Muzaffarnagar News: कथा सुनने से मानव जीवन में संस्कार का उदय होता है-आचार्य जयराम
मुजफ्फरनगर। (Muzaffarnagar News) शुकतीर्थ की पावन धरा पर अष्टोत्तर शत श्रीमद् भागवत मूल पाठ के साथ श्री लक्ष्मी नारायण महायज्ञ एवं श्रीमद् भागवत कथा छठे दिन शुकतीर्थ मंदिर प्रांगण में स्थित श्री डोंगरेजी महाराज भागवत भवन मैं चल रही श्रीमद्भागवत कथा के दौरान ललीतांबा पीठाधीश्वर आचार्य जयराम जी महाराज ने कहां की भक्तों के पापों का हरण कर लेने वाला ही ईश्वर है।
वास्तव में श्रीमद् भागवत कथा सुनने का लाभ तभी है जब हम इसे अपने जीवन में उतारें और उसी के अनुरूप व्यवहार करें।
आचार्य श्री ने कहा कि कथा सुनने से मानव जीवन में संस्कार का उदय होता है। जीवन में कितनी भी विकट परिस्थिति क्यों न आ जाए मुनष्य को अपना धर्म व संस्कार नहीं छोड़ना चाहिए। ऐसे ही मनुष्य जीवन के रहस्य को समझ सकते हैं।
कहा कि जिसकी भगवान के चरणों में प्रगाढ़ प्रीति है, वही जीवन धन्य है। ईश्वर ने विभिन्न लीलाओं के माध्यम से जो आदर्श प्रस्तुत किया, उसे हर व्यक्ति को ग्रहण करना चाहिए। ऐसा करने से जीवन मूल्यों के बारे में जानकारी मिलने के साथ-साथ अपने कर्तव्य को भी समझा जा सकता है।
श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के सातवें दिन कथा व्यास ललीतांबा पीठाधीश्वर आचार्य जयराम जी महाराज ने विभिन्न प्रसंगों पर प्रवचन दिए। उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण के १६ हजार आठ विवाह के वर्णन के साथ ही अलग-अलग लीलाओं का वर्णन किया। उन्होंने बताया कि मां देवकी के कहने पर छह पुत्रों को वापस लाकर मां देवकी को वापस देना, सुभद्रा हरण का आख्यान कहना एवं सुदामा चरित्र का वर्णन करते हुए कथा व्यास ने बताया कि मित्रता कैसे निभाई जाए यह भगवान श्रीकृष्ण व सुदामा जी से समझा जा सकता है। सुदामा अपनी पत्नी के आग्रह पर अपने मित्र कृष्ण से मिलने के लिए द्वारिका पहुंचे।
सुदामा ने द्वारिकाधीश के महल का पता पूछा और महल की ओर बढ़ने लगे लेकिन द्वार पर द्वारपालों ने सुदामा को भिक्षा मांगने वाला समझकर रोक दिया। तब उन्होंने कहा कि वह कृष्ण के मित्र हैं, इसपर द्वारपाल महल में गए और प्रभु से कहा कि कोई उनसे मिलने आया है। अपना नाम सुदामा बता रहा है। जैसे ही द्वारपाल के मुंह से उन्होंने सुदामा का नाम सुना सुदामा सुदामा कहते हुए तेजी से द्वार की तरफ भागे। सामने सुदामा सखा को देखकर उन्होंने उसे अपने सीने से लगा लिया।
सुदामा ने भी कन्हैया कन्हैया कहकर उन्हें गले लगाया। दोनों की ऐसी मित्रता देखकर सभा में बैठे सभी लोग अचंभित हो गए। कृष्ण सुदामा को अपने राज सिंहासन पर बैठाया। उन्हें कुबेर का धन देकर मालामाल कर दिया। जब भी भक्तों पर विपदा आई है। प्रभु उनका तारण करने अवश्य आए हैं। सुखदेव तीर्थ मैं सात दिवसीय कथा शांतिपूर्ण माहौल में संपन्न हुई। अंत में भागवत भगवान की आरती की गई और लंगर में प्रसाद वितरण किया गया।
इस दौरान अखिल भारतीय शक्ति समिति से जुड़े सुरेंद्र शर्मा आनंद प्रकाश शर्मा विजेंद्र शर्मा अशोक शर्मा शाकुंबर प्रसाद शर्मा राकेश शर्मा जयप्रकाश सुभाष गोयल उमा दत्त शर्मा जनार्दन शर्मा ब्रजमोहन संजय शर्मा दीपक शर्मा पंकज त्यागी रामकुमार बृजेश शर्मा अर्जुन सिंह सुनील दत्त सत्य प्रकाश नरेंद्र शर्मा मुकेश कुमार अमित अमित कन्हैया शर्मा समेत आसपास के क्षेत्रों की श्रद्धालुओं की भीड़ मौजूद रहे