यहाँ सब की अहमियत
वो वहम आे गुमान में है,
जो खुद को
ईमानदार समझते है…
वो नासमझ है
जो खुद को…
समझदार समझते है..
….
सब को अपना बनाना
उसकी आदत है…
वो नादान है
जो खुद को
उसका हकदार समझते है…
…..
दो गज से ज्यादा जमीं
यहाँ किसी को नही मिलती….
वो बेवकूफ है
जो खुद को
जमींदार समझते है..
….
वक्त तय करता है
यहाँ सब की अहमियत ….
वो नासमझ है…
जो खुद को
असरदार समझते है..!
रचनाकार:
इं0 दीपांशु सैनी (सहारनपुर, उत्तर प्रदेश) उभरते हुए कवि और लेखक हैं। जीवन के यथार्थ को परिलक्षित करती उनकी रचनाएँ अत्यन्त सराही जा रही हैं। (सम्पर्क: 7409570957)