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Chaitra Navratri 2024: चैत्र नवरात्रि कलश स्थापित सामाग्री, मुहूर्त पूजन और विशेष उपाय

Chaitra Navratri 2024 चैत्र नवरात्रि भारतीय संस्कृति में एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो हिंदू कैलेंडर के चैत्र माह में मनाया जाता है। इस नवरात्रि के दौरान, लोग मां दुर्गा की पूजा-अर्चना करते हैं और नौ दिनों तक व्रत रखते हैं। यह त्योहार हिंदू धर्म में माँ दुर्गा की उपासना का अवसर प्रदान करता है और लोगों को समृद्धि, स्थिरता और सम्मान की प्राप्ति की कामना करता है। 9 अप्रैल दिन मंगलवार से कलश स्थापना के साथ नवरात्र की शुरुआत हो रही है और 17 अप्रैल को श्री रामनवमी के उत्सव के साथ इसका समापन होगा इस बार की चैत्र नवरात्रि 9 दिन की होगी इस साल की चैत्र नवरात्रि पर 30 साल बाद अतिदुर्लभ योग बन रहा है.

कलश स्थापना का समय
09 अप्रैल को कलश स्थापना समय सुबह 05:52 मिनट से लेकर 10: 04 मिनट तक है इसके अलावा 11: 45 मिनट से लेकर दोपहर 12: 35 मिनट तक अभिजीत मुहूर्त है इन दोनों मुहूर्त में घटस्थापना कर सकते हैं.

बन रहे ये अति दुर्लभ योग
चैत्र नवरात्रि के पहले दिन यानी प्रतिपदा तिथि पर सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है अमृत सिद्धि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 07 : 32 मिनट से प्रारंभ होगा और यह अगले दिन 10 अप्रैल को सुबह 05: 06 मिनट तक रहेगा इसके अलावा चैत्र नवरात्रि के पहले दिन रेवती नक्षत्र सुबह से लेकर सुबह 07: 32 मिनट तक रहेगा उसके बाद से अश्विनी नक्षत्र सुबह 07:32 मिनट से अगले दिन 10 अप्रैल को सुबह 05:06 मिनट तक रहेगा इन योगों में मां दुर्गा की पूजा करने से साधक को अनंत फल की प्राप्ति होगी.

घोड़े पर सवार होकर आएंगी मां दुर्गा
चैत्र नवरात्रि में मां दुर्गा इस बार घोड़े पर सवार होकर आएंगी मां दुर्गा का वाहन इस बात पर निर्भर करता है कि नवरात्रि का पर्व किस दिन से आरंभ हो रहा है. पंचांग के अनुसार इस साल नवरात्रि का आरंभ मंगलवार से हो रहा है इसलिए मां दुर्गा का वाहन अश्व यानी कि घोड़ा होगा मां दुर्गा की घोड़े पर सवारी को आने वाले साल के लिए शुभ संकेत नहीं माना जाता है घोडे़ पर देवी का आना युद्ध छत्र भंग का संकेत दे रहा है इस साल देश में आम चुनाव होने हैं माना जा रहा है कि चुनाव के नतीजे काफी आश्चर्यजनक हो सकते हैं इसके अलावा घोड़े पर मां दुर्गा का आना राष्ट्रीय आपदा साथ लेकर आता है. पूरे देश को कोई भयंकर प्राकृतिक आपदा झेलनी पड़ सकती है..
हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक चैत्र नवरात्रि है.

नवरात्रि में देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की अलग-अलग दिन पूजा-अर्चना की जाती है. इसमें पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा का विधान है.
ऐसा कहा जाता है कि नवरात्रि के नौ दिनों तक माता रानी धरती पर घूमती हैं और भक्तों के दुख दूर करती हैं.

सभी भक्त देवी मां को प्रसन्न करने के लिए विधि-विधान के साथ नवरात्रि की पूजा करते हैं और व्रत या उपवास करते हैं. अगर आप भी नवरात्रि में कलश स्थापना करने जा रहे हैं तो यहां जान लें कि नवरात्रि में किन-किन पूजा सामग्री का इस्तेमाल किया जाता है.

