आशा कामगार महज एक हजार रुपए से नाखुश, दिल्ली में तीन बड़े निर्माणाधीन अस्पतालों में बढ़ेंगे बिस्तर
दिल्ली में आशा कामगारों को मलाल है कि उन्हें कोरोना काल मे किए काम के बदले महज एक हजार रुपए महीना की प्रोत्साहन राशि मिल रही है। कामगारों का कहना है कि हम मरीजों के घरों में जाते हैं, आॅक्सीमीटर की मदद से उनकी जांच करते हैं। हमें हमारी ही सुरक्षा के लिए पर्याप्त सुरक्षा उपकरण नहीं दिए जाते हैं।
दिल्ली आशा कामगार यूनियन (ऐक्टू से संबंध) की अध्यक्ष श्वेता राज ने कहा कि आशा कामगार जन स्वास्थ्य सेवा और लोगों के बीच एक पुल का काम करती हैं। दिल्ली में करीब 3000 आशा कामगार हैं। आमतौर पर उनका काम होता है कि जन्म से पहले और बाद में नवजात और उनकी माताओं की देखभाल करना।
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में बन रहे तीन बड़े अस्पतालों में दिल्ली सरकार ने मरीजों के लिए अधिक बिस्तर बढ़ाने का फैसला लिया है। बुधवार को स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन की समीक्षा बैठक में यह निर्णय लिया गया। वे निर्माणाधीन अस्पतालों के निर्माण कार्य की जांच के लिए पहुंचे थे। जिन निर्माणाधीन अस्पतालों में बिस्तरों को बढ़ावा का निर्णय लिया गया है, उसमें आचार्य श्री भिक्षु अस्पताल में बिस्तर की संख्या को बढ़ाकर 400 तक, श्री दादा देव मातृ एवं शिशु चिकित्सालय में 106 से बढ़ाकर 300 तक और गुरु गोबिंद सिंह अस्पताल में 572 तक की जा रही है।
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि दिल्ली सरकार मादीपुर और ज्वालापुरी में नए अस्पताल बनवा रही है, जबकि दिल्लीवासियों को आधुनिक सुविधाएं प्रदान करने के मद्देनजर तीन अस्पतालों में बदलाव कर रही है।
दिल्ली सरकार ने मादीपुर में निर्णाधीन अस्पताल में बुनियादी स्वास्थ्य ढांचे में बदलाव करने का भी फैसला लिया है। यह कार्य 2022 तक पूरा होगा। स्वास्थ्य मंत्री ने सबसे पहले आचार्य श्री भिक्षु अस्पताल का दौरा किया। यहां नए भवन की मरम्मत का काम चल रहा है।