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मार्केट सिस्टम में चीन हमसे कहीं आगे-भारत को भ्रष्टाचार मुक्त होना होगा-Subramaniam Swamy

Subramaniam Swamy  ने कहा है कि मार्केट सिस्टम में चीन हमसे कहीं आगे है। भारत भी आगे बढ़ सकता है, लेकिन भारत को भ्रष्टाचार मुक्त होना होगा। काले धन के प्रसार पर कड़ाई से रोक लगानी होगी। भारत को अपनी मौलिक चीजों और स्वभाग को बचाकर आगे बढ़ना होगा। भारत सदियों से मजबूत रहा है।

मुगल काल से पहले और उसके बाद भी, लेकिन राजनीतिक मजबूती के बिना उस मजबूती को बरकरार नहीं रखा जा सकता है। कहा कि इससे कोई मतलब नहीं है कि आपका सीना 56 इंच है या 34 इंच है। जरूरी है आपका स्वस्थ होना। कहा कि कृषि में सुधार करके, उन्नत बीजों को किसानों को वितरित करके, उनके उपज का सही मूल्य देकर आगे बढ़ा जा सकता है। हमें चीन की तुलना पीपीपी और जीडीपी के तहत नहीं करना चाहिए। जीडीपी में चीन हमसे कहीं ज्यादा है।

उन्होंने ये बातें “वर्ड्स ऑफ विस्डमः ज्ञान गंगा” आनलाइन परिचर्चा के दौरान कही। उन्होंने कहा कि हमें अपने लक्ष्यों को पाने के लिए जमीन पर उतरकर काम करना होगा। केवल चीन और अमेरिका के बारे में कहने-सुनने से हम आगे नहीं बढ़ जाएंगे। हमें लक्ष्यों पर आगे बढ़ना होगा और बड़ी शक्तियों का मुकाबला करने के लिए चुनौतियों को स्वीकार करना होगा। उन्होंने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था हमारी सोच से कहीं ज्यादा बड़ी थी, लेकिन राजनीतिक साहस नहीं दिखाने से हम पीछे हो जा रहे हैं। कहा कि शासन करने वाले को निर्णय लेने में साहस दिखाना होगा।

इससे पहले चीन के मुद्दे पर परिचर्चा के दौरान पूर्व मेजर जनरल जीडी बख्शी ने कहा था कि भारत की ओर से सुनहरा मौका छोड़ दिया गया। देश को ड्रैगन को कड़ा जवाब देना चाहिए था। आखिरकार हथियार किसलिए खरीदे गए हैं, वे सिर्फ 26 जनवरी की परेड में शक्ति प्रदर्शन के लिए नहीं बने हैं।

 

दरअसल, स्वामी ने पूछा था कि चीन ने जो कुछ भी किया, हम उसके बाद भी खुलकर उसे “आक्रामक” क्यों नहीं कह पा रहे हैं? बख्शी बोले, “मैं सैनिक के नाते दो टूक कह रहा हूं कि हमने अपने विदेश मंत्रालय में कायरता को संस्थागत रूप दिया है।” यह कहते ही स्वामी ठहाका लगाकर हंसने लगे। फिर आगे बख्शी बोले- नेहरू काल में इसकी शुरुआत हुई। तब बड़ा झूठ बोला गया था कि हमें अपनी आजादी मिल गई है।

आप जानते ही हैं…अहिंसा और असहयोग आंदोलन…शुद्ध झूठ, यह तो आप और मैं जानते हैं। पर उन्होंने उस झूठ को संस्थागत बनाया। नेहरू काल में दुनियाभर में शांति का संदेश देने की बात कही गई। विदेश मंत्रालय भी हमेशा शांति को ध्यान में रखकर चीजें सोचता-विचारता है। यही वजह है कि सैन्य बलों और रक्षा मंत्रालय के साथ टकराव पैदा होता है।

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