Chaitra Navratri 2024 नवरात्रि की पूजा में कौन-कौन सी सामग्री लगती है.
माता की तस्वीर या मूर्ति, कलश, गंगाजल , मौली, सिंदूर रोली, अक्षत, सिक्का, गेहूं या अक्षत, कुमकुम, आम के पत्ते का पल्लव (5 आम के पत्ते की डली, मिट्टी का बर्तन, शुद्ध मिट्टी, मिट्टी पर रखने के लिए एक साफ कपड़ा, कलावा, गेहूं या जौ, पीतल या मिट्टी का दीपक, घी, रूई बत्ती, सिंदूर, लाल वस्त्र, जटा वाला नारियल, इलायची, फल या मिठाई, हनव कुंड, अगरबत्ती, चौकी के लिए लाल कपड़ा, दुर्गासप्तशती किताब, साफ चावल, श्रृंगार का सामान, दीपक, घी/ तेल, फूल, फूलों की माला, लौंग, कपूर, बताशे, पान, सुपारी, कलावा, मेवे, हवन के लिए आम की लकड़ी.

अखंड ज्योति के लिए सामग्री
अगर आप 9 दिनों तक अखंड ज्योति को प्रज्वलित करना चाहते हैं तो इसके लिए जरूरी सामग्रियों में से मुख्य हैं –

  • अखंड ज्योति का दीया
  • अंदर इस्तेमाल होने वाली बत्ती
  • पूजा में इस्तेमाल होने वाला घी या तिल का तेल
  • माचिस
  • अगर आप अखंड ज्योति प्रज्वलित कर रहे हैं तो इसे आग्नेय कोण में जलाना शुभ माना जाता है.

कलश स्थापना के लिए सामग्री
नवरात्रि में कलश स्थापना के लिए मुख्य रूप से पीतल, तांबे या मिट्टी का कलश, मिट्टी का पात्र , कलावा, नारियल, छोटी लाल चुनरी, आम के पत्ते, जौ , सिंदूर, जल, दीपक, बालू या रेत, तिल का तेल या घी, मिट्टी. कलश स्थापना के समय सबसे पहले मिट्टी के एक पात्र को जमीन में थोड़ी सी बालू या रेत डालकर रखें और इसमें मिट्टी डालकर जौ डाल दें. इस पात्र के बीचों बीच कलश में पानी भरकर रखें. कलश के ऊपर आम के 5 या 7 पत्ते रखें और एक छोटी कटोरी ढककर उसके ऊपर चुनरी में नारियल लपेटकर रख दें. कलश में कलावा बांधें और उसके ऊपर सिंदूर से स्वास्तिक बनाएं.

माता रानी के श्रृंगार का सामान
श्रृंगार के सामान में माता को पूरे सोलह श्रृंगार चढ़ाने का विधान है, इसलिए पूरी सामग्री ध्यान से इकट्ठी करें. इन सामग्रियों में मेहंदी, बिंदी, लाल चूड़ी, सिंदूर, लाल चुनरी, नेल पॉलिश, लिपस्टिक, आलता, बिछिया, दर्पण, कंघी, महावर, काजल, चोटी, पायल, इत्र, लाल चुनरी, पायल, कान की बाली, नाक की नथ, मेहंदी आदि सामान शामिल करें.

नवरात्रि की चौकी कैसे सजाते हैं
माता को श्रृंगार का सामान अर्पित करने के लिए सबसे पहले साफ चौकी पर लाल या पीला कपड़ा बिछाकर माता की तस्वीर या मूर्ति रखें. उसके बाद माता को टीका लगाएं और पूरा श्रृंगार का सामान अर्पित करें. मान्यता है कि नवरात्रि में माता रानी को श्रृंगार का सामान अर्पित करने से अखंड सौभाग्य का वरदान मिलता है और सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.

माता के पूजा में कलश के नीचे रखे पात्र में जौ बोना बेहद शुभ माना जाता है. ऐसा कहा जाता है कि अगर ये जौ हरे-भरे निकलते हैं तो घर में सुख समृद्धि आती है और अगर ये जौ मुरझाए हुए निकलते हैं तो यह भविष्य में होने वाले किसी अशुभ घटना का संकेत हो सकता है. इसके अलावा पूजा सामग्री में मुख्य रूप से बंधनवार होता है जिसे नवरात्रि के शुरू होने पर अपने मुख्य द्वार पर सजा सकते हैं, जिससे माता के आगमन की होता है. मान्यता है कि नवरात्रि के नौ दिनों में घर में शुद्ध देसी घी का दीपक जलाने से नेगेटिव एनर्जी दूर होती है और घर में खुशहाली बनी रहती है.

