बिजली की मांग 28000 मेगावाट तक पहुंचने का अनुमान, अनपरा डी परियोजना से शुक्रवार की सुबह उत्पादन शुरू
1000 मेगावॉट क्षमता की अनपरा डी परियोजना से शुक्रवार की सुबह उत्पादन शुरू हो गया। अभी 500 मेगावाट की पहली इकाई उत्पादन पर ली गई है। दूसरे ईकाई को लेकर प्रयास जारी है। उधर ओबरा की बंद पड़ी 13वीं इकाई को भी उत्पादन पर लाने के प्रयास तेज कर दिए गए हैं।
बताते चलें कि टरबाइन ब्लॉस्ट के कारण अनपरा डी की 500 मेगावाट क्षमता वाली दूसरी इकाई से उत्पादन लंबे समय से ठप चल रहा है। गत 20 जुलाई को तापमान काफी ज्यादा बढ़ जाने के कारण उत्पादन पर चल रही 500 मेगावाट वाली पहली इकाई को भी बंद करना पड़ा था। सस्ती बिजली देने वाली परियोजना का उत्पादन पूरी तरह शून्य हो जाने के कारण शक्ति भवन तक हड़कंप की स्थिति बन गई थी। इसके बाद अभियंताओं और विशेषज्ञों की टीम युद्ध स्तर पर इकाई को उत्पादन पर लाने में जुट गई।
गुरुवार की देर शाम इकाई को लाइटअप करने में सफलता मिल गई। इसके बाद उसे उत्पादन पर लाने का प्रयास शुरू कर दिया गया। बुधवार की तड़के इकाई को उत्पादन पर लाने में भी कामयाबी मिल गई और 180 मेगावाट के साथ उत्पादन शुरू हो गया। सुबह सात बजते-बजते उत्पादन 250 मेगावाट के करीब पहुंच गया। प्रबंधन का कहना था कि थोड़ा-थोड़ा उत्पादन बढ़ाकर शाम तक इससे पूरी क्षमता से बिजली पैदा करने का काम शुरू कर दिया जाएगा।
दूसरी तरफ करीब 20 माह से बंद चल रही दूसरी इकाई को भी लाइट अप कर टेस्टिंग का काम शुरू कर दिया गया है। चूंकि यह इकाई लंबे समय से बंद है और टरबाइन में बड़ी दिक्कत बन गई थी। इसलिए अभी दो-तीन दिन और टेस्टिंग की स्थिति चलते रहने की उम्मीद है। परियोजना प्रबंधन का कहना है कि पहली इकाई से उत्पादन शुरू कर दिया गया है। दूसरी इकाई की भी खामी दुरुस्त कर उसे उत्पादन पर लाने की टेस्टिंग शुरू कर दी गई है। बताया गया कि इस इकाई से भी दो-तीन दिन में उत्पादन शुरू हो जाने की उम्मीद है।
वर्ष 2018 से ही अनुरक्षण में चल रही ओबरा परियोजना की 200 मेगावाट की क्षमता वाली 13वीं इकाई को भी लाइटअप कर उत्पादन पर लेने के प्रयास शुरू कर दिए गए हैं। अनपरा डी की दोनों और ओबरा परियोजना की 13वीं में इकाई से उत्पादन शुरू होने के बाद राज्य सरकार को आसानी से 11 से 1200 मेगावाट सस्ती बिजली की उपलब्धता सुनिश्चित हो जाएगी।
बता दें कि वर्ष 2015 से संचालित यह परियोजना राज्य सरकार के महत्वाकांक्षी परियोजनाओं में एक है। इस इकाई से 3 से भी कम यूनिट की दर से बिजली राज्य सरकार को मिलती है। यहां से बिजली ना मिलने की दशा में सिस्टम कंट्रोल को महंगी बिजली का सहारा लेना पड़ता है।
उमस का क्रम बने रहने से बिजली की मांग और खपत 21000 मेगावाट से ऊपर पहुंचनी शुरू हो गई है। गुरुवार की रात 10 बजे के करीब ही बिजली की मांग 21362 पर पहुंच गई।
पर्याप्त सस्ती बिजली की उपलब्धता न होने के कारण सिस्टम कंट्रोल को जहां महंगी बिजली खरीदनी पड़ी। वहीं रात में मांग ज्यादा ना बढ़ जाए, इसके लिए थोड़े-थोड़े समय के लिए आपात कटौती का भी क्रम बना रहा। सुबह मांग 12000 मेगावाट के करीब आने के बावजूद, परियोजनाओं से हुए करार की बिजली उपलब्ध होने के अलावा, केंद्रीय पुल से लगभग ढाई रुपए प्रति यूनिट बिजली खरीदी जाती रही।
प्रदेश के ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने लगातार रिकॉर्ड मांग, रिकॉर्ड खपत को देखते हुए अगले वर्ष तक बिजली की मांग 28000 मेगावाट पहुंचने की उम्मीद जताई है। उन्होंने विद्युत वितरण एवं डिस्कॉम अभियंताओं को अभी से इसको लेकर तैयारी शुरू करने के लिए कहा है।
वर्तमान में चल रही मांग के सापेक्ष पर्याप्त बिजली उपलब्धता के दावे के बावजूद बिजली कटौती की मिल रही शिकायतों पर नाराजगी जताते हुए आपूर्ति संयंत्रों की स्थिति दुरुस्त करने के लिए निर्देश जारी किया है।