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अंडर गारमेंट में डिवाइस छुपाकर नकल करने के मामले में सीसीयूएस के छात्रों को कोर्ट से राहत

मुजफ्फरनगर। वर्ष 2019 में मुजफ्फरनगर के जैन कन्या पीजी पाठशाला में विग लगाकर मोबाइल से नकल करते पकड़े गए एमबीबीएस के छात्रों को हाईकोर्ट ने बड़ी राहत दे दी है।

हाईकोर्ट ने विश्वविद्यालय की समस्त परीक्षा निरस्त करते हुए छात्रों को दो वर्ष डिबार करने के आदेश को खारिज करते हुए रिजल्ट जारी करने के निर्देश दिए।

हाईकोर्ट के आदेशों पर विश्वविद्यालय ने स्टूडेंट के रिजल्ट घोषित कर दिए हैं। पूरे प्रकरण में नकल में अब छात्रों पर किसी भी तरह की कार्रवाई नहीं होगी। उक्त आदेश विश्वविद्यालय के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।

यह था मामला ? अंडर गार्मेंट में इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस छुपाकर नकल करने का आरोप

2019 में उक्त कॉलेज एमबीबीएस का परीक्षा केंद्र था। सूचना मिलने पर परीक्षा केंद्र पर विश्वविद्यालय के सचल दल ने छापा मारा तो यहां 12 छात्र-छात्राओं को नकल करते पकड़ा गया।

छात्रों ने विग में ब्लूटूथ छुपा रखा था। स्टूडेंट के अंडर गारमेंट से भी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस बरामद हुई। विश्वविद्यालय ने इन 12 छात्र-छात्राओं की संपूर्ण परीक्षा निरस्त करते हुए दो साल के लिए डिबार कर दिया था। छात्र विश्वविद्यालय के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट चले गए।

हाईकोर्ट के आदेश पर देते रहे परीक्षा

विश्वविद्यालय के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट पहुंचे सभी छात्रों के आगे के परीक्षा कोर्ट के आदेशों पर होती रहे। हाईकोर्ट ने रिजल्ट रोकने के आदेश दिए हुए थे।

पिछले साल विश्वविद्यालय ने गलती से इन छात्रों का रिजल्ट भी जारी कर दिया था, जिसमें चार कर्मचारियों को सस्पेंड कर दिया गया।

विश्वविद्यालय ने बनाई थी जांच समिति, रिपोर्ट का पता नहीं

जिस वक्त विश्वविद्यालय ने केंद्र पर छापा मारा वहां तमाम अनियमितताएं मिली। केंद्र की भूमिका पर भी सवाल उठे। विश्वविद्यालय की टीम ने केंद्र पर सहयोग नहीं करने के आरोप भी लगाए। विश्वविद्यालय ने प्रकरण की जांच को कमेटी बनाई, लेकिन आज तक इसकी रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं हुई।

छात्रों ने कोर्ट में यह दी दलील

पांच छात्रों ने विश्वविद्यालय के 26 जुलाई 2019 के उस आर्डर को चुनौती दी जिसमें संपूर्ण परीक्षा निरस्त करते हुए उन्हें दो साल के लिए डिबार कर दिया गया था।

छात्रों की ओर से काउंसिल ने तीन जून 2019 के नोटिफिकेशन को कोर्ट के समक्ष रखा। काउंसिल ने कहा कि विश्वविद्यालय ने मोबाइल को छोड़कर अपने नियमों में इलेक्ट्रानिक डिवाइस की बरामदगी को श्रेणी तीन में माना है जिसमें डिबार का कोई प्रावधान नहीं है।

ऐसे में विश्वविद्यालय द्वारा छात्रों को दो साल डिबार करने का आदेश दोषपूर्ण और परेशान करने वाला है। काउंसिल ने कहा कि छात्रों से मोबाइल के अतिरिक्त जो डिवाइस बरामद हुई वे श्रेणी तीन में आती हैं जिसमें केवल संपूर्ण परीक्षा निरस्त करने का प्रावधान है।

विश्वविद्यालय ने यह कहा

विश्वविद्यालय की ओर से वरिष्ठ काउंसिल जीके सिंह पेश हुए। उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता द्वारा नकल करने का जो तरीका अपनाया गया वह विशेषरूप से श्रेणी तीन से परे है।

विश्वविद्यालय ने याचिककर्ताओं को न्यायसंगत ढंग से सजा दी है। जीके सिंह ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि छात्र इलेक्ट्रानिक डिवाइस से नकल करते पकड़े गए थे। ऐसे में विश्वविद्यालय का आदेश दोषपूर्ण नहीं है। जीके सिंह ने यह भी कहा कि श्रेणी तीन मोबाइल को छोड़कर उस इलेक्ट्रानिक डिवाइस के मिलने से संबद्ध है जो मैसेज भेजने या प्राप्त करने में प्रयुक्त होती हो।

हाईकोर्ट ने यह माना

हाईकोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ताओं पर परीक्षा के दौरान विग और अंडर गारमेंट से इलेक्ट्रानिक डिवाइस बरामद होने के आरोप हैं। सुबूत यह भी दर्शाते हैं कि डिवाइस में सिम था जो बातचीत के लिए प्रयुक्त हो सकता था

लेकिन इसके कोई सुबूत नहीं है कि डिवाइस कैसे और किस हद तक प्रयुक्त की जा रही थी और क्या डिवाइस से ऐसी कोई एन्क्रिप्टिड सामग्री मिली जो उत्तर में शामिल की गई थी?

कोर्ट ने कहा कि ऐसे में छात्रों का प्रकरण श्रेणी तीन में आता है और इस स्थिति में विश्वविद्यालय का छात्रों को दो साल डिबार करने का फैसला न्यायोचित नहीं है साथ यह निर्णय अनावश्यक परेशान करने वाला और अत्यधिक है।

इसी के साथ हाईकोर्ट ने विश्वविद्यालय के 26 जुलाई 2019 के छात्रों की परीक्षा निरस्त करते हुए दो साल डिबार करने के आदेशों को निरस्त कर दिया। विश्वविद्यालय ने इसी आधार पर छात्रों के रिजल्ट जारी कर दिए हैं।

News Desk

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