Chaitra Navratri 2024 चैत्र नवरात्रि के 9 दिनों तक करें यह विशेष उपाय

मां दुर्गा की उपासना का त्योहार चैत्र नवरात्रि मे नौ दिन घर और मंदिर में सुबह और शाम देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा-अर्चना की जाती है देशभर में इसे बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है माना जाता है कि नवरात्रि के नौ दिनों तक माता रानी की सच्चे मन से आराधना करने से मन की हर मनोकामना पूरी होती है पं.संजय शास्त्री अनुसार, इस बार पड़ने वाली चैत्र नवरात्रि का विशेष महत्व है ऐसा इसलिए क्योंकि चैत्र नवरात्रि की शुरुआत खरमास में हो रही है नवरात्रि में कुछ खास उपाय भी किए जाते हैं, जिसे करने से माता रानी की विशेष कृपा बनी रहती है जानते हैं कि इस दिन कौन से विशेष उपाय करने चाहिए-

चैत्र नवरात्रि 2024 के उपाय
चैत्र नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा की पूजा करते समय उनका मनपसंद मोगरा फूल अर्पित करें मां दुर्गा को मोगरा अर्पित करने से वह प्रसन्न होती हैं साथ ही अपना आशीर्वाद बनाए रखती हैं.

चैत्र नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के समक्ष सरसों के तेल से चौमुखी दीपक जलाना चाहिए इससे मन की हर मनोकामना पूरी होती है और रुके हुए सभी काम भी पूरे हो जाते हैं.

नवरात्रि के दौरान पान के पत्ते में गुलाब की कुछ पंखुड़ियां रखकर मां दुर्गा को अर्पित कर दें माना जाता है कि ऐसा करने से धन संबंधित परेशानी दूर हो जाती है और धन आगमन के रास्ते खुलने लग जाते हैं.

नवरात्रि में नौ दिनों तक लगातार पान के पत्ते पर केसर रखकर दुर्गा स्त्रोत का पाठ करें इस उपाय को करने से घर में या परिवार में चल रही परेशानी से छुटकारा मिलता है साथ ही घर में सुख-समृद्धि का वास होता है.

चैत्र नवरात्रि के दौरान माता रानी को लाल रंग के फूल दिखाकर घर के पूर्व दिशा में गाढ़ दें ऐसा माना जाता है कि इस उपाय को करने से घर और जीवन में मौजूद नकारात्मक ऊर्जा दूर हो जाती है.

चैत्र नवरात्रि का महत्व उत्तम स्वास्थ्य और धन की प्राप्ति के लिए उपयुक्त माना जाता है। इसके दौरान नौ दिनों तक व्रत रखने से शरीर को नवीनता मिलती है और मानसिक शक्ति बढ़ती है। इसके अलावा, चैत्र नवरात्रि का उत्सवी आयोजन किया जाता है, जिसमें भजन-कीर्तन, रामलीला आदि आयोजित किये जाते हैं। इसका महत्व धार्मिक और सामाजिक दृष्टि से भी है, जो लोगों को धार्मिक संस्कृति का महत्व समझाता है।

चैत्र नवरात्रि में हिंदू पूजा की विधि अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस अवसर पर, लोग मां दुर्गा के रूपों की पूजा करते हैं और नौ दिनों तक विशेष प्रकार के भोजन और पूजा-अर्चना करते हैं। यह नौ दिन का उत्सव हर रोज विशेष मनाया जाता है, जिसमें मां दुर्गा का भोग, चन्दी, कुमारी, कालरात्रि, महागौरी, सिद्धिदात्री आदि के रूपों की पूजा की जाती है।

चैत्र नवरात्रि का समापन राम नवमी के दिन होता है, जिसे रामनवमी के रूप में भी जाना जाता है। इस दिन भगवान राम के जन्म की खुशी में लोग भजन-कीर्तन करते हैं और प्रसाद बाँटते हैं। यह त्योहार हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है और लोगों को धर्म के महत्व को याद दिलाता है।

इस प्रकार, चैत्र नवरात्रि हिंदू संस्कृति में एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो मां दुर्गा की पूजा के माध्यम से लोगों को धार्मिकता, समर्पण और उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति की कामना करता है। इसके द्वारा हमें यह सिखाया जाता है कि जीवन में समृद्धि की प्राप्ति के लिए किसी भी समस्या का सामना करना चाहिए और उसे परिहार करने की कला सीखनी चाहिए।

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धर्म के गूढ़ रहस्यों और ज्ञान को जनमानस तक सरल भाषा में पहुंचा रहे श्री रवींद्र जायसवाल (द्वारिकाधीश डिवाइनमार्ट,वृंदावन) इस सेक्शन के वरिष्ठ सामग्री संपादक और वास्तु विशेषज्ञ हैं। वह धार्मिक और ज्योतिष संबंधी विषयों पर लिखते हैं।

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