बिजली विभाग के अधिकारी तनख्वाह लेने में व्यस्त, पं0 श्रीकांत शर्मा खुद उतरे जनता की शिकायत पर कार्यवाही करने
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार में किसान सम्मान और जनता की सुनवाई व सहयोग की बाते बहुत होती हैं मगर यथार्थ पर अमलीजामा पहनाने के लिए सिस्टम को और पारदर्शी बनाना और जरूरी हो गया हैं।
ऐसा ही मामला तब देखने को मिला जब अनेको बार अन्नदाता गरीब किसान की समस्या से सूचित करने के बाद भी बिजली विभाग सोता रहा। किसी भी अधिकारी ने तो आज तक जवाब नही दिया मगर एक माह बाद रिमाइंडर ईमेल पर, बिना पूरा वाक्या पढ़े ही हेल्पडेस्क ने तो यह तक लिख कर ईमेल कर दिया कि संबंधित कार्यालय को सीधे संपर्क करे।
यहां सवाल ये उठता हैं कि, हेल्पडेस्क का क्या काम हैं? उनकी जरूरत ही क्या हैं? क्या वो सम्बंधित तक मामला प्रेषित नही कर सकते?
मीडिया द्वारा ऐसा जवाब मिलने पर हेल्पडेस्क को लताड़ लगाते हुए ऊर्जा एवं अतिरिक्त ऊर्जा स्रोत मंत्री, उत्तर प्रदेश सरकार पंडित श्रीकांत को भी ईमेल कॉपी किया गया । लिखा गया कि, कृपया ईमेल- ईमेल का खेल न करे। पुराने सिस्टम को बदलते पंडित श्रीकांत शर्मा के शीघ्रता कार्यवाही शैली को अपनाए।किसान की मदद के लिए प्रयास करें। आपको (हेल्पडेस्क) इसीलिए कॉपी किया गया था कि आप संबंधित तक मामला प्रेषित कर दें।
ईमेल में साफ इंगित हैं कि किसान को इधर से उधर दौड़ाया जा रहा हैं और अधिकारी जवाब नही दे रहे हैं। क्या मीडिया ही किसान के लिए लिखता रहे? आपकी कार्यशैली की सूचना मुख्यमंत्री और पंडित श्रीकांत शर्मा तक पहुंचाई जाएगी। (देखें)
ऊर्जा एवं अतिरिक्त ऊर्जा स्रोत मंत्री, उत्तर प्रदेश सरकार पंडित श्रीकांत ने तुरंत ही संज्ञान लेते हुए ईमेल पर जवाब भेजा कि कार्यवाही की जाएगी
इससे यह तो पता चलता हैं कि ऊर्जा एवं अतिरिक्त ऊर्जा स्रोत मंत्री, उत्तर प्रदेश सरकार- पंडित श्रीकांत कितने ही ईमानदार और जनसमस्याओं पर मुखर हो मगर इनके बिजली विभाग के अधिकारी जनता की मदद तो क्या, ईमेल का जवाब तक देना उचित नही समझते।
मामला अमरोहा के जमुनाखास का हैं। जहाँ हर माह देय तारीख से पूर्व ही पेमेन्ट करने के बावजूद किसान को चार दिन का बीस हजार का बिल थमा दिया गया। बिल पर अवधि 11 माह डाल दी गयी।
श्री राजीव कुमार त्यागी पेशे से एक किसान हैं और खेती करके जैसे तैसे जीवन यापन कर रहे हैं। उनके द्वारा विद्युत बिल का भुगतान जिम्मेदार नागरिक और उपभोक्ता के तौर पर हर माह देय तारीख से पूर्व ही ऑनलाइन माध्यम से किया जाता रहा हैं।
इसके बावजूद भी उनको 31 अक्टूबर को बिल 1701201104714887 ऑनलाइन दर्शित हुआ। ऐसा प्रतीत होता हैं कि विभाग के कम्प्यूटर सिस्टम में कोई दिक्कत के कारण यह बिल 31 अक्टूबर से 04 नवंबर जो कि मात्र 4 दिवस होते हैं, को 11 माह दिखा रहा था और कुल देय अमाउंट लगभग बीस हजार रुपए पेंडिंग (बिना पिछले एरियर के) दिखा रहा, जो कि सर्वथा अमान्य हैं। इसी त्रुटि के कारण आगामी बिल में भी लगातार यह राशि जोड़कर लगाई जा रही हैं।
विभाग की हेल्पलाइन और अधिकारियों को ईमेल (19 नवम्बर 2020) द्वारा सूचित करने के बावजूद भी अभी तक कोई कार्यवाही नहीं हुई, न ही कोई जवाब मिला हैं।
