किया गया कि इन लोगों के खिलाफ क्या आरोप थे. विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत सरकार कतर में हिरासत में लिए गए दहरा ग्लोबल कंपनी के लिए काम करने वाले आठ भारतीय नागरिकों की रिहाई का स्वागत करती है.
मंत्रालय ने एक संक्षिप्त बयान में कहा कि रिहा किए गए आठ भारतीयों में से सात भारत लौट आए हैं. हम इन नागरिकों की रिहाई और स्वदेश वापसी को संभव बनाने के लिए कतर के अमीर के फैसले की सराहना करते हैं. इन आठ लोगों में कैप्टन (सेवानिवृत्त) नवतेज गिल और सौरभ वशिष्ठ, कमांडर (सेवानिवृत्त) पूर्णेंदु तिवारी, अमित नागपाल, एसके गुप्ता, बीके वर्मा और सुगुनाकर पकाला तथा नाविक (सेवानिवृत्त) रागेश शामिल हैं. घटनाक्रम से परिचित लोगों ने बताया कि कमांडर तिवारी कुछ कागजी कार्रवाई लंबित होने के कारण वापस नहीं आ सके. नौसेना के पूर्व कर्मियों को 26 अक्टूबर को कतर की एक अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी.
खाड़ी देश की अपीलीय अदालत ने 28 दिसंबर को मृत्युदंड को कम कर दिया था और पूर्व नौसैन्य कर्मियों को तीन साल से लेकर 25 साल तक अलग-अलग अवधि के लिए जेल की सजा सुनाई थी. अपीलीय अदालत ने जेल की सजा के खिलाफ अपील करने के लिए उन्हें 60 दिन का समय भी दिया था. निजी कंपनी अल दहरा के साथ काम करने वाले भारतीय नागरिकों को जासूसी के एक कथित मामले में अगस्त 2022 में गिरफ्तार किया गया था. पिछले साल दिसंबर में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दुबई में ‘कॉप 28’ शिखर सम्मेलन के मौके पर कतर के अमीर शेख तमीम बिन हम्माद अल-थानी से मुलाकात की थी और कतर में भारतीय समुदाय के कल्याण पर चर्चा की थी.
ऐसा माना जाता है कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने भारतीय नागरिकों की रिहाई सुनिश्चित करने में कतर के अधिकारियों के साथ बातचीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. पिछले साल 25 मार्च को भारतीय नौसेना के आठ कर्मियों के खिलाफ आरोप दाखिल किए गए थे और उन पर कतर के कानून के तहत मुकदमा चलाया गया था. गत वर्ष मई में अल-दहरा ग्लोबल ने दोहा में अपना परिचालन बंद कर दिया और वहां काम करने वाले सभी लोग (मुख्य रूप से भारतीय) देश लौट आए. क्वात्रा ने सोमवार को कहा, “14 फरवरी को अपनी यूएई यात्रा पूरी करने के बाद, प्रधानमंत्री 14 फरवरी की दोपहर दोहा, कतर की यात्रा करेंगे. यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री कतर के अमीर शेख तमीम बिन हम्माद और अन्य उच्च पदस्थ व्यक्तियों के साथ द्विपक्षीय वार्ता करेंगे. विदेश सचिव ने कहा कि भारतीयों की वापसी के लिए भारत कतर का आभारी है.
क्वात्रा ने कहा हम उनकी वापसी से संतुष्ट हैं. हम उन्हें रिहा करने के कतर सरकार और अमीर के फैसले की सराहना करते हैं. उन्होंने कहा कि हम उनमें से सात भारतीय नागरिकों को वापस पाकर खुश हैं. आठवें भारतीय नागरिक को भी रिहा कर दिया गया है और हम कतर सरकार के साथ यह देखने के लिए काम करना जारी रखेंगे कि उसकी भारत वापसी कितनी जल्दी संभव होती है. क्वात्रा ने कहा कि प्रधानमंत्री ने स्वयं व्यक्तिगत रूप से इस मामले में सभी घटनाक्रमों की लगातार निगरानी की है और वह भारतीय नागरिकों की घर वापसी सुनिश्चित करने वाली किसी भी पहल से कभी पीछे नहीं हटे. यह पूछे जाने पर कि क्या कतर के अमीर ने भारतीयों को राज-क्षमा प्रदान की है, विदेश सचिव ने टिप्पणी करने से इनकार किया.
उन्होंने कहा कि हम अलग-अलग शब्दावली आदि के बारे में बात कर सकते हैं. चाहे यह रिहाई हो या क्षमा. लेकिन मुझे लगता है कि हमें तथ्यों को देखना चाहिए कि वे क्या हैं. अल दहरा मामले में आठ में से सात भारतीय नागरिक अपने घर भारत वापस आ गए हैं. क्वात्रा ने कहा कि हम इससे संतुष्ट हैं और रिहाई के लिए कतर के अमीर द्वारा दिखाई गई सद्भावना की सराहना करते हैं. भारतीय नागरिक बीती रात लगभग 2:35 बजे एक निजी एयरलाइन के विमान से दिल्ली हवाई अड्डे पहुंचे. मामले से परिचित लोगों ने कहा कि कतर से उड़ान भरने के बाद उनके परिवारों को सूचित कर दिया गया था.
