मुजफ्फरनगर में भूमि अधिग्रहण को लेकर जंग, रालोद ने रेलवे स्टेशन कब्जाया, भाकियू ने हाईवे, भारी फोर्स पहुंची
मुजफ्फरनगर। भूमि अधिग्रहण मामले को लेकर आज जनपद में दो स्थानों पर रालोद तथा भाकियू ने जबरदस्त विरोध प्रदर्शन किए। एक तरफ जहां रालोद नेताओं के नेतृत्व में मंसूरपुर रेलवे स्टेशन पर किसानों की भीड ने कब्जा जमा लिया, वहीं तितावी में भारतीय किसान यूनियन के नेतृत्व में किसानों ने प्रदर्शन करते हुए पानीपत खटीमा राजमार्ग जाम कर दिया।
उधर, हंगामे की सूचना पाकर दोनों स्थानों पर पुलिस तथा प्रशासनिक विभाग के अधिकारी भारी फोर्स के साथ पहुंचे। भाकियू अध्यक्ष चौधरी नरेश टिकैत के साथ प्रशासनिक अधिकारियों की वार्ता भी विफल हो गई।किसानों के जमीन के मुआवजे को लेकर चल रहे आंदोलन के बीच आज किसानों ने कई जगह मोर्चा खोल लिया।
भूमि अधिग्रहण मामले में @RLDparty नेताओं के नेतृत्व में मंसूरपुर रेलवे स्टेशन पर किसानों की भीड ने कब्जा जमा लिया, वहीं तितावी में @bkutikait के नेतृत्व में किसानों ने प्रदर्शन करते हुए पानीपत खटीमा राजमार्ग जाम कर दिया।सूचना पर @muzafarnagarpol अधिकारी भारी फोर्स के साथ पहुंचे। pic.twitter.com/hNX0gL842l
— News & Features Network-Regional News (@mzn_news) September 11, 2020
रालोद समर्थक जहां मंसूरपुर रेलवे स्टेशन पर धरना देकर बैठ गए हैं, वहीं भाकियू कार्यकर्ताओं ने तितावी के पास पानीपत खटीमा हाईवे जाम कर दिया। बताया गया है कि अधिगृहीत जमीन से फसल उजाडने गई प्रशासन की दर्जनों जेसीबी तितावी थाने के सामने जमा हैं। इस मौके पर भाकियू के वरिष्ठ नेता राजू अहलावत, धर्मेंद्र मलिक ओर धीरज लटियान के नेतृत्व में किसानो का प्रदर्शन जारी है।
इस बीच भारतीय किसान यूनियन के आंदोलन को देखते हुए प्रशासनिक अधिकारी भाकियू सुप्रीमो चौधरी नरेश टिकैत से मिलने सिसौली पहुंचे।इस दौरान एडीएम अमित कुमार, सीओ फुगाना राम मोहन शर्मा, सिटी मजिस्ट्रेट अभिषेक सिंह, थाना प्रभारी भौरा कलां अजय कुमार ने चौधरी टिकैत से वार्ता की, लेकिन चौधरी नरेश टिकैत ने किसानों के गन्ने का मूल्य 235 रुपये प्रति क्विन्टल करने तथा किसानों को फसल काटने के लिए कुछ दिन का समय देने की मांग की।
इस पर अधिकारी कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे सके और यह मीटिंग बेनतीजा रही। चौधरी नरेश टिकैत ने हरियाणा में किसानों पर लाठी चार्ज पर दुख जताते हुए कहा कि किसान की अनदेखी बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
इस मौके पर भाकियू जिलाध्यक्ष धीरज लाटियान भी उपस्थित रहे।उधर, डेडिकेडेट फ्रेट कॉरिडोर में अधिग्रहीत जमीन के मुआवजा का मामला तूल पकड़ गया है। किसान पूरे जिले में एक समान मुआवजे की मांग को लेकर कॉरिडोर निर्माण का विरोध कर रहे हैं। कई स्थानों पर काम बीच में रुक गया है।
करीब 16 किलोमीटर कॉरिडोर के गांवों में जमीन पर कब्जा नहीं मिल सका है। मुआवजे की मांग को लेकर रालोद ने आज मंसूरपुर स्टेशन पर सर्वदलीय महापंचायत का आयोजन किया। इस दौरान बडी संख्या में वहां पहुंचे किसानों ने रेलवे स्टेशन पर कब्जा जमा लिया। सूचना पाकर भारी फोर्स भी मौके पर पहुंची।
इस दौरान रालोद जिलाध्यक्ष अजित राठी, पूर्व विधायक राजपाल बालियान, युवा रालोद जिलाध्यक्ष विदित मलिक, संजय राठी, विकास बालियान, सुधीर भारतीय, पंकज राठी, आदेश तोमर तथा विशाल अहलावत सहित बडी संख्या में किसान वहां मौजूद रहे। कोलकाता से लुधियाना तक रेलवे ने अलग से माल ढुलाई के लिए डेडिकेडेट फ्रेट कॉरिडोर परियोजना बनाई है।
जिले में भंगेला से लेकर आखनौर तक 28 ग्रामों से होकर यह रेलवे लाइन जाएगी। नरा से आखलौर तक बाईपास बनाया जाएगा, जिसमें कई स्थानों पर मिट्टी डालने का काम चला, मगर किसानों ने पूरे जिले में एक समान मुआवजे की मांग को लेकर आंदोलन कर काम रुकवा दिया। जनपद में 43 किलोमीटर कॉरिडोर बनेगा। भंगेला, टबीटा, मढ़करीमपुर, खतौली, भैंसी, सोंटा, खानूपुर, मंसूरपुर, घासीपुरा, बेगराजपुर, नरा, दौलतपुर, जड़ौदा, सीमली, मीरापुर, पीनना, लकडसंघा, कल्लरपुर, कछौली, जटनंगला, बधाई, तिहाई आदि गांव से होकर यह कॉरिडोर जाएगा। इन ग्रामों के किसानों की जमीन इसके लिए अधिग्रहीत की गई है।
रेलवे ने 2017 में अवार्ड करके किसानों को सर्किट रेट का चार गुणा करके भूमि का मुआवजा तय किया तथा किसानों को दिया। इसके अलावा किसानों को नौकरी के नाम पर जमीन के खातेदार के नाम 5.50 लाख रुपये भी दिए।
सब स्थानों पर सर्किट रेट भिन्न हैं, जैसे भैंसी का सर्किट रेट 750 से लेकर 1500 रुपये प्रति मीटर तक है, जबकि जटनंगला, बधाई आदि गांव में सर्किट रेट 350 ही है। किसानों का कहना है कि पूरे जिले में एक समान सर्किल रेट से मुआवजा दिया जाए।
एडीएम प्रशासन अमित सिंह ने बताया कि जिन गांव में सर्किल रेट कम थे, वहां डीएम ने 50 प्रतिशत तक सर्किल रेट बढ़ाए हैं। साथ ही 2017 में मुआवजा मिल गया। बढ़ाए गए सर्किल रेट का ब्याज भी तीन साल का किसानों को दिया जाएगा। अब भी किसान संतुष्ट नहीं है तो वे कोर्ट में जा सकते है।