स्थानीय बिजलीघर पर सम्पर्क करने पर भी किसान को टरका दिया गया और कोई कागज देखने या पूरी बात करने की भी जहमत नही की गई।
ट्विटर और ईमेल का खेल:
किसान परिवार की इस समस्या की सूचना न्यूज़ पोर्टल के संपादकीय सदस्य डा0 अभिषेक अग्रवाल को टीम द्वारा मिली तो उन्होंने इस समय उपस्थित न होने के बावजूद भी ईमेल द्वारा पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के अधिकारियों, हेल्पडेस्क को पूरी जानकारी दी।
मगर कोई जवाब नहीं। एक माह बाद किसान परिवार के पुनः जानकारी देने पर उन्होंने सभी को फिर से रिमाइंडर भेजा और इस बार ऊर्जा एवं अतिरिक्त ऊर्जा स्रोत मंत्री, उत्तर प्रदेश सरकार- पंडित श्रीकांत को भी कॉपी कर दिया, इस उम्मीद में कि सोये अधिकारी अपने विभाग के मुखिया यानी मंत्री के सम्मान में तो कोई न कोई कार्यवाही करेंगे मगर नतीजा सिफर निकला।
मामला उछलने पर uppcl लखनऊ ट्विटर हैंडलर ने बिना पूरा मामला पढ़ने की जरूरत समझे ही, मध्यांचल विद्युत वितरण को निर्देशित किया कि कार्यवाही करें। जबकि शिकायत में साफ लिखा था कि मामला अमरोहा जिले का हैं
@mvvnlpilibhit कृपया उपरोक्त प्रकरण को संज्ञान में लेते हुए आवश्यक कार्यवाही करना सुनिश्चित करें। @MVVNLHQ #upe301220
— UPPCL (@UPPCLLKO) December 30, 2020
जो मुरादाबाद मंडल यानी पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम के अंतर्गत आता हैं। 2 दिन तक तो मध्यांचल का कस्टमर केयर ट्वीट करता रहा कि संपर्क नही हो पा रहा हैं, फिर बाद में बता दिया कि ये मामला हमसे सम्बंधित नही हैं।
आपकी शिकायत पश्चिमांचल विधुत वितरण निगम लिमिटेड से सम्बंधित हैं। कृपया टोल फ्री नंबर 1800-180-3002 पर संपर्क करें। @1912pvvnl #1912MVVNL311220
— Madhyanchal Vidyut Vitran Nigam Limited (@MVVNLHQ) December 31, 2020
और बार बार मीडिया को ट्वीट करते रहे। पुनः जवाबदेही करने पर आखिरकार अगले दिवस किसान परिवार को पश्चिमांचल के कस्टमर केयर से फ़ोन आया और उन्होंने गलत बिल की बात स्वीकार करते हुए उसे समायोजित करने की बात कही।
महोदय, आपकी शिकायत समाधान हेतु सम्बंधित अधिकारी को प्रेषित कर दी गयी है। जिसकी शिकायत संख्या -PV3112201997 हैं। उनके द्वारा आपकी समस्या का जल्द समाधान किया जायेगा । #1912PVVNL311220@pvvnlamroha @edd2_ee
— PVVNL Customer care center (1912) (@1912PVVNL) December 31, 2020
यहां सवाल यह उठता है कि एक भरे पूरे विभाग के होते हुए मीडिया को हर बात आगे उठाने की जरूरत क्यों पड़ती हैं। क्यों एक छोटे से कार्य के लिए खुद मंत्री पंडित श्रीकांत को हस्तक्षेप करना पड़ा?
कहीं न कहीं विभाग को सुधार करने की आवश्यकता हैं। जो कार्य गावँ के बिजलीघर से हो सकता था उसके लिए इतना लंबा रास्ता क्यों?
मजे की बात हैं कि इस सब के बावजूद भी अधिकारियों ने आज तक ईमेल का जवाब देना उचित नही समझा, मगर मंत्री ने तुरन्त जवाब दिया और सहयोग का आश्वासन दिया। पंडित श्रीकांत की कार्यकुशलता सराहनीय हैं।
देखते है कब तक यह मामला कार्यान्वित होता हैं?
Report Update: डा0 अभिषेक अग्रवाल (संपादकीय सदस्य)
सम्पर्क: [email protected]