Spring (वसंत) ऋतु में आहार-विहार
Spring (वसंत) ऋतु में कफ को कुपित करने वाले पौष्टिक और गरिष्ठ पदार्थों की मात्रा धीरे-धीरे कम करते हुए गर्मी बढ़ते हुए ही बन्द कर के सादा सुपाच्य आहार लेना शुरु कर देना चाहिए। चरक के सादा सुपाच्य आहार लेना शुरु कर देना चाहिये
चरक के अनुसार इस ऋतु में भारी, चिकनाईवाले, खट्टे और मीठे पदार्थों का सेवन व दिन में सोना वर्जित है।इस ऋतु में कटु, तिक्त, कषारस-प्रधान द्रव्यों का सेवन करना हितकारी है।
प्रातः वायुसेवन के लिए घूमते समय 15-20 नीम की नई कोंपलें चबा-चबाकर खायें। इस प्रयोग से वर्षभर चर्मरोग, रक्तविकार और ज्वर आदि रोगों से रक्षा करने की प्रतिरोधक शक्ति पैदा होती है।
यदि Spring (वसंत) ऋतु में आहार-विहार के उचित पालन पर पूरा ध्यान दिया जाय और बदपरहेजी न की जाये तो वर्त्तमान काल में स्वास्थ्य की रक्षा होती है। साथ ही ग्रीष्म व वर्षा ऋतु में स्वास्थ्य की रक्षा करने की सुविधा हो जाती है। प्रत्येक ऋतु में स्वास्थ्य की दृष्टि से यदि आहार का महत्व है तो विहार भी उतना ही महत्त्वपूर्ण है।
Spring (वसंत) ऋतु में उबटन लगाना, तेलमालिश, धूप का सेवन, हल्के गर्म पानी से स्नान, योगासन व हल्का व्यायाम करना चाहिए। देर रात तक जागने और सुबह देर तक सोने से मल सूखता है, आँख व चेहरे की कान्ति क्षीण होती है अतः इस ऋतु में देर रात तक जागना, सुबह देर तक सोना स्वास्थ्य के लिए हानिप्रद है। हरड़े के चूर्ण का नियमित सेवन करने वाले इस ऋतु में थोड़े से शहद में यह चूर्ण मिलाकर चाटें।
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