कतर की अदालत ने 8 भारतीय नागरिकों को मौत की सजा सुनाई थी, जिसे प्रधानमंत्री ने निगरानी में रखा और सुनिश्चित किया कि भारतीय नागरिकों को किसी तरह की अन्यायपूर्ण सजा नहीं हो। कतर सरकार ने बाद में इस सजा को कम करके उम्र कैद में बदल दिया, जिससे भारतीय नागरिकों को राहत मिली। इस मामले में प्रधानमंत्री की सबसे बड़ी भूमिका ने दिखाया कि वह अपने नागरिकों के प्रति सजग और सकारात्मक हैं।
विदेश सचिव ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी ने इस मामले की निगरानी में बने रहने का स्वयं का जिम्मा लिया और उन्होंने इसे स्थायी रूप से सुलझाने का प्रयास किया। इससे स्पष्ट होता है कि नरेंद्र मोदी विदेशी दौरों में अपने नागरिकों की रक्षा को लेकर कितने जगरूक और सजग हैं।
इस मौके पर, विदेश सचिव ने बताया कि प्रधानमंत्री की योजना थी कतर की राजधानी दोहा की यात्रा करने की, जो सुरक्षित और सुचना पूर्ण रूप से आयोजित थी। इससे साफ है कि भारतीय सरकार ने इस मामले को सीरियसली लिया और इसे हल करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए गए।
विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी ने विदेशी मामलों की निगरानी में रहने के लिए कई कदम उठाए हैं और उन्होंने अपनी सरकार को भारतीयों की सुरक्षा में सकारात्मक भूमिका निभाने का संकल्प दिखाया है।
भारत की नई दिशा: डिजिटल इंडिया और नागरिक कल्याण
नरेंद्र मोदी की सरकार ने ‘डिजिटल इंडिया’ का आदान-प्रदान किया है, जिससे देश को एक आधुनिक और सशक्त भविष्य की दिशा में कदम बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है। डिजिटल इंडिया का मुख्य उद्देश्य भारतीय नागरिकों को तकनीकी उन्नति और सुविधाएं पहुंचाना है, ताकि वे और भी सक्रियता से देश के विकास में योगदान दे सकें।
नरेंद्र मोदी की इस ‘डिजिटल इंडिया’ पहल में बड़ी सफलता हुई है, जिससे देश के अलग-अलग क्षेत्रों में तकनीकी सुधार हुआ है। डिजिटल भुगतान की प्रोन्नति, आधार आधारित सेवाएं, और इंटरनेट सुविधाएं देशवासियों के जीवन को सरल और आसान बना रही हैं।
नरेंद्र मोदी की सरकार ने नागरिक कल्याण के प्रति भी गहरा समर्पण दिखाया है। कतर में फंसे भारतीय नागरिकों की घटना से देखा गया है कि सरकार ने उनकी सुरक्षा और वापसी के लिए कई प्रयासों को उत्तेजना दिया है। विदेश सचिव के तथ्यों के अनुसार, प्रधानमंत्री मोदी ने इस मामले की निगरानी में बने रहने का आदान-प्रदान किया और इसे सफलतापूर्वक सुलझाने का प्रयास किया है।
भारत की बढ़ती हुई आंतरराष्ट्रीय सहयोग
नरेंद्र मोदी की नेतृत्व में भारत ने आंतरराष्ट्रीय सहयोग की दिशा में भी कदम बढ़ाया है। कतर में फंसे भारतीय नागरिकों के मामले में दिखा गया है कि भारत ने विदेशी सरकारों के साथ मिलकर अपने नागरिकों की सुरक्षा और उनकी रिहाई के लिए सहयोग किया है।
विदेश सचिव ने बताया कि भारतीय सरकार ने कतर की सरकार के साथ मिलकर इस मामले को सुलझाने के लिए कई कदम उठाए हैं और भारतीय नागरिकों को तेजी से वापस लाने के लिए प्रयासरत हैं। इससे स्पष्ट होता है कि भारत ने विदेशी देशों के साथ मिलकर अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए सकारात्मक भूमिका निभाई है और उन्हें सहायता प्रदान की गई है।
इस प्रकार, नरेंद्र मोदी की नेतृत्व में भारतीय विदेश नीति ने देश को गर्वान्वित किया है। उनकी सकारात्मक दृष्टिकोण और कठिनाईयों का समर्पण ने देश को आंतरराष्ट्रीय मामलों में मजबूती और सुरक्षा में सुरक्षिति प्रदान की है। इसके साथ ही, डिजिटल इंडिया कार्यक्रम ने तकनीकी सुधारों के माध्यम से देश को एक नए दौर में ले जाने में मदद की है, जिससे नागरिकों को और भी अधिक सुविधाएं और विकल्प मिले हैं। इस प्रकार, नरेंद्र मोदी की नीतियां और पहलें देश को एक मजबूत, आत्मनिर्भर और सुरक्षित भविष्य की दिशा में काम कर रही हैं।